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5५00४ ?8९॥(५५६ 0.855:-10 7 6६084?" -1, , लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर:1. संसाधन को परिभाषित कीजिए।, उत्तर- सामान्य तौर मानवीय उपयोग में आनेवाली सभी वस्तुएँ संसाधन कहलाती हैं। जैसे भूमि,, मृदा, जल, वायु, खनिज, जीव, प्रकाश इत्यादि। वर्तमान परिवेश में सेवाओं को भी संसाधन माना, गया है। जैसे-गायक, कवि, चित्रकार इत्यादि की सेवा॥।, वस्तुतः संसाधन का अर्थ बहुत ही व्यापक है। प्रसिद्ध भूगोलविद “जिम्मरमैन' के अनुसा -/संसाधन, होते नहीं, बनते हैं।, 2. संभावी एवं संचित कोष संसाधन में अंतर स्पष्ट करें।, , उत्तर- संभावी संसाधन-ऐसे संसाधन जो किसी क्षेत्र विशेष में मौजूद होते हैं, जिसे उपयोग में लाये, जाने की संभावना रहती है। जिसका उपयोग अभी तक नहीं किया गया हो। जैसे-हिमालयी क्षेत्र का, खनिज, अधिक गहराई में होने के कारण दुर्गम है।, , संचित कोष संसाधन वास्तव में ऐसे संसाधन भंडार के ही अंश हैं जिसे उपलब्ध तकनीक के आधार पर, , प्रयोग में लाया जा सकता है। किन्तु इनका उपयोग प्रारंभ नहीं हुआ है। जैसे नदी का जल॑ भविष्य में जल, , , , , , , , , , , , , , , , विद्युत के रूप में उपयोग हो सकता है।, 3. संसाधन संरक्षण की उपयोगिता को लिखिए।, , , , , , उत्तर- सभ्यता एवं संस्कृति के विकास में संसाधन की अहम भूमिका होती है। किन्तु संसाधनों का, अविवेकपूर्ण या अतिशय उपयोग; विविध सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय, समस्याओं को जन्म देता है। इन समस्याओं के समाधान हेतु विभिन्न स्तरों पर संरक्षण की, आवश्यकता होती है।, 3-4. संसाधन-निर्माण में तकनीक की क्या भूमिका है, स्पष्ट कीजिए।, उत्तर- संसाधन-निर्माण में तकनीक की भूमिका अत्यंत ही महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि अनेक प्रकृतिप्रदत्त वस्तुएँ तब तक संसाधन का रूप नहीं लेती जबतक कि किसी विशेष तकनीक द्वारा उन्हें, उपयोगी नहीं बनाया जाता। जैसे-नदियों के बहते जल से पनबिजली उत्पन्न करना, बहती हुई वायु, से पवन ऊर्जा उत्पन्न करना, भूगर्भ में उपस्थित खनिज अयस्कों का शोधन कर उपयोगी बनाना, इन, सभी में अलग-अलग तकनीकों की आवश्यकता होती है।, 4. संसाधन के विकास में 'सतत-विकास की अवधारणा की व्याख्या कीजिए।, उत्तर- संसाधन मनुष्य के जीविका का आधार है। जीवन की गुणवत्ता बनाये रखने के लिए संसाधनों, के सतत् विकास की अवधारणा अत्यावश्यक है। 'संसाधन प्रकृति-प्रदत्त उपहार है।' की अवधारणा के, कारण मानव ने इनका अंधाधुंध दोहन किया जिसके कारण पर्यावरणीय समस्याएँ भी उत्पन्न हो, व्यक्ति का लालच लिप्सा ने संसाधनों का तीव्रतम दोहन कर संसाधनों के भण्डार में चिंतनीय हास ला, दिया है। संसाधनों का केन्द्रीकरण खास लोगों के हाथों में आने से समाज दो स्पष्ट भागों में (सम्पन्न और, विपन्न) बँट गया है।, , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , ७७७.५९॥०7९००३०४॥४९८९1॥४९.९००॥ एब86९1
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5100४ ?8८0(56६ 06.855:-107/ 6६01847॥४/ -1, संपन्न लोगों द्वारा स्वार्थ के वशीभूत होकर संसाधनों का विवेकहीन दोहन किया गया जिससे विश्व, पारिस्थितिकी में घोर संकट की स्थिति उत्पन्न हो गयी। जैसे भूमंडलीय तापन, ओजोन अवक्षय, पर्यावरण, प्रदूषण, अम्ल वर्षा इत्यादि।, , उपर्युक्त परिस्थितियों से निजात पाने, विश्व-शांति के साथ जैव जगत् को गुणवत्तापूर्ण जीवन लौटाने के, लिए सर्वप्रथम समाज में संसाधनों का न््याय-संगत बँटवारा अपरिहार्य है अर्थात् संसाधनों का नियोजित, उपयोग हो। इससे पर्यावरण को बिना क्षति पहुँचाये, भविष्य की आवश्यकताओं के मद्देनजर, वर्तमान, विकास को कायम रखा जा सकता है। ऐसी अवधारणा सतत विकास कही जाती है जिसमें वर्तमान के, विकास के साथ भविष्य सुरक्षित रह सकता है, , 2. स्वामित्व के आधार पर संसाधन के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन कीजिए।, , उत्तर- स्वामित्व के आधार पर संसाधन चार प्रकार के होते हैं, , (9) व्यक्तिगत संसाधन-ऐसे संसाधन किसी खास व्यक्ति के अधिकार क्षेत्र में होते हैं जिसके बदले में वे, सरकार को लगान भी चुकाते हैं। जैसे- भूखंड, घर व अन्य जायदाद; ही संसाधन है, जिसपर लोगों का, निजी स्वामित्व है। बाग-बगीचा, तालाब, कुआँ इत्यादि भी ऐसे ही संसाधन हैं जिनपर व्यक्ति निजी, स्वामित्व रखता है।, , (0) सामुदायिक संसाधन ऐसे संसाधन किसी खास समुदाय के आधिपत्य में होती हैं जिनका उपयोग समूह, के लिए सुलभ होता है। गाँवों में चारण-भूमि, श्मशान, मंदिर या मस्जिद परिसर, सामुदायिक भवन,, तालाब आदि। नगरीय क्षेत्र में इस प्रकार के संसाधन सार्वजनिक पार्क, पिकनिक स्थल, खेल मैदान, मंदिर,, मस्जिद, गुरुद्वारा एवं गिरजाघर के रूप में ये संसाधन सम्बन्धित समुदाय के लोगों के लिए सर्वसुलभ होते, (०) राष्ट्रीय संसाधन कानूनी तौर पर देश या राष्ट्र के अन्तर्गत सभी उपलब्ध संसाधन राष्ट्रीय हैं। देश की, सरकार को वैधानिक हक है कि वे व्यक्तिगत संसाधनों का अधिग्रहणं आम जनता के हित में कर सकती है।, (0) अंतर्राष्ट्रीय संसाधन-ऐसे संसाधनों का नियंत्रण अंतर्राष्ट्रीय संस्था करती है। तट-रेखा से 2001५.|/. दूरी, छोड़कर खुले महासागरीय संसाधनों पर किसी देश का आधिपत्य नहीं होता, है। ऐसे संसाधन का उपयोग, अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की सहमति से किसी राष्ट्र द्वारा किया जा सकता है।, , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर:, 4. जलोढ़ मिट्टी के विस्तार वाले राज्यों के नाम बतावें। इस मृदा में कौन-कौन सी फसलें लगायी जा, सकती हैं ?, उत्तर- बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, असम, बंगाल इत्यादि राज्यों, में जलोढ़ मिट्टी का विस्तार है। इस मृदा में गन्ना, चावल, गेहूँ, मक्का, दलहन इत्यादि फसलें उगाई, जाती हैं।, , 2. समोच्च कृषि से आप क्या समझते हैं ?, उत्तर- पहाड़ी ढलानों पर जल के तेज बहाव से बचने के लिए सीढ़ीनुमा ढाल बनाकर की जाने, वाली खेती को समोच्च कृषि कहते हैं। इससे मृदा अपरदन को रोका जा सकता है।, , 3. पवन अपरदन वाले क्षेत्र में कृषि की कौन-सी पद्धति उपयोगी मानी जाती है?, उत्तर- पवन अपरदन वाले क्षेत्रों में पट्टिका कृषि श्रेयस्कर है, जो फसलों के बीच घास की पट्टियाँ, , विकसित कर की जाती हैं।, , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , ७७७.५९॥०7९००३०४॥४९८९1॥४९.९००॥ ए986 2