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3. एक कुशल गाइड को चाहिए कि वो अपने भ्रमणकर्ता के हर प्रश्नों के उत्तर देने में सक्षम हो।, 4. एक कुशल गाइड को अपनी विश्वसनीयता का विश्वास अपने भ्रमणकर्ता को दिलाना, आवश्यक है। तभी वह एक आत्मीय रिश्ता कायम कर अपने कार्य को कर सकता है।, , 5. गाइड को कुशल व बुद्धिमान व्यक्ति होना आवश्यक है। ताकि समय पड़ने पर वह विषम, परिस्थितियों का सामना अपनी कुशलता व बुद्धिमानी से कर सके व अपने भ्रमणकर्ता की, सुरक्षा कर सके।, , 6. गाइड को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि भ्रमणकर्ता की रूचि पूरी यात्रा में बनी रहे, ताकि भ्रमणकर्ता के भ्रमण करने का प्रयोजन सफल हो। इसके लिए उसे हर उस छोटे बड़े, प्राकृतिक रहस्यों व बातों का ज्ञान हो जो यात्रा को रूचिपूर्ण बनाए।, , 7. एक कुशल गाइड की वाणी को प्रभावशाली होना आवश्यक है इससे पूरी यात्रा प्रभावशाली, बनती है और भ्रमणकर्ता की यात्रा में रूचि भी बनी रहती है।, , 7. इस यात्रा-वृत्तांत में लेखिका ने हिमालय के जिन-जिन रूपों का चित्र खींचा है, उन्हें अपने, शब्दों में लिखिए।, , उत्तर, , इस यात्रा वृतांत में लेखिका ने हिमालय के पल-पल परिवर्तित होते रुप को देखा है। ज्यों-ज्यों, ऊँचाई पर चढ़ते जाएँ हिमालय विशाल से विशालतर होता चला जाता है। हिमालय कहीं चटक, हरे रंग का मोटा कालीन सके हु , तो कहीं हल्का पीलापन लिए हुए प्रतीत होता है। चारों, तरफ़ हिमालय की गहनतम और फूलों से लदी घाटियाँ थी। कहीं प्लास्टर उखड़ी, दिवार की तरह पथरीला और देखते-ही-देखते सब डू समाप्त हो जाता है मानो किसी ने जादू, की छडी घूमा दी हो। कभी बादलों की मोटी चादर के रूप में,सब कुछ बादलमय दिखाई देता, है तो कभी कुछ और। कटाओ से आगे बढ़ने पर पूरी तरह बर्फ से ढके पहाड़ दिख रहे थे।, चारों तरफ दूध की धार की तरह दिखने वाले जलप्रपात थे तो वहीं नीचे चाँदी की तरह कौंध, मारती तिस्ता नदी। जिसने लेखिका के हृदय को आनन्द से भर दिया। स्वयं को इस पवित्र, वातावरण में पाकर भावविभोर हो गई जिसने उनके हृदय को काव्यमय बना दिया।, , 8. प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका को कैसी अनुभूति होती है?, उत्तर, , प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरुप को देखकर लेखिका को लगा कि इस सारे परिदृश्य, को वह अपने अंदर समेट ले। लेखिका चित्रलिखित सी 'माया' और 'छाया 'के अनूठे खेल को, भर-भर आँखों से देखती जा रही थी। उसे लगा कि प्रकृति उसे सयानी बनाने के लिए जीवन, रहस्यों करने पर तुली हुई है। इन अद्भुत और अनूठे नजारों ने लेखिका को पल भर में ही, जीवन की शक्ति का अनुभव करा दिया। उसे ऐसा लगने लगा जैसे वह देश व काल की, पारापार से दूर,बहती धारा बनकर बह रही हो और उसकी मन के सारा मैल और वासनाएँ इस, निर्मल धारा में बह कर नष्ट हो गई हो।