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उत्पत्ति के आधार पर (जैव और अजैव संसाधन), समाप्यता के आधार पर (नवीनीकरण व अनवीनीकरण संसाधन), , स्वामित्व के आधार पर (व्यक्तिगत संसाधन, सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन, राष्ट्रीय, संसाधन), , विकास के स्तर के आधार पर (संभावी संसाधन, विकसित संसाधन, भंडार, संचित कोष), उत्पत्ति के आधार पर, , जैव संसाधन - ऐसे संसाधन जिनकी प्राप्ति जीवमंडल से होती है, तथा जिनमे जीवन पाया, जाता है, जैव संसाधन कहलाते है। जैसे - मनुष्य, वनस्पति जगत, प्राणिजात, मत्स्य जीवन,, पशुधन आदि।, , अजैव संसाधन - ऐसे संसाधन जो निर्जीव वस्तुत से बने है, तथा जिनमे जीवन नही पाया, जाता, ऐसे संसाधन अजैव संसाधन कहलाते है। जैसे - चट्टान, धातु।, , समाप्यता के आधार पर, , नवीनीकरण संसाधन - ऐसे संसाधन जिनको भौतिक, रासायनिक व यांत्रिक प्रक्रिया द्वारा पुनः, उपयोग करने योग्य बनाया जा सके, ऐसे संसाधन नवीनीकरण योग्य संसाधन कहलाते है।जैसे, - सौर उर्जा, पवन उर्जा आदि।, , अनवीनीकरण संसाधन - वे संसाधन जो एक बार उपयोग करने के बाद समाप्त हो जाते है,, और जिसे दुबारा उपयोग करने योग्य नहीं बनाया जा सके, ऐसे संसाधन अनवीनीकरण, संसाधन कहलाते है।, , जैसे - कोयला पैट्रोल आदि।, स्वामित्व के आधार पर, व्यक्तिगत संसाधन - जिन संसाधनो का स्वामित्व निजी व्यक्ति के हाथो में होता है, ऐसे, , संसाधन व्यक्तिगत संसाधन कहलाते है। जैसे - घर, भूखंड, जमीन के मालिक।, , सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन - ऐसे संसाधन जिनका स्वामित्व समुदाय के सभी सदस्यो, को उपलब्ध होते है,सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन कहे जाते है। जैसे - सार्वजनिक पार्क,, पिकनिक स्थल , खेल के मैदान आदि।, , राष्ट्रीय संसाधन - देश मे पाये जाने वाले सारे संसाधन राष्ट्रीय संसाधन कहे जाते हैततकनीकी, तौर पर देश के सारे संसाधन राष्ट्रीय संसाधन है।
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अन्तरराष्ट्रीय संसाधन - तट रेखा से 200 समुद्री कि.मी . की दूरी से परे खुले महासागरीय, संसाधनो को अन्तरराष्ट्रीय संसाधन कहा जाता है, इन संसाधनो को अन्तरराष्ट्रीय सहमत के, बिना उपयोग नही किया जा सकता है।, , विकास के स्तर के आधार पर, , संभावी संसाधन - ऐसे संसाधन जो किसी प्रदेश में विद्यमान होते है, परन्तु उनका उपयोग नही, किया गया है, जैसे - भारत के पश्चिमी भाग, राजस्थान एवं गुजरात में पवन और सौर, उर्जा,संसाधनो की अपार संभावना है।, , विकसित संसाधन - ऐसे संसाधन जिनका सर्वेक्षण किया जा चुका है और जिनके उपयोग की, गुणवत्ता और मात्रा निर्धारित की जा चुकी है। विकसित संसाधन कहलाते है।, , भंडार - ऐसे संसाधन जिनका सर्वेक्षण किया जा चुका है, परन्तु प्रौद्योगिकी के अभाव में, जिनका उपयोग नही किया जा सकता है। जैसे - जल दो ज्वलनशील गैसो, हाइड्रोजन व, ऑक्सीजन का यौगिक है, जिसे ऊर्जा के मुख्य साधन के रूप मे उपयोग किया जा सकता है,, परन्तु तकनीकी ज्ञान के अभाव में ऐसा संभव नही है।, , संचित कोष - ऐसे संसाधन जो भंडार का ही एक हिस्सा है, और जिनका उपयोग उपलब्ध, तकनीक द्वारा किया जा सकता है, परन्तु जिनका उपयोग अभी प्रारंभ नही किया गया है,, संचित कोष मे आते है। जैसे - बॉधो मे जल, वन आदि।