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1. शिक्षक शिक्षा के लिये उचित पाठ्यक्रम, का निर्माण, , वर्तमान समय में शिक्षक से की जाने वाली अपेक्षाएँ व्यापक, रूप से देखी जा सकती हैं। आज शिक्षक का दायित्व व्यापक, हो गया है। इसलिये राष्ट्रीय पाठ्यक्रम संरचना शिक्षक शिक्षा, 2009 शिक्षण प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले छात्राध्यापकों के लिये, एक ऐसे पाठ्यक्रम का निर्माण करता है जो कि छात्राध्यापकों, में आदर्श गुणों का विकास कर सके। इसलिये शिक्षक शिक्षा, पाठ्यक्रम में छात्र, शिक्षक एवं समाज से सम्बन्धित जानकारी, का समावेश किया गया है। विभिन्न प्रकार की दार्शनिक, विचारधाराओं का समावेश भी किया गया है।, , शिक्षक शिक्षा के लिये उचित समयावधि, , का निर्धारण, , शिक्षक शिक्षा के लिये उचित समयावधि का निर्धारण भी इस, पाठ्यक्रम संरचना का प्रमुख उद्देश्य है। इसमें डी.एड. की, समयावधि 2, , वर्ष निर्धारित की गयी है, यह एक डिप्लोमा कोर्स होगा। डिग्री, कोर्स के रूप में बी.एड. का पाठ्यक्रम एक वर्ष का होगा।
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डिप्लोमा कोर्स के लिये योग्यता इण्टरमीडिएट तथा बी.एड. के, लिये योग्यता स्नातक होगी। इसके साथ-साथ इस समयावधि, में भी पृथकू-पृथक् समय, , विभाजन की व्यवस्था का उल्लेख किया गया है।, , 3. शिक्षकों के त्रिये व्यावसायिक वृद्धि की, , उपलब्धता, , राष्ट्रीय पाठ्यक्रम संरचना शिक्षक शिक्षा 2009 का प्रमुख, उद्देश्य शिक्षकों तथा छात्राध्यापकों के लिये व्यावसायिक, अभिवृद्धि का मार्ग प्रशस्त करना है।, , इसके लिये पाठ्यक्रम संरचना में सेवारत प्रशिक्षण की व्यवस्था, की गयी है जो कि डाइट एवं बी.आर.सी. के माध्यम से, सम्पन्न की जाती है। इसमें शिक्षकों को विविध प्रकार की, नवीन जानकारियों एवं शिक्षण विधियों का ज्ञान प्रदान किया, जाता है, जिससे शिक्षण अधिगम, , प्रक्रिया प्रभावी रूप से सम्पन्न होती है तथा शिक्षकों की, व्यावसायिक वृद्धि सम्भव होती है। इससे शिक्षकों की शिक्षण, कला में निखार सम्भव होता है।
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4. शिक्षकों की योग्यता एवं गुणों का, , विकास करना, , शिक्षकों की योग्यता एवं गुणों के विकास के लिये भी राष्ट्रीय, पाठ्यक्रम संरचना शिक्षक शिक्षा 2009 में पूर्ण व्यवस्था है।, इसमें शिक्षकों में प्रस्तुतीकरण की योग्यता, शिक्षण अधिगम, वातावरण के सृजन की योग्यता एवं छात्रों की मनोदशा को, समझने की योग्यता आदि के विकास की पूर्ण व्यवस्था को, गयी है। इसके लिये पाठ्यक्रम में, , मनोविज्ञान के सिद्धान्तों का समावेश किया है जिससे, छात्राध्यापक इन सिद्धान्तों का ज्ञान प्राप्त करके छात्रों की, मनोदशा समझ सकें तथा उसके अनुरूप वातावरण सृजित, करके छात्रों के अधिगम, , स्तर में वृद्धि कर सकें। इस प्रकार शिक्षकों में योग्यता एवं, गुणों का विकास सम्भव होता है। यही पाठ्यक्रम संरचना का, प्रमुख उददेश्य है।
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5. शिक्षक शिक्षा का क्रमबदध प्रस्तुतीकरण, , राष्ट्रीय पाठ्यक्रम संरचना शिक्षक शिक्षा 2009 में शिक्षक शिक्षा, कार्यक्रम को व्यवस्थित रूप में प्रस्तुत किया गया है जिससे, भावी शिक्षकों को आदर्श शिक्षकों के रूप में तैयार किया जा, सके। इसमें पाठ्यक्रम को तीन भागों में विभकत किया गया, है। प्रथम भाग, , में शिक्षा के आधार, द्वितीय भाग में शिक्षाशास्त्र एवं पाठ्यक्रम, को सम्मिलित किया गया है तथा तृतीय भाग में प्रयोगात्मक, कार्य एवं इण्टर्नशिप को सम्मिल्रित किया गया। इस प्रकार, पाठ्यक्रम, , को क्रमबदध एवं व्यवस्थित रूप प्रदान कर सिद्धान्त एवं, प्रयोगदोनों में समन्वय स्थापित किया गया है।, , 6. शिक्षक का विकास एक सुगमकर्ता के, , रूप में, , राष्ट्रीय पाठ्यक्रम संरचना शिक्षक शिक्षा 2009 का प्रमुख, उद्देश्य शिक्षक की भूमिका को एक सुगमकर्ता के रूप में, प्रस्तुत करना है। शिक्षक को सुगमकर्ता बनाने के लिये