Page 1 :
प्रकृति तथा डिजाइन, , , , इस खण्ड को चार इकाइयों में विभक्त किया गया है। प्रथम इकाई में शोध का, , अर्थ, प्रकार एवं आवश्यकता की चर्चा की गयी है। शोध का तात्पर्य एक वैज्ञानिक शोध, से होता है। जिसके विभिन्न. पद होते हैं। जिसकी एक विशिष्ट प्रक्रिया है। शोधों को, विभिन्न आंधारों यथा प्रक्रिया, परिणाम एवं प्रकृति के आधार पर कई भागों में बाँठा जा, सकता है। ज्ञान की अभिवृद्धि के साथ-साथ कई रूपों में शोध की महती आवश्यकता है।, इस इकाई में शोध की विभिन्न आवश्यकताओं को भी स्पष्ट किया गया हैं। ।, ।, , |;, , हि, , -.- -+- ृहतच्३्झ्झ्झ्््_य्छ, / खण्ड- परिचय -1 : शोध का अर्थ, आवश्यकता, समस्या की, , द्वितीय इकाई में शोध समस्या की प्रकृति एवं चयन की चर्चा की गई है। किसी, शोधकर्ता की यह पहली समस्या होती है कि वह समस्या का चयन कहाँ से तथा कैसे करें।., समस्या चयन हेतु उन स्रोतों एवं क्षेत्रों का ज्ञान होना अत्यन्त आवश्यक है जहाँ से, शोधकर्ता एक दृष्टि प्राप्त कर सकता है। समस्या चयन के लिये सम्बन्धित साहित्य का, सर्वेक्षण महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।, , परिकल्पना किसी समस्या को सम्भावित समाधान का एक कथन होती है। यह, किसी अनुसन्धान प्रक्रिया का दूसरा महत्वपूर्ण स्तम्भ है। बिना परिकल्पना के अनुसन्धान, कार्य एक उद्देश्यहीन क्रिया है। परिकल्पना निर्माण हेतु व्यक्तिगत अनुभव, रचनात्मक, चिन्तन आदि के साथ सम्बन्धित साहित्य एवं पूर्व अनुसन्धानों की महत्वपूर्ण भूमिका होती, है। इस खण्ड की तृतीय इकाई में परिकल्पना के अर्थ, प्रकृति, स्रोत अच्छी परिकल्पना की, विशेषताओं के साथ-साथ परिकल्पना के विभिन्न प्रकारों का विवेचन किया गया है।, , इस खण्ड की चतुर्थ इकाई में शोध प्रतिचयन एवं आँकड़ों के प्रतिचयन की चर्चा, की गई है। शोध कार्य के लिये समस्या से सम्बन्धित सूचनाओं को प्राप्त करने के लिये, उस जीवसंख्या को परिभाषित करना आवश्यक होता है। जिससे सूचनायें प्राप्त करनी, होती है। परन्तु शोध में सम्पूर्ण जीवसंख्या को सम्मिलित करना शोधकर्ता के लिये संभव, न होने पर उंसे आंकड़े प्राप्त करने के लिए एक प्रतिनिधि-समूह का चयन करना पड़ता है।, इस इकाई प्रतिचयन के विभिन्न प्रकारों का भी वर्णन है।, , है
Page 2 :
इकाई -01 शोध का अर्थ प्रकार एवं आवश्यकता, , , , इकाई की रूपरेखा, , , , 1.0... प्रस्तावना, 1.1... उद्देश्य, 1.2 वैज्ञानिक विधि के सोपान, 1.21. समस्या की पहचान, . 1.2.2 परिकल्पना का निर्माण, 1.2.3 निगमनात्मक चिंतन द्वारा परिकल्पना के आशय तक पहुँचना, 1.24 सम्बन्धित प्रमाणों एवं कारणों का संग्रह, - 1.25 परिकल्पना की जाँच, 1.3. वैज्ञानिक शोध का अर्थ एवं विशेषताएं, 1.4... शिक्षा में अनुसंधान की आवश्यकता, 1.4.1. ज्ञान के विकास में सहायक, 1.4.2 उद्देश्य प्राप्ति के लिये सर्वोत्तम क्रिया, 1.4.3 मानव समाज को नवीन ज्ञान एवं गति प्रदान करना, 1.4.4. जीवन के उद्देश्य की प्राप्ति का सरल उपाय देना, “1.45 सुधार में सहायक, 1.4.6 सत्य व ज्ञान की खोज करना, 1.4.7 प्रशासनिक क्षेत्र में सफलता प्रदान करना, 1.4.8. अध्यापक के लिये अति उपयोगी, 1.5. शैक्षिक अनुसंधान के प्रकार, 1.5.1. ऐतिहासिक शोध, 15.2. विवरणात्मक शोध, 1.5.3. प्रयोगात्मक शोध, 1:56... सारांश, 1.7. सन्दर्भ ग्रन्थ, 1.0 प्रस्तावना :, , , , शोध संमस्याओं का चुनाव करना तंथा समंस्या की पहचान के द्वारा, , परिकल्पना का निर्माण करना वास्तव में कठिन कार्य है क्योंकि समस्याओं का, चुन्सव करने या उसे जानने के लिए अनुसंधानकर्त्ता को बहुत सम्वेदनशील,, जटिल समस्याओं के समाधान करने की योग्यता वाला, मेहनती एवं कुशाग्र बुद्धि
Page 3 :
शोध का अर्थ, आवश्यकता,, समस्या की प्रकृति तशा डिजाइन, , वाला होना चाहिये ताकि वे वैज्ञानिक समस्या तथा विज्ञान की तर्क संगत वातों, को समझ सके ? क्योंकि अनुसन्धानकर्त्ता को वैज्ञानिक संमस्याओं का सामान्य, उद्देश्यों के अनुसार ही चुनाव करना होता है | समस्याओं क॑ चुनाव या निर्धारण, में हमे यह ज्ञात करना होता है कि विषय की विशेषता क्या है ? उसको किस, प्रकार परिभाषित कर सकते है? अनुसन्धान द्वारा विशेष समस्या का क्या होगा 3, समस्या का क्षेत्र क्या हो सकता हैं? आदि बातों की जानकारी प्राप्त करनी होती, है।, , , , 4.1 उद्देश्य :, , , , प्रस्तुत इकाई के अध्ययन के उपरान्त आप - वैज्ञानिक विधि के सोपान का जान सकेंगें।, , “_- परिकल्पना निर्माण की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।, , -, वैज्ञानिक शोध का अर्थ एवं विशेषतायें को समझ सकेंगे।, - शैक्षिक अनुसंधान के प्रकार को बता सकेंगे।, - ऐतिहासिक शोध एवं विवरणात्मक शोध के अन्तर स्पष्ट कर संकेंगे।, शोध का अर्थ प्रकार एवं आवश्यकता, शिक्षा, मनोविज्ञान तथा समाजशास्त्र ऐसे व्यवहारपरक विज्ञान (छशाक्रमंठ्पाबो, 5लंशा८९) है जिनमें वैज्ञानिक विधियों द्वारा ही अनेकों प्रकार क॑ शोधकार्य किये जाते हैं | ऐसी विधियों द्वारा लिये गये शोध. कार्यो को वैज्ञानिक शोध कहते हैं।, वैज्ञानिक शोध क्या है ? इस पर चर्चा करने से पूर्व ये जान लेना आवश्यक है, कि विज्ञान किसे कहते हैं एवं वैज्ञानिक विधि क्या है ?, विज्ञान सामान्यतः दो दर्षष्टेकोणों से मिलकर बना है (0)... स्थिर दृष्टिकोण (5छ्वा० प्रांहण्णे, (४) गतिमान दृष्टिकोण (0श्थगांट श०छ), स्थिर दृष्टिकोण में वैज्ञानिक वर्तमान सिद्धान्तों, नियमों, परिकल्पनाओं (लजफु०प्षार्अंड), आदि के ज्ञान भण्डार में नये-नये तथ्यों की खोज कर उस ज्ञान भण्डार का, विस्तार करता है जबकि गतिमान दर्षष्टकोण में समस्या समाधान के नये-नये, तरीकों पर जोर दिया जाता है अर्थात किसी भी समस्या के समाधान में नई-नई, , विधियों को प्रयोग किया जाता है। यह विज्ञान का क्रियाशील पक्ष है, इसे, स्वानुभाविक दर्षष्टकोण (न०प्ं5४८ शं८०) भी कहते हैं। कुल मिलाकर विज्ञान, , - का . मूलर..उद्देश्य..प्राकषतिक घटनाओं. की वैज्ञानिक व्याख्या क़रना है। इस, , वैज्ञानिक व्याख्या को ही वैज्ञानिक सिद्धान्त कहते हैं।, विज्ञान क्या है ? ये जानने के बाद अब हम वैज्ञानिक विधि के बारे में, चर्चा करेंगे | वैज्ञानिक विधि उस विधि को कहते हैं ज़िसमें किसी भीं विषयवस्तु
Page 4 :
का अंध्ययन नियंत्रित परिस्थिति में किया जाता है तथा उससे प्राप्त परिणामों का, वैध एवम् विस्तष्त सामान्यीकरण किया जाता है।, , ड8 इलंलाप्तीट धल्तता०व 8 णार क जयंत तार उलंशाप॑॥( अपवां९8 मां, अपजुंस्त प्राधाक्ष गी ९णाएणोलिवं जञापबांगा ब्ाव 1005 (0 8 9049७ एक्वीव, , इशाशबीखववीणा,, , उपरोक्त परिभाषा से स्पष्ट है कि किसी भी वैज्ञानिक विधि में दो बातें, प्रमुख होती है, पहली यह कि अध्ययन नियंत्रित परिस्थति में हो और दूसरी यह, कि अध्ययन से प्राप्त परिणाम का सामान्यीकरणं वैध (५०1०) एवं विस्तृत हो।, , यहाँ नियन्त्रित परिस्थितिं से तात्पर्य ऐसी परिस्थिति से है जिसके अन्तर्गत, हम सिर्फ उसी चर के प्रभाव का अध्ययन करेंगे जिसका प्रभाव हम देखना चाहते, हैं तथा अन्य चरों के प्रभाव को नियंत्रित कर देगे ताक़ि उनका काई भी प्रभाव, उस अध्ययन पर न पड़ सके। इसके अलावा अध्ययन से प्राप्त परिणाम का, विस्तृत एवं वैध सामान्यीकरण से तात्पर्य है कि उन परिणामों को उन सभी लोगों, पर लागू किया जा सके जो उस अध्ययन में सम्मिलित तो नहीं किये गये परन्तु, जिनकी विशेषताएं उन व्यक्तियों से मिलती-जुलती है जिन्हें अध्ययन में शामिल, किया गया था।, , 1.2 वैज्ञानिक विधि के सोपान :, , कोई भी विधि वैज्ञानिक विधि तभी हो सकती है जब उसमें निम्न निश्चित, एवं उपयोगी चरणों का समावेश आवश्यक रूप से किया जाय , , , , , , , 1.2. समस्या की पहचान , किसी भी वैज्ञानिक विधि में सर्वप्रथम समस्या की निश्चित पहचान कर ली, जाती है | अर्थात् वास्तव में हम जिस समस्या या उससे सम्बन्धित चरों का अ६, ययन करना चाहते हैं वो वही है या नहीं। तत्पश्चात् अपने अध्ययन के अनुरूप, समस्या में सम्मिलि शब्दों का परिभाषीकरणं किया जाता है। ऐसा करने के लिए, शोधकर्ता समस्या से सम्बन्धित ज्ञान एवं सूचनाओं की आलोचनात्मक. व्याख्या, करता है |, , , , , , 1.2.2 परिकल्पना का निर्माण , , , समस्या पहचान के बाद परिकल्पना का निर्माण किया जाता है। किसी भी, समस्या की परिकल्पना उसका सम्भावित समाधान होती है।, , , , 1.2.3 निगमनात्मक चिंतन (0९वपल्ांए८ 7९॥७०णांगट्ठ) द्वारा परिकल्पना से, एक आशय तक पहुँचना- है, , , , वैज्ञानिक विधि के इस तीसरे चरण में निगमनात्मक चिंतन द्वारा प्रस्तावित, परिकल्पना के रूप में समस्या के सुझावात्मक समाधान (5पह8०४६४९० 5णपपंगा, , शोध का अर्थ, प्रकार एवं, आवश्यकता
Page 5 :
शांध को अथ॑ं, आवश्यकता,, समस्या की प्रकृति तथा डिजाइन, , ०116 [70009) पर पहुँचने की कोशिश का जाती हैं। यहां यह तय: 1कैया, , जाता है कि यदि परिकल्पना सच हुई, तो किन तथ्यों का प्रेक्षण किया जायेगा, तथा किन-किन तथ्यों का प्रेक्षण नहीं किया जायेगा।, , , , 1.2... सम्बन्धित प्रमाणों एवं कारणों का संग्रह एवं विश्लेषण, , , , इस चरण में प्रस्तावित परिकल्पना से सम्बन्धित संग्रहीत कारणों एवं, , . प्रमाणों का निगमन विधि (2९0प८४४९ (९४४००) द्वारा विश्लेषण किया जाता है।, , , , 1.2.5 परिकल्पना की जाँच , , , वैज्ञानिक विधि के इस चरण में चतुर्थ सोपान से प्राप्त आऑकड़ो के आधार, पर परिकल्पना की जाँच की जाती है। यदि परिकल्पना जाँच के आधार पर सही, सिद्ध होती है तो उसे स्वीकार कर लेते हैं और यदि परिकल्पन जाँच के आधार, पर सत्य सिद्ध नहीं होता है या उसमे कुछ कमी होती है तो उस कमी को दूर, कर सही परिकल्पना का निर्माण करने के लिए उसका परिमार्जन किया जाता है।, , अतः उपरोक्त चरणों के आधार पर यह समझा जा सकता है कि काई भी, वैज्ञानिक विधि उपरोक्त चरणों पर ही आधारित होगी।, , 1.3 वैज्ञानिक शोध का अर्थ एव विशेषतायें :, , जब किसी समस्या या प्रश्न को क्रमबद्ध एवं वस्तुनिष्ठ (09 ४८४९७) ढ़ंग, से सुलझाने का प्रयास किया जाता है तो इस क्रिया को ही वैज्ञानिक शोध कहते, हैं। करलिंगर ने शोध के अर्थ को स्पष्ट करते हुये कहा कि , "स्वभाविक घटनाओं का क्रमबद्ध, नियंत्रित आनुभाविक एवं आलोचनात्मक, अनुसन्धान जो घटनाओं के बीच कल्पिन संबंधों के सिद्धान्तों एवं परिकल्पनाओं, द्वारा निदेशित होता है, का वैज्ञानिक शोध कहा जाता है।”, , इसी प्रकार बेस्ट एवं काहन ने वैज्ञानिक शोध को निम्न प्रकार से, परिभाषित किया है , “वैज्ञानिक शोध किसी नियंत्रित प्रेक्षण का क्रमबद्ध एवं वस्तुनिष्ठ अभिलेख, एवं विश्लेषण है जिनके आधार पर सामान्यीकरण, नियम या सिद्धान्त विकसित, किया. जाता है तथा जिससे बहुत सारी घटनाओं, जो किसी खास क्रिया का, परिणाम या कारण हो सकती है, को नियंत्रित कर उनके बारे में पूर्वकफि्थन किया, जाता है।", , अतः: कहा ज़रा सकता है कि (वैज्ञानिक) शोध से तात्पर्य उस क्रिया या, क्रियाओं से है जिनके माध्यम से व्यवस्थित रूप से किसी समस्या का निराकरण, , , , , , -करने- का प्रयास -किया जाता है तथा प्राप्त निराकरण किसी नये सिद्धान्त का, , प्रतिपादन या पुष्टि करता है।, , वैज्ञानिक अनुसंधान की उपरोक्त परिभाषाओं के अतिरिक्त इसकी विशेषतायें, निम्नवत है , पा :नप्प्प्ला