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अध्याय 4, , , , परमाणु की संरचना, , (507ए20ए/€ ० ६16 30०77), , अध्याय 3 में हम पढ़ चुके हैं कि पदार्थ, परमाणुओं, और अणुओं से मिलकर बने हैं। विभिन्न प्रकार के, पदार्थों का अस्तित्व उन परमाणुओं के कारण होता है,, जिनसे वे बने हैं। अब प्रश्न उठता है कि : 0) किसी, एक तत्व का परमाणु दूसरे तत्व के परमाणुओं से, भिन्न क्यों होता है? और (8) क्या परमाणु वास्तव में, अविभाज्य होते हैं, जैसा कि डाल्टन ने प्रतिपादित, किया था या परमाणुओं के भीतर छोटे अन्य घटक, भी विद्यमान होते हैं? इस अध्याय में हमें इस प्रश्न, का उत्तर मिलेगा। हम अवपरमाणुक कणों और परमाणु, के विभिनन प्रकार के मॉडलों के बारे में पढ़ेंगे, जिनसे, यह पता चलता है कि ये कण परमाणु के भीतर किस, प्रकार व्यवस्थित होते हैं।, , 19वीं शताब्दी के अंत में वैज्ञानिकों के समक्ष, सबसे बड़ी चुनौती थी, परमाणु की संरचना और, उसके गुणों के बारे में पता लगाना। परमाणुओं की, संरचना को अनेक प्रयोगों के आधार पर समझाया, गया है।, , परमाणुओं के अविभाज्य न होने के संकेतों में से, एक संकेत स्थिर-विद्युत तथा विभिन्न पदार्थों द्वारा, विद्युत चालन की परिस्थितियों के अध्ययन से मिला।, , 4.1 पदार्थों में आवेशित कण, , पदार्थों में आवेशित कणों की प्रकृति को जानने के, लिए, आइए हम निम्न क्रियाकलाप करें।, , क्रियाकलाप 4.1, , 8. सूखे बालों पर कंघी कीजिए। क्या कंघी कागज़, के छोटे-छोटे टुकड़ों को आकर्षित करती है?, , 8. काँच की एक छड़् को सिल्क के कपड़े पर, रगड़िए और इस छड़् को हवा से भरे गुब्बारे के, पास लाइए। क्या होता है, ध्यान से देखिए।, इन क्रियाकलापों से क्या हम यह निष्कर्ष निकाल, सकते हैं कि दो वस्तुओं को आपस में रगड़ने से, उनमें विद्युत आवेश आ जाता है? यह आवेश कहाँ से, आता है? इसका उत्तर तब मिला जब यह पता चला कि, परमाणु विभाज्य है और आवेशित कणों से बना है।, , परमाणु में उपस्थित आवेशित कणों का पता, लगाने में कई वैज्ञानिकों ने योगदान दिया।, , 19वीं शताब्दी तक यह जान लिया गया था कि, परमाणु साधारण और अविभाज्य कण नहीं है, बल्कि, इसमें कम से कम एक अवपरमाणुक कण इलेक्ट्रॉन, विद्यमान होता है, जिसका पता जे. जे. टॉमसन ने, लगाया था। इलेक्ट्रॉन के संबंध में जानकारी प्राप्त होने, के पहले, ई. गोल्डस्टीन ने 1886 में एक नए विकिरण, की खोज की, जिसे उन्होंने “केनाल रे” का नाम, दिया। ये किरणें धनावेशित विकिरण थीं, जिसके द्वारा, अंततः दूसरे अवपरमाणुक कणों की खोज हुई। इन, कणों का आवेश इलेक्ट्रॉन के आवेश के बराबर,, किंतु विपरीत था। इनका द्रव्यमान इलेक्ट्रैनों की, अपेक्षा लगभग 2000 गुणा अधिक होता है। उनको, प्रोटॉन नाम दिया गया। सामान्यतः इलेक्ट्रॉंन को ० के, द्वारा और प्रोटॉन को 9* के द्वारा दर्शाया जाता है।, प्रोटॉन का द्र॒व्यमान | इकाई और इसका आवेश +1, लिया जाता है। इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान नगण्य और, आवेश -1 माना जाता है।, , 2020-21, , ऐसा माना गया कि परमाणु प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन, से बने हैं, जो परस्पर आवेशों को संतुलित करते हैं।, यह भी प्रतीत हुआ कि प्रोटॉन परमाणु के सबसे, भीतरी भाग में होते हैं। इलेक्ट्रोनों को आसानी से, निकाला जा सकता है लेकिन प्रोटॉनों को नहीं। अब, सबसे बड़ा प्रश्न यह था कि ये कण परमाणु की, संरचना किस प्रकार करते हैं? हमें इस प्रश्न का उत्तर, नीचे मिलेगा।, , श्न, , केनाल किरणें क्या हैं?, , यदि किसी परमाणु में एक इलेक्ट्रॉन, और एक प्रोटॉन है, तो इसमें कोई, , >०_्जीज७ व्यी-०७ हू» गणना, , 1, के, , लाल भाग की तरह बिखरा है, जबकि इलेक्ट्रॉन, धनावेशित गोले में तरबूज के बीज को भांति धँसे हैं, (चित्र 4.1)।, , धनात्मक गोला, , , , चित्र 4.1: टॉमसन का परमाणु मॉडल, , [ब्रिटिश भौतिकशास्त्री, जे. जे. ह्कबमनऋऋृणय