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संघवाद, , , , वगउआ०2, , परिचय, , पिछले अध्याय में हमने गौर किया था कि शासन के विभिन्न स्तरों के बीच सत्ता, का उर्ध्वाधर बँटवारा आधुनिक लोकतंत्रों में सत्ता की साझेदारी का एक आम, रूप है। इस अध्याय में हम सत्ता के बँटवारे के इसी स्वरूप पर विचार करेंगे।, इसे आमतौर पर संघवाद कहा जाता है। इससे एक ही लोकतांत्रिक व्यवस्था के, अंदर अलग-अलग इलाकों का साथ रहना और चलना संभव हो पाता है।, अध्याय के शेष हिस्से में भारत के संघवाद के सिद्धांत और व्यवहार को समझने, की कोशिश की गई है। संघीय ढाँचे से संबंधित संवैधानिक प्रावधानों पर चर्चा, के बाद इस अध्याय में संघवाद को मज़बूत करने वाली नीतियों और राजनीति, का विश्लेषण किया जाएगा। अध्याय के आखिर में हम भारतीय संघवाद के नए, और तीसरे स्तर यानी स्थानीय शासन की चर्चा करेंगे।, , , , 2019-20
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प्रशांत महासागर, , अर्जेटीना ही, , संघवाद क्या है?, , आइए, एक बार फिर पिछले अध्याय में, दिए गए बेल्जियम और श्रीलंका के अंतर, , के तमिल नेता चाहते थे कि देश में सच्चे, अर्थों में संघीय शासन व्यवस्था कायम हो।, , , , पर गौर करें। आपको याद होगा कि बेल्जियम, के संविधान में जो प्रमुख बदलाव किए गए, , संघीय शासन व्यवस्था में सर्वोच्च सत्ता, केंद्रीय प्राधिकार और उसकी विभिन्न, , , , उनमें केंद्रीय सरकार की शक्ति में कमी, करना भी एक था और ये अधिकार प्रांतीय, , आनुषंगिक इकाइयों के बीच बँट जाती हे।, आम तौर पर संघीय व्यवस्था में दो स्तर पर, , , , सरकारों को दिए गए। बेल्जियम में उससे, पहले से भी प्रांतीय सरकारें थीं। तब भी, उनकी अपनी भूमिका थी, अपने अधिकार, थे। पर ये अधिकार उनको केंद्र द्वारा दिए, , सरकारें होती हैं। इसमें एक सरकार पूरे देश, के लिए होती है जिसके ज़िम्मे राष्ट्रीय, महत्व के विषय होते हैं। फिर, राज्य या, प्रांतों के स्तर की सरकारें होती हैं जो शासन, , , , गए थे और इन्हें केंद्रीय सरकार वापस भी, ले सकती थी। सन् 1993 में कुछ बदलाव, , के दैनंदिन कामकाज को देखती हें। सत्ता, के इन दोनों स्तर की सरकारें अपने-अपने, , , , हुए और प्रांतीय सरकारों को कुछ संवैधानिक, अधिकार दिए गए। इन अधिकारों के लिए, प्रांतीय सरकारें अब केंद्र पर निर्भर नहीं, रहीं। इस प्रकार बेल्जियम ने एकात्मक शासन, की जगह संघीय शासन प्रणाली अपना ली।, श्रीलंका में व्यावहारिक रूप से अभी भी, एकात्मक शासन व्यवस्था है जिसमें केंद्रीय, सरकार के पास ही सारे अधिकार हैं। श्रीलंका, , का, ्फुः कह के, स्पेन /बोस्निया और, , ्स्ेे किट्स हर्जेगोविना 7, (और नेविस, -वबेनेजुएला, अटलांटिक, महासागर >, , दक्षिण अफ्रीका, , नाइजीरिया कै. पड, की कप /अमीरात, हु (क़ोमोरोस, , स्तर पर स्वतंत्र होकर अपना काम करती हैं।, , इस अर्थ में संघीय शासन व्यवस्था, एकात्मक शासन व्यवस्था से ठीक उलट है।, एकात्मक व्यवस्था में शासन का एक ही, स्तर होता है और बाकी इकाइयाँ उसके, अधीन होकर काम करती हैं। इसमें केंद्रीय, सरकार प्रांतीय या स्थानीय सरकारों को, आदेश दे सकती है। पर. संघीय व्यवस्था में, , , , महासागर प्र, , श्र, 7, , 43 स्रोत : मांट्रियल और किंग्स्टन, हैंडबुक आँव फेडरल कट्रीज्ञ 2002, मैक्गिल-क्वींस यूनिवर्सिटी प्रेस 2002, , हालाँकि दुनिया के 193 देशों में से केवल 25 में संघीय शासन व्यवस्था है लेकिन इन देशों में दुनिया की 40 प्रतिशत जनसंख्या रहती है।, दुनिया के अधिकतर बड़े देश संधीय हैं। क्या आप इस मानचित्र में इस नियम का एक अपवाद ढूँढ़ सकते हैं?, , , , , , 2019-20
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केंद्रीय सरकार राज्य सरकार को कुछ खास, करने का आदेश नहीं दे सकती। राज्य सरकारों, के पास अपनी शक्तियाँ होती हैं और इसके, , के गठन और कामकाज के लिए दो चीज़ें, सबसे महत्वपूर्ण हैं। विभिन्न स्तरों की सरकारों, के बीच सत्ता के बँटवारे के नियमों पर, , , , लिए वह केंद्रीय सरकार को जवाबदेह नहीं, होती हैं। ये दोनों ही सरकारें अपने-अपने, स्तर पर लोगों को जवाबदेह होती हैं।, आइए, संघीय व्यवस्था की कुछ, महत्वपूर्ण विशेषताओं पर गौर करें :, , यहाँ सरकार दो या अधिक स्तरों वाली, होती है।, , अलग-अलग स्तर की सरकारें एक ही, नागरिक समूह पर शासन करती हैं पर कानून, बनाने, कर वसूलने और प्रशासन का उनका, अपना-अपना अधिकार-क्षेत्र होता है।, , विभिनन स्तरों की सरकारों के अधिकार-क्षेत्र संविधान में स्पष्ट रूप से वर्णित होते हैं, इसलिए संविधान सरकार के हर स्तर के, अस्तित्व और प्राधिकार की गारंटी और, सुरक्षा देता है।, , संविधान के मौलिक प्रावधानों को किसी, एक स्तर की सरकार अकेले नहीं बदल, सकती। ऐसे बदलाव दोनों स्तर की सरकारों, की सहमति से ही हो सकते हैं।, , ल्लं अदालतों को संविधान और विभिन्न, स्तर की सरकारों के अधिकारों की व्याख्या, करने का अधिकार है। विभिन्न स्तर की, सरकारों के बीच अधिकारों के विवाद की, स्थिति में सर्वोच्च न्यायालय निर्णायक की, भूमिका निभाता है।, , हब वित्तीय स्वायत्तता निश्चित करने के, लिए विभिन्न स्तर की सरकारों के लिए, राजस्व के अलग-अलग स्रोत निर्धारित हैं।, , हब इस प्रकार संघीय शासन व्यवस्था के, दोहरे उद्देश्य हैं : देश की एकता की, सुरक्षा करना और उसे बढ़ावा देना तथा, इसके साथ ही क्षेत्रीय विविधताओं का पूरा, सम्मान करना। इस कारण संघीय व्यवस्था, , सहमति होनी चाहिए और इनका एक-दूसरे, पर भरोसा होना चाहिए कि वे अपने-अपने, अधिकार-क्षेत्रों को मानेंगे। आदर्श संघीय, व्यवस्था में ये दोनों पक्ष होते हैं: आपसी, भरोसा और साथ रहने पर सहमति।, , केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों के, बीच सत्ता का बँटवारा हर संघीय सरकार में, अलग-अलग किस्म का होता है।, , यह बात इस चीज़ पर निर्भर करती हे, कि संघ की स्थापना किन ऐतिहासिक, संदर्भों में हुई। संघीय शासन व्यवस्थाएँ, आमतौर पर दो तरीकों से गठित होती हैं।, पहला तरीका है दो या अधिक स्वतंत्र, राष्ट्रों को साथ लाकर एक बड़ी इकाई, गठित करने का। इसमें दोनों स्वतंत्र राष्ट्र, अपनी संप्रभुता को साथ करते हैं, अपनी, अलग-अलग पहचान को भी बनाए रखते, हैं और अपनी सुरक्षा तथा खुशहाली बढ़ाने, का रास्ता अख्तियार करते हैं। साथ आकर, संघ बनाने के उदाहरण हैं-संयुक्त राज्य, अमरीका, स्विट्जरलैंड और ऑस्ट्रेलिया, वगैरह। इस तरह की संघीय व्यवस्था वाले, मुल्कों में आमतौर पर प्रांतों को समान, अधिकार होता है और वे केंद्र के बरक्स, ज़्यादा ताकतवर होते हैं।, , संघीय शासन व्यवस्था के गठन का, दूसरा तरीका है बड़े देश द्वारा अपनी आंतरिक, विविधता को ध्यान में रखते हुए राज्यों का, गठन करना और फिर राज्य और राष्ट्रीय, सरकार के बीच सत्ता का बँटवारा कर देना।, भारत, बेल्जियम और स्पेन इसके उदाहरण, हैं। इस दूसरी श्रेणी वाली व्यवस्था में राज्यों, के बरक्स केंद्र सरकार ज़्यादा ताकतवर, हुआ करती है। अक्सर इस व्यवस्था में, विभिन्न राज्यों को समान अधिकार दिए, जाते हैं पर विशेष स्थिति में किसी-किसी, प्रांत को विशेष अधिकार भी दिए जाते हैं।, , , , भेद खोले, , अधिकार-क्षेत्र : ऐसा दायरा, जिस पर किसी का वैधानिक, अधिकार हो। यह दायरा, भौगोलिक सीमा के अंतर्गत, परिभाषित होता है अथवा, इसके अंतर्गत कुछ विषयों, को भी रखा जा सकता है।, , , , 2019-20
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#, , 3 डे 1, , है. | 48 60 लाल 3 संघीय हकों चर्चा के, कुछ नेपाली नागरिक अपने संविधान में संघीय व्यवस्था अपनाने की बात कर रहे थे। उनकी चर्चा कुछ, , इस प्रकार की थी :, , खगराज : मुझे संघीय व्यवस्था पसंद नहीं है। इससे भारत की तरह हमारे यहाँ भी सीटों को आरक्षित करना पड़ेगा।, , मीता : हमारा देश तो कोई बड़ा नहीं है। हमें संघ की क्या ज़रूरत है?, , बाबूलाल : मुझे लगता है कि अगर तराई क्षेत्र की अपनी अलग राज्य सरकार बने तो क्षेत्र को ज़्यादा स्वायत्तता मिल, , सकेगी।, , रामगणेश : मुझे संघीय व्यवस्था पसंद है क्योंकि इसका मतलब होगा कि पहले राजा जिन शक्तियों का प्रयोग करता, , था उनका इस्तेमाल इस व्यवस्था में हमारे निर्वाचित प्रतिनिधि करेंगे।, , अगर आप इस चर्चा में शामिल होते तो प्रत्येक टिप्पणी पर आपकी क्या प्रतिक्रिया होती? इनमें से किसने संघीय, , व्यवस्था को लेकर गलत टिप्पणी की हे?, , , , भारत में संघीय व्यवस्था, , हमने पहले देखा है कि बेल्जियम और श्रीलंका, जैसे छोटे देशों को भी अपने यहाँ की, विविधता को सँभालने में बड़ी मुश्किलें, आती हैं। सोचिए कि भारत जैसे विशाल, मुल्क में यह काम कितना मुश्किल होगा, जहाँ बहुत-सी भाषाओं, धर्मों और क्षेत्रों के, लोग रहते हैं? हमारे देश में सत्ता की साझेदारी, की क्या व्यवस्था है?, , आइए, संविधान से ही शुरुआत करें।, एक बहुत ही दुखद और रक्तरंजित विभाजन, के बाद भारत आज्ञाद हुआ। आज्ञादी के, कुछ समय बाद ही अनेक स्वतंत्र रजवाड़े, भारत में विलीन हो गए। भारतीय संविधान, ने भारत को राज्यों का संघ घोषित किया।, इसमें संघ शब्द नहीं आया पर भारतीय संघ, का गठन संघीय शासन व्यवस्था के सिद्धांत, पर हुआ है।, , आइए, हमने ऊपर संघीय व्यवस्था की, जिन सात विशेषताओं का ज़िक्र किया था, उन्हें फिर से देख लें। हम देख सकते हैं, कि ये सभी बातें भारतीय संविधान के विभिन्न, प्रावधानों पर लागू होती हैं। संविधान ने, मैलिक रूप से दो स्तरीय शासन व्यवस्था, का प्रावधान किया था-संघ सरकार (या, हम जिसे केंद्र सरकार कहते हैं) और राज्य, सरकारें। केंद्र सरकार को पूरे भारतीय संघ, , , , का प्रतिनिधित्व करना था। बाद में पंचायतों, और नगरपालिकाओं के रूप में संघीय शासन, का एक तीसरा स्तर भी जोड़ा गया। किसी, भी संघीय व्यवस्था की तरह अपने यहाँ भी, तीनों स्तर की शासन व्यवस्थाओं के अपने, अलग-अलग अधिकार क्षेत्र हैं। संविधान में, स्पष्ट रूप से केंद्र और राज्य सरकारों के, बीच विधायी अधिकारों को तीन हिस्से में, बाँटा गया है। ये तीन सूचियाँ इस प्रकार हैं:, , ७ संघ सूची में प्रतिरक्षा, विदेशी मामले,, बैंकिंग, संचार और मुद्रा जैसे राष्ट्रीय महत्व, के विषय हें। पूरे देश के लिए इन मामलों, में एक तरह की नीतियों की ज़रूरत है।, इसी कारण इन विषयों को संघ सूची में, डाला गया हे। संघ सूची में वर्णित विषयों, के बारे में कानून बनाने का अधिकार सिर्फ़, केंद्र सरकार को हे।, , ७ राज्य सूची में पुलिस, व्यापार, वाणिज्य,, कृषि और सिंचाई जैसे प्रांतीय और स्थानीय, महत्व के विषय हैं। राज्य सूची में वर्णित, विषयों के बारे में सिर्फ़ राज्य सरकार ही, कानून बना सकती है।, , ७ समतवर्ती सूची में शिक्षा, वन, मज़दूरसंघ, विवाह, गोद लेना और उत्तराधिकार, जैसे वे विषय हैं जो केंद्र के साथ राज्य, सरकारों की साझी दिलचस्पी में आते हें।, , , , , , 2019-20
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इन विषयों पर कानून बनाने का अधिकार, राज्य सरकारों और केंद्र सरकार, दोनों, को ही है। लेकिन जब दोनों के कानूनों, में टकराव हो तो केंद्र सरकार द्वारा बनाया, कानून ही मान्य होता है।, , यहाँ एक सवाल यह उठता है कि, जो विषय इनमें से किसी सूची में नहीं आते, उनका क्या होता है? फिर कंप्यूटर साफ्टवेयर, जैसे विषय किसके अधिकारः-क्षेत्र में रहें, क्योंकि ये संविधान बनने के बाद आए हैं?, हमारे संविधान के अनुसार “बाक़ी बचे!, विषय केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में, चले जाते हैं।, , हमने ऊपर देखा कि “सबको साथ, लेकर” चलने की नीति मानकर बनी, , इलाके हैं जो अपने आकार के चलते, स्वतंत्र प्रांत नहीं बन सकते। इन्हें किसी, मौजूदा प्रांत में विलीन करना भी संभव, नहीं है। चंडीगढ़ या लक्षद्वीप अथवा देश, की राजधानी दिल्ली जैसे इलाके इसी, कोटि में आते हैं और इन्हें केंद्र शासित, प्रदेश कहा जाता है। इन क्षेत्रों को राज्यों, वाले अधिकार नहीं हैं। इन इलाकों का, शासन चलाने का विशेष अधिकार केंद्र, सरकार को प्राप्त है।, , केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सत्ता, का यह बँटवारा हमारे संविधान की बुनियादी, बात है। अधिकारों के इस बँटवारे में बदलाव, करना आसान नहीं है। अकेले संसद इस, व्यवस्था में बदलाव नहीं कर सकती। ऐसे, , , , अधिकतर बड़ी संघीय व्यवस्थाओं में साथी, , किसी भी बदलाव को पहले संसद के दोनों, , , , इकाइयों को बराबर अधिकार नहीं मिलते।, भारतीय संघ के सारे राज्यों को भी बराबर, अधिकार नहीं हैं। कुछ राज्यों को विशेष, दर्जा प्राप्त है। भारत में जम्मू-कश्मीर एकमात्र, ऐसा राज्य है जिसका अपना संविधान है।, इस राज्य में विधान सभा की अनुमति के, बगैर भारतीय संविधान के कई प्रावधानों, को लागू नहीं किया जाता। इस राज्य के, स्थायी निवासियों के अतिरिक्त कोई भी, भारतीय नागरिक यहाँ ज़मीन या मकान, नहीं खरीद सकता। असल में भारत के, कई अन्य प्रदेशों के लिए भी कुछ ऐसे ही, विशेष प्रावधान किए गए हैं।, भारतीय संघ की कई इकाइयों को, बहुत ही कम अधिकार हैं। ये वैसे छोटे, , (३8५०, डक, , ७ सिर्फ़ केंद्र सरकार से जुड़ी खबरें।, , सदनों में दो-तिहाई बहुमत से मंजूर किया, जाना होता हे। फिर कम से कम आधे, राज्यों की विधान सभाओं से उसे मंजूर, करवाना होता है।, , संवैधानिक प्रावधानों और कानूनों के, क्रियान्वयन की देख-रेख में न्यायपालिका, महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शक्तियों के, बँटवारे के संबंध में कोई विवाद होने की, हालत में फ़ैसला उच्च न्यायालय और, सर्वोच्च न्यायालय में ही होता है। सरकार, चलाने और अपनी ज़िम्मेवारियों का निर्वाह, करने के लिए ज़रूरी राजस्व की उगाही, के संबंध में केंद्र और राज्य सरकारों को, कर लगाने और संसाधन जमा करने के, अधिकार हैं।, , , , आकाशवाणी पर एक हफ़्ते तक एक राष्ट्रीय और एक क्षेत्रीय समाचार बुलेटिन रोज़ सुनें। सरकारी नीतियों, और फ़ैसलों से जुड़ी खबरों की सूची बनाएँ और उनको निम्नलिखित श्रेणियों में बाँटें :, , ७ आपके या किसी अन्य राज्य सरकार से जुड़ी खबरें।, , ७ केंद्र और राज्य सरकार के संबंध की खबरें।, , , , 2019-20