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यह हो सकता है कि कोई अपना रास्ता चुने, भी और उस पर अकेला भी न हो?, राजमार्ग पर चलने वाले रास्ता नहीं चुनते,, रास्ता उन्हें चुनता है।, -सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय', 15, 11071CHI5, स्ववृत्त ( बायोडेटा), लेखन और रोज़गार, संबंधी आवेदन पत्र, हिंदी साहित्यकार, इस पाठ में..., ) स्ववृत्त की विशेषताएँ, } स्ववृत्त का रूप-आकार, क, विद्यार्थी के, मन, अपने भविष्य को लेकर, ) स्ववृत्त की प्रस्तुति, ) विविध सूचनाओं का ब्योरा, ) स्ववृत्त और आवेदन-पत्र, © NO, तरह-तरह की कल्पनाएँ होती हैं। कुछ अपना, स्वतंत्र उद्यम या व्यवसाय खड़ा करने का, स्वप्न देखते हैं तो कुछ अपनी मनचाही, बनना चाहता है तो कोई इंजीनियर। कोई, मैनेजर बनना चाहता है तो कोई बैंकर। वहीं, कुछ शिक्षक बनना चाहते हैं। विद्यार्थी जीवन, होता ही है कल्पनाओं का संसार रचने और, उसे हकीकत में बदलने का प्रयास। एक, दिन छात्र-जीवन अपनी परिणति प्राप्त करता, है और फिर हम अपनी कल्पना के महल, के दरवाज़े पर दस्तक देने लगते हैं, अंदर, प्रवेश का अरमान सँजोए।, लेकिन कई बार उस महल के द्वार पर, प्रवेशार्थियों की अच्छी खासी भीड़ जमा हो, जाती है और अंदर जगह की कमी होती है।, कुछ को प्रवेश मिल पाता है और अधिकांश, बाहर ही रह जाते हैं। द्वार के दोबारा खुलने, की प्रतीक्षा करते हुए। नरेंद्र भी एक वैसा ही, प्रतीक्षारत प्रवेशार्थी है।, 2020-21
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स्ववृत्त (बायोडेटा) लेखन और रोजगार संबंधी आवेदन पत्र, नरेंद्र मार्केटिंग मैनेजर बनना चाहता है। सच पूछा जाए तो अंततः इसके भी बहुत आगे जाना, है।, समय से जी तोड़ कोशिश कर रहा है। अखबारों, बिज़़नेस पत्रिकाओं और इंटरनेट पर वह विज्ञापनों, की तलाश करता रहता है और लगातार आवेदन भेजता रहता है मगर या तो आवेदन का उत्तर ही, नहीं मिलता या फिर नकारात्मक उत्तर आता है।, आज फिर दरवाज़े की घंटी बजी। बाहर, पोस्टमैन खड़ा था। नरेंद्र के दिल की धड़कन बढ़, गई। आशाओं और आशंकाओं के मिश्रित ऊहापोह, चाहता, इस दिशा की पहली सीढ़ी है मार्केटिंग एक्ज़क्यूटिव का पद। इसके लिए नरेंद्र कुछ, के साथ उसने दरवाज़ा खोला। पत्र किसी कंपनी, से ही आया था। धड़कते हृदय के साथ लिफ़ाफ़ा, खोला। फिर वही ढाक के तीन पात|। वही, नकारात्मक उत्तर।, नरेंद्र के चाचा जी मुंबई से आजकल घर पर, ही आए हुए हैं। चाचा जी मुंबई में एक बड़ी कंपनी, के मानव संसाधन विभाग में बड़े पद पर हैं। उनकी, नज़र नरेंद्र के उदास चेहरे पर पड़ती है ।, नरेंद्र! चेहरा इस तरह उतरा हुआ क्यों है?, इतने उदास क्यों नज़र आ रहे हो?, 183, से रोकता था लेकिन इस समय वह फट पड़ा।, जख्म ताज़ा-ताज़ा था।, चाचा जी! मैं मार्केटिंग एक्ज़क्यूटिव के पद, के लिए न जाने कितनी बार प्रयत्न कर चुका हूँ।, अगर मुझे साक्षात्कार के लिए बुलावा मिल जाए, तो मुझे विश्वास है कि मैं अवश्य ही चुन लिया, जाऊँगा। मगर उसकी नौबत ही नहीं आती। या तो, जवाब ही नहीं आता या फिर इंकार का पत्र आ, जाता है। लगता है अपने भाइयों या रिश्तेदारों को, ही चुन लेते हैं।", चाचा जी मुसकराए। मानव संसाधन विभाग में काम करने की वजह से ऐसी फब्तियाँ सुनने, का उनका अनुभव पुराना था। असफल उम्मीदवार कई बार अनेक तरह के उलटे-सीधे पत्र लिखते, थे। उन्होंने संयत होकर नरेंद्र से कहा ।, "बेटे ऐसी बात नहीं है। जिस तरह तुम्हें अपनी मनचाही नौकरी की तलाश है, उसी तरह, कंपनियों को भी मनचाहे उम्मीदवार की खोज रहती है। मगर उनकी समस्या यह है कि वे जब, भी कोई विज्ञापन निकालते हैं, उनके पास स्ववृत्तों का ढेर लग जाता है । कई बार तो पाँच पदों, के लिए पाँच हज़ार स्ववृत्त आ जाते हैं । ऐसे में किसी भी कंपनी के लिए क्या यह संभव है कि, 44, 2020-21
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अभिव्यक्ति और माध्यम, वह हर किसी को बुलाए और उनका साक्षात्कार करे? पाँच पदों के लिए अधिक से अधिक पचास, उम्मीदवारों को ही बुलाया जा सकता है। ये पचास उम्मीदवार स्ववृत्त के आधार पर ही चुने जाते हैं।", नरेंद्र आश्चर्यचकित होकर बोला यानी साक्षात्कार के बाद तो दस में से एक को चुना जाता, है लेकिन साक्षात्कार के लिए बुलाया जाना ज्यादा कठिन है । सौ में से एक उम्मीदवार को, साक्षात्कार के लिए चुनते हैं, स्ववृत्त के आधार पर। शेष निन्यानवे के हाथ निराशा ही लगती है।, चाचा जी बोले, "हाँ बेटे! ऐसा ही है । हो सकता है उस निन्यानवे में कई ऐसे भी उम्मीदवार, हों जो चुने गए उम्मीदवारों से अधिक योग्य हों। मगर चूँकि उनके स्ववृत्त अच्छी तरह बने हुए, नहीं होते इसलिए वे पीछे छूट जाते हैं।", नरेंद्र के लिए यह चौंकाने वाली बात थी।, चाचा जी आगे बोले, "तुम मार्केटिंग को अपना कैरियर बनाना चाहते हो। मगर नौकरी की, तलाश भी एक प्रकार की मार्केटिंग ही है। इसमें तुम अपने ग्राहक को प्रेरित करते हो कि वह, तुम्हारे प्रतियोगियों की तुलना में तुम्हें पसंद करे। जिस प्रकार ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए, निर्माता लुभावने विज्ञापनों का सहारा लेता है उसी प्रकार उम्मीदवार के लिए यह ज़रूरी है कि, वह अपना स्ववृत्त सुंदर और आकर्षक बनाए।", चाचा जी जारी रहे -"एक स्ववृत्त की तुलना हम उम्मीदवार के दूत या प्रतिनिधि से कर सकते, हैं। जिस प्रकार एक अच्छा दूत या प्रतिनिधि अपने स्वामी का एक सुंदर और आकर्षक चित्र प्रस्तुत, करता है, उसी प्रकार एक अच्छा स्ववृत्त नियुक्तिकर्ता के मन में उम्मीदवार के प्रति अच्छी और, सकारात्मक धारणा उत्पन्न करता है । एक अच्छा स्ववृत्त किसी चुंबक की तरह होता है जो, नियुक्तिकर्ता को आकर्षित कर लेता है। नौकरी में सफलता के लिए योग्यता और व्यक्ति के, साथ-साथ स्ववृत्त निर्माण की कला में निपुणता भी आवश्यक है । ध्यान रहे ! पहली लड़ाई तो, तुम्हारा स्ववृत्त ही तुम्हारे लिए लड़ता है। इस लड़ाई में जीतने के बाद ही खुद लड़ने की बारी, आती है। अगर स्ववृत्त कमज़ोर हुआ तो लड़ाई शुरू में ही खत्म हो जाती है । ", नरेंद्र चाचा जी की बातों से अत्यंत प्रभावित हुआ। वह अपने कमरे में जाकर अपना स्ववृत्त, ले आया और उसे चाचा जी को देते हुए बोला, "चाचा जी! क्या कमी है मेरे स्ववृत्त में?", चाचा जी ने स्ववृत्त पर अपनी अनुभवी नज़र दौड़ाई और परखा। फिर बोले, "तुम्हारा स्ववृत्त, सही तरीके से नहीं बना है। इसमें कमियाँ ही कमियाँ हैं । मैं तुम्हें बचपन से जानता हूँ और इसलिए, यह कह सकता हूँ कि अगर तुम्हें साक्षात्कार का बुलावा मिल जाए तो तुम्हें सफल होने से कोई, रोक नहीं सकता। तुम्हारे व्यक्तित्व में वे सारी खूबियाँ हैं जो एक अच्छे मार्केटिंग एक्ज़क्यूटिव में, होनी चाहिए। मगर तुम्हारा स्ववृत्त इतने बुरे तरीके से बना हुआ है कि तुम्हारी गलत तसवीर, पेश करता है और साक्षात्कार की नौबत ही नहीं आने देता। तुम्हें अपना स्ववृत्त दोबारा तैयार, करना होगा।", नरेंद्र को अपनी भूल समझ में आ रही थी। वह बोला, "चाचा जी क्या आप अच्छा स्ववृत्त, बनाने में मेरा मार्गदर्शन करेंगे?", चाचा जी ने सोफ़े पर अपनी मुद्रा बदली और बोले, "हाँ नरेंद्र, क्यों नहीं। मगर शुरुआत कहाँ, से करू? चलो, इतना तो अब तक तुम्हें भी मालूम हो गया है कि स्ववृत्त एक विशेष प्रकार का, लेखन है, जिसमें व्यक्ति विशेष के बारे में किसी विशेष प्रयोजन को ध्यान में रखकर सिलसिलेवार, ढंग से सूचनाएँ संकलित की जाती हैं । ", 11, 44, 184, 2020-21
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स्ववृत्त (बायोडेटा) लेखन और रोजगार संबंधी आवेदन पत्र, नरेंद्र बोल पड़ा, "वाह चाचा जी! एक ही वाक्य में इतनी सारी बातें । यह तो गागर में सागर, वाली बात हुई।", चाचा जी आगे बोले, "हाँ बेटे! स्ववृत्त के दो पक्ष हैं। पहले पक्ष में वह व्यक्ति है जिसको, केंद्र में रखकर सूचनाएँ संकलित की गई होती हैं। दूसरा पक्ष उस व्यक्ति या संस्था का है जिसके, लिए या जिसके प्रयोजन को ध्यान में रखकर सूचनाएँ जुटाई जाती हैं। पहला पक्ष है उम्मीदवार, और दूसरा पक्ष नियोक्ता।", "सच है चाचा जी किसी भी व्यक्ति से संबंधित सूचनाओं का तो कोई अंत ही नहीं है । लेकिन, हर सूचना नियोक्ता के काम की नहीं हो सकती। इसीलिए स्ववृत्त में वही सूचनाएँ डाली जा सकती, हैं जिनमें दूसरे पक्ष यानी नियोक्ता की दिलचस्पी हो।", "वाह नरेंद्र! तुम तो खासे समझदार हो! कुछ बातें जो मैं तुम्हें बताना चाहूँगा, उनमें पहली तो, यह है कि स्ववृत्त में ईमानदारी होनी चाहिए। किसी भी प्रकार के झूठे दावे या अतिशयोक्ति से बचना, चाहिए। यह मत भूलो कि नियोक्ता को उम्मीदवारों के चयन का अच्छा खासा अनुभव होता है। गलत, या बढ़ा-चढ़ा कर किए गए दावों से उन्हें धोखा देने की कोशिश खतरनाक बन सकती है । अगर, साक्षात्कार के लिए बुला भी लिया गया तो उस दौरान कलई खुलने का पूरा अंदेशा रहता है । ", "मगर इसका यह अर्थ भी नहीं है कि अपनी खूबियाँ और अच्छाइयाँ, बरतो। अपने व्यक्तित्व, ज्ञान और अनुभव के सबल पहलुओं पर ज़ो, चाहिए।" नरेंद्र चाचा की बातें गौर से सुन रहा था। उसके मन में, 'चाचा जी! स्ववृत्त की भाषा-शैली कैसी होनी चाहिए?", "स्ववृत्त में आलंकारिक भाषा की गुंजाइश नहीं है । इसीलिए इसकी शैली - सरल, सीधी,, सटीक और साफ़ होनी चाहिए ताकि पढ़ने वाले को सारी बातें एक ही नज़र में स्पष्ट हो जाएँ, और अर्थ निकालने के लिए दिमाग पर ज़ोर न डालना पड़े। ', 44, 44, बताने में तुम कंजूसी, र देना तो कभी भी नहीं भूलना, 185, एक प्रश्न उभरा।, 11, 44, नरेंद्र ने अगला प्रश्न पूछा, "क्या स्ववृत्त के आकार-प्रकार को लेकर भी कोई नियम है?", चाचा जी ने जवाब दिया-" इसका कोई निश्चित नियम तो नहीं है लेकिन यह ध्यान रखना, चाहिए कि स्ववृत्त न तो ज़रूरत से अधिक लंबा हो न ही ज्यादा छोटा। अगर बहुत संक्षिप्त हुआ, तो इसमें अनेक ज़रूरी चीजें आने से रह जाएँगी। दूसरी ओर यदि बहुत लंबा हुआ तो पढ़ने वाला, अनेक पहलुओं को नज़रअंदाज कर सकता है।', " लेकिन चाचा जी आप अपने अनुभव के आधार पर कुछ गुर तो बता ही सकते हैं |", "बेटे, ध्यान देने की बात यह है कि जब पद बहुत बड़ा होता है तो उसके लिए उम्मीदवार भी, कम होते हैं। मसलन यदि मैनेजिंग डायरेक्टर के पद के लिए विज्ञापन दिया जाए तो गिनती के लोग, ही अपना स्ववृत्त भेजेंगे। ये सारे लोग अच्छी योग्यता और व्यापक अनुभव वाले होंगे। अतः इस स्थिति, में स्ववृत्त यदि नौ-दस पृष्ठों का भी हुआ तो उसे ध्यानपूर्वक और बारीकी से पढ़ा जाएगा। लेकिन, यदि नीचे के पद के लिए विज्ञापन दिया जाए तो बड़ी संख्या में आवेदन आएँगे। यहाँ पर यदि स्वृत्त, दो-तीन पृष्ठों से अधिक लंबा हुआ तो पढ़ने वाला अपना धैर्य खो सकता है । ", "यानी मेरी तरह जो कॉलेज से तुरंत निकला है उनका स्ववृत्त दो-तीन पृष्ठों से अधिक लंबा, नहीं होना चाहिए।", 44, ११, 44, 2020-21
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अभिव्यक्ति और माध्यम, परीक्षा, वर्ष, वि-वि., कानाम, ইक्षणिक, याग्यता, चाचा जी बोले, "हाँ! मोटेतौर पर तुम, ऐसा मान सकते हो। एक और बात-स्ववृत्त, साफ़-सुथरे ढंग से टंकित या कंप्यूटर-मुद्रित, होना चाहिए। व्याकरण संबंधी भूलों को भी, दूर कर लेना चाहिए। ये बातें छोटी लग, सकती हैं मगर उम्मीदवार के प्रति विपरीत, धारणा उत्पन्न करती हैं। नियोक्ता को ऐसा, लग सकता है कि उम्मीदवार या तो लापरवाह, है या फिर उसकी शिक्षा-दीक्षा ढंग से नहीं, |अनुभव, परिचय, हुई है।", नरेंद्र ने बात को आगे बढ़ाया, "चाचाजी!, शुरू में आपने कहा था कि स्ववृत्त व्यक्ति, संकलन है। क्या आप इसे और समझाएँगे!, सूचनाओं का सिलसिला किस प्रकार का, होना चाहिए।", 186, CERT, ublish, चाचा जी अपनी अनुभव सिद्ध वाणी में बोले-"बेटे स्ववृत्त सूचनाओं का एक अनुशासित प्रवाह, है। यानी इसमें प्रवाह और अनुशासन दोनों ही होने चाहिए। प्रवाह व्यक्ति परिचय से प्रारंभ होता है।, और शैक्षणिक योग्यता, अनुभव, प्रशिक्षण, उपलब्धियाँ, कार्येतर गतिविधियाँ इत्यादि पड़ावों को पार, करता हुआ अपनी पूर्णता प्राप्त करता है। स्ववृत्त के जो ये अवयव मैंने तुम्हें बताए हैं वे केवल, उदाहरण के लिए हैं। आवश्यकतानुसार इनमें फेरबदल किया जा सकता है । ", नरेंद्र ने जिज्ञासा प्रकट की कि व्यक्ति परिचय में क्या-क्या बातें होनी चाहिए।, चाचा जी ने समझाया कि व्यक्ति परिचय के अंतर्गत उम्मीदवार का नाम, जन्मतिथि, उम्र, पत्र, व्यवहार का पता,, टेलीफ़ोन नंबर, ई-मेल का पता आदि सूचनाएँ दी जाती हैं। व्यक्ति परिचय में, जन्म तिथि और माता-पिता का नाम अवश्य डालना चाहिए। जिन पदों के लिए बड़ी संख्या में, आवेदन आते हैं वहाँ एक ही नाम के कई उम्मीदवार होते हैं । पिता के नाम और जन्मदिन के, आधार पर उनमें आसानी से भेद किया जा सकता है।, नरेंद्र ने अगला सवाल उठाया, "चाचाजी व्यक्ति परिचय के बाद किस प्रकार की सूचनाएँ, डाली जानी चाहिए?", "यदि उम्मीदवार किसी बड़े पद के लिए आवेदन कर रहा है और बहुत अनुभवी है तो अनुभव, की चर्चा व्यक्ति परिचय के तुरंत बाद डाली जा सकती है । लेकिन तुम्हारी तरह जो कॉलेज से तुरंत, ही बाहर निकले हैं उन्हें व्यक्ति परिचय के तत्काल बाद अपनी शैक्षणिक योग्यताओं की चर्चा करनी, चाहिए। शैक्षणिक योग्यताओं से संबंधित सूचनाएँ एक सारणी के रूप में प्रस्तुत की जानी चाहिए जिनमें, प्राप्त डिप्लोमा या डिग्री का विवरण, स्कूल या कॉलेज का नाम, बोर्ड या विश्वविद्यालय का नाम,, संबंधित परीक्षा का वर्ष, परीक्षा के विषय, प्राप्तांक प्रतिशत और श्रेणी का उल्लेख होना चाहिए।", 44, 2020-21