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2, शाला अनुभव कार्यक्रम (प्रथम वर्ष), मार्गदर्शिका, 1., भूमिका--, विभिन्न पेशेवर कार्यक्रम की तरह शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम में भी पेशेवर दक्षता और, कौशल प्रदान करने हेतु शाला अनुभव (स्कूल इंटर्नशिप) कार्यक्रम को रखा गया है. ताकि, भावी शिक्षकों में स्कूल शिक्षा और शिक्षण के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को विकसित, किया जा सके। शाला अनुभव/शाला इंटर्नशिप कार्यक्रम छात्राध्यापकों में शिक्षण एवं, शिक्षा के संबंध में पेशेवर समझा दक्षता, कौशल एवं सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने, हेतु शिक्षण प्रशिक्षण संस्था के लैब स्कूल में भेजा जाता है। इस कार्यक्रम के दौरान, छात्राध्यापक विभिन्न स्कूलों में जा कर शिक्षण कार्य का अनुभव लेते हैं एवं शिक्षण कला, में प्रायोगिक तौर पर प्रशिक्षण प्राप्त करते है। वर्तमान शिक्षा में स्वाध्याय, स्वज्ञान एवं ज्ञान, निर्माण (constructism } उपागम पर आघारित है, जिसमें छात्र केन्द्रित शिक्षा पर अत्यधिक, बल दिया जाता है। शाला अनुभव कार्यक्रम भावी शिक्षकों को शैक्षिक सिद्धांत और शैक्षिक, अक्धारणाओं को जोड़ने के लिए, सैद्धांतिक प्रस्तावों की वैधता का परीक्षण करने के लिए, वास्तविक विच्यालय में अभ्यास करने हेतु एक अवसर प्रदान करता है।, शाला अनुभव कार्यक्रम का उद्देश्य केवल एक विषय के पाठों की, पाठ योजना बना, कर प्रदर्शन के लिए नहीं होना चाहिए अपितु इसमें छात्राध्यापकों को सम्पूर्ण शाला के, साथ कार्य करके उसके विभिन्न पहलुओं यथा बच्चे, कक्षा, कक्षाकक्ष प्रक्रिया बच्चों के, सीखने की प्रक्रिया, पाठ्यक्रम आदि को समझने का अवसर मिलना चाहिए।, 2 शाला अनुमव कार्यक्रम से आशय एवं स्वरूप :-, गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक शिक्षा के विचार को साकार रूप देने के लिए ऐसे शैक्षिक, कार्यक्रम एवं अवसर उपलब्ध कराने की आवश्यकता है जो शिक्षकों में बच्चों की समझ,, शिक्षा की समझ, समस्याओं को पहचानने तथा विभिन्न समकालीन चुनौतियों पर चिंतन, कर उन पर विजय प्राप्त कर सकने में मदद कर सके । डी.एल.एड. नवीन पाठ्यक्रम में, छात्राध्यापकों की समझ एवं आवश्यक क्षमताओं को इसी दिशा में विकसित करने का, प्रयास किया गया है। साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में नवीन प्रयोगों की आवश्यकता नवीनतम्, शिक्षा सिद्धांतों एवं बहुआयामी विकास कार्यक्रमों की समझा बढ़ाने हेतु प्रयोग एवं अभ्यास
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एन.सी.टी.ई. के गाईडलाइन के अनुसार राज्य के डी.एल.एड. पाठ्यक्रम के शाला, अनुभव कार्यक्रम को विकसित किया गया है।, एनसीटीई के गाईडलाईन के अनुसार इंटर्नशिप स्कूल के कुछ शिक्षकों को "मेटर, शिक्षक" के रूप में नामांकित किया जाना है। प्रथम वर्ष के D4 सप्ताह के इंटर्नशिप, कार्यक्रम में प्रत्येक मेंटर D4-08 छात्राध्यापकों को उनकी विषय विशेषज्ञता को ध्यान में, रखते हुए अपने साथ संलग्न कर सकता है। मेंटर शिक्षक छात्राध्यापकों को विस्तारित, शिक्षक शिक्षा संकाय के सदस्य के रूप में कार्य करा सकते है तथा उनको उस क्षेत्र में, विकसित कर सकते है।, छात्राध्यापक जिन विद्यालयों में इंटर्नशिप करेंगे उसे शिक्षक शिक्षा संस्थान के लैब, स्कूल के रूप में माना जाना चाहिए ताकि शिक्षकों और छात्राध्यापकों को स्कूल के छात्रों,, शिक्षकों और स्थानीय समुदाय के साथ लगातार संलग्न करने में सक्षम बनाया जा सके,, जिसमें शिक्षा प्रणाली, स्वयं शालेय छात्र, समुदाय आदि की समझ विकसित की जा सके।, विद्यालयों में छात्राध्यापक विभिन्न शैक्षिक प्रयोग, बातचीत, सूचना एकत्रित करना आदि, संकलित कर सके इसके लिए ये स्कूल उन्हें उपलब्ध कराया जाना है।, रकूल इंटर्नशिप के दौरान छात्राध्यापकों का प्रदर्शन और उपलब्धियों का, मूल्यांकन/प्रमाणन के उद्देश्य के लिए स्कूल के प्रधानपाठक एवं शिक्षक शिक्षा संस्था के, संकाय सदस्य उनका लगातार निर्धारित तरीके से मूल्यांकन करेंगे शिक्षक शिक्षा संस्थान, स्कूलों को मूल्यांकन योजना (एनसीटीई की इंटर्नशिप पुस्तिका में प्रदान किए गए) के, लिए विस्तृत दिशा निर्देश उपलब्ध करायेंगे।, 3., इंटर्नशिप कार्यक्रम की आवश्यकताः-, स्कूल शिक्षा की बदलती हुई आवश्यकताओं के संदर्भ में प्रचलित अध्यापन- अभ्यास, /क्षेत्र- अनुभव कार्यक्रम आदि औपचारिकता मात्र रह गये हैं पाठयोजनाएँ संख्या पूर्ण, होने तक केन्द्रित रहती है जो परंपरावादी तरीके से केवल संकीर्ण उद्देश्यों की पूर्ति मात्र, कर रही है। साथ ही पाठयोजना वास्तविक चिंतन के अभाव में केवल मशीनीकृत रूप से, बनायी जाने लगी है। शिक्षक-शिक्षा की गुणवत्ता का स्तर दिन-प्रतिदिन घटता जाता जा, रहा है। NCFTE 2009 द्वारा शाला अनुभव कार्यक्रम के रूप में एक ऐसे प्लेटफार्म की, आवश्यकता महसूस की गई. जिसमें छात्राध्यपक अपने अनुभवों के आधार पर शिक्षण-, अधिगम प्रक्रिया करवा सके साथ ही वह शाला, समुदाय व परिवेश से निरंतर सीखता रहे, और उसमें स्वतंत्र चिंतन की क्षमता विकसित हो सके। NCF 2005 के अनुसार आज का
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छात्राध्यापक भविष्य में भावी शिक्षक के रूप में समाज और विश्व को बेहतर बनाने की, दिशा में अपनी भूमिका को सुविधादाता के रूप में निभाने वाला होना चाहिए।, 4 इंटर्नशिप कार्यक्रम का महत्व-, शाला इंटर्नशिप कार्यक्रम द्वारा भावी शिक्षक अपने व्यवसाय से परिचित होते है,, जहां उन्हें शाला की वास्तविक परिस्थितियों में कार्य करने का अनुभव प्राप्त होता है।, अधिगम प्रक्रिया से जुड़ता है एवं शालेय शैक्षिक,, सहशैक्षिक गतिविधियों के द्वारा उसे समाज और समुदाय से जुड़ने में मदद मिलती है, जिससे उसकी अंतदृष्टि का विकास होता है। वह अपने कार्यों का स्वमूल्यांकन व, छात्राध्यापक सीधे कक्षा शिक्षण, विश्लेषण कर आगामी शिक्षण कार्य योजना बनाता है. जिससे बच्चों को अधिगम के अधिक, से अधिक अवसर मिलते हैं। छात्राध्यापक विद्यार्थियों से फीडबैक प्राप्त कर अपने अधिगम, अनुभवो के अधार पर अधिक से अधिक सीखने का प्रयास करता है. जिससे उसका प्रभाव, (reflection) उसके शिक्षण में दिखाई देगा। इस प्रकार, मात्र उपाधि प्राप्ति के अधीन न रहकर छात्राध्यापको को एक योग्यताधारी एवं, व्यावसायिक रूप से भावी शिक्षक बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा ।, शाला इंटर्नशिप कार्यक्रम, शाना अनुमय कार्यन के उद्देश्य-, 1. शाला में कार्य करते हुए शाला को तथा उसमें कार्य करने के तरीको को समग्र, रूप से समझने हेतु अवसर प्रदान करना।, 2. विद्यालय स्धी विभिन्न कार्यों को समीप से देखने का अवसर उपलब्ध कराना, ताकि वे प्रत्येक समस्या एवं चुनौती को पहचान कर, हल कर पाने की क्षमता स्वयं, में विकसित कर सकें।, 3. बच्चों की समझ के अनुरूप प्रभावी शिक्षण कार्य के लिए स्वयं को तैयार करना।, शाला अवलोकन के दौरान शाला प्रब्धन, समुदाय के साथ कार्य, बच्चों को, समझना, पाठ्य सहगामी क्रियाकलापों को समझना एवं प्रभावी शिक्षण हेतु इनकी, आवश्यकता को महसूस करने का अवसर देना जिससे विद्यालय, समुदाय तथा बच्चों के, बीच आपसी संबंध की समझ विकसित हो सके।