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Kerala Notes, चित्रा मुदगल, जुलुस, सारांशः-, नेपथ्य में अंग्रेज़ देश छोडो नारे बुलंद करते हुए स्वतंत्र सेनानियों का जुलूस आ रहा है। भारत माता की जय कर रहे है ।, सड़क के पास के बाज़ार में दूकानदार शंभुनाथ और दीनदयाल बहस कर रहे थे। नारे सुनकर शंभुनाथ व्यंग्यभरी स्वर में, कहते है कि सब लोग काल के मुँह में जा रहे है, आगे जो पुलिस सवारों का दल है, मार-मार कर भगा देगा । दीनदयाल हँसी उठाते, हैं कि जुलूस के द्वारा कैसे स्वतंत्रता मिलेगी गाँधीजी भी अब बूढा हो गया है, धनी लोग तो जुलूस में भाग नहीं लेते। इसलिए हम जैसे, व्यापारी लोग इसमें भाग लेने की आवश्यकता नहीं है।, बाज़ार में चप्पलों का व्यापार करनेवाला मैकु इन बातें सुनकर हँसते है कि धनी लोगों को अंग्रेज़ी शासन में कोई कमी नहीं है ।, वे तो बंगलों में रहनेवाले हैं। हमारे नेता गाँधीजी है । देश की स्वतंत्रता केलिए अपना जान भी देनेवाले उसके आगे किसी भी बड़ा, आदमी नहीं।, इतने में दारोगा बीरबल सिंह के नेतृत्व में सिपाहियों ने जुलूस को रोक दिया। घोडेवाले दारोगा ने उसे वापस लौट जाने को, कहा। लेकिन इब्राहिम अली के नेतृत्व में स्वराजियों ने कहा कि - हम कोई लूटने केलिए नहीं आए हैं, हमारा लक्ष्य पूर्ण स्वतंत्रता है ।, डी. एस. पी साहब के निर्देश का पालन करने केलिए लाठी चार्ज शुरु किया । कई स्वाराजियों घायल हो गए । इब्राहिम अली घोडे से, कुचल गए, उसके सिर पर गहरी चोट लगी और वह बुरी तरह घायल हुए ।, शहर में संघर्ष आरंभ हुआ। देशप्रेम से प्रभावित मैकु, शंभुनाथ, दीनदया आदि जुलूस में भाग लिया। उमडती चली आ रही, भीड़ को देखते ही डी. एस. पी साहब चल गए । साथ ही बीरबल सिंह के नेतृत्व की सिपाहियों भी। लोगों की मनोवृत्ति में आया, बदलाव देखकर इब्राहिम अली खुश हुए । उन्होंने बताया कि लड़ाई नहीं, जनता की सहानुभूति प्राप्त करना हमारा लक्ष्य है । इस प्रकार, भारतीय एक साथ, एक ही मन से खड़े तो कल स्वराज्य साकार हो जाएगा। सभी जोशीले स्वर में जय भारत माता कहते रहे।, प्रश्न और उत्तरः, स्वराजियों के जुलूस में भाग लेने केलिए तैयार नहीं होते थे, क्यों?, स्वराजियों के जुलूस में शहर के कोई बड़ा आदमी नहीं भाग लेते थे। इसलिए वे भी अपने दूकान बंद कर जुलूस में, भाग लेने केलिए तैयार नहीं थे।, (2) मैकू क्या कर रहे थे?, (1), मैकू बाज़ार में चप्पलों का दूकान चलाते थे।, 'जिस दिन हम इस लक्ष्य पर पहुँच, इब्राहिम अली का।, (3), उसी दिन स्वराज्य सूर्य का उदय होगा। यह किसकी कथन है ?, पहुँच जाएँगी, उसी दिन स्वराज्य सूर्य का उदय होगा ।' यहाँ वक्ता के चरित्र की कौन सी, जिस दिन हम इस लक्ष्य पर, विशेषता प्रकट होती है।?, (4), इब्राहिम अली आत्मविश्वासी है। उनको विश्वास था कि एक दिन स्वराज्य सूर्य का उदय होगा और हम अपने, लक्ष्य तक पहुँचेगा।, 'हमारा मकयद इससे कहीं ऊँचा है ।' यह किस का कथन है ? यहाँ किस मकसद की ओर सूचना देती हैं?, इब्राहिम अली का कथन है। यहाँ देश की स्वतंत्रता की ओर सूचना देती है।, हमारा मकयद इससे कहीं ऊँचा है ।' किसका मकसद?, स्वराजियों का मकसद ।, (6), 'हमारा हुक्म क्या आपको सुनाई नहीं पड़ा?' हुक्म क्या है?, स्वराजियों के जुलूस को आगे जाने का हुक्म नहीं है ।, (7), हमारा बड़ा आदमी कौन है?, महात्मा गाँधी।, हमारा बड़ा आदमी क्या कर रहे है?, (৪), (9), हमारा बड़ा आदमी तो अपने देशवासियों की दशा सुधारने केलिए अपनी जान हथेली पर लिए फिरता है ।, जो हमारी दशा सुधारने केलिए अपनी जान हथेली पर लिए फिरता है ।' कौन? किस की दशा सुधारने केलिए?, गाँधीजी। अपने देशवासियों की दशा सुधारने केलिए अपनी जान हथेली पर लिए फिरता है ।, (10), 1, https://keralanotes.com
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Kerala Notes, (11) 'उसके आगे हमें किसी बड़े आदमी की परवाह नहीं - किसके आगे? क्यों?, गाँधीजी के आगे, क्योंकि लंगोटी बाँधे नंगे पाँव घूमकर वह देशवासियों की दशा सुधारने केलिए अपनी जान हथेली, पर लिए फिरता है।, उसके आगे हमें किसी बड़े आदमी की परवाह नहीं । यह किसका कथन है? यहाँ वक्ता के चरित्र की कौन सी, विशेषता प्रकट होती है?, यह मैकु की कथन है। मैकू गाँधीजी के अनुयायी है । गाँधीजी पर उन्हें पूरा विश्वास है कि भारतीयों की दशा, सुधारने केलिए वह अपनी जान हथेली पर लेकर नंगे पाँव घूमता है। गाँधीजी के आगे कोई भी बड़ा आदमी नहीं है ।, हमारे भाईबंद ऐसे हुक्मों की तामील करने से साफ़ इसकार कर देंगे ।' यहाँ इब्राहिम अली के चरित्र की कौन सी, विशेषता प्रकट होती है ।?, (12), (13), इब्राहिम अली अपने साथियों पर भरोसा रखनेवाले थे। उनको पूर्ण विश्वास था कि एक दिन जनता एक, साथ स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेगा ।, (14) 'मैं कैसे अपनी दूकान खुली रख सकता हुँ?, ' - यह किसका कथन हैं? क्यों ऐसा सोचते हैं?, यह शंभूनाथ का कथन हैं। अंग्रेज़ों के विरोध में शहर में तनाव फैल रहा। साथ ही दूकानों के शटरें गिरने लगे और सारा, बाज़ार बंद हो चुका है। तभी शंभूनाथ में भी देशप्रेम की भावना जागृत होते हैं और वह भी जुलूस में भाग लेने केलिए तैयार, होते हैं।, (15) 'एक दिन तो मरना ही है' - ऐसा कौन कहते हैं? पात्र के चरित्र के कौन-सी विशेषता यहाँ प्रकट होती हैं?, शंभूनाथ की। वह तो स्वराजियों के जुलूस को देखकर पहले वे हँसी-मज़ाक उठाते हैं। लेकिन बाद में उनमें देशप्रेम, की जागृति होती है और आखिर वह अपने देश केलिए जान भी देने केलिए तैयार हो जाते हैं।, लोगों की मनोवृत्ति में आया वह परिवर्तन ही हमारी असली विजय है ।' यह किसकी कथन है ? यहाँ किस परिवर्तन, की ओर सूचना देती है?, (16), यह इब्राहिम अली की कथन, उठाया। अंग्रेज़ों की आज्ञा का साफ इनकार करके जुलूस, | इब्राहिम अली के नेतृत्व में जो जुलूस निकाला वह देश में देशप्रेम की लहरें, भाग लेने केलिए सैकड़ों लोग आने लगा।, अनुवर्ती कार्यः, 1. समानार्थी शब्द नाटक में ढूँढे-, दृश्य-1, जनयात्रा, जुलूस, विरुद्ध - खिलाफ़, विक्रय - बिक्री, शासक, हाकिम, चिंता, परवाह, निर्दय, जल्लाद, दृश्य- 2, आज्ञा, किस्म, लक्ष्य, पालन -तालीम, हुक्म, मंशा, प्रकार, मकसद, इच्छा, केवल, महज़, कौम, हानि, नुकसान, विषाद, मलाल स, हिन, बरदास्त, दृश्य- 3, घायल, जख्मी, आखिर, दृश्य- 4, नज़दीक, 2. निम्नलिखित कथन किस पात्र का है ?, धीरे, आहिस्ता, खैरियत, ओजपूर्ण - जोशीला, पास, कुशल, इब्राहिम अली, बीरबल सिंह, हमें किसीसे लड़ाई करने की ज़रूरत नहीं।, हमारा हुक्म क्या आपको सुनाई नहीं पड़ा |, जुलूस निकालने से स्वराज मिल जाता तो कबका मिल गया होता।, हमारा बड़ा आदमी तो वही है जो लंगोटी बाँधे नंगे पाँव घूमते है।, एक दिन तो मरना ही है, जो कुछ होना है हो ।, मर तो हम लोग रहे जिनकी रोटियों का ठिकाना नहीं ।, दीनदयाल, मैकु, शंभूनाथ, मैकु, इब्राहिम अली, हमारा मक़सद इससे कहीं ऊँचा है।, https://keralanotes.com, keralanote
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Kerala Notes, 3. निम्नलिखित कथन इब्राहिम अली के चरित्र की किन-किन विशेषताओं को उजागर करता है ?, (अहिंसावादी), हम दूकानों लूटने या मोटरों तोडने नहीं निकले हैं ।, आप अपने सवारों, संगीनों और बंदूकों के ज़ोर से हमें रोकना चाहते है-, रोक लीजिए! मगर आप हमें लौटा नहीं सकते।, हमारे भाईबंद ऐसे हुक्मों की तामील करने से साफ़ इनकार कर देंगे।, जिस दिन हम इस लक्ष्य पर पहुँच जाएँगे, उसी दिन स्वराज्य सूर्य का, उदय होगा।, (साहसी, निड़र), (देशप्रेमी), (आत्मविश्वासी), 4. उपर्युक्त विशेषताओं के आधार पर इब्राहिम अली के चरित्र पर टिप्पणी करें।, आदर्श देशप्रेमी इब्राहिम अली, कहानी सम्राट श्री प्रेमचंद की कहानी का नाट्यरूपांतर है, चित्रा मुद्गल का जुलूस । यह भारत की स्वतंत्रता, आंदोलन से संबंधित भावपूर्ण आदर्शात्मक कहानी है। स्वतंत्रता आंदोलन के उन्नायक इब्राहिम अली, दारोगा बीरबल सिंह,, पत्नी मिट्ठनबाई आदि इस कहानी के प्रमुख पात्र है । इसके अतिरिक्त मैकु, शंभुनाथ, दीनदयाल जैसे कुछ पात्र भी है, जो, अपनी-अपनी भूमिकाओं में कहानी को आगे खींचते है ।, इब्राहिम अली देश केलिए समर्पित आदर्श देशप्रेमी था । देश की स्वतंत्रता केलिए जनता को एकत्रित करके अंग्रेज़ों के, विरुद्ध आवाज़ उठाते है। इब्राहिम अली गाँधीजी से प्रभावित है । गाँधीजी की तरह वह अहिंसा मार्ग को स्वीकार किया।, हम दूकानों लूटने या मोटरों तोड़ने नहीं निकाले है- इस कथन से अहिंसा के तत्व का स्पष्ट प्रभाव विद्यमान है ।, इब्राहिम अली साहसी एवं निड़र है । बीरबल सिंह ने अंग्रेज़ी सेना के बल पर जुलूस को आगे जाने से रोका। लेकिन, इब्राहिम अली के नेतृत्व में वे लौट न गए ।, इब्राहिम अली अपने साथियों पर भरोसा रखनेवाला है। उनको पूर्ण विश्वास था कि एक दिन जनता एक साथ स, वतंत्रता संग्राम में भाग लेगा। अंत में उनके घायल होने की बात सुनते ही जनता एक साथ जुलूस में शामिल हुए । वे, मानते है कि लोगों की मनोवृत्ति में आया परिवर्तन ही उनका असली विजय है ।, इब्राहिम अली दृढचित्त थे। बीरबल सिंह की आज्ञा के आगे वे अपना सिर झुकने केलिए तैयार नहीं। अंत में घोड़े से, कुचलकर गिरते समय तक अपने लक्ष्य से ज़रा भी पीछे न मुड़ा।, देश को पराधीनता से मुक्त कराना उनका लक्ष्य रहा। वे शुभचिंतक थे। उनको विश्वास था कि एक दिन स्वराज्य सूर्य, का उदय होगा और हम अपने लक्ष्य तक पहुॅचेगा।, देश की स्वतंत्रता केलिए वह आत्मबलिद, बोता है, देश प्रेम की लहरें उठाता है।, किया। इस आत्मबलिदान जनता के दिल में राष्ट्रीय भावना का बीज, 1. देशभक्त, 2. अहिंसावादी, 3. दृढ़चित्त, 4. शुभचिंतक, 5. निड़र, 6. आत्मविश्वसी, 7. साथियों पर भरोसा रखनेवाला, Kerala, नाटक के अन्य प्रमुख पात्रों के चरित्र चित्रण :-, 1. अंग्रेज़ी दास-दारोगा बीरबल सिंहः, कहानी सम्राट श्री प्रेमचंद की कहानी का नाट्यूपांतर है, चित्रा मुद्गल का जुलूस। यह भारत की स्वतंत्रता, आंदोलन से संबंधित भावपूर्ण आदर्शात्मक कहानी है । स्वतंत्रता आंदोलन के उन्नायक इब्राहिम अली, दारोगा, बीरबल सिंह, पत्नी मिट्ठनबाई आदि इस कहानी के प्रमुख पात्र है । इसके अतिरिक्त मैकु, शंभुनाथ, दीनदयाल, जैसे कुछ पात्र भी है, जो अपनी- अपनी भूमिकाओं में कहानी को आगे खींचते है।, बीरबल सिंह भारतीय होकर भी अंग्रेज़ी सरकार का दास था। स्वतंत्रता आंदोलन ज़ोरों पर था। दारोगा, भारतीय होकर भी आंदोलन के विघातक के रूप में खडा था। उसके नाम सुनते ही जनता काँप उठते हैं। लोग, उसे 'जल्लाद' बुलाते थे।, बीरबल सिंह बडे देश द्रोही थे। भारतीय होकर भी हमेशा स्वतंत्रता आंदोलन के विध्वंसक रहा|, https://keralanotes.com
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OKerala Notes, बीरबल सिंह निष्ठूर और निर्दय था| अपने सिपाहियों से लाठी चार्ज करने का आदेश देता है और स्वतंत्रता, आंदोलन के उन्नायक इब्राहिम अली के ऊपर घोडा चढ़ाते थे।, वह अंग्रेज़ी सरकार का आज्ञाकारी थे । अंग्रेज़ी सरकार की कृपा पाने केलिए वह स्वदेशी आंदोलन तो, समाप्त करने का उपाय सोच रहा था।, बीरबल सिंह भीरु थे। डी.एस.पी साहब के चले जाने की खबर सुनते ही वह अपने सिपाहियों को पीछे हटाने, की आज्ञा देता है और स्वयं पीछे हटाते हैं ।, बीरबल सिंहः-, देश द्रोही, निष्ठूर, अंग्रेज़ी सरकार के आज्ञावारी, भीरू, निर्दय, 2. शंभूनाथः, कहानी सम्राट श्री प्रेमचंद की कहानी का नाट्यूपांतर है, चित्रा मुद्गल का जुलूस। यह भारत की स्वतंत्रता, आंदोलन से संबंधित भावपूर्ण आदर्शात्मक कहानी है । स्वतंत्रता आंदोलन के उन्नायक इब्राहिम अली, दारोगा, बीरबल सिंह, पत्नी मिट्ठनबाई आदि इस कहानी के प्रमुख पात्र है । इसके अतिरिक्त मैकु, शंभुनाथ, दीनदयाल, जैसे कुछ पात्र भी है, जो अपनी-अपनी भूमिकाओं में कहानी को आगे खींचते है।, शंभुनाथ एक दूकानदार है, जो सड़क के ओर की बाज़ार में दूकान चलाती है। स्वतंत्रता आंदोलन ज़ोरों पर, था। दृश्य में शंभुनाथ, आस-पास के दूकानदारों से बहस कर रहे हैं । इनकी वाणी और भाव देखकर ऐसा लगता, है कि उनमें देश प्रेम नहीं है । दूर से स्वराजियों के जुलूस में 'भारत माता का जय हो' , 'अंग्रेज़ों भारत छोडो',, जैसे नारें सुनते ही उनके मन में परिहास उठती है। व्यंग्य भरी शब्दों में वह, पास की दूकानदार से कहते हैं कि, ये सब लोग काल के मुँह में जा रहे हैं । उसको भारतीयों पर व्यंग्य है और कभी-कभी ऐसा लगता है कि वह, अंग्रेज़ी सरकार का दास है। उनको पूरा विश्वास था कि अंग्रेज़ी सरकार और उनके पुलिस सिपाही इन स्वराजियों, को मार-मार कर भगा देगा।, इब्राहिम अली के नेतृत्व में जुलूस आगे, किया। इब्राहिम अली का सिर फट जाते है तो सभी स्वराजियों में देशप्रेम जागृत हो उठती है । बाज़ार के सभी, दूकान बंद करते है, शंभुनाथ भी अपने, व्यक्त होती है- 'पूरा बाज़ार बंद हो रहा.... मैं कैसे अपनी दूकान खुल रख सकती हुँ?' आगे की उनकी स्वरों में, एक निड़र देशस्नेही गूँज उठती है कि वे कहते हैं 'एक दिन तो मरना ही है....?।, पहले स्वतंत्रता आंदोलन के विरोध में व्यंग्य भरी आवाज़ उठाकर आगे चलकर शंभुनाथ एक असल देशप्रेमी, बनते है। अपने देश केलिए शहीद बनने को भी वे तैयार होते हैं।, 3. मैकू:, रहा था। बीरबल सिंह ने अंग्रेज़ी सेना के हथियारों का खूब प्रयोग, दूकान को बंद करने में विवश पडती है । उसकी विवशता इन शब्दों में, कहानी सम्राट श्री प्रेमचंद की कहानी का नाट्यरूपांतर है, चित्रा मुद्गल का जुलूस। यह भारत की स्वतंत्रता, आंदोलन से संबंधित भावपूर्ण आदर्शात्मक कहानी है । स्वतंत्रता आंदोलन के उन्नायक इब्राहिम अली, दारोगा, बीरबल सिंह, पत्नी मिट्ठनबाई आदि इस कहानी के प्रमुख पात्र है । इसके अतिरिक्त मैकु, शंभुनाथ, दीनदयाल, जैसे कुछ पात्र भी है, जो अपनी-अपनी भूमिकाओं में कहानी को आगे खींचते है ।, मैकु एक दरिद्र दूकानदार था, जो बाज़ार में चप्पलों का एक दूकान चलाता था। स्वतंत्रता आंदोलन ज़ोरों पर, था। दृश्य में बाज़ार में दूकानदार बहस कर रहे हैं। स्वतंत्रता आंदोलन के नारे सुनकर दीनदयाल और शंभूनाथ, जैसे दूकानदारों में हँसी-मज़ाक उठाती है। लेकिन मैकू आरंभ से ही स्वतंत्रता आंदोलन के अनुयायी रहे । वे स्पष्ट, कहते हैं कि बड़े आदमी सुरक्षा से महलों में रहते है, मोटरों में घूमते है । लेकिन यहाँ हम जैसे आम जनता की, रोटियों का कोई प्रबंध नहीं है । इन शब्दों में उनकी दरिद्रता व्यक्त होती है ।, आरंभ से ही मैकु स्वाराजियों का समर्थन करते रहा| वे जुलूस में भाग लेना भी चाहते थे। जब बाज़ार के, अन्य व्यापारियाँ जुलूस पर शंका प्रकट करते हैं, तब मैकू उनके विरोध करते रहा।, 4, https://keralanotes.com