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दुष्यत कुमार, , गज़ल, , , , , , , , गजल” नामक इस विधा में कवि राजनीतिज़ों के झूठे वायदों पर व्यंग्य करता है कि वे हर घर में चिराग उपलब्ध, कराने का वायदा करते हैं, परंतु यहाँ तो शहर में ही चिराग नहीं है। कवि को पेड़ों के साये में धूप लगती है, अर्थात् आश्रयदाताओं के यहाँ भी कष्ट मिलते हैं। अत: वह हमेशा के लिए इन्हें छोड़कर जाना ठीक समझता है।, वह उन लोगों के जिंदगी के सफर को आसान बताता है जो परिस्थिति के अनुसार स्वयं को बदल लेते हैं। मनुष्य, को खुदा न मिले तो कोई बात नहीं, उसे अपना सपना नहीं छोड़ना चाहिए। थोड़े समय के लिए ही सही, हसीन, सपना तो देखने को मिलता है। कुछ लोगों का विश्वास है कि पत्थर पिघल नहीं सकते। कवि आवाज़ के असर, , , , , , , , को देखने के लिए बेचैन है। शासक शायर की आवाज को दबाने की कोशिश करता है; क्योंकि वह उसकी सत्ता को, चुनौती देता है। कवि किसी दूसरे के आश्रय में रहने के स्थान पर अपने घर में जीना चाहता है।, , , , प्रश्नोत्तर :, , ० प्रश्न 1. आखिरी शेर में गुलमोहर की चर्चा हुई। क्या इसका आशय एक खास तरह के, फूलदार वृक्ष से है या उसमें कोई सांकेतिक अर्थ निहित है? समझाकर लिखें ?, , उत्तर - गुल्मोहर एक प्रकार के फूलदार पेड़ को कहते हैं। यह पेड़ ग्रीष्म ऋतु में फूल देता है।, यहां गुलमोहर का आशय 'मानव जीवन की खुशियों' का प्रतीक बनकर प्रयुक्त हुआ है। कवि
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चाहता है कि हम अपना जीवन जीते हुए दूसरों के जीवन को सुखमय बनाएं। इसके लिए, यदि उसे बेघरबार भी होना पड़े तो भी वह इन सपनों को पूरा करना चाहेगा।, , »प्रश्न 2. पहले शेर में चिराग शब्द एक बार बहुवचन में आया और दूसरी बार एकवचन में।, अर्थ एवं काव्य सौंदर्य की दृष्टि से इसका क्या महत्व है?, , उत्तर- दोनों बार 'चिराग' शब्द दीपक (रोशनी) के लिए आया है। पहली बार आया 'चिरागाँ', शब्द बहुवचन है। अतः इसका अर्थ है- ढेर सारे दीपक (रोशनी) तथा अत्यधिक सुख-सुविधाएं।, कवि हर घर में ढेर सारी खुशियाँ देखना चाहता था। दूसरी बार आया 'चिराग' शब्द छोटे-से, एकमात्र सुख का प्रतीक है। कवि कहना चाहता है कि अब तक पूरा समाज एक नन््हे-से सुख, के लिए तरस रहा है। किसी को भी यहाँ कोई रोशनी नहीं मिल सकी। दोनों बार आया एक, ही शब्द अपने-अपने संदर्भ में भिन्न प्रभाव रखता है।, , “प्रश्न 3. गजल के तीसरे शेर को गौर से पढ़ें। यहाँ दुष्यंत का इशारा किस तरह के लोगों, की ओर है?, , उत्तर - गजल के तीसरे शेर में दुष्यंत कुमार का इशारा उन लोगों की ओर है जो अभावग्रस्त, जीवन जीते वह भी अत्यंत कर्मठता पूर्वक निरंतर कर्मशील बने हुए हैं। वे विपरीत, परिस्थितियों में भी नहीं घबराते और आशावादी बने रहते हैं। ऐसे लोग ही जीवन रूपी यात्रा, को सफलतापूर्वक तय करते हैं।, , ० प्रश्न 4. आशय स्पष्ट करें तेरा निजाम है सिल दे जुबान शायर की,, ये एहतियात जरूरी है इस बहर के लिए।, , उत्तर : इसमें कवि शायरों और शासक के संबंधों के बारे में बताता है। शायर सत्ता के खिलाफ, लोगों को जागरूक करता है। इससे सत्ता को क्रांति का खतरा लगता है। वे स्वयं को बचाने के, लिए शायरों की जबान अर्थात् कविताओं पर प्रतिबंध लगा सकते हैं। जैसे गजल के छद के, लिए बंधन की सावधानी जरूरी है, उसी तरह शासकों को भी अपनी सत्ता कायम रखने के, लिए विरोध को दबाना जरूरी है।
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दीर्घ उत्तरीय, , » प्रश्न 1. दुष्यंत की इस गज़ल का मिजाज बदलाव के पक्ष में हैं। इस कथन पर विचार, करें।, , उत्तर - दुष्यंत की यह गज़ल व्यवस्था के बदलाव की इच्छा को व्यक्त करती है। गजल में, दुष्यंत कहते हैं कि इस व्यवस्था का निर्माण जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया गया था,, उसमें यह पूर्णतया असफल रही है। जनसामान्य को कठिनाइयों से मुक्ति दिलाकर उन्हें, पर्याप्त सुख-सुविधाएं उपल्रब्ध कराना इस व्यवस्था का सर्वाधिक महत्वपूर्ण उद्देश्य था। परंतु, परिणाम के एकदम विपरीत रहा। सभी लोगों के जीवन स्तर में सुधार की बात तो दूर, यहां, आम आदमी में से किसी की भी दशा में सुधार नहीं हुआ, किसी का भी सपना पूरा नहीं, हुआ। वह सत्ता को चुनौती भी देता है कि मैं अब तुम्हारे विरुदृध कविता लिखने जा रहा हूं,, तुम सावधान हो जाओ और रोक सको तो रोकने का प्रयास कर लो। इस प्रकार कवि, व्यवस्था में बदलाव के लिए जनसामान्य का आह्वान करता है। उसकी गज़ल का मिजाज, बदलाव चाहने वाला है।, , » प्रश्न 2. हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन, दिल के खुश रहने को गालिब ये ख्याल अच्छा है, , दुष्यंत की ग़ज़ल का चौंथा शेर पढ़ें और बतायें कि गालिब के उपरोक्त शेर से वह किस तरह, जुड़ता है?, , उत्तर - दुष्यंत का यह शेर 'खुदा नहीं, न सही, आदमी का ख्वाब सही।', कोई हसीन नज़ारा तो है नजर के लिए।, , गालिब के उपरोक्त शेर से पूरी तरह प्रभावित है। दोनों का अर्थ एक है। गालिब ने 'जन्नत', की बात की है और दुष्यंत ने 'खुदा' की। दोनों मानव की कल्पनाएं हैं। दोनों अनुभूति के, विषय में हैं। दोनों में यह बहाव है कि खुदा और जन्नत ( भगवान और स्वर्ग ) दोनों मनुष्य, को संतोष प्रदान करते हैं।
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»प्रश्न 3. 'यहाँ दरख्तों के साये में धूप लगती है' यह वाक्य मुहावरे की तरह अलग-अलग, परिस्थितियों में अर्थ दे सकता है मसलन, यह ऐसी अदालतों पर लागू होता है, जहां इंसाफ, नहीं मित्र पाता। कुछ ऐसी परिस्थितियों की कल्पना करते हुए निम्नांकित अधूरे वाक््यों को, पूरा करें, ( क ) यह ऐसे नाते-रिश्तों पर लागू होता है,......, ( ख ) यह ऐसे विद्यात्रयों पर लागू होता है,......., ( ग ) यह ऐसे अस्पतालों पर लागू होता है,......., ( घ ) यह ऐसी पुलिस व्यवस्था पर लागू होता है,....., , उत्तर - ( क ) यह ऐसे नाते-रिश्तों पर लागू होता है जिनमें रिश्तेन्नाते सुख देने की बजाय, दुख देते हैं।, , ( ख ) यह ऐसे विद्यात्रयों पर लागू होता है, जहाँ छात्रों को ज्ञान नहीं दिया जाता।, ( ग ) यह ऐसे अस्पतालों पर लागू होता है, जहाँ मरीजों का उचित उपचार नहीं किया जाता।, , ( घ ) यह ऐसी पुलिस व्यवस्था पर लागू होता है, जहां अपराधों पर अंकुश नहीं लगाया, जाता है, बल्कि अपराधियों से सांठ-गांठ कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जाता है।