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(a) अजैविक घटक-सभी निर्जीव घटक, जैसे-हवा, पानी, भूमि , प्रकाश और तापमान आदि, मिलकर अजैविक घटक बनाते हैं।, (b) जैविक घटक -सभी सजीव घटक; जैसे-पौधे, जानवर, सूक्ष्मजीव , फफूंदी आदि मिलकर, जैविक घटक बनाते हैं।, आहार के आधार पर जैविक घटकों को निम्न में बाँटा गया है -, 1. उत्पादक-सभी हरे पौधे, नील-हरित शैवाल अपना भोजन ( शर्करा व स्टार्च) अकार्बनिक, पदार्थों से सूर्य की रोशनी का प्रयोग करके बनाते हैं। (प्रकाश संश्लेषण), 2. उपभोक्ता-ऐसे जीव जो अपने निर्वाह के लिए परोक्ष या अपरोक्ष रूप से उत्पादकों पर, निर्भर करते हैं।, उपभोक्ताओं को निम्न प्रकार में बाँटा गया है -, (i) शाकाहारी-पौधे व पत्ते खाने वाले; जैसे-बकरी, हिरण।, (ii) माँसाहारी-माँस खाने वाले; जैसे-शेर, मगरमच्छ।, (iii) सर्वाहारी पौधे व माँस दोनों खाने वाले; जैसे-कौआ, मनुष्य ।, (iv) परजीवी - दूसरे जीव के शरीर में रहने व भोजन लेने वाले; जैसे-जूँ, अमरबेल।, 3. अपघटक-फफूँदी व जीवाणु जो कि मरे हुए जीव व पौधे के जटिल पदार्थों को सरल पदार्थो, में विघटित कर देते हैं। इस प्रकार अपघटक स्रोतों की भरपाई में मदद करते हैं।, आहार शृंखला, आहार शृंखला एक ऐसी श्रृंखला है जिसमें एक जीव दूसरे जीव को भोजन के रूप में खाते, है; उदाहरण-घास, हिरण - शेर, ->, एक आहार श्रृंखला में, उन जैविक घटकों को जिनमें ऊर्जा का स्थानांतरण होता है, पोषीस्तर, कहलाता है।, एक आहार शृंखला में ऊर्जा का स्थानांतरण एक दिशा में होता है।, हरे पौधे सूर्य की ऊर्जा का 1% भाग जो पत्तियों पर पड़ता है, अवशोषित करते हैं ।, 10% नियम -एक पोषी स्तर से दूसरे पोषी स्तर में केवल 10% ऊर्जा का स्थानांतरण होता है।, जबकि 90% ऊर्जा वर्तमान पोषी स्तर में जैव क्रियाओं में उपयोग होती है ।, उपभोक्ता के अगले स्तर के लिए ऊर्जा की बहुत ही कम मात्रा उपलब्ध हो पाती है, अत:, आहार शृंखला में सामान्यत: तीन अथवा चार चरण ही होते हैं।, हमारा पर्यावरण, 83, 4