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न कण | #४ पैटर्न हिंदी केंद्रिक कक 12 (शा ]), 75, , लिए, थ। छोटी बह के लीक छोड़कर चलने के कारण अर, मिलना आवश्यक हो गया।, (क) जीवन के दूसरे पा परिच्छेद' से क्या आशय है?, () वैवाहिक जीवन () अवैवाहिक जीवन, (0 संन््यासी जीवन (४) मिश्रित जीवन, (8) भक्तिन ने कितनी लड़कियों को जन्म दिया था?, (0) पाँच (6) दो, (0) चार (५) तीन, 'ग) भक्तिन के पुत्र न होने पर उसकी सास द्वारा उपेक्षा प्रकट, े करना किस कारण उचित था?, (0) क्योंकि वह लड़कियों को पसंद नहीं करती थी, (0) क्योंकि वह स्वयं तीन पुत्रों को जन्म दे चुकी थी, (0 क्योंकि वह भक्तिन से घृणा करती थी, (0 क्योंकि वह और अधिक पुत्रियाँ चाहती थी, , (3) गब्बांश में प्रयुक्त 'छोटी बहू' संबोधन किसके लिए, प्रयुक्त हुआ है?, () महादेवी वर्मा (0) सास, (1) भक्तिन (५) छोटी जेठानी, (8) लीक छोड़कर चलने से क्या अभिप्राय है?, () पुरानी परंपरा पर चलना, 0) नए तरीके को छोड़कर पुराने पर चलना, 1) सभी के साथ मिलकर चलना, (५ पुरातन तरीके से अलग हटकर नए तरीके से चलना, , 3. भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें, का अभाव नहीं। वह सत्यवादी हरिश्चंद्र नहीं बन, सकती, पर 'नरो वा कुंजरो वा' कहने में भी विश्वास नहीं, करती। मेरे इधर-उधर पड़े रुपये-पैसे, भंडार-घर की, किसी मटकी में कैसे अंतरहित हो जाते हैं, यह रहस्य भी, भक्तिन जानती है। पर, उस संबंध में किसी के संकेत, करते ही वह उसे शास्त्रार्थ के लिए चुनौती दे डालती है,, स्वीकार कर लेना किसी तर्क-शिरोमणि के लिए, संभव नहीं। यह उसका अपना घर ठहरा, रुपया-पैसा जो, रैपर-उधर पड़ा देखा, सैभालकर रख लिया।, है क्या चोरी है। उसके जीवन का परम कर्तव्य 2, पपनन रखना है। जिस बात से मुझे क्रोध आ सकता है, अन, बसे इधर-उधर करके बताना, क्या झुठ है। नहीं, जोर और इतना झूठ तो घर्मराज महाराज में भी होगा, न, गै वे भगवान जी को कैसे प्रसन्न रख सकते और संसार, को कैसे चला सकते।, , 01, , (क) लेखिका ने 'नरो वा कुंजरो वा' वाक्यांश किस संदर्भ में, कहा था?, , () महाभारत का प्रसंग बताने के लिए, , 0) भक्तिन के चरित्र के विषय में बताने के लिए, (1) नर और कुंजर का अर्थ स्पष्ट करने के लिए, (४) मनुष्य और देवता में अंतर बताने के लिए, , (ख) भक्तिन द्वारा भंडार घर की मटकी में छिपाकर रखे, चोरी न मानने के पीछे क्या तर्क, दिया गया?, (0) यह रुपयों का एक स्थान पर संचयन करना है, () यह रुपयों के अपव्यय को रोकना है, (1) यह आपातकाल कै लिए बचाई गई राशि है, (४) यह भक्तिन की स्वयं की कमाई है, (7) लेखिका के क्रोध से बैचेने के लिए संक्तिन क्या करती थी?, () बात को सीधे-सीधे बता देती थी, 0) बात को इधर-उधर करके बताती थी, (1) बात को छिपाकर रखती थी, (४) बात ही नहीं करती थी, , (घ) भक्तिन के जीवन का परम कर्त्तव्य किसे माना गया है?, () अपना जीवन सुधारना, 0) लेखिका को प्रसन्न रखना, (1) चोरी करना, (५) लेखिका का विरोध करना, , (ड) भक्तिन के शास्त्रार्थ को स्वीकार करना किसके लिए, संभव नहीं था?, () तर्क शिरोमणि के लिए, (0) धर्मराज के लिए, (0) लेखिका के लिए, (५) भगवान के लिए, , 4. भक्तिन और मेरे बीच में सेवक-स्वामी का संबंध है, यह, कहना कठिन है; क्योंकि ऐसा कोई स्वामी नहीं हो सकता,, जो इच्छा होने पर भी सेवक को अपनी सेवा से हटा न, सके और ऐसा कोई सेवक भी नहीं सुना गया, जो स्वामी, के चले जाने का आदेश पाकर अवज्ञा से हँस दे। भक्तिन, को नौकर कहना उतना ही असंगत है, जितना अपने घर में, बारी-बारी से आने-जाने वाले अँधेरे-उजाले और आँगन, में फूलने वाले गुलाब और आम को सेवक मानना। वे, जिस प्रकार एक अस्तित्व रखते हैं, जिसे सार्थकता देने के, लिए ही हमें सुख-दुःख देते हैं, उसी प्रकार भक्तिन का, स्वतंत्र व्यक्तित्व अपने विकास के परिचय के लिए ही मेरे, जीवन को घेरे हुए है।