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सत्ता की साझेदारी, , , , 1णउद्ाण, , परिचय, , इस अध्याय के साथ हम लोकतंत्र की उस यात्रा को आगे बढ़ाएँगे जो पिछले, साल शुरू हुई थी। पिछले साल हमने देखा था कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में, सारी ताकत किसी एक अंग तक सीमित नहीं होती। विधायिका, कार्यपालिका, और न्यायपालिका के बीच पूरी समझ के साथ सत्ता को विकेंद्रित कर देना, लोकतंत्र के कामकाज के लिए बहुत ज़रूरी है। पहले तीन अध्यायों में हम, सत्ता के बँटवारे पर सोच-विचार को आगे बढ़ाएँगे। आइए, हम बेल्जियम और, श्रीलंका की दो कथाओं के साथ शुरुआत करते हैं। ये दोनों घटनाएँ बताती, हैं कि विभिन्न लोकतांत्रिक शासन पद्धतियाँ सत्ता के बँटवारे की माँग से किस, तरह निपटती हैं। इन घटनाओं से यह समझने में कुछ मदद मिलेगी कि आखिर, लोकतंत्र में सत्ता के बँटवारे की ज़रूरत क्यों होती है। इससे हम सत्ता के, बँटवारे के उन रूपों पर बातचीत कर सकेंगे जिनकी चर्चा अगले दो अध्यायों, में की गई है।, , , , 2019-20
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बात बोले। भेद खोले, , एथनीक या जातीय : ऐसा, सामाजिक विभाजन जिसमें हर, समूह अपनी-अपनी संस्कृति को, अलग मानता है यानी यह साझी, संस्कृति पर आधारित सामाजिक, विभाजन है। किसी भी जातीय, समूह के सभी सदस्य मानते हैं, कि उनकी उत्पत्ति समान पूर्वजों, से हुई है और इसी कारण, उनकी शारीरिक बनावट और, संस्कृति एक जैसी है। ज़रूरी, नहीं कि ऐसे समूह के सदस्य, किसी एक धर्म के मानने वाले, हों या उनकी राष्ट्रीयता एक हो।, , बेल्जियम और श्रीलंका, , बेल्जियम यूरोप का एक छोटा-सा देश है,, क्षेत्रफल में हमारे हरियाणा राज्य से भी, , डच बोलने वाले समूहों के बीच तनाव बढ़ने, लगा। इन दोनों समुदायों के टकराव का, , , , छोटा। इसकी सीमाएँ फ्रांस, नीदरलैंड, जर्मनी, और लक्समबर्ग से लगती हैं। इसकी आबादी, एक करोड़ से थोड़ी अधिक है यानी हरियाणा, की आबादी से करीब आधी। इस छोटे से देश, , सबसे तीखा रूप ब्रूसेल्स में दिखा । यह एक, विशेष तरह की समस्या थी। डच बोलने, वाले लोग संख्या के हिसाब से अपेक्षाकृत, ज़्यादा थे लेकिन धन और समृद्धि के मामले, , , , के समाज की जातीय बुनावट बहुत जटिल है।, देश की कुल आबादी का 59 फ़ौसदी हिस्सा, फ्लेमिश इलाके में रहता है और डच बोलता, है। शेष 40 फ़ीसदी लोग वेलोनिया क्षेत्र में, रहते हैं और फ्रेंच बोलते हैं। शेष एक फ़ीसदी, लोग जर्मन बोलते हैं। राजधानी ब्रूसेल्स के 80, 'फ़ीसदी लोग फ्रेंच बोलते हैं और 20 फ़ौसदी, लोग डच भाषा।, , अल्पसंख्यक फ्रेंच-भाषी लोग तुलनात्मक, , में कमज़ोर और अल्पमत में थे।, , आइए, इस स्थिति की तुलना एक और, देश से करें। श्रीलंका एक द्वीपीय देश है, जो तमिलनाडु के दक्षिणी तट से कुछ, किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसकी, आबादी करीब दो करोड् है यानी हरियाणा, के बराबर। दक्षिण एशिया के अन्य देशों, की तरह श्रीलंका की आबादी में भी कई, जातीय समूहों के लोग हैं। सबसे प्रमुख, , , , रूप से ज़्यादा समृद्ध और ताकतवर रहे हैं।, , सामाजिक समूह सिंहलियों का है जिनकी, , , , बहुत बाद में जाकर आर्थिक विकास और, शिक्षा का लाभ पाने वाले डच-भाषी लोगों, , आबादी कुल जनसंख्या की 74 फ़ौसदी है।, फिर तमिलों का नंबर आता है जिनकी, , , , को इस स्थिति से नाराज़गी थी। इसके चलते, 1950 और 1960 के दशक में फ्रेंच और, , , , , , , , , कक ब्रूसेल्स-राजधानी क्षेत्र, छिल्ला बेलोन (फ्रेंच-भाषी), न्ननां फ्लेमिश (डच-भाषी), ह्छ्छ जर्मन-भाषी, , , , , , , , आबादी कुल जनसंख्या में 18 फ़ीसदी है।, तमिलों में भी दो समूह हैं-श्रीलंकाई मूल, , बेल्जियम के, समुदाय और क्षेत्र, , बेल्जियम और श्रीलंका के मानचित्रों को देखें। इनके किस इलाके में, विभिन्न समुदायों की सघन आबादी नज़र आ रही है?, , अधिक जानकारी के लिए, लॉग ऑन करें, #178:/009.08190७1.06/01, , , , 2019-20
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के तमिल (13 फ़ौसदी) और हिंदुस्तानी, तमिल जो औपनिवेशिक शासनकाल में, बागानों में काम करने के लिए भारत से, लाए गए लोगों की संतान हैं। मौजूदा श्रीलंका, के नक्शे पर गौर करें तो पाएँगे कि तमिल, मुख्य रूप से उत्तर और पूर्वी प्रांतों में, , अब ज्ञरा सोचिए कि ऐसी स्थिति में, क्या हो सकता था? बेल्जियम में डच-भाषी, लोग अपनी बड़ी संख्या के बल पर फ्रेंच-भाषी, और जर्मन-भाषी लोगों पर अपनी इच्छाएँ, थोप सकते थे। इससे उनके बीच की लड़ाई, और बढ़ जाती। संभव था इससे देश बाँट, , , , आबाद हैं। अधिकतर सिंहली-भाषी लोग, बौद्ध हैं जबकि तमिल-भाषी लोगों में कुछ, हिंदू हैं और कुछ मुसलमान। श्रीलंका की, आबादी में ईसाई लोगों का हिस्सा 7 फ़ौसदी, है और वे सिंहली और तमिल, दोनों भाषाएँ, बोलते हैं।, , श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद, , सन् 1948 में श्रीलंका स्वतंत्र राष्ट्र बना।, सिंहली समुदाय के नेताओं ने अपनी बहुसंख्या, के बल पर शासन पर प्रभुत्व जमाना चाहा।, इस वजह से लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित, सरकार ने सिंहली समुदाय की प्रभुता कायम, करने के लिए अपनी बहुसंख्यक-परस्ती के, तहत कई कदम उठाए।, , 1956 में एक कानून बनाया गया जिसके, तहत तमिल को दरकिनार करके सिंहली, को एकमात्र राजभाषा घोषित कर दिया गया।, विश्वविद्यालयों और सरकारी नौकरियों में, सिंहलियों को प्राथमिकता देने की नीति भी, चली। नए संविधान में यह प्रावधान भी, किया गया कि सरकार बौद्ध मत को संरक्षण, और बढ़ावा देगी।, , एक-एक करके आए इन सरकारी, फ़ैसलों ने श्रीलंकाई तमिलों की नाराज़गी, और शासन को लेकर उनमें बेगानापन बढ़ाया।, उन्हें लगा कि बौद्ध धर्मावलंबी सिंहलियों, के नेतृत्व वाली सारी राजनीतिक पार्टियाँ, उनकी भाषा और संस्कृति को लेकर, असंवेदनशील हैं। उन्हें लगा कि संविधान, और सरकार की नीतियाँ उन्हें समान, , जाता और ब्रूसेल्स पर दोनों पक्ष अपना-अपना, दावा ठोकते। श्रीलंका में सिंहली आबादी, का बहुमत और ज़्यादा था और वे लोग, मुल्क में अपनी मनमानी चला सकते थे।, आइए, अब यह देखें कि असल में दोनों, देशों में क्या-क्या हुआ?, , राजनीतिक अधिकारों से वंचित कर रही हैं।, नौकरियों और फ़ायदे के अन्य कामों में, उनके साथ भेदभाव हो रहा है और उनके, हितों की अनदेखी की जा रही है। परिणाम, यह हुआ कि तमिल और सिंहली समुदायों, के संबंध बिगड़ते चले गए॥, , जाफ़ना श्रीलंका के, ५ न््े समुदाय, , , , , सिंहली, श्रीलंकाई तमिलेओं, भारतवंशी सन, , 'ट्रिंकोमाली, , कोलंबो, , अधिक जानकारी के लिए, लॉग ऑन करें, ॥#/8:/090.90५.॥, , अलावा (बात बोले। भेद खोले, , बहुसंख्यकवाद : यह मान्यता कि, अगर कोई समुदाय बहुसंख्यक है, तो वह अपने मनचाहे ढंग से देश, का शासन कर सकता है और, इसके लिए वह अल्पसंख्यक, समुदाय की ज़रूरत या इच्छाओं, की अवहेलना कर सकता है।, , , , 2019-20
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बात बोले। भेद खोले, , गृहयुद्ध : किसी मुल्क में, सरकार विरोधी समूहों की, हिंसक लड़ाई ऐसा रूप ले ले, कि वह युद्ध सा लगे तो उसे, गृहयुद्ध कहते हैं।, , श्रीलंकाई तमिलों ने अपनी राजनीतिक, , परिणामस्वरूप दोनों पक्ष के हज़ारों लोग मारे, , , , पार्टियाँ बनाई और तमिल को राजभाषा बनाने,, क्षेत्रीय स्वायत्तता हासिल करने तथा शिक्षा, और रोज़गार में समान अवसरों की माँग को, लेकर संघर्ष किया। लेकिन तमिलों की आबादी, वाले इलाके की स्वायत्तता की उनकी माँगों, को लगातार नकारा गया। 1980 के दशक, तक उत्तर-पूर्वी श्रीलंका में स्वतंत्र तमिल, ईलम (सरकार) बनाने की माँग को लेकर, अनेक राजनीतिक संगठन बने।, , श्रीलंका में दो समुदायों के बीच पारस्परिक, अविश्वास ने बड़े टकराव का रूप ले लिया।, यह टकराव गृहयुद्ध में परिणत हुआ।, , बेल्जियम की समझदारी, , बेल्जियम के नेताओं ने श्रीलंका से अलग, रास्ता अपनाने का फ़ैसला किया। उन्होंने क्षेत्रीय, , जा चुके हैं। अनेक परिवार अपने मुल्क से, भागकर शरणार्थी बन गए हैं। इससे भी कई, गुना ज़्यादा लोगों की रोजी-रोटी चौपट हो, गई है। आपने पढ़ा है (दसवीं कक्षा के, अर्थशास्त्र की पाठ्यपुस्तक के पहले अध्याय, में) कि हमारे क्षेत्र के देशों में आर्थिक, विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य के मामले, में श्रीलंका का रिकॉर्ड सबसे अच्छा है पर, वहाँ के गृहयुद्ध से मुल्क के सामाजिक,, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन में काफ़ी, परेशानियाँ पैदा हुई हैं। 2009 में इस गृहयुद्ध, का अंत हुआ।, , समूह के सांसदों का बहुमत उसके पक्ष में, हो। इस प्रकार किसी एक समुदाय के लोग, , , , अंतरों और सांस्कृतिक विविधता को स्वीकार, किया। 1970 और 1993 के बीच उन्होंने, अपने संविधान में चार संशोधन सिर्फ़ इस, बात के लिए किए कि देश में रहने वाले, किसी भी आदमी को बेगानेपन का अहसास, न हो और सभी मिल-जुलकर रह सकें।, उन्होंने इसके लिए जो व्यवस्था की वह बहुत, ही कल्पनाशील है तथा कोई और देश ऐसा, नहीं कर पाया। बेल्जियम के मॉडल (विशेष, , एकतरफ़ा फ़ैसला नहीं कर सकते।, , ७ केंद्र सरकार की अनेक शक्तियाँ देश, के दो इलाकों की क्षेत्रीय सरकारों को सुपुर्द, कर दी गई हैं यानी राज्य सरकारें केंद्रीय, सरकार के अधीन नहीं हैं।, , ७ ब्रूसेल्स में अलग सरकार है और इसमें, दोनों समुदायों का समान प्रतिनिधित्व है।, फ्रेंच-भाषी लोगों ने ब्रूसेल्स में समान, प्रतिनिधित्व के इस प्रस्ताव को स्वीकार, , , , , , जानकारियों के लिए देखें बॉक्स) की कुछ, मुख्य बातें निम्नलिखित हें :, , ७ संविधान में इस बात का स्पष्ट प्रावधान, है कि केंद्रीय सरकार में डच और फ्रेंच-भाषी, मंत्रियों की संख्या समान रहेगी। कुछ विशेष, कानून तभी बन सकते हैं जब दोनों भाषायी, , , , किया क्योंकि डच-भाषी लोगों ने केंद्रीय, सरकार में बराबरी का प्रतिनिधित्व स्वीकार, किया था।, , धर 0६ ए& मल, , 1॥0080705, 8६२6, , €- १२१४० 21१८६, 6२0६5 ५२८ ४, , बेल्जियम की एक बस्ती का पता यहाँ दिए गए, , फ़ोटोग्राफ में आंकित है। गौर करें कि स्थान का, नाम और दिशा की जानकारी दो भाषाओं-पफ्रेंच, और डच में दी गई है।, , , , , , , , , , , , 2019-20
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७ केंद्रीय और राज्य सरकारों के अलावा, यहाँ एक तीसरे स्तर की सरकार भी काम, करती है यानी सामुदायिक सरकार। इस, सरकार का चुनाव एक ही भाषा बोलने, वाले लोग करते हैं। डच, फ्रेंच और जर्मन, बोलने वाले समुदायों के लोग चाहे वे जहाँ, भी रहते हों, इस सामुदायिक सरकार को, चुनते हैं। इस सरकार को संस्कृति, शिक्षा, और भाषा जैसे मसलों पर फ़ैसले लेने का, अधिकार है।, , आपको बेल्जियम का मॉडल कुछ जटिल, लग सकता है। निश्चित रूप से यह जटिल, है-खुद बेल्जियम में रहने वालों के लिए, भी। पर यह व्यवस्था बेहद सफल रही हे।, इससे मुल्क में गृहयुद्ध की आशंकाओं पर, विराम लग गया है वरना गृहयुद्ध की स्थिति, में बेल्जियम भाषा के आधार पर दो टुकड़ों, में बँट गया होता। जब अनेक यूरोपीय देशों, ने साथ मिलकर यूरोपीय संघ बनाने का, , अखब) - नचामा, , हट, , , , ब्रूसेल्स, बेल्जियम में स्थित यूरोपीय संसद, , फ़ैसला किया तो ब्रूसेल्स को उसका मुख्यालय, चुना गया।, , , , कोई एक अखबार पूरे हफ़्ते भर पढ़ें और फिर युद्धों और लड़ाइयों की, , खबरों की कतरनें जमा करें। पाँच-पाँच छात्रों के दो समूह एक साथ यह, काम कर सकते हैं। फिर दोनों समूह अपनी सारी कतरन साथ मिलाकर कुछ इस तरह से काम, , कर सकते हैं :, , ७ सारे झगड़ों को उनके स्थान (अपने प्रदेश, देश, देश से बाहर) के हिसाब से वर्गीकृत करें।, ७ इन टकरावों के कारण जानने की कोशिश करें। इनमें से कितने विवाद सत्ता के बँटवारे को, , लेकर हैं?, , ७ इनमें से किस-किस विवाद को सत्ता में साझेदारी तय करके सुलझाया जा सकता है?, , 773, न न नननननननन38;8;ट८गए"ए"7ए " 7२५7, , बेल्जियम और श्रीलंका की इन कथाओं से, हमें क्या शिक्षा मिलती है? दोनों ही देश, लोकतांत्रिक हैं। फिर भी सत्ता में साझेदारी, के सवाल को उन्होंने अलग-अलग ढंग से, निपटाने की कोशिश की। बेल्जियम के, नेताओं को लगा कि विभिन्न समुदाय और, क्षेत्रों की भावनाओं का आदर करने पर ही, देश की एकता संभव है। इस एहसास के, , चलते दोनों पक्ष सत्ता में साझेदारी करने, पर सहमत हुए। श्रीलंका में ठीक उलटा, रास्ता अपनाया गया। इससे यह पता चलता, है कि अगर बहुसंख्यक समुदाय दूसरों पर, प्रभुत्त कायम करने और सत्ता में उनको, हिस्सेदार न बनाने का फ़ैसला करता है तो, इससे देश की एकता ही संकट में पड़, सकती है।, , , , 2019-20