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विदिक गणित |, , जगदगुरू स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ द्वारा विरचित वैदिक गणित, अंकगणितीय गणना की वैकल्पिक एवं संक्षिप्त विधियों का समूह, है। इसमें १६ मूल सूत्र दिये गये हैं। वैदिक गणित गणना की ऐसी, पद्धति है, जिससे जटिल अंकगणितीय गणनाएं अत्यंत ही सरल,, सहज व त्वरित संभव हैं।, , भारत में कम ही लोग जानते हैं कि वैदिक गणित नाम का, भी कोई गणित हैं। जो जानते भी हैं, वे इसे विवादास्पद मानते हैं, कि वेदों में किसी अलग गणना प्रणाली का उल्लेख हैं, पर विदेशों, में बहुत से लोग मानने लगे हैं कि भारत की प्राचीन वैदिक विधि से, गणित के हिसाब लगाने में न केवल मजा आता हैं, उससे, आत्मविश्वास मिलता हैं और स्मरणशक्ति भी बढ़ती हैं, मन ही मन, हिसाब लगाने की यह विधि भारत के स्कूलओं में शायद ही पढ़ाई, जाती हैं। भारत के शिक्षाशास्त्रियों का अब भी यही विश्वास हैं कि, असली ज्ञान-विज्ञान वही हैं, जो इंग्लैण्ड-अमेरिका से आता हैं।, , घर का जोगी जोगड़ा, आन गाँव का सिद्धा जबकि सच्चाई, यह हैं कि इग्लैण्ड़-अमेरिका जैसे आन गाँव वाले भी योगविद्या की, तरह ही आज भारतीय वैदिक गणित पर चकित हो रहे हैं और, उसे सीख रहे हैं। उसे सिखाने वाली पुस्तकों और स्कूलों की, भरभार हो गई हैं। बिना कागज-पेंसिल या कैल्कूलेटर के मन ही, मन हिसाब लगाने का उससे सरल और ते तरीका शायद ही कोई, , हैं।, , , , , , संग्रहकर्ता - रोबिन सिराना
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सूत्र - 1, एकाधिकेन पूर्वेण - पहले से एक अधिक के द्वारा, , , , , , , , , , , , , , , , ऐसी संख्याओं का वर्ग करना जिसका इकाई का अंक 5 हो जैसे -45*45, , 1, , दहाई का अंक 4 तथा इस अंक में 1 जोड़कर गुणा, (4 * 4 + 1), इसके, बाद (5*5)-25 लिखे।, ८ 4*5 /25, + 20/25, - 2025 उत्तर, इसी प्रकार 105 * 105, दहाई का अंक 10 तथा इसमें 1 जोड़कर गुणा - 10 * 11 < 10, 5 110 / 25, + 11025 उत्तर