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यहाँ हम हिंदी कक्षा 10 के "संचयन भाग-2" के पाठ-3 "टोपी शुक्ल" कहानी के लेखक परिचय, ,, कठिन-शब्दों के अर्थ और ४८छाश' की पुस्तक के अनुसार प्रश्नों के उत्तर, इन सभी का वर्णन कर, , , , रहे हैं। छात्रों के लिए 10वीं क्लास सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है, इसलिए एनसीआरटी अपने, सेलेब्स में उन टॉपिक को जरूर कवर करती है जो परीक्षा के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण होती, है। तो चलिए जानते हैं " 1091 #ए०७ ०1४४५ 10 के बारे में 1,०४०४९० ४00 के साथ।, , लेखक परिचय, , लेखक - राही मासूम रज़ा, जन्म - 1 सितम्बर 1927 (पूर्वी उत्तर प्रदेश, गाजीपुर (गंगौली), मृत्यु - 15 मार्च 1992, , राही मासूम रज़ा का जीवन परिचय, , , , टोपी शुक्ला पाठ के लेखक राही मासूम रज़ा जी हैं | इनका जन्म 1 सितंबर 1927 को पूर्वी उत्तर, प्रदेश के गाजीपुर के गंगौली गाँव में हुआ था |इनकी मृत्यु 15 मार्च 1992 को हुआ था | इन्होंने, गाँव में ही शुरूआती शिक्षा पूरी करने के बाद अलीगढ़ युनिवर्सिटी से उर्दू साहित्य में अपनी, , पीएच. डी. पूर्ण की | तत्पश्चात्, वहीं पर कुछ वर्षों तक अध्यापन कार्य भी करते रहे |फिर रज़ा, , , , साहब मुम्बई चले गए, जहाँ पर उन्होंने सैंकड़ों फिल्मों की पटकथा, संवाद और गीत लिखे |, प्रसिद्ध धारावाहिक 'महाभारत' की पटकथा, संवाद और गीत लेखन ने उन्हें इस क्षेत्र में सर्वाधिक, ख्याति दिलाई।, , , , राही साहब ने अपने लेखन के माध्यम से जनता को बाँटने वाली शक्तियों, राजनीतिक दलों,, व्यक्तियों तथा संस्थाओं का खुलकर विरोध किया है। उन्होंने संकीर्णताओं और अंधविश्वासों, धर्म, और राजनीति के स्वार्थी गठजोड़ आदि को भी बेनकाब किया है | राही साहब एक ऐसे, कवि-कथाकार थे, जिनके लिए भारतीयता आदमीयत का पर्याय रही |राही साहब के सम्पूर्ण, लेखन में आम हिन्दुस्तानी की पीड़ा, दुःख दर्द, उसकी संघर्ष क्षमता की अभिव्यक्ति है।
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1ृ0फ़ां शरापोद4 8प्रा वा, , 'टोपी शुक्ला'कहानी के लेखक 'राही मासूम रजा'हैं। इस कहानी के माध्यम से लेखक बचपन की, , , , बात करता है। बचपन में बच्चे को जहाँ से अपनापन और प्यार मिलता है वह वहीं रहना चाहता, , है।, , , , यह नामों का जो चक्कर होता है वह बहुत ही अजीब होता है। परन्तु खुद देख लीजिए कि केवल, नाम बदल जाने से कैसी-कैसी गड़बड़ हो जाती है। यदि नाम कृष्ण हो तो उसे अवतार कहते हैं, और अगर नाम मुहम्मद हो तो पैगम्बर (अर्थात पैगाम देने वाल्ा)। कहने का अर्थ है की एक को, ईश्वर और दूसरे को ईश्वर का पैगाम देने वाला कहा जाता है। नामों के चक्कर में पड़कर लोग, यह भूल जाते हैं कि दोनों ही दूध देने वाले जानवरों को चराया करते थे। दोनों ही पशुपति,, गोवर्धन और ब्रज में रहने वाले कुमार थे।, , , , , , प्रस्तुत पाठ में भी लेखक ने दो परिवारों का वर्णन किया है जिसमें से एक हिन्दू और दूसरा, मुस्लिम परिवार है। दोनों परिवार समाज के बनाए नियमों के अनुसार एक दूसरे से नफ़रत करते, हैं परन्तु दोनों परिवार के दो बच्चों में गहरी दोस्ती हो जाती है। ये दोस्ती दिखती है कि बच्चों, की भावनाएँ किसी भेद को नहीं मानती।, , , , आज के समाज के लिए ऐसी ही दोस्ती की आवश्यकता है। जो धर्म के नाम पर खड़ी दीवारों को, गिरा सके और समाज का सर्वागीण विकास कर सके।, , कठिन-शब्दों के अर्थ, , 1. घपला - गड़बड़, डेवलपमेंट - विकास, परम्पराएँ - रीती रिवाज़, , क्री ४०, , अटूट - जिसे तोड़ा न जा सके, 5. मौलवी - इस्लाम धर्म का आचार्य, 6. काफ़िर - गैर मुस्लिम