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8, चंद्रगहना से लौटती बेर, (कविता), बोलना/सुनना, पढ़ना/लिखना, व्याकरण-बिंदु, जीवन-कौशल/क्रियाकलाप, मुक्त छंद, चित्रात्मक, कविता, पर्यवेक्षण क्षमता का विकास, चित्रात्मक वर्णन करना, कविता, मानवीकरण, व्याख्या, प्रतीकात्मकता, सराहना, रूपक, कल्पना-क्षमता का विकास, बोलचाल के शब्द, अनुस्वार और अनुनासिक, मूल भाव, कवि ग्रामीण वातावरण से प्रभावित होकर उसे, नगरों की तुलना में अधिक प्रेम और सौहार्द से, इस कविता में ग्रामीण अंचल, की प्रकृति का बहुत ही सुंदर, और मोहक चित्र खींचा गया, है। कवि चंद्रगहना नाम स्थान, से लौटते हुए खेत में उगी, फुसलों को देखकर उनके, रंग, रूप और गुण का ऐसा, मनोहर चित्रण करता है कि, वे जीवंत हो उठती हैं। कवि ने प्राकृतिक सौंदर्य का, वर्णन करते हुए विवाह- समारोह की कल्पना की है ।, यहाँ प्रेम, उमंग और उत्साह का वातावरण है। इसी, प्रकार कवि ने गाँव के तालाब का चित्र खींचा है। यहाँ, तालाब के पानी में चंद्रमा का प्रतिबिंब है, पत्थर हैं,, घास है, बगुला है, चिड़िया है और मछली है। कवि, बगुले और मछली को क्रमशः शोषक और शोषित के, रूप में देखता है। यह कविता ग्रामीण प्रकृति को, | संपूर्णता में चित्रित करती है ।, युक्त कहता है।, कविता में पोखर का भी संपूर्ण चित्र है ।, प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन करने के लिए मानवीकरण, का उपयोग है।, कविता में कुछ दृश्यों में प्रतीकात्मकता भी है ।, आइए समझे, कविता की प्रारंभिक 25 पंक्तियों में विवाह के, उत्सव का वर्णन है। यह विवाहोत्सव अनूठा है।, इसमें चने का पौधा दूल्हा है। चना ठिगने कद का, है। उसमें गुलाबी रंग का फूल है कवि को लगता, है कि यह गुलाबी पगड़ी बाँधे सजा-धजा दूल्हा, है। चने के पास ही अलसी का पौधा उगा है।, मुख्य बिंदु, ग्रामीण अंचल के प्राकृतिक सौंदर्य का चित्रण, किया गया है।, प्रकृति के सौंदर्य और उसकी गतिशीलता में विवाह, अलसी का पौधा दुबला-पतला, लचीला होता है।, इसलिए कवि ने अलसी में गाँव की अल्हड़़, लड़की की कल्पना करते हुए उसे देह की, पतली, कमर की लचीली और हठीली कहा है ।, सरसों के निरालेपन का उल्लेख करते हुए कवि, उसके सयाने अर्थात युवती होने का संकेत करता, है। उसके पीले फूलों को देखकर कल्पना की गई, है कि उसने हाथ पीले कर लिए हैं और वह ब्याह, के वातावरण की कल्पना की गई है।
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शिक्षार्थी मार्गदर्शिका :: 23, सरसों के पीले फूलों को देखकर 'हाथ पीले, करना' मुहावरे का सटीक प्रयोग है।, मंडप में पधार चुकी है। इस विवाह में फागुन, मास 'फाग' गाता है। प्रकृति सबको स्नेह दे रही, है। चने, अलसी, सरसों और पूरी प्रकृति से, प्रभावित होकर कवि यह कल्पना करते हुए स्थापना, करता है कि इस ग्रामीण अंलप में जो सुख है,, वह नगर में नहीं।, सराहना-बिंदु, कवि द्वारा देखे हुए ग्रामीण प्राकृतिक सौंदर्य को, पाठक तक पहुँचाने के लिए सुंदर कल्पना।, विवाह के उत्सव का प्राकृतिक गतिशील पर, आरोप।, दूसरा दृश्य गाँव के पोखर का है। पोखर के पानी, में लहरें उठ रही हैं, इन लहरों से प्रभावित होकर, पोखर के तल में उगी भूरी घास भी लहरियां ले, रही है। पोखर में, यह प्रतिबिंब पोखर में लंबा दिखाई देता है । कवि, ने कल्पना की कि यह चांदी का बड़ा-सा गोल, खंभा है। जो आँखों का चौंधियाता है। पोखर के, किनारे पड़े पत्थर ऐसे लगते हैं मानो झुककर पानी, पीते हुए प्राणी हों, अरसे से ये पत्थर पानी पी रहे, हैं और इनकी प्यास नहीं बुझ रही। एक बुगला, पोखर के जल में टाँगे डुबोए ध्यानमग्न सा लगा, है, दरअसल वह मछली की ताक में है। जैसे ही, कोई मछली दिखाई देती है, वह उसे तत्काल, गटक लेता है। इस दृश्य के भीतर काले माथ, वाली चालाक चिड़िया भी है जो तालाब की सतह, पर झपट कर पानी के भीतर से एक उजली, सफेद मछली को अपनी पीली चोंच में दबाकर, आकाश में उड़ जाती है।, सूक्ष्म पर्यवेक्षण और कल्पना से प्रकृति के अंग ,, वस्तुएँ और गतिविधियाँ सजीव बन पड़ी हैं।, का प्रतिबिंब पड़ रहा है।, मानवीकरण और रूपक अलंकार का प्रभावशाली, उपयोग।, भावानुकूल और सहज भाषा।, योग्यता बढ़ाएँ, केदारनाथ अग्रवाल ने विविधरूपा प्रकृति पर आध, रित बहुत-सी कविताएँ लिखीं हैं, इन्हें ढूँढ़कर, पढ़िए।, केदारनाथ अग्रवाल द्वारा लिखे गए गद्यात्मक, तथा पद्द्यात्मक साहित्य की जानकारी प्राप्त कीजिए ।, अधिकतम अंक कैसे पाएँ, कविता के मूल भाव को अच्छी तरह समझिए।, इस प्रकार कविता में प्रकृति मोहक और कठोर- दोनों, रूपों का चित्रण है।, कविता की प्रभाव वृद्धि में मानवीकरण के योगदान, पर ध्यान दीजिए।, बगुला समाज के ढोंगी लोगों का प्रतीक है, चिड़िया, चालाक लोगों और मछली शोषितों का प्रतिनिधित्व, करती है।, कविता में आए प्रतीकों का अर्थ समझकर उन्हें, याद रखिए।, कविता में प्रयोग किए गए रूपक के सौंदर्य को, समझिए।, महत्वपूर्ण व्याकरण-बिंदु, कविता में पहले दृश्य में चने, अलसी, प्रकृति और, फागुन मास का मानवीकरण किया गया है।, तालाब में पत्थरों को देख कर कवि को लगता है।, प्रश्नों का उत्तर स्पष्ट, बोधगम्य एवं शुद्ध भाषा में, दीजिए।, कविता के महत्त्वपूर्ण अंशों को याद करके उपयोग, उत्तर में कीजिए।, कि ये पत्थर पानी पी रहे हैं । यहाँ पत्थरों का सुंदर, मानवीकरण हुआ है।, मुरैठी बीते के बराबर, ठिगना, हठीली, लचीली,, फाग, चंचल आदि बोलचाल के शब्दों से कविता, और सहज बन गयी है।, अपना मूल्यांकन करें, 1. सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर पूछे गए प्रश्न, का उत्तर दीजिए :
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24 :: शिक्षार्थी मार्गदर्शिका, (i), 'स्वयंवर' का संबंध है-, (क) लड़ाई से, (ख) विवाह से, (ग) खेल से, (घ) त्योहार से, 2. कवि ग्रामीण अंचल की भूमि को जिस रूप में देखा है, आप उससे सहमत हैं अथवा असहमत अपने मत का, तर्क सहित उल्लेख कीजिए ।, 3. कविता के किसी एक अंश का चुनाव करके उसका काव्य-सौंदर्य 25-30 शब्दों में स्पष्ट कीजिए ।, 00