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अकाल और उसके बाद, , .चूल्हे का रोना और चक्की का उदास होने का, मतलब क्या है?, अकाल के दिन घर में एक दाना, भी नहीं। इसलिए खाना पकाने के लिए चूल्हा, जलाने का जरूरत नहीं। चक्की में पीसने का भी, कुछ नहीं।, 2. 'कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की, गश्त', 'कई दिनों तक चूहों को भी हालत रही शिकस' ये, पंक्तियाँ किस हालत की ओर इशारा करती है?, ये पंक्तियों अकाल की भीषणता, और घोर निराशा की ओर इशारा करती है। भूख, मिटाने में कुछ भी नहीं मिलाने से छिपकलियों, और चूहों की हालत अत्यंत दयनीय है।, 3.दोने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद धुआँ, उठा आँगन के ऊपर कई दिनों के बाद ' इन, पंक्तियों से कवि क्या कहना चाहता है?, अकाल के समय का भीषण हालत, अकाल के बाद बदल गई। रोने पड़े चीज़ों को, नया जीवन मिला। लोगों ने चूल्हा जलाकर खाना, पकाने से घर के ऊपर धुआँ उठा।
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4. आस्वादन टिप्पणी (अकाल का समय), , का नाम हिन्दी साहित्य जगत में प्रसिद्ध है। उनके, कविताओं का केन्द्र साधारण जनता है।' अकाल, और उसके बाद ' श्री. नागार्जुन की छोटी एवं, मर्मस्पर्शी कविता है।, , 'अकाल और उसके बाद'कविता की, पहले चार पंक्तियों में अकाल के समय का भीषण, हालत का वर्णन है। अकाल के समय घर में एक, दाना भी नहीं इसलिए सब कहीं घोर निराशा है।, यह व्यक्त करने के लिए कवि चूल्हा और चक्की, जैसे निर्जीव वस्तुओं को पात्रों के रूप में कविता, में जोड़ता है। चूल्हा और चक्की सोता रहा और, उसके पास कानी कुतिया सोती रही। अर्थात् सब, कहीं गरीबी है। यहाँ कानी कुतिया छिपकलियाँ, और चूहों के दयनीयता बताते हुए मानव के, दयनीय हालत को कवि चित्रित किया है। यह, बताने के लिए कवि हर पंक्तियाँ के पहले 'कई, दिनों तक' दुहराया है। यह कविता को आकर्षक, बनाया।
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57-0, टिप्पणी -अकाल के बाद, , , , इन पंक्तियों में कवि अकाल के बाद का, सुखमय समय का वर्णन किया है। कवि ने कहा, है कि अकाल का दिन बीत गया। कई दिनों के, बाद घरों में दाना आया। लोग चूल्हा जलाकर, खाना पकाने से सब कहीं खुशी आयी। खाना, खाकर सबकी आँखें चमक उठीं। लोगों के साथ, कौए जैसे छोटी सी जीवियाँ भी खुशी मनायी |, अकाल के समय रोने पड़े चीज़ों को एक नया, जीवन आया। हर पंक्तियों के अंत में कवि ने 'कई, दिनों के बाद' दुहराया है यह कविता को आकर्षक, बनाया |