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इस अध्याय में..., * रिपोर्ट लेखन, कार्यवृत्त, * प्रेस विज्ञप्ति, * चैप्टर प्रैक्टिस, * परिपत्र, कार्यसूची, व्यावहारिक लेखन के अन्तर्गत पाठ्यक्रम में प्रतिवेदन, प्रेस- विज्ञप्ति, परिपत्र, कार्यसूची/कार्यवृत्त टॉपिक्स को सम्मिलित, किया गया है।, 1. रिपोर्ट लेखन (प्रतिवेदन), हिंदी में प्रयुक्त किया जाने वाला 'रिपोर्ट' शब्द विदेशी शब्दों की श्रेणी में आता है, जिसे अंग्रेजी भाषा से लिया गया है।, 'रिपोर्ट' शब्द का हिन्दी पर्याय 'प्रतिवेदन' है। 'रिपोर्ट' शब्द का अर्थ है-घटना की ठीक-ठीक सूचना। सूचना देने या संवाद, भेजने के कार्य को रिपोर्टिंग कहा जाता है। यह एक प्रकार का लिखित विवरण होता है, जिसमें किसी संस्था, सभा, दल,, विभाग या विशेष आयोजन की तथ्यात्मक जानकारी दी जाती है। इसका उद्देश्य संबंधित व्यक्तियों को विभिन्न घटनाओं या, गतिविधियों से संबंधित कार्य, परिणाम, जाँच या प्रगति आदि की सही-सही एवं समग्र जानकारी देना होता है।, रिपोर्ट के प्रकार, रिपोर्ट कई प्रकार की होती हैं, लेकिन सुविधा की दृष्टि से हम इन्हें मुख्यत: निम्न श्रेणियों में विभाजित कर सकते हैं, अदालतों की रिपोर्ट, युद्ध एवं विदेश यात्रा की रिपोर्ट, * सभा, गोष्ठी या किसी सम्मेलन से संबंधित रिपोर्ट, * संस्था की वार्षिक या मासिक रिपोर्ट, व्यावसायिक प्रगति या स्थिति से संबंधित रिपोर्ट, जाँच समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट, किसी समाचार (घटना, आंदोलन, विभिन्न गतिविधियाँ आदि) से संबंधित रिपोर्ट, जिसे न्यूज रिपोर्टिंग कहा जाता है।, रिपोर्ट लेखन की विशेषताएँ, पत्रकारिता के क्षेत्र में रिपोर्ट का संबंध मुख्यत: न्यूज रिपोर्टिंग से है। अत: समाचार से संबंधित रिपोर्ट में निम्नलिखित, विशेषताएँ होती हैं, * रिपोर्ट में घटना का यथापरक तथ्यात्मक वर्णन प्रस्तुत किया जाता है।
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इसमें तटस्थता होती है अर्थात् बिना किसी विशेष पक्ष के प्रति सहानुभूति या पक्षपात किए इसमें एक संतुलित रिपोर्ट की अपेक्षा की जाती हैं।, रिपोर्ट का क्षेत्र अत्यंत विस्तृत होता है। साहित्य, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, प्राकृतिक आपदा, फिल्म, आर्थिक, अपराध, खेल आदि लगभग सभी है, 24, रिपोर्ट का महत्त्व सामयिक है। समय बीतने के साथ इसकी प्रासंगिकता कम हो जाती है।, रिपोर्ट छोटी घटना से लेकर बड़ी घटना तक की हो सकती है।, इसमें शामिल रहते हैं।, * रिपोर्ट में केवल सूचना होनी चाहिए।, * रिपोर्ट का शीर्षक स्पष्ट व सुरुचि पूर्ण होना चाहिए।, रिपोर्ट के अंत में सभा, दल अथवा संस्था के अध्यक्ष के हस्ताक्षर होने चाहिए।, रिपोर्ट लेखन के तत्त्व, किसी घटना की तथ्यात्मक प्रस्तुति होने के बावजूद इसके लेखन में अनेक महत्त्वपूर्ण त्त्व होते हैं, जिनमें निम्न उल्लेखनीय हैं, 1. तथ्यपरकता जब तक रिपोर्टर विभिन्न तथ्यों को पाठकों या दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत नहीं करता, तब तक वह रिपोर्ट नहीं होती। अत., आँकड़ों एवं तथ्यों पर आधारित होती है।, 2. प्रत्यक्ष अनुभव रिपोर्ट लेखन प्रत्यक्ष अनुभव पर आधारित होता है। रिपोर्टर घटनास्थल पर पहुंचकर घटना का जायजा लेता है. तथ्य परि, करता है तथा आसपास के माहौल की जॉँच करता है।, 3. संक्षिप्तता किसी भी रिपोर्ट का एक आवश्यक गुण उसकी संक्षिप्तता है। कम शब्दों में अधिक तथ्यों को प्रस्तुत करने वाली रिपोर्ट श्रेष्ठ म्चे, जाती है।, 4. रोचकता एवं क्रमबद्धता यदि घटना का क्रमानुसार विवरण प्रस्तुत नहीं किया जाए, तो विचारों की तारतम्यता टूटती है। इससे तथ्य आपस में, उलझ सकते हैं और उनकी रोचकता कम हो सकती है।, रिपोर्ट लेखन का प्रारूप, विहार में ट्रेन पर नक्सली हमला, (वरिष्ठ संवाददाता, हिंदुस्तान), विषय, संवाददाता का नाम, जमालपुर (मुंगेर)। दिसंबर, 20XX बेखौफ नक्सलियों ने 30 नवंबर, 20XX की, शाम साहबगंज-दानापुर इंटरसिटी एक्सप्रेस ट्रेन पर हमला बोल दिया। पाटम, स्थित सुरंग के पास हुए इस हमले में तीन जवान शहीद हो गए और एक, घायल हो गया। हमले के दौरान नक्सली जीआरपी के जवानों के असलहे भी, लूट ले गए।, घटना शाम लगभग साढ़े छह बजे की है। सूचना मिलने पर रेलवे और सिविल, पुलिस के तमाम अधिकारी मौके पर पहुँच गए और जमालपुर में जवानों के शव, उतारकर उनकी शिनाख्त कराई जा रही है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार हमला, स्थान, उस समय हुआ, जब भागलपुर से पटना जा रही 3235 अप ट्रेन पाटम स्थित, सुरंग में प्रवेश कर रही थी।, सामान्यतया सुरंग में प्रवेश के दौरान ट्रेन की गति धीमी कर दी जाती है। इस, ट्रेन की गति जैसे ही धीमी हुई, अचानक पहाड़ियों से नक्सलियों ने अंधाधुध, फायरिंग, विषय का विस्तार, शुरू कर दी। गोलियाँ ट्रेन की अंतिम बोगी पर चलाई गई थीं। यह, बोगी विकलांगों और महिलाओं के लिए आरक्षित थी। इसमें कुछ सामान्य यात्री, भी थे और पुलिस के पाँच जवान भी थे इस दौरान बोगी के लोग सीटों के, नीचे छिप गए। ट्रेन रुकने पर उच्च अधिकारियों को घटना की सूचना दी गई।, (हिंदुस्तान 1 दिसंबर, 20XX के अंक से साभार)
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2. प्रेस-विज्ञप्ति, भरकार समय-समय पर सरकारी आदेश, प्रस्ताव अथवा निर्णय समाचार-पत्रों में प्रकाशित करने के लिए भेजती है। जिसे प्रेस-विज्ञप्ति कहा जाता, प्रेस-विज्ञप्ति सामान्यत: सरकारी केन्द्रीय कार्यालय से प्रसारित होती है और इसकी शब्दावली एवं शैली निश्चित होती है। समाचार- पत्र का, सम्पादक प्रेस-विज्ञप्ति में किसी प्रकार की काट-छाँट नहीं कर सकता। प्रेस-विज्ञप्ति में कभी-कभी यह भी लिखा जाता है कि इसे किस तिथि, प्रकाशित करना है। समय पूर्व इसका प्रकाशन नहीं किया जाता।, सेस-विज्ञप्ति का अपना एक शीर्षक होता है, इसमें सम्बोधन नहीं लिखा जाता। इसके अन्त में नीचे बायीं ओर हस्ताक्षर तथा पदनाम लिखा जाता है।, माललेखनीय है कि प्रेस-विज्ञप्ति को सीधे समाचार- पत्र कार्यालय में न भेजकर सूचना अधिकारी के पास भेजा जाता है।, से, प्रेस-विज्ञप्ति का प्रारूप, भारत सरकार के विदेश मन्त्रालय की ओर से भारत और ट्विनिडाड-टोबैगो के मध्य राजनयिक सम्बन्ध स्थापित करने के सम्बन्ध में प्रेस-विज्ञप्ति, जारी कीजिए।, प्रेस विज्ञप्ति, दिनांक 28 अप्रैल, 20XX, दिनांक, विषय भारत और ट्रिनिडाड-टोबैगो के मध्य राजनयिक सम्बन्ध, भारत सरकार और ट्रिनिडाङ-टोबैगो सरकार इस बात पर सहमत हो गई है, कि दोनों सरकारों के दूतावासों के स्तर पर मित्रतापूर्ण सम्बन्ध स्थापित किए, जाएँ। इस व्यवस्था से यह आशा की जाती है कि दोनों देशों में परस्पर सम्बन्ध, और भी अधिक सुदृढ़ हो जाएँगे, जो दोनों के लिए लाभकारी होंगे।, (मुख्य सूचना अधिकारी, प्रेस सूचना ब्यूरो, नई दिल्ली के पास विज्ञप्ति जारी, करने तथा इसे विस्तृत रूप से प्रसारित करने के लिए प्रेषित), विषय, विषय का विस्तार, हस्ताक्षर......, प्रेषक के हस्ताक्षर, संयुक्त सचिव, विदेश मन्त्रालय,, पद का नाम, भारत सरकार,, 8. परिपत्र, जब कोई सरकारी अथवा कार्यालयी पत्र एक साथ अनेक व्यक्तियों अथवा विभागों को एक ही विषय से संबंधित भेजा जाए, तो वह 'परिपत्र', कहलाता है। इसकी रचना सामान्यतः ज्ञापन के समान होती है। परिपत्र में संबोधन सामान्य होता है, जैसे 'सभी प्राचार्य', 'सभी जिला कलेक्टर', आदि परिपत्र की भाषा औपचारिक एवं आडंबर रहित होती है।, परिपत्र लिखते समय निम्नलिखित निर्देशों का पालन करना चाहिए, परिपत्र में मंत्रालय का नाम, पता, पत्र संख्या एवं दिनांक सरकारी पत्र के अनुसार लिखा जाता है।, * इसके बाद शीर्षक के रूप में परिपत्र लिखा जाता है, जिसके पश्चात् विषय लिखते हैं।, * पत्र समाप्ति पर भवदीय लिखने के बाद प्रेषक के हस्ताक्षर, पदनाम आदि लिखा जाता है।, परिपत्र का कलेवर सरकारी पत्र या कार्यालय ज्ञापन की तरह ही होता है।, * इसका प्रेषक एक ही व्यक्ति होता है और प्रापक अनेक होते हैं।
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भारत सरकार के उप-सचिव की ओर से एक परिपत्र लिखिए, जिसमें असामाजिक संगठनों के कारण देश में अस्थिरता के माहौल के संबंध में कहा गया हो।, परिपत्र का प्रारूप, मंत्रालय का नाम व पता, भारत सरकार गृह मंत्रालय, नई दिल्ली, पत्र संख्या, दिनांक, पत्र संख्या-524020, दिनांक 15 जून, 20XX, परिपत्र, शीर्षक, विषय देश में अस्थिरता के माहौल से संबद्ध।, कुछ असामाजिक संगठन सुनियोजित ढंग से देश में व्यापक अस्थिरता का, माहौल पैदा करना चाहते हैं तथा उन्हे शत्रु देशों से प्रोत्साहन भी मिल रहा है।, सरकार ने इन असामाजिक संगठनों को पूरी तरह नियंत्रण में करने का निर्णय, लिया है। राज्य सरकारों को भी इस संबंध में कड़े कदम उठाने है।, इस संबंध में सरकार, उठाए जाने वाले कदमों का ब्यौरा शीघ्र ही भेजेगी।, राज्य सरकारों का सहयोग अपेक्षित है।, विषय, विषय का विस्तार, हस्ताक्षर ......, प्रेषक के हस्ताक्षर, उप-सचिव, भारत सरकार।, पद का नाम, प्रतिलिपि, प्रतिलिपि, सभी राज्य सरकार, 4. कार्यसूची, विद्यालय, संस्थान, कार्यालय आदि में किसी भी विषय पर विचार-विमर्श करने, किसी समस्या का समाधान ढूँढने, विभिन्न गतिविधियों को, कार्यान्वित करने हेतु एवं कार्यालय व संस्थान के कार्यों की देख- रेख हेतु विभिन्न समितियों का गठन किया जाता है। ये समितियाँ आपसी निर्णयो, के आधार पर कार्य करती है इन समितियों में सचिव एवं अध्यक्ष होता है। बैठक अथवा कार्यवाही को प्रारंभ करने से पूर्व प्रस्तुत किए जा रहे, विषय अथवा समस्या से संबंधित कार्य की क्रमवार सूची का परिचय सचिव के माध्यम से दिया जाता है सचिव ही अतिथियों का स्वागत भी, करता है। यह क्रमवार सूची ही कार्यसूची (Agenda) कहलाती है।, कार्यसूची में मुद्दों को शीर्षक के साथ बिंदुवत् लिखा जाता है तथा हर मुद्दे से संबंधित आवश्यक तथ्य एवं निर्णय लेने की अपेक्षा एवं दिशा भी, प्रस्तुत की जाती है। कार्यसूची में पूर्व में हुई बैठक के कार्यवृत्त, कार्यवाही का विवरण व अनुमोदन तथा पिछली बैठक के बाद संस्था/कार्यालय, द्वारा की गई प्रगति का विवरण एवं अनुपालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का बिंदु सम्मिलित रहता है।, कार्यसूची में किसी भी संस्था अथवा कार्यालय द्वारा जिस विषय अथवा समस्या की चर्चा की जाती है उसकी सूची पूर्व में ही बता दी जाती है,, जिससे बैठक उचित प्रकार से संचालित होने मे सहायक होती है। आवश्यकता पड़ने पर कार्यसूची में टिप्पणी भी दी जा सकती है कार्यसूची के, अंतर्गत समय, स्थान व दिनांक का भी उल्लेख किया जाता है तथा कार्यसूची की प्रति कार्यक्रम में सम्मिलित समिति के सदस्यों को भी दे दी जाती, है, जिससे वे सदस्य कार्यक्रम में मुद्दे से संबंधित बिंदुओं पर चर्चा कर सकें।, 5. कार्यवृत्त, किसी भी विश्वविद्यालय, विद्यालय, संस्थान, कार्यालय आदि की बैठक समाप्त होने पर कार्यकारिणी समिति के सचिव द्वारा उस बैठक में संबंधित, समस्या एवं मुद्दों पर लिए गए निर्णयो के आधार पर कार्यवाही का प्रारूप तैयार किया जाता है। यह प्रारूप एवं विवरण कार्यवृत्त कहलाता है।, कार्यवृत्त तैयार करते समय यह ध्यान रखा जाता है कि बैठक में जो निर्णय लिए गए हैं, उन सभी निर्णयों का विवरण कार्यवृत्त में दिया गया हो।, कार्यवृत्त उसी क्रम में लिखा जाता है जिस क्रम में बैठक में विचार-विमर्श एवं निर्णय लेने का कार्य सम्पन्न हुआ है। तैयार किए गए कार्यवृत्त का, कार्यकारिणी समिति की आगे होने वाली अन्य बैठक में समिति के सभी सदस्यों के समक्ष प्रस्तुत किया, होने की संभावना न हो, तो कार्यवृत्त की प्रति समिति के सदस्यों को भेजी जानी चाहिए। स्पष्टत: कार्यवृत्त बैठक में प्रस्तुत किए जाने वाले मुद्दा, के प्रत्येक बिंदु को ध्यान में रखकर किया गया विचार- विमर्श एवं निर्णय होता है।, जिस दिन बैठक आयोजित की गई, उस दिन के दिनांक, समय व स्थान का वर्णन भी कार्यवृत्त के अंतर्गत किया जाता है। साथ ही बैठक में भाग, लेने वाले सदस्यों का विवरण तथा बैठक में लिए गए निर्णयों को वर्णित करके अंत में सचिव के हस्ताक्षर कार्यवृत्त में किए जाते हैं।, है और यदि आगामी अन्य बैठक