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टिप्पणी, 12, इसे जगाओ, 201hi12, सपना वह नहीं होता जो नींद में आए, बल्कि वह होता है, जिसे पूरा किए बिना नींद न, आए। अब आप ही तय कीजिए कि सपना पूरा करने के लिए आप नींद में पड़े रहना पसंद, करेंगे या जागकर, सजग होकर, सतर्क होकर सपने को पूरा करेंगे? यह भी सोचिए कि क्या, बिना जागे कोई काम पूरा हो सकेगा? यदि नहीं, तो फिर आलस्य क्यों? नींद क्यों? तंद्रा, क्यों? क्यों न जागें और सजग होकर इस कविता का आनंद लें। क्या हम उन पक्षियों से, कुछ सीखेंगे नहीं, जो भोर में हमारे द्वार हमें जगाने आए हैं?, उद्देश्य, इस पाठ को पढ़ने के बाद आप-, समय पर सजग रहने का महत्त्व स्पष्ट कर सकेंगे;, सोकर पड़े रहने और जागने वाले व्यक्तियों के व्यवहार पर विश्लेषणात्मक चिंतन, कर अंतर स्पष्ट कर सकेंगे;, किसी विपत्ति से घबराकर भागने और लक्ष्य को ध्यान, रखकर चलने में अंतर के, बारे में उल्लेख सकेंगे;, जीवन में समय-नियोजन के महत्त्व का वर्णन कर सकेंगे;, कविता का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कर सकेंगे।, कविता की भाषा पर टिप्पणी कर सकेंगे।, क्रियाकलाप-12.1, नींद में रहने को 'सोना' और नींद से उठने को 'जागना' क्यों कहते हैं? आम तौर पर, 'जागने' का लक्षण है- हरकत में आना, काम में लग जाना अथवा सावधान होना। इसीलिए, हिंदी, 1
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इसे जगाओ, कविता और गीतों में व्यक्ति, समाज या देश को जगाने के लिए आह्वान किया जाता है,, देखिए-, टिप्पणी, उठ जाग मुसाफ़िर भोर भई, अब रैन कहाँ जो सोवत है ।, जो सोवत है सो खोवत है, जो जागत है सो पावत है।, इसी प्रकार के किसी गीत या कविता की पंक्तियाँ आप भी यहाँ लिखिए :, 'जागना' की तरह ही 'चलना' का प्रयोग भी मनुष्य को गतिशील बने रहने, कुछ कर, गुजरने की प्रेरणा देने के लिए होता है, देखिए :, वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो ।, सामने पहाड़ हो, सिंह की दहाड़ हो, तुम निडर डरो नहीं, तुम अमर मरो नहीं, वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो ।, किसी दूसरे गीत या कविता की ऐसी ही पंक्तियाँ याद करके यहाँ लिखिए :, किखग, 12.1 मूल पाठ, आइए एक बार इस कविता को, पढ़, लें, भई, सूरज, ज़रा इस आदमी को जगाओ, भई, पवन, शब्दार्थ, पवन = हवा, वायु, बेखबर = अनजान, ज़रा इस आदमी को हिलाओ,, यह आदमी जो सोया पड़ा है,, जो सच से बेख़बर, सपनों में खोया पड़ा है।, भई, पंछी, इसके कानों पर चिल्लाओ !, भई, सूरज ! ज़रा इस आदमी को जगाओ !, वक्त = समय, बेवक्त, = असमय, अवसर बीत, जाने पर, वक्त पर जगाओ,, नहीं तो जब बेवक्त जागेगा यह, हिंदी
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इसे जगाओ, तो जो आगे निकल गए, उन्हें पाने, हैं।, घबरा के भागेगा यह ।, टिप्पणी, घबरा के भागना अलग है।, क्षिप्र गति अलग है, शब्दार्थ, क्षिप्र तो वह है।, जो सही क्षण में सजग है, क्षिप्र = तेज़, सजग = जागा हुआ, चौकन्ना,, सावधान, सूरज, इसे जगाओ,, पवन, इसे हिलाओ,, पंछी, इसके कानों पर चिल्लाओ ।, -भवानीप्रसाद मिश्र, 12.2 आइए समझें, 12.2.1 अंश-1, आइए, अब हम कविता के अर्थ पर विचार करें। इसे समझने से पहले कविता की प्रथम, दस पंक्तियों को पुनः ध्यानपूर्वक पढ़ लेते हैं ।, इन पंक्तियों में सूरज, हवा और पक्षी- इन तीनों को संबोधित किया गया है । संबोधन का, तरीका बड़ा ही आत्मीय है, जैसे हम घर के भीतर ही परिवार के किसी सदस्य से बात कर, रहे हों-भई, सूरज, भई, पवन, भई,, पंछी।, आप जानते हैं कि सूरज जिंदगी देने वाला है, वह हमें प्रकाश तो देता ही है, ऊष्मा भी, देता है, जो इस संसार को प्राणवान बनाए रखने के लिए अनिवार्य है । सूरज के निकलने, पर ही मनुष्य और पशु-पक्षी जागते हैं और रोजमर्रा के कामों में जुट जाते हैं ।, जीवन को सुचारु रूप से चलाने के लिए प्रकृति का दूसरा अति आवश्यक तत्त्व है-हवा।, हवा लगातार कभी तेज़, कभी हल्की और कभी बहुत हल्की चलती ही रहती है। हवा, हमेशा गतिशील रहती है, सक्रिय रहती है। प्रकृति के जीवंत होने का एक और महत्त्वपूर्ण, लक्षण है-पक्षियों का कलरव यानी पक्षियों का चहचहाना और उनकी अन्य आकर्षक, गतिविधियाँ।, अब जुरा बताइए कि अगर कोई आदमी सोया हुआ है, तो उसे जगाने के लिए आप क्या, करेंगे? आप उसे हिलाएँगे, उसे आवाज़ देंगे, उसके कानों पर चिल्लाएँगे।, इस कविता में एक सोए हुए आदमी का चित्र है । मगर यह जो सोया हुआ आदमी है वह, नींद में सोया हुआ नहीं है; बल्कि जैसे सोने वाला आदमी आस-पास के वातावरण से, बेख़बर रहता है, उसी तरह यह आदमी इस अर्थ में सोया हुआ है कि उसके इर्द-गिर्द, हिंदी, 3
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इसे जगाओ, की दुनिया में क्या कुछ घटित हो रहा है , इससे वह अनजान है । यह आदमी वक्त को, ठीक से नहीं पहचान रहा। दुनिया और समाज का आज का सच क्या है उसे पता नहीं, है। वह इस सबसे बेखबर सपनों में खोया हुआ है । क्या आप सपने देखने और सपनों में, खोए रहने में अंतर बता सकते हैं? जी हाँ! सपने देखना और सपनों में खोए रहना -ये दो, अलग-अलग स्थितियाँ हैं। सपने देखना आदमी की जिंदगी का महत्त्वपूर्ण अंग है । हम, भविष्य के लिए सपने बुनते भी हैं और सपनों को साकार करने के लिए प्रयत्न भी करते, हैं। लेकिन, सपनों में खोए रहने का अर्थ है- केवल कल्पना में डूबे रहना, जीवन में, | निष्क्रिय होना। जो आदमी सपनों में खोया रहता है, वह सपने के सच को पाने के लिए, प्रयास करने का समय खो देता है और तंद्रा टूटने पर खुद को वहीं का वहीं खड़ा पाता, है।, टिप्पणी, अब आप समझ गए होंगे कि कवि ने किस खूबसूरती से आम शब्दों का प्रयोग किया, है। ऐसी सावधानी से कि बात तो विशेष है, किंतु शब्द आसान। तो आइए, कविता की, इन पंक्तियों पर फिर से विचार करें।, भई, सूरज, ज़रा इस आदमी को जगाओ, भई. पवन, ज़रा इस आदमी को हिलाओ,, यह आदमी जो सोया पड़ा है,, जो सच से बेखबर, सपनों में खोया पड़ा है।, भई, पंछी, इसके कानों पर चिल्लाओ!, भई, सूरज ! ज़रा इस आदमी, को जगाओ !, चित्र 12.1, हमारे आसपास ऐसे बहुत से लोग हैं, जो समय के सच को न पहचान कर, उसके साथ, न चलते हुए अपने हवाई किले बनाते रहते हैं । दरअसल, वे लोग आँखें खुली होते हुए, भी सोए हुए व्यक्ति के समान हैं । इस तरह की अनेक कहानियाँ आपने बचपन में पढ़ी, या सुनी होंगी। शेख़चिल्ली की कहानी तो आपने अवश्य सुनी होगी, जिसमें शेखचिल्ली, सपनों में खोया रहता है और अपना सर्वस्व गँवा देता है। इसी प्रकार आपने टेलीविज्न, पर 'मुंगेरीलाल के हसीन सपने' सीरियल देखा होगा, जिसमें मुख्य पात्र सपनों में ही खोया, रहता है, उसे कुछ हासिल नहीं होता। कवि सूरज से ऐसे व्यक्ति को जगाने के लिए कहता, है, उसके भीतर क्रियाशीलता की गरमी भर देने के लिए कहता है । वह हवा से कहता, हिंदी, 4
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इसे जगाओ, है कि वह उसे हिलाकर उसकी नींद को भंग कर दे, उसके अंदर हरकत पैदा कर दे,, ताकि वह उठे और समय के साथ कदम मिलाकर चल पड़े। कवि पक्षी से कहता है कि, वह उस व्यक्ति के कानों पर चिल्लाए, ताकि उसका ध्यान अपने सपनों की दुनिया से, निकलकर जीवन की वास्तविक दुनिया की ओर आए। वह वर्तमान के सच को पहचान, कर अपनी सही भूमिका सही समय पर तय कर सके और लक्ष्य की प्राप्ति में जुट जाए।, टिप्पणी, टिप्पणी:, कवि ने सूरज, हवा और पक्षी-प्रकृति के इन तीन उपादानों को मुनष्य की तरह, आत्मीय भाव से संबोधित करते हुए उनसे आग्रह किया है कि वे समय के साथ, न चल पाने वाले आदमी का सच्चाई से परिचय कराएँ और उसके अंदर जागृति, पैदा करें। यह प्रयोग बहुत सुंदर है । ये तीनों मानव - जीवन के आरंभ से ही उसके, सबसे अधिक निकट के साथी हैं।, जगाना, हिलाना और चिल्लाना सोए हुए व्यक्ति को जगाने के तरीके हैं तथा इनके, लिए क्रमश: सूर्य, वायु और पक्षी से अनुरोध करना, कविता के सौंदर्य को बढ़ाता, है।, 1., 2., सूर्य, पवन, पक्षी प्रकृति के अंग हैं और मनुष्य के साथी भी प्रकृति सोए हुए, मनुष्य को जगाती है। जीवन में सोए हुए प्राणी को जागने की प्रेरणा देने में कवि, प्रकृति को आधार बनाता है।, 3., क्रियाकलाप-12.2, आपने पक्षी शब्द पढ़ा, जिसे पंछी भी कहा गया है । क्या आप जानते हैं कि पक्षी उसे, कहते जिसके पक्ष ( पर) हों? पक्षी को 'खग' भी कहा जाता है। 'ख' का अर्थ होता, है-आकाश, उसमें जो गमन करता है वह 'खग' कहलाता है । पक्षी को 'विहग' भी कहा, जाता है, यह भी इसीलिए कि वह आसमान में गमन करता है। एक ही अ्थ का बोध, कराने वाले शब्दों को समानार्थी या पर्यायवाची शब्द कहते हैं ।, अपने इस अंश के बारे में पढ़ते हुए हवा के कुछ पर्यायवाचियों पर जरूर ध्यान दिया, होगा। जी हाँ, टिप्पणी-2 में वायु और टिप्पणी-3 में पवन। हवा के अन्य पर्ायवाची हैं-, अनिल, समीर, मारूत, वात आदि।, इसी तरह सूरज के भी अनेक समानार्थी शब्द हैं दिनकर, भास्कर, सूर्य, मार्तड, दिवाकर, आदि।, निम्नलिखित सूचियों को ध्यान से देखिए और सूची 'एक' के शब्दों का सूची 'दो', के समानार्थी शब्दों से मिलान कीजिए:, हिंदी