Page 1 :
ব का पति तथा अमित का मत्र है। वह मेरठ में एक फ़ैक्ट्री का मालिक है। वह देखने में, हि में, । पैसे, बैटे अनूप, रदर्शी, जीवन, जर नीलिमा का भाई है। जो अपनी पढ़ाई पूरी कर दिल्ली में डॉक्टर बन गया है। अपने मनोभावों को, नहीं, কर पाता। मन ही मन मनू की प्यार करता है तथा उससे विवाह भी करना चाहता है किंतु झिझक, बोल नहीं पाता। वह एक आकर्षक, बुद्धिमान तथा होनहार युवक है।, री है।, पनोहर, दोहा राजो का चरचेरा भाई है। वह एक फ़ैक्टरी में काम करता था किंतु एक दुर्घटना के कारण वह अपाहिज, र चहाता है। अपाहिज होने के बाद भी वह मीनू के विवाह में काम करने आता है। स्वाभिमानी है। मीनू की मदद, पाता, में है, माफ़ी, मसे वह एक पान की दुकान खोलता है और स्वाभिमान भरा जीवन जीता है।, राजो, को, राजो दयाराम जी के घर काम करने वाली की पुत्री है। मीनू जब वकालत शुरू करने मेरठ जाती है तब मीनू, को माँ मीनू की मदद के लिए राजो को उसके साथ भेज देती है। राजो एक समझदार, सीधी-सादी लड़की है।, उसमें सेवा-भाव है तथा मीनू के लिए फ्रिकमंद है। मीनू के देर से घर आने पर चिंतित हो जाती है। मीनू का, पूरा ध्यान रखती है। उसे अकेला महसूस नहीं होने देती है।, भाभी, न्यास, माया, माया अलीगढ़ में रहने वाली मीनू की सहेली है। वह मेरठ में मीनू के साथ वकालत की पढ़ाई कर रही है।, माया स्वभाव से सरल, समझदार और मददगार है। निःस्वार्थ है। मीनू के बीमार होने पर उसकी बहुत अच्छी तरह, से देखभाल करती है। अतः हम कह सकते है कि वह एक बहुत अच्छी और समझदार युवती है।, अपनी, उन्हें, उपन्यास का उद्देश्य, लाख, नया रास्ता' एक सामाजिक एवं पारिवारिक उपन्यास है। जिसकी लेखिका सुषमा अग्रवाल हैं। इस उपन्यास, 12, ददश्य सभी लड़कियों को पढ-लिखकर अपने पैरों पर खड़ा होने तथा स्वावलंबी बनने के लिए प्रोत्साहित, इस उद्देश्य को पूरा उपन्यास की प्रमुख पात्र 'मीनू' कर रही है। मीनू उन सभी लड़कियों का, नमित, ाष करती है जो सर्वगण संपन्न होने के बावजूद सिर्फ साधारण रूप-रंग के कारण अस्वीकार कर, है। या दहेज की माँग परी न होने के कारण रिश्ता टूट जाता ह।, कोई, च्यास का मुख्य उददेश्य मीन जैसी उन सभी लड़कियों को 'नया रास्ता' दिखाना है, जिससे वे स्वयं, वये शत हुए समाज का सामना हिम्मत. साहस और धैर्य के साथ करें। पढ़-लिखकर आत्मनिर्भर बनकर, दागों केहपान बना सकती हैं। हमारे समाज में आज भी मायाराम जी तथा धनीमल जी जैसे व्यक्ति हैं। ऐसे, विधान रहते हुए उन्हें सही सबक सिखाना भी इस उपन्यास का उद्देश्य है।, न पर, र करकहे सकते हैं कि उपन्यास का उददेश्य युवतियों में स्वाभिमान की भावना तथा नई चेतना का, को हासिल कर पाएँ।, 177