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पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर, 1. सेनानी न होते हुए भी चश्मे वाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे ?, उत्तर-निश्चय ही चश्मे वाला सेनानी नहीं था । वह शरीर से कमजोर और बूढ़ा था लेकिन उसके मन में देशभक्ति की, प्रबल भावना थी। सुभाषचन्द्र की बिना चश्मे वाली मूर्ति देखकर वह बड़ा दुखी हुआ। इसलिए वह अपने पास से एक, चश्मा मूर्ति की आँखों पर लगा देता था। उसकी देशभक्ति की भावना को देखकर लोग उसे कैप्टन कहते थे।, हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरन्त रोकने को, कहा-, (क) हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?, (ख) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?, ) हालदार साहब इतनी-सी बात पर भावुक क्यों हो उरठे?
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168, हिंदी (अ)-X, उत्तर- (क) हालदार साहब पहले मायूस इसलिए हो गए थे क्योंकि कैप्टन की मृत्यु हो गई थी। अत: अब सा, में सुभाषचन्द्र बोस की बिना चश्मे वाली मर्ति को चश्मा पहनाने वाला कोई नहीं होगा।, (ख) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा यह उम्मीद जगाता है कि भारतभूति आज भी देशभक्ति से शून्य नहीं हई ।., यदि चश्मे बेचने वाला कैप्टन नहीं रहा तो अन्य लोग इस दायित्व का निर्वाह कर सकते हैं। सरक, चश्मा निश्चय ही किसी गरीब ने बनाया होगा जो यह सिद्ध करता है कि हमारी भावी पीढ़ी राष्ट्रीय सेस, के प्रति सजग है।, (ग) हालदार साहब के लिए सुभाष की मूर्ति पर चश्मा लगाना इतनी-सी बात नहीं थी। उनके लिए ग, महत्त्वपूर्ण बात थी। उनके मन में यह आशा जागी कि देश के प्रत्येक कस्बे में आज भी देशभक्ति जीवित, है, यही नहीं देश की नई पीढ़ी भी इस दायित्व को संभालने के लिए तैयार है।, 3. आशय स्पष्ट कीजिए-, "बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-जिंदगी सब कुछ होड, देने वालों पर हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढती है?", उत्तर-चश्मा बेचने वाले कैप्टन की मौत का समाचार सुनकर हालदार साहब उदास हो गए। वे सोचने लगे कि कैप्टन जैसे, लोग ही देश के लिए आशा की किरण के समान थे । अन्यथा हमारी कौम उन लोगों का मजाक उड़ाती है जो देश के लिए, अपने घर-परिवार, अपने यौवन तथा अपने जीवन को भी न्यौछावर कर देते हैं। प्रायः छोटे से स्वार्थ को पूरा करने के लिए, स्वयं को बेच देते हैं। ऐसे लोगों में न तो स्वाभिमान है और न ही देश के लिए प्रेम है। अत: इस प्रकार के लोग देश का, उद्धार नहीं कर सकते।, 4. पान वाले का एक रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिए।, उत्तर-पान वाले की दुकान पर भी पान थे तथा उसका मुख भी पान से भरा रहता था। वह मुँह से बात नहीं कर सकता, प था इसलिए जब कोई उससे बात पूछी जाती तो पहले वह पीछे मुड़कर पान थूकता और फिर बात करता। वह स्वभाव से, बड़ा रसिया, हसौड़ा तथा मजाकिया था। शरीर का मोटा होने के कारण उसकी तोंद निकली रहती थी। जब हँसता था तो, उसकी तोंद हिलने लगती थी और पान खाने के कारण लाल-काले दाँत खिल उठते थे, 5. "वो लगड़ा क्या जाएगा फौज में। पागल है पागल !" कैप्टन के प्रति पान वाले की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया, लिखिए ।, उत्तर-पान वाले की यह टिप्पणी सर्वथा अनुचित है। उसे तो चश्मे वाले कैप्टन की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए, था क्योंकि वह सुभाषचन्द्र बोस की मूर्ति की आँखों पर अपनी ओर से चश्मा लगाता था। चश्मे के बिना उसे नेताजी की, मूर्ति अधूरी लगती थी। उसकी यह भावना उसकी देशभक्ति को प्रकट करती है। निश्चय ही कैप्टन के बारे में पान वाले, का उपयुक्त कथन दुर्भाग्यपूर्ण है।, रचना और अभिव्यक्ति, 6. निम्नलिखित वाक्य पात्रों की कौन-सी विशेषता की ओर संकेत करते हैं-, (क) हालदार साहब हमेशा चौराहे पर रुकते और नेताजी को निहारते।, (ख) पान वाला उदास हो गया। उसके पीछे मुड़कर मुँह का पान नीचे थूका और सिर झुकाकर अपनी धोती के, सिरे से आँखें पोंछता हुआ बोला-साहब ! कैप्टन मर गया।, (ग) कैप्टन बार-बार मूर्ति पर चश्मा लगा देता था।, उत्तर- (क) यह वाक्य हालदार साहब की देशभक्ति की भावना को प्रकट करता हैं। वे चौराहे पर रुककर सुभाषचन्र, बोस की मूर्ति के प्रति सम्मान की भावना व्यक्त करते थे । मर्ति के चश्मे के बारे में उनकी जिज्ञासा भा, उनकी देशभक्ति का प्रमाण है।, vivo V19, Perfect Shot, Mills, 0 45001, IER &K, OPIER J
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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर, 1. हालदार साहब द्वारा ड्राइवर को 'नेताजी का चश्मा' पाठ में वर्णित कस्बे में न रुकने का निर्देश कब और किस, विचार के कारण दिया गया था? स्पष्ट कीजिए।, उत्तर-हालदार साहब को पता चला कि चश्मे वाला कैप्टन मर गया है। उन्होंने विचार किया कि अब उस कस्बे के चाक
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नेताजी का चश्मा, 173, पर लगी नेताजी की मूर्ति पर चश्मा नहीं होगा। यह सोचकर वे व्याकुल हो उठे। उनका उस चौराहे पर जाने का और नेताजी, की अधुरी मूर्ति देखने का मन ही नहीं हुआ। इसलिए उन्होंने अपने ड्राइवर को निर्देश दिया कि वह कस्बे पर जीप न रोके।, "पानवाला एक हँसमुख स्वभाव वाला व्यक्ति है, परंतु उसके हृदय में संवेदना भी है।" इस कथन पर अपने विचार, | व्यक्त कीजिए।, उत्तर-पान वाला स्वभाव से हेसोड़ है। अत: वह चश्मे वाले की देशभक्ति का मजाक उड़ाता है। उसकी हरकतों पर हँसता, है। लेकिन एक दिन जब वह मर जाता है तो उसे महसूस होता है कि उस कस्बे में अब सुभाषचंद्र बोस की मूर्ति पर चश्मा, लगाने वाला कोई नहीं रहा। मात्र वही एक देश भक्त था । इस बात को याद करके उसकी, शिय कर, हाते मे, में ऑँसू आ गए।, 3. हालदार साहब और कैप्टन के चरित्र की दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।, उत्तर-हालदार साहब और कैप्टन दोनों की दो विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-, 1. देशभक्त-दोनों देशभक्त और नेताजी सुभाषचंद्र बोस के परम भक्त हैं। कैप्टन नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगाकर, अपनी श्रद्धा प्रकट करता है और हालदार साहब उसकी प्रशंसा करके।, को स, 2. श्रद्धालु-दोनों परम श्रद्धालु हैं। वे सुभाषचंद्र बोस के प्रति अपनी श्रद्धा को छिपाते नहीं, बल्कि प्रकट करते हैं। वे, अपने व्यस्त समय में से कुछ समय नेताजी के लिए निकालना अपना कर्तव्य मानते हैं।, 4. "सरकंडे का चश्मा-भर नहीं था बल्कि हालदार साहब के लिए उसके कई अर्थ थे।" उन अर्थों को स्पष्ट कीजिए।, उत्तर-कैप्टन की मृत्यु के पश्चात् कस्बे वालों ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मूर्ति पर सरकंडे का बना हुआ चश्मा लगा, दिया। यह चश्मा हालदार साहब के लिए केवल एक चश्मा मात्र नहीं था, बल्कि देशभक्ति का प्रतीक था। कस्बे वालों, ने सरकंडे का चश्मा लगाकर सुभाषचंद्र बोस के प्रति और अपने देश के प्रति श्रद्धा व्यक्त की थी।, 5. कैप्टन कौन था? वह मूर्ति के चश्मे को बार-बार क्यों बदल देता था?, उत्तर-कैप्टन नेताजी सुभाषचंद्र बोस का परम भक्त था। वह चौराहे पर लगी उनकी मूर्ति पर चश्मा न देखकर आहत था।, वह स्वयं फेरी लगाकर चश्मे बेचता था। अतः वह नेताजी की मूर्ति पर कोई-न-कोई चश्मा लगा देता था परंतु जब किसी, ग्राहक को मूर्ति पर लगा चश्मा पसंद आ जाता था, तो चश्मेवाला उसे बेचकर उसके स्थान पर कोई दूसरा चश्मा लगा देता, था। इस कारण चश्मा बार-बार बदल जाता था।, 6. आपके विचार से 'पानवाला' या 'कैप्टन' में से असली लँगड़ा कौन है? पठित पाठ के आधार पर लिखिए।, उत्तर-मेरे विचार से परीक्षक 'असली लँगड़ा' शब्द का अर्थ ले रहा है-पंगु अथवा कर्महीन। इस दृष्टि से विचार करें, तो पान वाला असली लँगड़ा कहलाएगा। पान वाला जीवन भर बातें ही करता रहा। उसने देश के लिए कोई भी काम नहीं, किया। कैप्टन चाहे शरीर से लँगड़ा था, पर उसने नेताजी के सम्मान में उससे जो हो सकता था, किया। इसलिए वह लँगड़ा, नहीं, समर्थ है।, उत्तर-कैप्टन की मृत्यु का समाचार देते समय पान वाला उदास हो जाता है। कारण यह है कि वह भी मन-ही-मन उस, कैप्टन का सम्मान करता है।, 7. कैप्टन की मृत्यु का समाचार देते वक्त पान वाला उदास हो जाता है, क्यों?, 8. मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा देखकर हालदार साहब को कैसा महसूस हुआ तथा वह किस भाव को इंगित करता है?, उत्तर-मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा देखकर हालदार साहब बहुत प्रसन्न हुए वे लोगों की देशभक्ति पर रोमांचित हो उठे और, उनकी आँखों से खुशी के आँसू उमड़ आए।, 9. हालदार साहब की पान वाले से ज्यादा पूछताछ की हिम्मत क्यों नहीं हुई और फिर वे कितने दिनों तक उस कस्बे, से गुजरे और उन्हें प्रतिमा पर किस-किस प्रकार के बदलते हुए चश्मे दिखाई पड़ते रहे?, उत्तर-हालदार साहब ने पान वाले से चश्मे वाले कैप्टन के विषय में अधिक पूछना चाहा तो पान वाले ने बताने से इन्कार, कर दिया। अत: अब उनकी पान वाले से पूछने की हिम्मत नहीं हुई। उसके उपरांत वे दो साल तक उस कस्बे से गुजरते, रहे। उन्हें नेताजी की प्रतिमा पर अलग- अलग प्रकार के चश्में लगे दिखाई पड़े-कभी गोल तो कभी चौकोर; कभी लाल, तो कभी काला; कभी धूप का चश्मा तो कभी बड़े काँचों वाला गोगो चश्मा।, छेसे