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34191111910 000 00७०७ (झारखंड के वन्य उत्पाद) :, वन से प्राप्त वस्तुओं को वन्य उत्पाद कहा जाता है। वन्य उत्पाद को, दो समूहों में बाँठा गया है:- मुख्य उत्पाद और गौण उत्पाद। मुख्य, उत्पाद (|४४|० ?०५५०७७) के अंतर्गत लकड़ी संबंधित उत्पादों को रखा, जाता है। गौण उत्पाद (|४॥0 ?100५०७७)में लकड़ी को छोड़कर सारे, वन्य उत्पादों को रखा जाता है।, , झारखंड के मुख्य वन्य उत्पाद, साल (53॥।) :, इसे सखुआ या सरई के नाम से भी जाना जाता है। इसकी लकड़ी में, बहुत कठोरता पाई जाती है। इसकी लकड़ी से इमारत, रेल के डब्बे में, सीट, रेल के पटरियों के सलैब आदि बनाने में प्रयोग किया जाता है।, झारखंड में एशिया का सब बड़ा साल का वन है सारंडा। साल का पेड़, झारखंड के लगभग हर हिस्से में मिलता है।, , सात्र के पेड़ झारखंड के दोनों जलवायु प्रदेश में पाए जाते है :उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती प्रदेश और उष्ण कटिबंधीय आर्द्र पर्णपाती, प्रदेश। साल्र के बीज से गौण उत्पाद के रूप में कुजरी का तेल निकाला, जाता है। इसके फूल को सरई का फूल कहलाता जो आर्थिक रूप से, बहुत लाभकारी है। इसके पत्ते से दोना और पत्तर बनाया जाता। छोटी, टहनियों से दातुन बनाया जाता है।
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शीशम (31500) यह पेड़ भी इमारती लकड़ी के रूप में बहुत उपयोगी, है। यह सम्पूर्ण झारखंड में मित्रता है लेकिन उत्तरी और मध्यवर्ती भाग, में अधिकता पाई जाती है।, , महुआ, , झारखंड के लिए आर्थिक रूप से सबसे उपयोगी पेड़ महुआ का होता है।, महुआ के पत्ते से बने दोना और पत्तर का उपयोग झारखंड में बहुत होता, है। इसकी लकड़ी पानी के प्रभाव से जल्दी नही सड़ती है, इसलिए इसे, हल, घर का बाहरी दरवाजा, फर्नीचर आदि बनाने में प्रयोग किया जाता, है। इसके फूल से हड़िया बनाया जाता है। इसके फल को बतौर सब्जी, खाया जाता है। इसके बीज से तेल निकाला जाता है। तेल निकालने के, बाद बचे अवसाद जानवरों के लिए पौष्टिक आहार होता है।, , सागौन , इस पेड़ से भी एक इमारती लकड़ी मिलती है। इस पेड़ की सघनता, कोल्हान प्रमंडल में पाई जाती है।, , सेमल (5818|) _, , इसकी ल्कड़ियां मुख्य रूप से पैकिंग के लिए बनाए जाने वाले तख्तियों, के रूप में तथा खिलौने बनाने में काम आती है। क्योंकि इसकी लकड़ी, हल्की, मुलायम होती है। इस पेड़ से गोण उत्पाद के रूप में रुई की, प्राप्ति होती है।, , आम - झारखंड में आम फल्न का उत्पादन प्रचुर मात्रा में होता है। आम, को फलों का राजा और अमृतफल्र के नाम से भी जाना जाता है। इसकी
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लकड़ियां सस्ती होती है तथा फर्नीचर बनाने के लिए उपयोग में लाई, जाती है।, , जामुन (8॥16 8611५) (8136 3611, , यह पेड़ झारखंड में आद््र पर्णपाती प्रदेश में ज्यादा पाई जाती है। इसकी, लकड़ी वर्षों तक पानी मे रहने पर सड़ती नही है। इस गुण के कारण, इसका माँग बरसाती क्षेत्र में बहुत ज्यादा है। इससे फर्नीचर भी बनाया, जाता है। जामुन का फल खाने के काम आता और इसके बीज से दवा, बनाई जाती है।, , कटहल, , कटहल का पेड़ झारखंड में शुष्क पर्णपाती क्षेत्र में ज्यादातर पाई जाती, है। इसकी लकड़ी से फर्नीचर बनाई जाती है। इसका फल और बीज खाने, के काम मे आता है। झारखंड कटहल फल का उत्पादन प्रचुर मात्रा में, करता है।, , गम्हार, इसकी लकड़ी से सबसे नककाशीदार फर्नीचर बनाई जा सकती है।, कुसुम, , इस पेड़ का उपयोग लाह के कीड़े को पालने के लिए किया जाता है।, इसके लकड़ी का उपयोग फर्नीचर के रूप में किया जाता है। इसके बीज, से तेल निकाला जाता है।