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प्रश्न 5. लोग स्टेक में घूमते हुए चक्र को देखकर लेखिका को पूरे भारत की आत्मा एक सी क्यों दिखाई दो ?, JA. I. CBSE 2010:, उत्तर-यूमथाग के मार्ग पर लेखिका ने एक कटिया के भीतर घूमता चक्र देखा । नागे ने उसे बताया कि वह श्रमेचक्र, था । उसे बोद्ध लोग प्रार्थना के समय घमाते हैं । इसको ममाने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं । यह सुनकर लेखिका को लगा, कि पूरे भारत के निवासियों की आत्मानभति एक जैसी है । धार्मिक प्रतीकों के अलग होते हुए भी आस्थाएँ, विश्वास,, पाप-पुण्य, अधविश्वास सब में एक जैसे हैं । चाहे मैदान हो या पहाड़ और चाहे कितनी भी वैज्ञानिक प्रगति हो चुकी हो, यह, प्रवृत्ति एक जैसी बनी हुई है ।, प्रश्न 6. जितेन नाग्गे की गाइड की भूमिका के बारे में विचार करते हुए लिखिए कि एक कुशल गाइड में क्या गुण, हैं ?, होते, [Board Term II 2012, H. A. 2052), उत्तर-गाइड के रूप में नागे की भूमिका पर विचार करें तो एक कुशल गाइड के लिए आवश्यक गुण निम्नाकित प्रकार, से सामने आते हैं-, एक कुशल गाइड में सबसे पहला गुण है अपने क्षेत्र का भौगोलिक ज्ञान होना तभी वह पर्यटकों को महत्त्वपूर्ण स्थानों पर, ले जा सकता है। इसके अतिरिक्त उसे उन स्थानों के निवासियों, उनके रीति-रिवाज, इतिहास, धार्मिक विश्वासों, परम्पराओं, आदि का भी ज्ञान होना चाहिए । एक कुशल गाइड को पर्यटकों की रुचि और रुझान की जानकारी भी होनी चाहिए । उसे, पर्यटकों से अपनत्व स्थापित करने में कुशल होना चाहिए । कुशल गाइड में विश्वसनीयता का गुण होना भी आवश्यक है ।, एक कुशल गाइड का महत्त्वपूर्ण गुण वाक्पटुता है । उसके बातचीत करने का ढंग रोचक और मनोरंजक होना चाहिए ।, इस दृष्टि से देखें तो नाग्गे में ये सभी गुण विद्यमान हैं ।, प्रश्न 7. इस यात्रा-वृत्तांत में लेखिका ने हिमालय के जिन- जिन रूपों का चित्र खींचा है, उन्हें अपने शब्दों में लिखिए ।, [Imp.], उत्तर-लेखिका ने बड़ी रोचक और भावुक शैली में हिमालय के विविध रूपों का चित्रण किया है । गंतोक से आगे, ऊँचाई की ओर बढ़ते ही पहाड़ियों के स्थान पर हिमालय के भीमकाय पर्वत सामने आने लगते हैं । गहरी घाटियों, चौड़ी, वादियों के साथ ही रंग-बिरंगे फूलों के समूह सामने आने लगते हैं और आगे बढ़ने पर इठलाती नदियों तथा दूध की धारा जैसे, झरने मन को मोहने लगते हैं । हिमालय कहीं हरियाली से ढका होने से हरा, कहीं पीला तो कहीं नंगे पर्वतों के कारण प्लास्टर, उखड़ी दीवार जैसा नजर आता है । कहीं धुंध और बादलों के बीच से सँकरे मार्ग आते हैं । हिमालय की ऊँचाइयों पर, 'कटाओ' जैसे बर्फ से ढँके स्थल हैं जो अपनी प्राकृतिक छटा से स्विट्जरलैण्ड को भी मात करते हैं । हिमालय के ये, विविध रूप दर्शक को कभी मस्ती, कभी उल्लास और कभी आध्यात्मिक शांति और पवित्रता का अनुभव कराते हैं ।, प्रश्न 8. प्रकृति के उस अनंत और विराट स्वरूप को देखकर लेखिका को कैसी अनुभूति होती है ? [CBSE 2NN}, उत्तर-हिमालय के बीच पहुँचकर लेखिका को अनेकानेक नई नई अनुभूतियाँ होती हैं । प्रकृति का अपार विस्तार जहाँ, उसे अनंतता के बोध से भर देता है वहीं गगनचुम्बी शिखर अपनी विराटता से उसे स्तब्ध कर देते हैं । 'सेवन सिस्टर्स' झरने, और उसके साथ बहती तीस्ता नदी के पास बैठकर वह आत्मा का संगीत सुनती है । प्रकृति के नए नए रूप और रहस्य सामने, आने पर लेखिका को लगता है कि प्रकृति उसे नई - नई अनुभूतियाँ कराकर अधिक सयानी बनाना चाहती है ।, प्रकृति की अनंतता और विराटता से एकाकार होकर लेखिका अपने अस्तित्व को भूल जाती है । वह अतीन्द्रिय (इन्द्रियों, से परे) अनुभूति की अवस्था में पहुँच जाती है और स्वयं को ईश्वर के निकट अनुभव करने लगती है ।, इस प्रकार प्रकृति के असीम विस्तार और नभस्पर्शी विराटता के बीच लेखिका अनेक अनुभूतियों से गुजरती है ।, प्रश्न 9. प्राकृतिक सौन्दर्य के अलौकिक आनंद में डूबी लेखिका को कौन - कौन से दृश्य झकझोर देते हैं ? [Imp.]
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। प्रदूषण के और कौन-कौन से दुष्परिणाम सामने, भूमि सभी प्रदूषण के जहर से कुप्रभावित हो रहे हैं । न पीने को शुद्ध जल है, न साँस लेने को शुद्ध वायु । लोग अनेक, बढ़ते प्रदूषण के फलस्वरूप अनेक संकट और दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं । तापमान में वृद्धि होने से पर्वतों पर हिमपात, लेखिका को तब भी होता है जब वह कड़कड़ाती ठंड में भारतीय सैनिकों को सीमा की मुरक्षा में तत्पर देखती है।, देखती है तो उसकी आनंदमयी भावना को झटका सा लगता है । उसका इस कठोर सत्य से सामना होता है कर उम दिव।, प्राकृतिक सौन्दर्य के बीच भी आम आदमी भूख, दीनता और मौत से संघर्ष करने को मजवूर है । कुछ ऐसा ही अनुभव, उपस्थित होते हैं जो उसके हृदय को झकझोर देते हैं । जब वह पहाड़ी स्त्रियों को कोमल हाथों से कठोर पत्थरों को तोड़ने, उत्तर- हिमालय की प्राकृतिक सुन्दरता लेखिका को एक दिव्य आनंद में लीन कर देती है । वह कभा मुग्ध, कभी, चकित, कभी आत्मलीन और कभी काव्यमय होती हुई यात्रा- मार्ग पर आगे बढ़ती जाती है, किन्त मार्ग में, कुछ, ऐसे, दृश्य, कर्तव्यनिष्ठ प्रहरी अपने आज को हमारे कल के लिए उत्सर्ग कर रहे थे ।, प्रश्न 11. "कितना कम लेकर ये समाज को कितना अधिक वापिस लौटा देती हैं ।" इस कथन के आधार पर स्पष्टकं, कि आम जनता की देश की आर्थिक प्रगति में क्या भूमिका है ?, उत्तर - प्रस्तुत कथन लेखिका ने उन पहाड़ी स्त्रियों को लक्ष्य करके कहा है जो पीठ पर अपने दुधरमुँहै बच्चे को लादे, पत्थर तोड़ने जैसा कठोर श्रम करती हैं । समाज सदा से आम और खास दो वर्गों में विभाजित रहा है । किसान, मजदुर, निम्न, मध्यम वर्ग और जनजातीय लोग, ये सभी समाज के आम आदमी हैं और उद्योगपति, डॉक्टर, इंजीनियर, राजनेता आदि खाम, आदमियों में गिने जाते हैं । पहाड़ी क्षेत्रों में कठोर श्रम करने वाली महिलाएँ भी आम जनता का अंग हैं । ये महिलाएँ मारे, पारिवारिक दायित्व निभाने के साथ-साथ कठोर परिश्रम करके धन भी अर्जित करती हैं । इस कठोर श्रम और कर्तव्यपालन, के बदले इन्हें समाज से क्या मिलता है- थोड़ी - सी मजदूरी ? इस प्रकार ये नारियाँ समाज से कितना कम लेकर उसे कितना, अधिक लौटा देती हैं।, देश की आम जनता अर्थात् किसान, मजदूर और सामान्य लोग देश के करोड़ों लोगों के लिए अन्न उपलब्ध कराते हैं।, सारे उद्योग, व्यवसाय और सड़क, पुल, रेलवे लाइन, बाँध आदि के निर्माण इन आम लोगों के ही बल पर चल रहे है । य, आमजन देश की अर्थव्यवस्था और प्रगति की रीढ़़ हैं । लेकिन इनके श्रम का उचित मूल्य इन्हें नहीं मिल पाता।, प्रश्न 12. आज की पीढ़ी द्वारा प्रकृति के साथ किस तरह का खिलवाड़ किया जा रहा है ? इसे रोकने में आपका ्या, भूमिका होनी चाहिए ?, उत्तर - आज की पीढ़ी भौतिक सुख-सुविधाओं और मनोरंजन के लिए प्रकृति का निर्ममता से दोहन कर रहा है ।, नई-नई भव्य बस्तियाँ बसाने के लिए वनों का विनाश किया जा रहा है, पर्वत विस्फोटों से उड़ाए जा रहे हैं. आा, विकास की होड़ से भूमि, जल, वायु सभी प्रदूषित हो रहे हैं । प्रकृति का संतुलन संकट में पड़ गया है । आज का पाढ़ा ार, गतिविधियाँ प्रकृति से खिलवाड़ करके आगामी पीढ़ियों के लिए विनाश के बीज बो रही हैं ।, हम लोगों को जागरूक करें और स्वयं प्रकृति से प्रेम करके और उसकी सुरक्षा का ध्यान रखते हुए जावन बितर, प्रकृति से अनुचित छेड़-छाड़ के दुष्परिणामों से लोगों को परिचित कराएँ ।, प्रश्न 13. प्रदूषण के कारण स्नोफॉल में कमी का जिक्र किया गया, आए हैं ? लिखें ।, उत्तर- लेखिका लायुंग नामक स्थान पर हिमपात का आनंद लेने की आशा से पहँची थी, किन्तु वहाँ बर्फ का कह, न था । उससे एक सिक्किमी युवक ने बताया कि प्रदूषण बढ़ने के कारण स्नोफॉल (बर्फ गिरना) में कमी आ गए, [के.बो. प्रति प्, [CBSE 2008, के. बो. प्रति प्र., कम होता जा रहा है और ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, इससे नदियों में जल की मात्रा कम होती जा रही है । जस, वायु,
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बीमारियों से ग्रस्त और त्रस्त हो रहे हैं । कैंसर, टी. बी. मधूमेह, मानसिक तनाव और गक्तचाप में वृद्धि आदि से पीड़ित लागा, की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है । वाहनों के बेतहाशा बढ़ते जाने मे वायमण्डल तो विषाक्त हो ही रहा है, लाग मानासक, गडबड़ी, नींद न आना और बहरेपन के शिकार भी हो रहे हैं ।, प्रश्न 14. "कटाओ' पर किसी दुकान का न होना उसके लिए वग्दान है । इस कथन के पक्ष में अपनी गये व्यक्त, कीजिए ।, उत्तर- प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर 'कटाओ' सिक्किम का अत्यन्त मनोहारी स्थल है । इसकी तुलना स्विट्जरलैंड में, की जाती है । अधिक प्रसिद्ध न होने के कारण यहाँ पर्यटकों का आना कम ही होता है । यहाँ पर सबसे बड़ा आकर्षण बर्फ, है । लेखिका का मन भी वहाँ बर्फ का आनन्द लेने को मचल उठा लेकिन उसके पास लम्बे बूट नहीं थे । उसने बूट किराएँ, पर लेने की सोची लेकिन वहाँ कोई ऐसी दुकान नहीं थी । लेखिका को लगा कि कटाओ में किसी भी दुकान का न हाना, उसके लिए एक वरदान के समान था । दुकानें होंगी तो वहाँ पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी और उसके साथ प्रदूषण भी अपने पैर, पसारेगा । इससे कटाओ का प्राकृतिक सौन्दर्य भी क्षीण होता जाएगा । अतः कटाओ में दुकानें न होना एक प्रकार से उसके, लिए वरदान ही कहा जाएगा ।, प्रश्न 15. प्रकृति ने जल-संचय की व्यवस्था किस प्रकार की है ?, (A. I. CBSE 2008), [CBSE 2008, A. I. CBSE 2008, 2010. के. बो. प्रति. प्र. 2008।, -प्रकृति द्वारा की गई जलसंचय की व्यवस्था बड़ी अनोखी और दूरगामी है । सर्दी के मौसम में पर्वतों के शिखरों, पर बर्फ के रूप में जल का भंडारण होता रहता है । ये शिखर जल के स्तंभों के समान हैं । गर्मी आने पर यह बर्फ पिघलकर, जलधाराओं का रूप ले लेती है । इससे करोड़ों लोगों को पीने और सिंचाई के लिए जल प्राप्त होता है । नदियों के रूप में, बहुता हुआ यह जल समुद्र में जा मिलता है । समुद्र से भाप के रूप में उठता यह जल फिर बादल बनकर मैदानी प्रदेशों में, बरसता है और पर्वतीय क्षेत्र में बफ्फ के रूप में जमा होना आरंभ हो जाता है । इस प्रकार यह चक्र निरंतर चलता रहता है ।, उत्तर-, प्रकृति द्वारा की गई यह जल के भंडार और वितरण की व्यवस्था अचूक और अद्भुत है ।