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पर्वत प्रदेश में पावस, पाठ: 5
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पाठ - का सार, कवि ने इस कविता में प्रकृति का ऐसा वर्णन किया है कि लग रहा है कि प्रकृति सजीव हो उठी है।, , कवि कहता है कि वर्षा ऋतु में प्रकृति का रूप हर पल बदल रहा है कभी वर्षा होती है तो कभी धूप निकल आती है।, , पर्वतो से गिरते हुए झरने कल कल की मधुर आवाज कर रहे हैं जो नस नस को प्रसन्नता से भर रहे हैं। पर्वतों पर उगे हुए पेड़ शांत आकाश को ऐसे देख रहे हैं जैसे वो उसे छूना चाह रहे हों।
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आइए अब पाठ आरम्भ करते है
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कविता - पर्वत प्रदेश में पावस, पाठ 5
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पाठ व्याख्या
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प्रसंग:-:व्याख्या, प्रसंग -: इसमें कवि ने वर्षा ऋतु का सुंदर वर्णन किया है।, , व्याख्या -: कवि कहता है कि पर्वतीय क्षेत्र में वर्षा ऋतु का प्रवेश हो गया है। जिसकी वजह से प्रकृति के रूप में बार बार बदलाव आ रहा है अर्थात कभी बारिश होती है तो कभी धूप निकल आती है।
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प्रसंग -: इसमें कवि ने पर्वतों का सजीव चित्रण किया है।, , व्याख्या -: इस पद्यांश में कवि ने पहाड़ों के आकार की तुलना करघनी अर्थात कमर में बांधने वाले आभूषण से की है । कवि कहता है कि करघनी के आकर वाले पहाड़ अपनी हजार पुष्प रूपी आंखें फाड़ कर नीचे जल में अपने विशाल आकार को देख रहे हैं।ऐसा लग रहा है कि पहाड़ ने जिस तालाब को अपने चरणों में पाला है वह तालाब पहाड़ के लिए विशाल आईने का काम कर रहा है।, प्रसंग:-:व्याख्या
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प्रसंग -: इसमें कवि ने झरनों की सुंदरता का वर्णन किया है।, , व्याख्या -: इस पद्यांश में कवि कहता है कि मोतियों की लड़ियों के समान सुंदर झरने झर झर की आवाज करते हुए बह रहे हैं ,ऐसा लग रहा है की वे पहाड़ों का गुणगान कर रहे हों। उनकी करतल ध्वनि नस नस में उत्साह अथवा प्रसन्नता भर देती है।पहाड़ों के हृदय से उठ-उठ कर अनेकों पेड़ ऊँच्चा उठने की इच्छा लिए एक टक दृष्टि से स्थिर हो कर शांत आकाश को इस तरह देख रहे हैं, मनो वो किसी चिंता में डूबे हुए हों। अर्थात वे हमें निरन्तर ऊँच्चा उठने की प्रेरणा दे रहे हैं।, प्रसंग:-:व्याख्या
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प्रसंग -: इसमें कवि ने बारिश के कारण प्रकृति का बिल्कुल बदला हुआ रूप दर्शाया है।, , व्याख्या -: इस पद्यांश में कवि कहता है कि तेज बारिश के बाद मौसम ऐसा हो गया है कि घनी धुंध के कारण लग रहा है मानो पेड़ कही उड़ गए हों अर्थात गायब हो गए हों। ऐसा लग रहा है कि पूरा आकाश ही धरती पर आ गया हो केवल झरने की आवाज़ ही सुनाई दे रही है। प्रकृति का ऐसा भयानक रूप देख कर शाल के पेड़ डर कर धरती के अंदर धंस गए हैं। चारों ओर धुँआ होने के कारण लग रहा है कि तालाब में आग लग गई है। ऐसा लग रहा है कि ऐसे मौसम में इंद्र भी अपना बादल रूपी विमान ले कर इधर उधर जादू का खेल दिखता हुआ घूम रहा है।, प्रसंग:-:व्याख्या
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प्रष्न उत्तर, प्रश्न 1-: पावस ऋतु में प्रकृति में कौन -कौन से परिवर्तन आते हैं ? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।, उत्तर-: वर्षा ऋतु में मौसम हर पल बदलता रहता है। कभी तेज़ बारिश आती है तो कभी मौसम साफ हो जाता है। पर्वत अपनी पुष्प रूपी आँखों से अपने चरणों में स्थित तालाब में अपने आप को देखता हुआ प्रतीत होता है। बादलों के धरती पर आ जाने के कारण ऐसा लग रहा है कि जैसे आसमान धरती पर आ गया हो और कोहरा धुएं की तरह लग रहा है जिसके कारण लग रहा है कि तालाब में आग लग गई हो।
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प्रश्न 2-: 'मेखलाकार ' शब्द का क्या अर्थ है ?कवि ने इस शब्द का प्रयोग यहाँ क्यों किया है?, उत्तर -: 'मेखलाकार ' शब्द का अर्थ है - करघनी अर्थात कमर का आभूषण। कवि ने यहाँ इस शब्द का प्रयोग इसलिए किया है क्योंकि वर्षा ऋतु में पर्वतों की श्रृंखला करघनी की तरह टेडी मेडी लग रही है। अतः कवि ने पर्वतों की श्रृंखला की तुलना करघनी से की है।, प्रष्न उत्तर
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प्रश्न 3-: 'सहस्र दृग - सुमन ' से क्या तात्पर्य है? कवि ने इस पद का प्रयोग किसके लिए किया होगा ?, उत्तर-: 'सहस्र दृग - सुमन ' से कवि का तात्पर्य पहाड़ों पर खिले हजारों फूलों से है। कवि को ये फूल पहाड़ ही आंखों के समान लग रहे हैं अतः कवि ने इस पद का प्रयोग किया है।, प्रष्न उत्तर
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प्रश्न 4-: कवि ने तालाब की समानता किसके साथ दिखाई है और क्यों ?, उत्तर-: कवि ने तालाब की समानता आईने के साथ दिखाई है क्योंकि तालाब पर्वत के लिए आईने का काम कर रहा है वह स्वच्छ और निर्मल दिखाई दे रहा है।, प्रष्न उत्तर
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प्रश्न 5 -: पर्वत के ह्रदय से उठ कर ऊँचे ऊँचे वृक्ष आकाश की ओर क्यों देख रहे थे और वे किस बात को प्रतिबिंबित करते हैं ?, उत्तर-: पर्वत पर उगे ऊँचे ऊँचे वृक्ष चिंता में डूबे हुए लग रहें हैं जैसे वे शांत आकाश को छूना चाहते हों। ये वृक्ष मनुष्यों की सदा ऊपर उठने और आगे बढ़ने की और संकेत कर रहे हैं।, प्रष्न उत्तर
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प्रश्न 6 -: कवि ने तालाब की समानता किसके साथ दिखाई है और क्यों?, उत्तर-: कवि ने तालाब की समानता दर्पण से की है। जिस प्रकार दर्पण से प्रतिबिंब स्वच्छ व स्पष्ट दिखाई देता है, उसी प्रकार तालाब का जल स्वच्छ और निर्मल होता है। पर्वत अपना प्रतिबिंब दर्पण रुपी तालाब के जल में देखते हैं।, प्रष्न उत्तर
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प्रश्न 7 -: पावस ऋतु में प्रकृति में कौन-कौन से परिवर्तन आते हैं? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए?, उत्तर-: वर्षा ऋतु में मौसम बदलता रहता है। तेज़ वर्षा होती है। जल पहाड़ों के नीचे इकट्ठा होता है तो दर्पण जैसा लगता है। पर्वत मालाओं पर अनगिनत फूल खिल जाते हैं। ऐसा लगता है कि अनेकों नेत्र खोलकर पर्वत देख रहा है। पर्वतों पर बहते झरने मानो उनका गौरव गान गा रहे हैं। लंबे–लंबे वृक्ष आसमान को निहारते चिंतामग्न दिखाई दे रहे हैं। अचानक काले–काले बादल घिर आते हैं। ऐसा लगता है मानो बादल रुपी पंख लगाकर पर्वत उड़ना चाहते हैं। कोहरा धुएँ जैसा लगता है। इंद्र देवता बादलों के यान पर बैठकर नए–नए जादू दिखाना चाहते हैं।, प्रष्न उत्तर
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धन्यवाद