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विशेष लेखन, , इस अध्याय में..., * विशेष लेखन, * विशेषज्ञता, , * चैप्टर प्रैक्टिस, , विशेष लेखन से तात्पर्य, , जब किसी विशेष विषय पर, , ब्याफॉर ,» राजनीति » अपराध कप ॥| 2408 गा है 1 के ला बल लत हज ही., * *' आनून, रक्षा, पर्यावरण, विदेश शिक्षा आदि विशेष लेखन के क्षेत्र में सम्मिलित किए जाते हैं।, , विशेष लेखन के लिए भी अलग डेस्क होती है। इस विशेष, , से यह अपेक्षा को जाती है कि संबंध विषय थे ष डेस्क पर काम करने वाले पत्रकारों का समृह भी अलग होता है। इन पत्रकारों, यानी कारोबार और व्यापार के लिए अलग नषय या क्षेत्र में उनकी विशेषज्ञता होगी। जैसे समाचार पत्रों और अन्य माध्यमों के बिजनेस, , लए अलग डेस्क होता है। इसी प्रकार खेल की खबरों और फीचर के लिए खेल डेस्क अलग होता है।, बीट रिपोर्टिंग, , 'घेटना/विषय से हटकर ले, , विशेष लेखन केवल बीट रिपोर्टिंग न होकर बीट रिपोर्टिंग से, , ह भी आगे एक तरह की विशेषीकृत रिपोर्टिंग है जिसमें न केवल उस विषय, की विस्तृत जानकारी होना आवश्यक है बल्कि उस रिपोर्टिंग, , से संबंधित भाषा और शैली पर भी आपका पूरा अधिकार होना चाहिए।, बीट रिपोर्टिंग तथा विशेषीकृत रिपोर्टिंग में अन्तर, , _ __ वीट रिपोर्टिंग _ विशेषीकृतरिपोर्टिग..., बीट रिपोर्टिंग में संवाददाता को उस क्षेत्र की जानकारी विशेषीकृत रिपोर्टिंग में संवाददाता को सामान्य खबरों से आगे बढ़कर उस क्षेत्र, होना पर्याप्त है। उसे सामान्य तौर पर खबरें ही लिखनी से जुड़ी सूचनाओं का बारीकी से विश्लेषण कर पाठकों के समक्ष उनका अर्थ, , होती हैं। स्पष्ट करना होता है।, बीट कवर करने वाले रिपोर्टर को संवाददाता कहते हैं। विशेषीकृत रिपोर्टिंग करने वाले रिपोर्टर को विशेष संवाददाता कहा जाता है।, , , , विशेष लेखन के अन्तर्गत रिपोर्टिंग के अतिरिक्त उस क्षेत्र विशेष या विषय विशेष पर फीचर, टिप्पणी, साक्षात्कार, लेख, समीक्षा, और स्तम्भ भी आते हैं। इस प्रकार का विशेष लेखन समाचार-पत्र या पत्रिका में काम करने वाले पत्रकार से लेकर फ्रीलांसर
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प्रकार या लेखक तक सभी कर सकते है, लेकिन इत पत्रकार या, लेखको का उस विषय में सम्पूर्ण एवं विस्तृत ज्ञान होना अनितार्य है।, अत: पत्र- पंत्रिकाओ ५ अखबारों मे किसी विषय पर लेख लिखने वाले, सामान्यतः: पेशेवर पत्रकार न होकर विषय विशेषज्ञ होते है; जैसे -रक्षा,, विज्ञान, विदेश नीति, शिक्षा आदि ऐसे हो किसी क्षेत्र गे कई वर्षों से, काम करने जाला पेशेवर व्यक्तित इनके बारे में उचित, संक्षिप्त एबं, प्रभावशाली रूप से लिख सकता है।, , विशेष लेखन की भाषा और शैली, विशेष लेखन में प्रत्येक क्षेत्र को विशेष तकनीकी शब्दानलियों का, प्रयोग किया जाता है। जैसे७) कारोबार और व्यापार मे तेजी, तेजड़िया. मंदड़िया सोना तछला,, चांदी लुढ़को आदि।, (४७) पर्यावरण संबंधों लेख में आता, रैक्सेस कचरा, ग्लोबल वार्मिंग, आदि।, 0४७ खेलों में भारत ने पाकिस्तान को चार विकेट से हराया'।, ७७) चैम्पियंस कप मे मलेशिया ने जर्मनी के आगे घुटने टेके।, विशेष लेखन की कोई भी निश्चित शैली नहीं होती परंतु सामान्य, लेखन का यह सर्जमान्य नियम विशेष लेखन पर भी लागू होता है कि, बह सरल और समझ में आने बाला हो। विशेष लेखन में पत्रकार चाहे, कोई भो शैलो अपनाए लेकिन उसे यह ध्यान रखना आवश्यक है कि, विशेष विषय पर लिखा गया लेख सामान्य से अलग होना चाहिए।, , विशेषज्ञता, , जब कोई व्यक्ति किसी विषय विशेष से प्रशिक्षित न होने के उपरांत, भी उस विषय को व्याख्या, अपने अनुभव, प्राप्त सूचनाओं और समझ, के आधार पर पाठकों को सफलतापूर्वक स्पष्ट करता है, तो उसके, इसो गुण को उसको विशेषज्ञता कहते हैं।, , किसी भी विषय में विशेषज्ञता प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं, का ध्यान रखना आवश्यक है, , * आप जिस भी विषय में विशेषज्ञता प्राप्त करना चाहते हैं, उसमें, आपको रुचि होनी चाहिए।, , * उच्चतर माध्यमिक (+2) और स्नातक स्तर पर उसी विषय से, संबंधित पढ़ाई करें।, , * अपनी रुचि के विषय में पत्रकारीय विशेषज्ञता प्राप्त करने के लिए, आपको उन विषयों से संबंधित पुस्तकें ज्यादा-से-ज्यादा पढ़नी, चाहिए।, , * अपने विषय से संबंधित खबरों और रिपोर्टों की कटिंग करके, उनकी एक फाइल बनाकर स्वयं को अपडेट रखना चाहिए।, , * उस विषय से संबंधित प्रोफेशनल विशेषज्ञों के लेखों की एक, कटिंग बनाकर उसे सावधानीपूर्वक अपने पास रखनी चाहिए।, , * जहाँ तक भी संभव हो, अपने विषय से संदर्भित सभी प्रकार की, सामग्री अपने पास रखनी चाहिए। उस विषय से संबंधित, शब्दकोश तथा इनसाइक्लोपीडिया भी अपने पास रखनी चाहिए।, , * जिस विषय में आप विशेषज्ञता प्राप्त करना चाहते हैं, उससे, संबंधित सरकारी तथा गैर-सरकारी संगठनों/संस्थाओं की सूची,, उनकी वेबसाइट का पता, टेलीफोन नंबर व वहाँ कार्यरत् विशेषज्ञों, के नाम व फोन नंबर अपनी डायरी में अवश्य लिखिए।, , , , , , पत्रकारीय विशेषज्ञता, , विशेषज्ञता से तात्पर्य यह नहीं है कि आपने उससे संबंधित कोई डिग्रीया, प्राप्त कर रखा है। परंतु पिछले कुछ वर्षों में ऐसे विशेषज्ञ पत्रकार, किसी एक सिषस; जैसे --र्थशारत्र या पयविरण विज्ञान में प्रो, संबंधित विषय में उच्च डिग्री लेकर पत्रकारिता में आए हैं, परत पक, विशेषज्ञता का मतलब यहाँ कुछ उालग तरह मे है। पत्रकागीय विशेष, कक, तात्पर्य है कि किसी विषय में व्यावसायिक रूप से प्रशिक्षित न होने के याद, बिषय में अपनी जानकारी व अनुभव इतना हो कि आप उस विषय थे ५; ॥्, संबंधित घटने बाली घटनाओं या मुददों की काफी सरलता व मद जता मे ब्य के, कर सकें और पाठकों को उसके बार मे आसानी से समझा सक्के।।, , विशेष लेखन के कुछ प्रचलित क्षेत्र, , कारोबार और व्यापार, , कारोबार और व्यापार तथा अर्थजगत का क्षेत्र काफी व्यापक है। आपने, सामान्यतः देखा होगा कि समाचार पत्र में व्यापार/कारोबार/अर्थ जगत के गा, से अलग पृष्ठ दिया गया होता है। इसमें कृषि से लेकर उद्योग तक तथा, व्यापार से लेकर शेयर बाजार तक अर्थव्यवस्था से जुड़े सभी क्षेत्र शामिल, इन सभी क्षेत्रों में एक साथ विशेषज्ञता प्राप्त करना कठिन होता है। इसी का, कारोबार या अर्थजगत में से भी कोई भी विशेष क्षेत्र चुनना पढ़ता है। जैसे, कोई शेयर बाजार का विशेषज्ञ है, तो कोई निवेश के मामलों का, कोई ब&, क्षेत्र का विशेषज्ञ है, तो कोई प्रॉपर्टी के क्षेत्र में ज्यादा जानकारी रखता है,, कोई बजट का जानकार है तो कोई मंडी का।, , * कारोबार तथा अर्थजगत से जुड़ी प्रतिदिन की खबरें उल्टा पिगमिद जैन, में लिखी जाती हैं।, , * आर्थिक मामलों की पत्रकारिता का कुछ वर्षों में काफी महत्त्व बढ़ा है,, जिसका कारण देश में राजनीति ब अर्थव्यवस्था में परस्पर प्रगाढ़ संबंध, है। इसलिए एक आर्थिक पत्रकार को देश की राजनीति व उसमें हो रहे, परिवर्तन की जानकारी होना आवश्यक है।, , खेल, , आजकल अधिकांश लोगों की रुचि खेल में होती है। खेल हर व्यक्ति के जीवन में, नई ऊर्जा का संचार करता है। हम में से अधिकांश के अंदर एक खिलाड़ी जर्, होता है। इसलिए हम अपनी व्यस्ततापूर्ण जिंदगी में भी खेल से संबंधित समाचा, देखने, सुनने अथवा टी.वी. पर खेल देखने के लिए समय निकाल ही लेते हैं। सर्ण, अखबारों में खेल के लिए एक या दो पृष्ठ होते हैं। टी.वी. व रेडियो बुलेटिन खेले, की खबर के बिना पूरा नहीं होता है। समाचार-पत्र और पत्रिकाओं में खेलो प, विशेष लेखन, खेल विशेषांक और खेल परिशिष्ट प्रकाशित होते हैं।, , ऐसा माना जाता है कि पत्र-पत्रिकाओं में खेलों के बारे में लिखने वालों के लिए, यह अति आवश्यक है कि वे खेल की तकनीक, उसके नियमों, उसकी बारॉकियो, और उससे जुड़ी तमाम बातों से अच्छी तरह परिचित हों। खेलों की रिपोर्टिंग औः, विशेष लेखन की भाषा और शैली में एक ऊर्जा, जोश, रोमांच और उत्साह दिखा, चाहिए। खेल की खबर या रिपोर्ट उल्टा पिरामिड शैली में शुरू होती है तथा दूसा, पैराग्राफ में यह कथात्मक अर्थात् घटनानुक्रम शैली में लिखी जाती है।, निष्कर्ष रूप में हम कह सकते हैं कि विशेष लेखन करते समय मूल बात व, है कि हम जिस भी विशेष विषय के बारे में लिखते हैं वह बात हमारे पाठक, को समझ में आनी चाहिए। हमारी अभिव्यक्ति ठीक होनी चाहिए तथा हमारे, तथ्यों व तर्कों में आपसी तालमेल होना जरूरी है। यही हमारे लेखन की, विशिष्ट बनाती है।, , 1), , , , , आए $, , , , जता मे, , , , , , , , , , हैँ
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वर्णनात्मक प्रश्न, , 1. पिशेष लेखन क्या है?, उत्तर किसी भी क्षेत्र मे जब सामान्य लेखन से हर्कर विशेष लेखन, , जाता है, तो उसे विशेष लेखन कहते है।, , अखबार या पत्र पत्रिका मे खेल, अध॑व्यवस्था है, , पर विशेष प्रकार का लेखन प्रकाशित होता है। प्र र्पा भकाओ थे. विष, पत्रों के अतिरिक्त टी. बो. और रेडियो चैनलो मे विशेष लेखन जाप, अलग डेस्क होता है। उस विशेष डेस्क पर काम करने कै लिए, समूह भो अलग होता है। इन डेस्को पर काम ल> ) बाले सके के, और संबाददाताओ से अपेक्षा को जाती हे कि संबंधित बिछ, पेश छ, उसकी विशेषज्ञता होगी। डेस्को पर काम करने वाले संवाददाक "मे, बोच काम का विभाजन सामान्यतया उनकी रुचि तथा संबंधित कि कै, ज्ञान को ध्यान मे रखते हुए किया जाता हे। कल, , 2. विशेष लेखन में बीट तथा डेस्क का क्या आ भप्राय होता है?, उत्तर संवाददाताओं के बोच काम का विभाजन साधारण तथा रुचि, संबंधित क्षेत्र मे ज्ञान को ध्यान मे रखते हुए किया गाहा है। मोहिया, की भाषा में इसे बीट कहा जाता है। एक संवाददाता 1 बोट यदि, अपराध है तो इसका अर्थ हे कि बह अपराधिक घटनाओं की रिपोहिंश, के लिए जिम्मेदार होगा।, विशेष लेखन के लिए समाचार पत्र पत्रिकाओ, रेडियो ब टी बो्पे, अलग डेस्क होता है। इस अलग डेस्क पर काम करने वाले, , ह।, , लग होता है। इन, डेस्कों पर काम करने वाले ःप संपादकों तथा सवाददाताओ कौ, , संबंधित क्षेत्र में वशेषज्ञता होने को अपेक्षा की जाती है।, 3. बीट रिपोर्टिंग के लिए पत्रकार को क्या तैयारी करनो पड़ती है?, , करने के लिए उसको संपूर्ण जानकारी एकत्रित करनी पड़तो है। उदाहरण, के लिए, यदि किसी पत्रकार को किसी विशेष राजनीतिक दल के बारे मे, रिपोर्ट तैयार करनी है, तो उसे उसका इतिहास ज्ञात होना चाहिए। उसे, , यह पता होना चाहिए कि वह राजनीतिक दल कब उभरा और
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09:, , 5£ 1/॥१॥ | हिंदी केंद्रिक »0॥, , समय-समय पर उसमें क्या परिवर्तन हुए। वर्तमान में दल नीतियाँ, सिद्धान्त क्या हैं। दल की नीतियाँ व, मौजूदा समय में राजनीतिक पटल पर उसकी क्या स्थिति है। उसके उस्, यदाधिकारी कौन हैं, वे किस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं आदि। दे कम उच्च, शक लिए पत्रकार, को केबल तथ्यों के आधार पर ही रिपोर्ट बनानी, नहीं होती. बल्कि उसे पुख्ता ख्रोतो के आधार पर उस राजनीतिक *, , ब्यौरा देना पड़ता है। दल का, , गन बीट-रिपोर्टिंग और विशेषीकृत रिपोर्टिंग में क्या अंतर है?, उत्तर बीट-रिपोर्टिंग व विशेषीकृत रिपोर्टिंग में मुख्य अंतर यह है कि अपनी, जे 5 पपनी, बोट की रिपोर्टिंग के लिए संवाददाता को उस क्षेत्र के बारे में जानकारी, और रुचि होना पर्याप्त होता है। बीट रिपोर्टर को सामान्यतया अपनी बीट, से जुड़ी सामान्य खबरें ही लिखनी होती हैं।, विशेषीकृत रिपोर्टिंग का तात्पर्य है कि संवाददाता सामान्य खबरों से आगे, विशेष ग न्यि झा, , बढ़कर उस विशेष क्षेत्र या विषय से जुड़ी घटनाओं, मुद्दों और से, समस्याओं का सूक्ष्मता से विश्लेषण करें तथा पाठकों के समक्ष उनका, अर्थ स्पष्ट करने का प्रयास करें।, बीट कवर करने वाले रिपोर्टर को संवाददाता कहा जाता है, जबकि, विशेषीकृत रिपोर्टिंग को विशेष संवाददाता कहा जाता है।, , 5. विशेष लेखन की भाषा-शैली कैसी होती है?, , उत्तर विशेष लेखन की भाषा-शैली विषय के अनुसार निर्धारित होती है। विशेष, लेखन उल्टा पिरामिड शैली तथा फीचर शैली दोनों में ही लिखा जाता है।, विशेष लेखन करते समय संवाददाता को उस विशेष क्षेत्र की, शब्दावलियों से परिचित होना आवश्यक है। विशेष लेखन में हर क्षेत्र के, लिए विशेष तकनीकी शब्दावली का प्रयोग होता है, जैसे-कारोबार और व्यापार तेजड़िया, मंदड़िया, सोना उछला, चाँदी लुढ़की,, बाजार घड़ाम आदि।, पर्यावरण और मौसम आर्द्रता, टॉक्सेस, कचरा, ग्लोबल वार्मिंग आदि।, खेल जर्मनी ने घुटने टेके, न्यूजीलैंड के पाँव उखड़े, भारतीय शेर, कंगारुओं पर भारी।, विशेष लेखन की कोई निश्चित शैली नहीं होती, परंतु संवाददाता यदि, बीट से जुड़ा कोई समाचार लिखता है, तो उसकी शैली उल्टा पिरामिड, ही होगी, लेकिन यदि फीचर लिख रहे हैं तो उसकी शैली कथात्मक हो, सकती है। लेख या टिप्पणी की शुरुआत भी फीचर की तरह ही होती है।, , 6. पत्रकारीय विशेषयञता कैसी होती है? स्पष्ट कौजिए।, उत्तर पत्रकारीय विशेषज्ञता से तात्पर्य यह है कि किसी भी विषय में व्यावसायिक, अर्थात् प्रोफेशनल रूप से प्रशिक्षण प्राप्त न करने के बावजूद भी उस, विषय या क्षेत्र के बारे में इतनी जानकारी व अनुभव एकत्र करना कि रे, जिससे उस विषय या क्षेत्र से संबंधित होने वाली घटनाओं या खबरों रो, आम जनता या पाठकों को बड़ी सहजता व सरलता से समझाया जा सके।, अर्थ यह है कि पत्रकारिता में आपका यह आवश्यक नहीं है कि, कहने का रिपोर्टिंग करने वाले विषय से संबंधित कोई प्रोफेशनल, दस्तावेज हो, उसके लिए. केवल आपका अनुभव व जानकारी ही आपका, , होना करता है।, उस विषय में विशेषज्ञ होना प्रमाणित करता, 7. विशेष लेखन के किसी भी विषय में विशेषज्ञता प्राप्त कैसे की जा, * सकती है?, उत्तर संवाददाता को जिंस विषय या क्षेत्र पे, उसकी वास्तविक रुचि होनी हलवा को पढाई करनी, , विशेष लेखन करना है, उसमें, , घत क्षेत्रो व विषय से जुड़ी ख़बरों व रिपोर्टों की कटिंग फाइल करके, चाहिए। विषय से संत्रंधित संदर्भ सामग्री को एकत्र कर अपने पास, रखना चाहिए।, , संबंधित विषय विशेषज्ञों व प्रोफेशनल्म के लेख, उनके विश्लेषण की, कटिंग भी संभाल कर रखनी चाहिए।, , शब्द कोष व एनसाइक्लोपीडिया भी संबंधित विषय का स्वयं के पास होता, चाहिए।, , विषय से जुड़े सरकारी व गैर-सरकारी संगठनों व सस्थाओं की सूची, उनकी वेबसाइट का पता, टेलीफोन नंबर और उसमे काम करने वाले, विशेषज्ञों के नाम व फोन नंबर अपनी डायरी में रखने चाहिए।, , 8. आर्थिक पत्रकारिता को किस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए?, , उत्तर आर्थिक मामलों की पत्रकारिता सामान्य पत्रकारिता की अपेक्षा काफो, जटिल होती है। जनसाधारण को इस क्षेत्र की शब्दावली का ज्ञान व, उसका अभिप्राय ज्ञात नहीं होता।, आर्थिक पत्रकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह होती है कि वह, कैसे सामान्य पाठक तथा विषय के विशेषज्ञ पाठक को भली-भाँति, संतुष्ट कर सके। किसी भी लेखन को विशिष्टता प्रदान करने के लिए, सबसे महत्त्वपूर्ण है कि संवाददाता की बात पाठक श्रोता तक अपने, वास्तविक अर्थ के साथ पहुँच रही है या नहीं तथा तथ्यों में तालमेल, है या नहीं। एक आर्थिक पत्रकार को दोनों तरह के पाठकों को, आवश्यकताओं को पूरा करना पड़ता है। अत: ध्यान रखा जाना, चाहिए कि किस वर्ग के पाठक के लिए लिखा जा रहा है। अर्थजगत, से जुड़ी खबरों को उल्टा पिरामिड शैली में लिखा जाता है।, , 9. पत्र-पत्रिकाओं में खेल के महत्त्व की क्या भूमिका है?, , उत्तर खेल मनुष्य में उत्साह तथा नवीन ऊर्जा का संचार करता है। प्रत्येक, मनुष्य की प्राय: किसी-न-किसी खेल में रुचि होती है। जरूरी नहीं, कि प्रत्येक व्यक्ति खिलाड़ी बन जाए, परंतु अपने रुचि वाले खेल के, प्रति उसकी दिलचस्पी जीवन भर बनी रहती है। इसलिए, पत्र-पत्रिकाओं में पाठकों कौ रुचि के मुताबिक खेलों को बहुत, अधिक महत्त्व दिया जाता है। सभी समाचार-पत्रों में खेल के एक या, दो पृष्ठ अवश्य होते हैं यहाँ तक कि टी. वी. व रेडियो बुलेटिन की, समाप्ति बिना खेलों की खबर दिए नहीं होती। वर्तमान में समाचार, माध्यमों में खेलों का महत्त्व लगातार बढ़ता ही जा रहा है।, पत्र-पत्रिकाओं में खेलों पर विशेष लेखन, खेल विशेषांक, खेल, 'परिशिष्ट, स्पोर्ट्स प्वॉइंट आदि प्रकाशित होते रहते हैं। टी. वो. व, रेडियो पर भी खेलों से संबंधित विशेष कार्यक्रम दैनिक या साप्ताहिक, रूप से प्रसारित होते ही रहते हैं।, , 10. पत्र-पत्रिकाओं में खेल संबंधी लेखन के लिए आवश्यक बातें, कौन-सी हैं?, उत्तर खेल संबंधी विशेष लेखन के लिए संवाददाता को खेल विशेष से, संबंधित तकनीक, खेल के नियम, उसकी बारीकियों तथा उससे, जुड़ी अन्य बातों का ज्ञान होना चाहिए। केवल खेल का सामान्य ज्ञान, ही पर्याप्त नहीं है, अपितु विशिष्ट ज्ञान होना चाहिए। संबंधित खेल, के रिकॉर्ड्स व कोर्तिमानों के विषय में पूर्ण जानकारी होनी चाहिए।, खेल पत्रकारों को खेल से संबंधित विवरण रुचिपूर्ण तरीके से, ता चाहिए खेलों को रिपोर्टिंग तथा विशेष लेखन की भाषा और, शैली में एक विशेष रोमांच, उत्साह जोश व ऊर्जा दिखाई देनी, चाहिए। खेल समाचार या रिपोर्ट का प्रारम्भ उल्टा पिरामिड शैली में, , शुरू होता है, लेकिन दूसरे पैराग्राफ, जाती है। सर पैराग्राफ से यह कथात्मक शैली में चली, , * संर्बो', साबनी