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एआाध३ (॥/०श 4, अकाल और उसके बाद (कविता), , पढ़ें और चर्चा करें, , ६, , उत्तर:, , उत्तर:, , उत्तर:, , कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास, कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास, चूल्हे का रोना और चक्की का उदास होना- इसका मतलब क्या है?, , , , इससे कवि यह बताना चाहते हैं कि घर में खाद्य वस्तुओं का बिलकुल अभाव है। कई दिनों इन दोनों का, कोई इस्तेमाल नहीं हुआ है।, , कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त, कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त, ये पंक्तियाँ किस हालत की ओर इशारा करती हैं?, , , , घर में कई दिनों से खाने की चीजें नहीं हैं। जहाँ खाना नहीं होगा वहाँ दीप जलाने के लिए तेल की भी, संभावना नहीं। तो वहाँ छोटे कीड़ों का होना असंभव है। इससे छिपकली परेशान है। इसलिए वे कीड़ों को, तलाशते हुए दीवार पर घूम रहे हैं। घर में कोई खाद्य वस्तु नहीं है। इससे चूहे भी हार गए हैं।, , दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद, धुआँ उठा आँगन से ऊपर कई दिनों के बाद, इन पंक्तियों से कवि क्या कहना चाहता है?, , , , , , अकाल के बाद के दिनों का चित्रण कवि ने इन पंक्तियों द्वारा किया है। अकाल के बाद घर में दाने आने, पर घर के आँगन से ऊपर धुआँ उठता है। मतलब चूल्हा जलने लगा है। यह घर में खाने पकाने की ओर, इशारा करता है।, , , , कवि ने अकाल का चित्रण किस प्रकार किया है? चर्चा करें।, .. चूल्हे का रोना, , ॥. भीत पर छिपकलियों की गश्त, , ॥. चक्की का उदास रहना, , ५. शिकस्त हालत वाले चूहे, , कवि ने अकाल के बाद के हालत का चित्रण किस प्रकार किया है? चर्चा करें।, .. घर के अंदर दाने का आना, , ॥. घर भर की आँखों का चमक उठना, , ॥. आँगन के ऊपर धुएँ का उठना, , ५. कौए के पंखों का खुजलाना, , कविता में कई दिनों तक और कई दिनों के बाद दूहराने का तात्पर्य क्या हो सकता है
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उत्तर:, , उत्तर:, , आचार्य नागार्जुन की कविता है अकाल और उसके बाद।' कविता की पहली चार पंक्तियों में कई दिनों, तक' की पुनरावृत्ति अभाव की निरंतरता को अंकित करती है। कविता में दूसरे खंड की चार पंक्तियों में, कई दिनों के बाद “तक' और 'बाद' के बीच एक लंबे अंतराल को व्यंजित करती है., , , , अकाल के क्या-क्या कारण हो सकते है? चर्चा करें।, , अकाल पडने के मुख्य कारण प्राकृतिक आपदाएँ (४३४०१०। ८३।०॥४८५) अत्याधिक जनसंख्या, फसलों, की असफलता, दरिद्रता एंव बेरोज़गारी, आदि है। भूकंप हिम झंझावत, बाढ़, सूखा तथा महामारी के, कारण अकाल की परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है। संसाधनों से अधिक जनसंख्या के कारण कृषि पर, अधिक भार पडता है। फसलों की असफलता होने पर भी अकाल पडता है। गरीब एंव बेरोज़गार लोगों, की खाघ सामग्री खरीदने की क्षमता बहुत कम होती है। सरकारी दूकानों पर गरीब लोगों को सही समय, पर पर्याप्त मात्रा में खाघ सामग्री नहीं मिलती। इस प्रकार का भ्रष्टाचार भी अकाल पडने में सहायक होता, , है।, , , , कविता की प्रासंगिकता पर टिप्पणी लिखें।, , अकाल और उसके बाद' कविनागार्जुन रचित कविता है। इसमें गरीब, बेबस, . व्यक्तियों के जीवन में, व्याप्त भुखमरी और उससे उबरने का चित्र अंकित किया गया है। गरीब व्यक्ति ही बिना अन्न परेशान नहीं, है। वरना जीवजंतुओं का हाल भी बेहाल है। छिपकालियाँ दीवारों पर गश्त लगाती है, परंतु उन्हें कुछ नहीं, मिलता। चूहे भी भुख से व्याकुल हैं।, , , , प्रस्तुत कविता में प्रत्यक्ष रूप से मनुष्य का चित्रण नहीं है। परंतू अन्न, भोजन, चूल्हा जलाना ये चारी चिजें, मनुष्य संबंधित है। मनुष्य पूरी परिस्थिति में विघमान है। अकाल की विभीषिका आ जाती है, वह भी बडी, शब्दावली में। अकाल जीवन को स्थगित करता है और अन्न जीवन में हलचल पैदा करता है। जनवादी, कवी प्रस्तुत कविता में गरीबी का, भुखमरी का साक्षात्कार किया गया।, , , , कवी जीवन की दो विरोधी स्थितियों को अलग-अलग बिंबों के माध्यम से व्यक्त करता है। ये बिम्ब यों तो, जीवन की विरोधी स्थितियों को बड़ी सहजता से व्यक्त करते है। जब तक भूख रहेगी तब तक अकाल, और उसके बाद कविता भी रहेगी।