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किताब के दो आवरण पृष्ठों के बीच जो, लेखक डालता है-वह लोक की संपदा है।, जो कुछ वह खुद नहीं डालता-निजी संपदा, वह है।, 9, -गेल हैमिल्टन, 11071CH09, अमरीकी पत्रकार, डायरी लिखने की, मगलवार, १३ जून २००६, कला, आज बहुत गर्मी धी।, নापनान अपनी हदें खत्म, करता हुआ दिख रा धा,, पर फिए भी अपने, पुराने मित्र आनंद से, मिलकर ठंडक ममूस, हुई। उसके ब्द तो समध, इस पाठ में..., ) क्या है डायरी?, इतिहास के आईने में डायरी, डायरी लेखन और हम, डायरी लेखन और स्मृतियाँ, stes, परिचित होंगे, जिसके पन्नों पर, ) कुछ विचार बिंदु, मोटे, गत्ते, जिल्द वाली उस नोटबुक से, आप सभी।, साल के 365 दिनों की तिथियाँ क्रम से, आधे पृष्ठ की खाली जगह छोड़ी जाती है।, यह खाली जगह उस तिथि विशेष के साथ, संबद्ध सूचनाओं या निजी बातों को दर्ज, करने के लिए होती है। मसलन, आनेवाले, किसी खास दिन के लिए तयशुदा दायित्व, और कार्य-योजनाएँ उसमें लिख कर छोड़ी, जा सकती हैं, ताकि डायरी उस तिथि के, आने पर हमें हमारे संकल्प की याद दिला, दे। इसी तरह हमने कभी कोई ऐसा काम, किया या किसी ऐसे अनुभव से गुज़रे, जिसे, हम याद रखना चाहते हैं, तो उसे डायरी में, उस तिथि विशेष के पन्ने पर दर्ज किया जा, not to be, सकता है। ऐसा करके हम अपने काम या, अनुभव को लिखित शब्दों के सुरक्षित ठिकाने, पर पहुँचा देते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि, वह विस्मृति का शिकार न हो ।, 2020-21, © NG
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डायरी लिखने की कला, सामान्यत: डायरी-लेखन की जब चर्चा होती है, तो उसका आशय डायरी के इसी दूसरे, उपयोग से होता है। दिनभर आप जिन घटनाओं, गतिविधियों और विचारों से गुज़रते रहे, उन्हें, डायरी के पृष्ठों पर शब्दबद्ध करना ही डायरी-लेखन है । यह लेखन मूलत: आपके अपने उपयोग, एवं उपभोग के लिए होता है। हालाँकि यह भी सच है कि पिछले कुछ दशकों में ऐसा लेखन, एक विधा के रूप में पाठक-समाज के बीच खासा लोकप्रिय हो चला है । पिछली सदी की, सर्वाधिक पढ़ी गई पुस्तकों में से एक है ऐनी फ्रैंक नामक एक किशोरी की पुस्तकाकार छपी हुई, डायरी, जो उसने 1942-44 के दरम्यान नाजी अत्याचार के बीच एम्स्टर्डम में छुप कर रहते हुए, लिखी थी। यह डायरी जब प्रकाशित हुई, तो उसे एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ के साथ-साथ एक, साहित्यिक कृति के रूप में भी महत्त्वपूर्ण माना गया। यह तो महज़ एक उदाहरण है। इस तरह, चर्चा में आनेवाली कई समानधर्मा कृतियाँ रही हैं । हिंदी में भी पिछले कुछ दशकों में कई बड़े, रचनाकारों की डायरियाँ जैसे-मोहन राकेश की डायरी, रमेशचंद्र शाह की डायरी आदि भी किताब, की शक्ल में छप चुकी हैं जिन्हें उनकी निजी ज़िंदगी तथा उनके दौर में झाँकने के एक नायाब, रूप में लिखे, रूस में पच्चीस मास,, निमंत्रण के तौर पर बड़े चाव से पढ़ा गया है। यात्रा-वृत्तांत तो काफ़ी पहले से, सेठ गोविंददास की सुदूर दक्षिण पूर्व, कर्नल सज्जन सिंह की लद्दाख यात्रा की डायरी,, डॉ. रघुवंश की हरी घाटी इत्यादि पुस्तकें यात्रा डायरी ही हैं। उन्नीसवीं सदी के पाँचवे दशक में, हिंदी के महान कवि और विचारक गजानन माधव मुक्तिबोध ने एक साहित्यिक की डायरी लिख कर, साहित्यिक समस्याओं से संबंधित अपनी उधेड़बुन को उपयोगी पाठ बनाने का एक अद्भुत प्रयोग, किया था। समकालीन पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाकारों की डायरी के अंश छपते रहते हैं, जिनमें, पाठकों को अकसर उधेड़ -बुन की शैली में प्रकट होनेवाले कुछ उत्तेजक विचारबिंु, किसी यात्रा का, वृत्तांत या फिर साहित्य-जगत की चटपटी खबरें पढ़ने को मिल जाती हैं।, लेकिन इन सब बातों का मतलब यह नहीं कि डायरी सचमुच कहानी, उपन्यास, कविता या, नाटक की तरह पाठकों के लिए लिखी जानेवाली कुछ खास तरह की रचनाओं का विधागत नाम है।, डायरी उस अर्थ में साहित्यिक विधा नहीं है, भले ही वह किसी और साहित्यिक विधा की कृति को, 129, अपना रूप उधार दे दे। मसलन, निबंध, कहानी या उपन्यास डायरी की, शक्ल में लिखे जा सकते हैं, लेकिन वहाँ डायरी का सिर्फ़, 'रूप' होगा। अंतरवस्तु के लिहाज़ से उसे डायरी नहीं कहा जा, सकता।, तो फिर डायरी सचमुच में क्या है? हम कह सकते हैं कि, वह नितांत निजी स्तर पर घटित घटनाओं और तत्संबंधी, बौद्धिक-भावनात्मक प्रतिक्रियाओं का लेखा-जोखा है । इन्हें, हम किसी और के लिए नहीं, स्वयं अपने लिए शब्दबद्ध, करते हैं। ऐसा अवश्य हो सकता है कि किसी समय उनकी, सामाजिक-सांस्कृतिक उपयोगिता का कोई पहलू हमारे ऊपर उन्हें, 2020-21
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अभिव्यक्ति और माध्यम, ऐनी फ्रैंक (1929-1945) जर्मनी में पैदा हुई एक यहूदी लड़की थी। जर्मनी में जब नाज़ियों की, सत्ता कायम हुई और यहूदियों पर अत्याचार शुरू हुए, तो वह परिवार समेत एम्स्टर्डम चली गई।, फिर नीदरलैंड्स पर भी नाज़ियों का कब्ज़ा हुआ और यहूदियों पर अत्याचार का दौर वहाँ भी शुरू, हो गया। ऐसी स्थिति में जुलाई, 1942 में उसका परिवार एक दफ़तर के गुप्त कमरे में छुप कर, रहने लगा, जहाँ दो साल बिताने के बाद वे नाज़ियों की पकड़ में आ गए और उन्हें यातना-कैंप, में पहुँचा दिया गया। यहाँ फरवरी या मार्च 1945 में ऐनी की मृत्यु हो गई। यही नहीं, उसके पिता, को छोड़ कर परिवार का कोई प्राणी जीवित नहीं बचा। द्वितीय महायुद्ध समाप्त होने पर उसके, पिता वापस एम्स्टर्डम पहुँचे। वहाँ उन्होंने ऐनी की डायरी की तलाश की और संयोग से सफल, रहे। ये डायरी ऐनी को उसके तेरहवें जन्मदिन पर मिली थी और जून, 1942 से अगस्त, 1944, तक वह उसमें अपनी खास-खास बातें और नाज़ी आतंक के अनुभवों को लिखती रही थी। उसके, पिता ने महसूस किया कि ऐनी की डायरी इतिहास के उस भयावह दौर का एक अप्रतिम दस्तावेज़, है। उन्होंने उसे प्रकाशित करवाने की दौड़-धूप शुरू की। 1947 में मूलत: डच में लिखी गई यह, डायरी अंग्रेज़ी में 'द डायरी ऑफ अ यंग गर्ल' के नाम से प्रकाशित हुई।, यह बीसवीं सदी की सर्वाधिक पढ़ी गई पुस्तकों में से है। कई जगह इसे पाठ्यक्रम में भी रखा, गया है। इल्या इहरनबुर्ग ने एक वाक्य में इस पुस्तक की सबसे बड़ी विशेषता को रेखांकित किया, है-"यह साठ लाख लोगों की तरफ़ से बोलने वाली एक आवाज़ है-एक ऐसी आवाज़, जो किसी, संत या कवि की नहीं, बल्कि एक साधारण लड़की की है।', 130, 2020-21
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डायरी लिखने की कला, सार्वजनिक कर देने का दबाव बनाए। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह सार्वजनिक किए, जाने के लिए ही लिखी जाती है। शुद्ध लेखन के स्तर पर देखें, तो वह अपना ही अंतरंग साक्षात्कार, है अपने ही साथ स्थापित होनेवाला संवाद है- एक ऐसा साक्षात्कार और संवाद, जिसमें हम सभी, तरह की वर्जनाओं से मुक्त होते हैं। जिन बातों को हम दुनिया में किसी और व्यक्ति के सामने, नहीं कह सकते, उन्हें भी डायरी के पन्नों पर शब्दबद्ध करके खुद को सुना डालते हैं। ऐसा करके, हम पहले खुद को बेहतर तरीके से समझ पाते हैं, दूसरे अपने अंदर अनजाने इकट्ठा होते भार से, मुक्त होते हैं और विस्मृति के अंधेरे में खोते अपने ही व्यक्तित्त्व के पहलुओं को इस तरह रिकॉर्ड, कर लेते हैं कि उन्हें पलट कर कभी भी छुआ जा सकता है।, लेकिन ऐसा नहीं है कि डायरी सिर्फ़ ऐसे ही निजी सत्यों को शब्द देने का ज़रिया हो, जिनकी, किसी और रूप में अभिव्यक्ति वर्जित है । वह एक तरह का व्यक्तिगत दस्तावेज़ भी है, जिसमें, अपने जीवन के खास क्षणों, किसी समय विशेष में मन के अंदर कौंध जानेवाले विचारों, यादगार, मुलाकातों और बहस-मुबाहिसों को हम दर्ज कर लेते हैं । अपनी कई तरह की स्मृतियों को हम, कैमरे की मदद से भी रिकॉर्ड करते हैं, पर खुद अपना पाठ तैयार करना और जो कुछ घटित हुआ,, उसकी कहानी कहना एक ऐसा तरीका है, जो हमें आनेवाले दिनों में उन लम्हों को दुबारा जीने का, मौका देता है। आज की तेज़ रफ़़्तार ज़िंदगी में यह तरीका सचमुच नायाब है। जिंदगी की तेज़ रफ़्तार, में इस बात की आशंका हमेशा बनी रहती है कि सतही और फ़ौरी किस्म की चिंताओं के अनवरत, हमलों के बीच गहरे आशय वाली घटनाओं और वैचारिक उत्तेजनाओं को हम भूल जाएँ। डायरी हमें, भूलने से बचाती है। यात्राओं के दौरान डायरी लिखना तो बहुत ही उपयोगी साबित होता है। एक लंबे, सफ़र का वृत्तांत अगर आप सफ़र से लौट कर लिखना चाहें, तो शायद पूरे अनुभव का दो-तिहाई, हिस्सा ही बच-बचा कर शब्दों में उतर पाएगा, लेकिन अगर आपने सफ़र के दरम्यान प्रतिदिन अपनी, डायरी लिखी है, तो अपने तजुर्बे को लगभग मुकम्मल तौर पर दुहरा पाना आपके लिए संभव होगा।, डायरी लिखना अपने साथ एक अच्छी दोस्ती कायम करने का बेहतरीन ज़रिया है। अगर आप, भी खुद अपने साथ अच्छी दोस्ती गाँठना चाहते हैं, तो इन खास-खास बातों को ध्यान में रखें-, 131, ) डायरी या तो किसी नोटबुक में या पुराने साल की डायरी में लिखी जानी चाहिए। पुराने साल, की डायरी में पहले की पड़ी हुई तिथियों की जगह अपने हाथ से तिथि डालें। यह सुझाव, इसलिए दिया जा रहा है कि आप कहीं मौजूदा साल की डायरी में तिथियों के अनुसार बने, हुए सीमित स्थान से अपने को बंधा हुआ न महसूस करें। ऐसा भी हो सकता है कि हम किसी, दिन दो-तीन पंक्तियाँ ही लिखना चाहें और किसी दिन हमारी बात पाँच पन्नों में पूरी हो । कहा, भी गया है, सभी दिन एक समान नहीं होते। ऐसे में डायरी का किसी निश्चित तिथि के साथ, दिया गया सीमित स्थान हमारे लिए बंधन बन जाएगा। इसीलिए नोटबुक या पुराने साल की, डायरी अधिक उपयोगी साबित हो सकती है। उसमें अपनी सुविधा के अनसार तिथियाँ डाली, जा सकती हैं और स्थान का उपयोग किया जा सकता है।, लेखन करते हुए आप स्वयं तय करें कि आप क्या सोचते हैं और खुद को क्या कहना चाहते, हैं। यह तय करते हुए आपको यथासंभव सभी तरह के बाहरी दबावों से मुक्त होना चाहिए ।, अपनी दिनभर की घटनाओं, मुलाकातों, खयालातों इत्यादि में से कौन-कौन सी आपको दर्ज, 2020-21
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अभिव्यक्ति और माध्यम, करने लायक लगती हैं, किन्हें आप किन-किन वजहों से भविष्य में भी याद करना चाहेंगे-, यह विचार कर लेने के बाद ही उन्हें शब्दबद्ध करने की ओर बढ़ें।, ) डायरी बिलकुल निजी वस्तु है और यह मान कर ही उसे लिखा जाना चाहिए कि वह किसी, और के द्वारा पढ़ी नहीं जाएगी। अगर आप किसी और को पढ़वाने की बात सोच कर डायरी, लिखते हैं, तो उसका आपकी लेखन-शैली , विषय -वस्तु के चयन और बातों के बेबाकपन पर, पूरा असर पड़ेगा। इसलिए यह मानते हुए डायरी लिखें कि उसका पाठक आपके अलावा कोई, और नहीं है।, ) यह कतई ज़रूरी नहीं कि डायरी परिष्कृत और मानक भाषा-शैली में लिखी जाए। परिष्कार, और मानकता का दबाव कथ्य के स्तर पर कई तरह के समझौतों के लिए आपको बाध्य कर, सकता है। डायरी लेखन में इस समझौता परस्ती के लिए कोई जगह नहीं है । डायरी का, डायरीपन इसी में है कि आप जो कुछ दर्ज करना चाहते हैं और जिस तरीके से दर्ज करना, चाहते हैं, करें। इस सिलसिले में भाषाई शुद्धता कितनी बरकरार रहती है और शैली -सौंदर्य, कितना सध पाता है, इसकी चिंता न करें। आपके, के स्वाभाविक वेग से शैली जो रूप, ) आखिरी, पर बहुत अहम बात ये कि डायरी नितांत निजी स्तर की घटनाओं और भावनाओं का, लेखा-जोखा होने के साथ-साथ, आपके मन के आईने में आपके दौर का अक्स भी है। आप, अपने जिन अनुभवों को वहाँ दर्ज करते हैं, उनमें आपकी नज़र से देखा - परखा गया समकालीन, इतिहास किसी-न-किसी मात्रा में मौजूद रहता है । डायरी लिखते हुए अगर यह बात हमारे जेहन, में रहे, तो अपने काम के महत्त्व को लेकर हम अधिक आश्वस्त हो सकते हैं।, 132, तो आइए, इन बातों को मद्देनज़र रखते हुए हम अपने रोज़ के कामों के बीच थोड़ा-सा, समय डायरी लिखने, लिए, यानी खुद को अपना हालचाल बताने के लिए सुरक्षित करें!, not, पाठ से संवाद, 1. निम्नलिखित में से तीन अवसरों की डायरी लिखिए-, (क), आज आपने पहली बार नाटक में भाग लिया।, प्रिय मित्र से झगड़ा हो गया।, परीक्षा में आपको सर्वोत्तम अंक मिले हैं।, परीक्षा में आप अनुत्तीर्ण हो गए हैं।, (ख), (ग), (घ), (ङ, सड़क पर रोता हुआ 10 वर्षीय बच्चा मिला।, कोई ऐसा दिन जिसकी आप डायरी लिखना चाहते हैं ।, (च), 2020-21, अभ्यास