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प्रयत्न एवं भूल का सिद्धांत - प्रयास और भूल की प्रक्रिया में किसी समस्या को, हल करने के लिए पहले कुछ उपाय किया जाता है जो प्रायः सफल नहीं होता, फिर, दूसरा उपाय करके मनुष्य समस्या के वास्तविक हल तक पहुंच सकता है।, उददीपक-.वह वस्तु या स्थिति जो किसी भी व्यक्ति को कार्य करने के लिए प्रेरित, करती है।, अनुक्रिया-- उददीपक के अनुसार किया जाने वाला कार्य अनुक्रिया कहलाता है।, जब कोई उददीपक प्राणी के समक्ष उपस्थित होता है तो वह उसके प्रति अनुक्रिया, करता है। अनुक्रिया के सही या संतोषजनक होने पर उसका संबंध उस विशेष, उददीपक के साथ हो जाता है जिसके कारण वह अनुक्रिया की गई है।, अधिगम की प्रक्रिया के दौरान उद्दीपक तथा अनुक्रिया के बीच बंधन बनते हैं, जिन्हें हम उददीपक-अनुक्रिया बंधन कहते हैं।, वुडवर्थ प्रयास एवं भूल की प्रक्रिया में किसी समस्या को हल करने के लिए, पहले कुछ उपाय किया जात है, जो प्रायः सफल नहीं होता] फिर दूसरा, उपाय करके मनुष्य समस्या के वास्तविक हल तक पहुँच जाता है।, सीखने के लिए थॉर्नडाइक ने दो बातों पर बल दिया, सीखने के लिए प्रेरणा का होना आवश्यक है।, पुनर्बलन होना आवश्यक है जो सीखने वाले को संतुष्ट कर सके।, अधिगम के नियम -, थॉर्नडाईक ने अधिगम के कुल आठ नियम प्रतिपादित किए जिनमें, 3 मुख्य व 5 गौण नियम हैं।
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अधिगम के मुख्य नियम, 1. तत्परता का नियम: किसी भी क्रिया को सीखने हेतु प्राणी को तत्पर होना, आवश्यक है।, वुडवर्थ इसे मानसिक तैयारी का नियम कहते हैं ।, 2.अभ्यास का नियम: - जिन क्रियाओं को बार-बार किया जाता है वे मस्तिष्क में, बनी रहेगी अन्यथा विलोपित हो जायेगी। इसे उपयोग या अनुपयोग का नियम भी, कहते हैं।, 3.प्रभाव का नियम: जिन क्रियाओं का प्रभाव अच्छा होता है या करने में आनंद, आता है उन्हें हम जल्दी सीख जाते हैं। इसे संतोष या असंतोष का नियम भी कहते, हैं।, अधिगम के गौण नियम-, 1-बहुप्रतिक्रिया का नियम: जब हम कोई नया कार्य सीखते हैं तो उसके प्रति, अनेक क्रियाएं करते हैं या कई प्रकार के तरीके अपनाते हैं।, 2- आंशिक क्रिया का नियम: किसी कार्य को छोटे-छोटे भागों में विभाजित करने, से कार्य सरल व सुगम हो जाता है। जैसे: पूर्ण से अंश की ओर विधि, 3- मनोवृत्ति या मानसिक क्रिया का नियम: जिस कार्य के प्रति जैसी हमारी, मनोवृत्ति होती है उसी अनुपात में हम उस कार्य को सीखते हैं।, 4- आत्मीकरण का नियम: इसके अन्तर्गत पूर्व ज्ञान के आधार पर नवीन ज्ञान, लिया जाता है।, 5- साहचर्य परिवर्तन का नियम: एक परिस्थिति में घटित अनुक्रिया का दूसरी, परिस्थिति में ठीक उसी प्रकार घटित होना साहचर्य कहलाता है। इसे अनुकूलित, अनुक्रिया का नियम भी कहते हैं।, शैक्षिक महत्त्व, सर्वप्रथम पशुओं पर प्रयोग करने वाले वैज्ञानिक थॉर्नडाईक थे।