Page 2 :
(हु) लबा4।0९5, , सुकेश साहनी, , हिंदी लघुकथा क्षेत्र का सशक्त हस्ताक्षर है, श्री सुकेश साहनी। टूटते सामाजिक मूल्यों पर चिंता, ग्रामीण संस्कृति का, भोला-भाला चित्रण, शहरी सभ्यता के खोखलेपन, निम्न मध्यवर्ग की पीड़ा और निराशा आदि इनकी रचनाओं की विशेषताएं, है।, , मनुष्य जीवन में कहीं-कहीं जाने-अनजाने गलतियाँ होना स्वाभाविक है। कुछ गलतियाँ ऐसी है, जिसका इलाज संभव, है, लेकिन बहुत सारी गलतियाँ ऐसी हैं, जिसका इलाज संभव नहीं। मनुष्य के हृदय में सहजीवियों के प्रति संवेदना हैं, वह, अपने गलतियों पर ज़रूर पश्चाताप करेगा। सुकेश साहनी का 'अनुताप' इस प्रकार की संवेदना से युक्त लघुकथा है।, सारांश:, , यात्री दफ़्तर जाने केलिए रिक्शा की प्रतीक्षा में खड़ा है। रोज़ असलम नामक एक रिक्शावाला उसे दफ़्तर पहुँचाता, था। उस दिन नए रिक्शेवाले आया। रिक्शा में चढ़कर, बातचीत के बीच उसको मालुम हुआ कि असलम की मृत्यु हुई है।, , असलम की मृत्यु की खबर सुनते ही यात्री चौंक पड़ी। कल भी असलम की रिक्शा में यात्रा किया था। उसकी दोनों, गुर्दे खराब थे। डॉक्टर ने उसे रिक्शा चलाने से मना कर दिया था।, , उसे याद आया कि कल रिक्शा चलाते समय वह एक साथ से पेट पकड़कर धीरे-धीरे कराह रहा था। आगे चढ़ाई, ही चढ़ाई था। यात्री तो रिक्शा से उतरने के बारे में भी सोचा। लेकिन हमदर्दी के अभाव में, अधिक पैसे माँगने का नाटक होगा,, ऐसा सोचकर वह रिक्शा से नहीं उतरा।, , आज असलम की मृत्यु की खबर सुनकर यात्री पश्चाताप विवश हो गया। डाकघर की चढ़ाई तक आते ही वह होश में, आ गया और रिक्शा रोकने को कहा। वह रिक्शे से उतरकर एक अपराधी की तरह रिक्शे के साथ चला।, , प्रश्न और उत्तर:, , , , , , , , , , , , , , , , 1. 'उसे शाक-सा लगा, क्यों? (1 19110), कल तक दफ़्तर ले जानेवाला असलम की मृत्यु के बारे में सुनकर यात्री शाक-सा लगा।, 2. 'उसे शाक-सा लगा', क्यों? (>1 19110), , , , रोज़ की तरह यात्री असमल की प्रतीक्षा में रास्ते में खड़ा तो एक नया रिक्शावाला आया। उसकी रिक्शा में, चढ़कर असलम के बारे में पूछा तो उसने बताया कि कल असलम की मृत्यु हुई है। कल भी उन्होंने असलम की, रिक्शा में यात्रा किया था। असलम की आकस्मिक मृत्यु की खहर सुनकर यात्री शाक-सा लगा।, 3. 'उसे शाक-सा लगा“, किसको? क्यों?, असलम की आकस्मिक मृत्यु के बारे में सुनकर यात्री शाक-सा लगा।, 4. डॉक्टर ने किसको रिक्शा चलाने से मना कर रखा था, क्यों?, असलम को। क्योंकि उनके दोनों गुर्दों में खराबी थी।, 5. उसकी आवाज़ में गहरी उदासी थी। किसकी आवाज़ में? क्यों?, नए रिक्शेवाले की आवाज़ में गहरी उदासी थी क्योंकि वह अपना दोस्त असलम की मृत्यु के बारे में बता रहे, हैं।, 6. असलम की मृत्यु कैसे हुई?, यात्री को दफ़्तर पहुँचाकर लौटते समय असलम के पेशाब बंद हो गया था। आस्पताल ले जाते वक्त रास्ते में, ही उसकी मृत्यु हुई।, 7. रास्ते में ही किसकी दम तोड़ दिया? कैसे?, रास्ते में असलम की दम तोड़ दिया। यात्री को दफ़्तर पहुँचाकर लौटा तो उसके पेशाब बंद हो गया था, और आस्पताल ले जाते वक्त रास्ते में ही दम तोड़ दिया था।, , , , , , , , , , , , , , 1105:॥/(8/31॥910665.001॥7
Page 3 :
(हु) लबा4।0९5, , 8. आगे वह कुछ नहीं सुन सका - कौन? क्यों?, यात्री। असलम की मृत्यु के बारे में सुनकर एक सन्नाटे ने उसे अपने आगोश में ले लिया। इसलिए वह आगे, कुछ नहीं सुन सका।, 9. एक सन्नाटे ने उसे अपने आगोश में ले लिया - किसको? क्यों?, यात्री को। असलम की मृत्यु के बारे में सुनकर उसे शाक-सा लगा। असलम से अपना व्यवहार के बारे में, सोचते वक्त एक प्रकार का सन्नाटे ने उसे आगोश में ले लिया।, 10. कल की घटना किसकी आँखों के सामने सजीव हो उठी?, कल की घटना यात्री की आँखों के सामने सजीव हो उठी।, 11. 'कल की घटना किसकी आँखों के सामने सजीव हो उठी” - घटना क्या है?, कल असलम की रिक्शा में वह दफ़्तर गया था। नटराज टाकीज़ पार करते समय असलम धीरे-धीरे कराह, रहा था। बीच-बीच में वह एक हाथ से पेट भी पकड़ लेता था। उसकी दर्द देखकर पहले यात्री को रिक्शे से उतरने, की इच्छा हुई। लेकिन अगले क्षण उसने सोचा कि ये सब उसके नाटक होगा। उस दिन वह उसी रिक्शा में बैठकर, दफ़्तर पहुँचा।, 12.'कल की घटना किसकी आँखों के सामने सजीव हो उठी” - क्यों?, कल असलम की रिक्शा में वह दफ़्तर गया था। नटराज टाकीज़ पार करते समय असलम धीरे-धीरे कराह, रहा था। बीच-बीच में वह एक हाथ से पेट भी पकड़ लेता था। उसकी दर्द देखकर पहले यात्री को रिक्शे से उतरने, की इच्छा हुई। लेकिन अगले क्षण उसने सोचा कि ये सब उसके नाटक होगा। उस दिन वह उसी रिक्शा में बैठकर, दफ़्तर पहुँचा।, लेकिन आज जब असलम की मृत्यु की खबर सुनते ही एक सन्नाटे ने उसे आगोश में ले लिया और कल, की घटना उसकी आखों के सामने सजीव हो उठी।, 13. असलम कैसे रिक्शा चलाते थे?, रिक्शा चलाते हुए असलम कराह रहा था। वह बीच-बीच में एक हाथ से पेट पकड़ लेता था। बीच में वह, रिक्शा से उतर पड़े और अपने दाहिना हाथ गद्दी पर जमाकर उस चढ़ाई पर रिक्शा खींच रहे थे। वह बुरी तरह, हाँफ रहा था, उसके गंजे सिर पर पसीने दिखाई देने लगी।, 14. 'रोज़ का मामला हैं..... कब तक उतरना रहेगा.... ये लोग नाटक भी खूब कर लेते हैं, इसके साथ हमदर्दी जताना, बेवकूफ़ी होगी' - यात्री ने असलम के प्रति हमदर्दी क्यों नहीं दिखाई?, यात्री असलम की रिक्शा में दफ़्तरजा रहे थे। उस दिन रिक्शा चलाते-चलाते असलम धीरे-धीरे कराह रहा, था। चढ़ाई में रिक्शा चलाने में उसकी प्रयास देखकर यात्री रिक्शा से उतरने के बारे में भी सोचा। लेकिन उसने, सोचा कि इन लोगों के साथ हमदर्दी जताना बेवकूफ़ी होगी। असलम के प्रति कोई सहानुभूति नहीं प्रकट किया।, 15. रोज़ का मामला हैं..... कब तक उतरना रहेगा.... ये लोग नाटक भी खूब कर लेते हैं, इसके साथ हमदर्दी जताना, बेवकूफ़ी होगी' - कौन ऐसा सोचते हैं? क्या आप इस अभिप्राय से सहमत हैं या नहीं? अपना मत प्रकट करें।, यात्री ऐसा सोचते हैं।, मैं इस अभिप्राय ,से सहमत नहीं हुँ। श्रमजीवियों की पीड़ा और उनके साथ होनेवाले अनादर और उपेक्षा का, भाव यहाँ विद्यमान है। यदि असलम के प्रति ज़रा सहानुभूति प्रकट किए तो वह अब भी जीवित रहेगा। यहाँ, हमदर्दी का अभाव उस निरीह की मृत्यु का कारण बन गया। मैं चाहती हुँ कि यदि हमें अवसर मिलें तो ज़रूर दूसरों, की सहायता अवश्य करें।, 16. 'इनके साथ हमदर्दी जताना बेवकूफी होगी' - कौन ऐसे सोचते हैं?, यात्री ऐसे सोचते हैं।, , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , 1105:॥/(8/31॥910665.001॥7
Page 4 :
(हु) लबा4।0९5, , , , कप 'इनके साथ हमदर्दी जताना बेवकूफी होगी' - यहां यात्री का कौन सा मनोभाव प्रकट हो रहा है?, यात्री असलम की रिक्शा में दफ़्तर जा रहे थे। रिक्शा चलाते-चलाते वह धीरे-धीरे कराह रहा था। डाक, बंगला की चढ़ाई में रिक्शा चलाने में उसका प्रयास देखकर यात्री रिक्शा से उतरने के बारे में भी सोचा। लेकिन, अगले क्षण उसने सोचा कि इन लोगों से हमदर्दी जताना बेवकूफी होगी। असलम के प्रति कोई सहानुभूति नहीं, प्रकट किया। श्रमजीवियों की पीड़ा और उसके साथ होनेवाले अनादर और उपेक्षा का भाव यहाँ विद्यमान है।, आजकल समाज में श्रमजीवियों के प्रति दया, सहानुभूति आदि संवेदनाएँ दिखानेवाले लोगों का अभाव अवश्य, हम देख सकेंगे।, 18. इनके साथ हमदर्दी जताना बेवकूफी होगी' - क्या आप यात्री के इस मनोभाव से सहमत है? अपना मत प्रकट, कीजिए।, मैं, यात्री के इस मनोभाव से सहमत नहीं हूँ। 'इनके साथ हमदर्दी जताना बेवकूफी होगी' - ऐसा सोचकर, यात्री उस रिक्शावाले के प्रति सहानुभूति नहीं प्रकट किया। यदि वह सहानुभूति दर्शाया तो वह रिक्शावाले अब, भी जीवित रहेगा।, श्रमजीवियों की पीड़ा और उनके साथ होनेवाले अनादर और उपेक्षा भाव में बदलाव आना अनिवार्य है।, आजकल समाज में श्रमजीवियों के प्रति दया, सहानुभूति आदि संवेदनाएँ दिखानेवाले लोग बहुत कम है।, 19. कौन अपराधी की भाँति सिर झुकाकर रिक्शे से साथ-साथ चल रहा?, यात्री किसी अपराधी की भाँति सिर झुकाकर रिक्शे के साथ-साथ चल रहा।, 20. किसी कार के हार्न से चौंककर वह वर्तमान में आ गया, कौन?, यात्री।, 21.कार के हार्न सुनकर यात्री क्यों चौंक पड़ा?, असलम की मृत्यु के बारे में सुनकर यात्री शाक-सा लगा। एक सन्नाटे ने उसे अपने आगोश में ले लिया। कल, की घटना उसकी आँखों के सामने सजीव हो उठी। सोचकर वे स्तब्ध हो गए और एक कार के हार्न से वह चौंक, पड़ी।, 22.रिक्शा तेज़ी से नटराज डाकीज़ से डाक बंगलेवाली चढ़ाई की ओर बढ़ रहा था। 'रुको!” किसने किससे ऐसा कहा?, क्यों?, यात्री ने नए रिक्शेवाले से इस प्रकार कहा। नए रिक्शेवाले से असलम की मृत्यु के बारे में सुनकर यात्री, शाक-सा लगा। एक सन्नाटे ने उसे अपने आगोश में ले लिया। कल भी वह असलम के साथ दफ़्तर गया था।, रिक्शा चलाते हुए वह धीरे-धीरे कराह रहा था। सामने की चढ़ाई में रिक्शा खींचना उतना आसान नहीं था।, लेकिन असलम की परेशानी यात्री न समझा। उसे दफ़्तर पहुँचाकर लौटते समय रास्ते में ही उसकी मृत्यु हुई।, आज उस मृत्यु के बारे में सुनकर, पिछले दिन की घटना और असलम के साथ अपने व्यवहार वह स्तब्ध, हो गए और एक कार के हार्न से वह चौंक पड़ी। फिर वह रिक्, 23. कौन हैरानी से किसकी ओक देखा? क्यों?, नए रिक्शेवाले हैरानी से यात्री की ओर देखा। बीच में रिक्शा रुक कर यात्री नीचे उतर पड़ा। उद कदकाठी, आदमी केलिए वह रिक्शेवाले केलिए वह चढ़ाई खास मायने नहीं थी। इसलिए वह हैरानी से यात्री को देखा।, 24. किस केलिए वह चढ़ाई कोई खास मायने नहीं थीं? क्यों?, नए रिक्शेवाले बहुत मज़बूत कदकाठी का था। इसलिए उस केलिए वह चढ़ाई कोई खास मायने नहीं थी।, 25. असलम के प्रति यात्री का व्यवहार कैसे थे?, असलम के प्रति यात्री का व्यवहार कठोर था। असलम की परेशानी देखकर एक बार वह रिक्शे से उतरने के, , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , 1105:॥/(8/31॥910665.001॥7
Page 5 :
(है) लए, , बारे में सोचते है। लेकिन अगले क्षण, ये लोग नाटक कर लेते हैं, ऐसा सोचकर वह रिक्शे में हीं बैठते हैं।, असलम के साथ वह हमदर्दी नहीं जताया।, 26.'वह किसी अपराधी की भाँति सिर झुकाकर रिक्शे के साथ-साथ चल रहा था' - क्यों?, , यात्री असलम की प्रतीक्षा में घर से निकला। लेकिन एक नए रिक्शेवाला आया। उन्होंने असलम के बारे में, उससे पूछा तो पता चला कि कल उसकी मृत्यु हुई थी। पश्चाताप से विवश यात्री की आँखों के आगे कल की, घटना सजीव हो उठी। चढ़ाई में रिक्शा चलाते-चलाते वह कराह रहा था। उसके प्रयास देखकर यात्री ने रिक्शा, से उतरने के बारे में भी सोचा। लेकिन उसी रिक्शा में बैठकर वह दफ़्तर पहुँचा। वहाँ से लौटते वक्त रास्ते में ही, असलम की मृत्यु हुई।, , असलम की मृत्यु की खबर सुनते ही यात्री अपने हमदर्दी के अभाव के बारे में सोचकर रिक्शे से उतरकर, , अपराधी की भाँति सिक झुकाए, रिक्शे के साथ-साथ चला।, , , , , , , , , , , , , , अनुवर्ती कार्य:, , > ये प्रसंग किन-किन पात्रों से संबंधित है?, , 1. उसे शाक-सा लगा। यात्री, , 2. उसकी आवाज़ में गहरी उदासी थी। नए रिक्शेवाले, 3. उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। असलम, , 4. कल की घटना उसकी आँखों के आगे सजीव हो उठी। यात्री, , 5. एकबारगी उसकी इच्छा हुई कि रिक्शे से उतर जाए। यात्री, , 6. किसी कार के हार्न से चौंककर वह वर्तमान में आ गया। यात्री, , 7. उसके लिए वह चढ़ाई खास मायने नहीं रखनी थी। नए रिक्शेवाले, वह अपराधी की भाँति सिर झुकाकर चल रहा था। यात्री, , > यात्री की डायरी।, मम 2019 सोमवार, , , , आज.......मैं क्या लिखूँ? कैसे लिखूँ? रोज़ की तरह घर से निकला। असलम की प्रतीक्षा में रास्ते में खड़ा। एक, नए रिक्शेवाले आए। उसके रिक्शे में बैठना उतना आराम नहीं लगा। असलन कितनी सावधानी से रिक्शा चलाते थे।, उसको क्या हुआ? किससे पूछूँ?, नए रिक्शेवाले से असलम के बारे में पूछा। लेकिन उत्तर सुनकर मुझे शाक-सा लगा। उसकी मृत्यु कल हुई थी!, विश्वास नहीं हुआ। आगे की बातें... ..मैं सुन नहीं सका। कल भी मैं ने उसकी रिक्शा में बैठा था।, कल मैं ने क्या किया? उसकी कराह देखकर रिक्शा से उतरने के बारे में भी सोचा था। लेकिन अगले क्षण मेरा, दिमाग खराब हो गया। मैं न सोचा, वह उसका नाटक होगा, ऐसे लोगों के साथ हमदर्दी जताने से क्या फायदा है?, शायद उसकी मृत्यु इतनी जल्दी होने का कारण मैं हूँगा। मेरी हमदर्दी का अभाव! यदि मैं ज़रा सहानुभूति, दिखाएँ तो...... आज भी वह हमारे साथ होगा......। उसका चेहरा, दयनीय आँखें.... कैसे भूलूँ?, पश्चाताप से भरे मन से मैं रिक्शा से उतरा। अपराध बोध से मेरा मन भर उठा। नटराज टाकीज़ से डाक, बंगलेवाली वह चढ़ाई..... मैं ने टहलाकर पार किया। मन की बोझ दूर होने की प्रतीक्षा में....... यदि मनुष्य में अपने, सहजीवियों के प्रति सहानुभूति है तो कितना अच्छा होगा......, , > अनुताप शीर्षक की सार्थकता।, हिंदी लघुकथा क्षेत्र का सशक्त हस्ताक्षर हैं - श्री सुकेश साहनी। श्रमजीवियों की पीड़ा और बेबसी पर लिखी, गई लघुकथा है 'अनुताप'। 'अनुताप' का शाब्दिक अर्थ है, 'हमदर्दी जताना' या 'दूसरों का दुःख अपना समझकर,, उनके साथ रहना'। कहानी के मुख्य पात्र हैं - असलम, यात्री औक नया रिक्शावाला। यात्री रोज़ असलम की, रिक्शा में दफ़्तर पहुँचता था। लेकिन एक दिन जब वह रिक्शा चलाने में असमर्थ रहा तो यात्री को ज़रा दुःख, , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , 4, 1105:॥/(8/31॥910665.001॥7