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आलो-आँधारि, प्रश्नोत्तर, , प्रश्न 1: अपने परिवार से लेकर तातुश के घर तक के सफ़र में बेबी के सामने, रिश्तों की कौन-सी सच्चाई उसके सामने आती है?, , उत्तर: उसने जाना कि रिश्तों का सम्बन्ध दिल से होता है, अन्यथा रिश्ते बेगाने होते, हैं। पति का घर छोड़कर आने के बाद वह अकेली व असहाय थी। वह अकेले ही, बच्चों के साथ किराये के मकान में रहने लगी।उसके अपने ही उसके लिए अंजान, , थे। उल्टा, अनजानों ने उसकी सहायता की थी। सुनील के रास्ते ही उसने अपना, मकाम पाया।, , प्रश्न 2: घरों में काम करने वालों के जीवन की मुश्किलों का पता चलता है।, घरेलू नौकरों को और किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है?, , उत्तर: घरेलू नौकरों को आर्थिक सुरक्षा व मदद नहीं मिलती। नौकरी पर मुश्किल, बनी रहती है। उन्हें गंदे व सस्ते मकानों में रहना पड़ता है, क्योंकि ये अधिक किराया, नहीं दे पाते। इन लोगों का शारीरिक शोषण भी किया जाता है। नौकरानियों को, अक्सर शोषण का शिकार होना पड़ता है।, , प्रश्न 3: बेबी की जिंदगी में तातुश का परिवार न आया होता तो उसका जीवन, कैसा होता?, , उत्तर: तातुश के संपर्क में आने से पहले बेबी कई घरों में काम कर चुकी थी। उसका, जीवन कष्टों से भरा था। तातुश के परिवार में आने के बाद उसे घर, पैसा, भोजन, आदि समस्याओं से राहत मिली। यहाँ उसके बच्चों का पालन-पोषण ठीक ढंग से, होने लगा। यदि उसकी जिंदगी में तातुश का परिवार न आया होता तो उसका जीवन, बहुत बुरे दौर में होता।, , प्रश्न 4: तातुश के व्यक्तित्व से आपको क्या प्रेरणा मिलती है?
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उत्तर: तातुश के व्यक्तित्व से हमें दूसरों की मदद करने की प्रेरणा, शिक्षा के प्रति, बच्चों को जागरूक बनाने, सहृदय बनने, दूसरों के जीवन में शिक्षा की रोशनी, फैलाने की प्रेरणा मिलती है। वहीं, सबसे ज़रूरी है हमारा दूसरों के लिए बर्ताव कैसा, है।, , प्रश्न 5: तातुश लेखिका को पढ़ने-लिखने के लिए इतना प्रोत्साहित क्यों करते, थे?, , उत्तर: तातुश को जिंदगी का अनुभव था। वे जानते थे कि शिक्षा से व्यक्ति का, जीवन, रहन-सहन बदल जाता है तथा व्यक्ति अधिक सभ्य एवं समाजसेवी, , नागरिक बनता है। इसीलिए वे लेखिका को इतना पढ़ने-लिखने के लिए प्रोत्साहित, करते थे।, , प्रश्न 6: बेबी हालदार जब अपने पति से अलग होकर रहनी लगी, तब से अब, तक उसने क्या-क्या सीखा?, , उत्तर: जब बेबी हालदार अपने पति से अलग अपने बच्चों के साथ रह रही थी,, उसकी आर्थिक और सामाजिक हालत बहुत ही ख़राब थी। वह अपने लिए काम, ढूंढती, लेकिन निराश नहीं होती। उसने सीखा कि मेहनत से जीवन जीना है तो, ठोकरें खानी पड़ती हैं। उसने यह भी सीखा कि बस काम के लिए लोग आपको, पूछते हैं। सुनील के सहारे वो तातुश नाम के व्यक्ति से मिलती है और उसकी, जिंदगी बदल जाती है।, , धन्यवाद!