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द्रक XII, CB, विचारों, भावों आदि को जानने के लिए सवाल पूछे जाते हैं?, 14. निम्नलिखित में से कौन-सा स्तंभ जनमत को प्रतिबिंबित करता है?, आप साक्षात्कार को सवाल और फिर जवाब के रूप मे लिख सकते है, करते समय लेखक अपनी राय प्रस्तुत करता है।, विचार तथ्यो और सूचनाओ पर आधारित होते हैं, जिनका विश्लेषण, 17. निम्न में से किसके अंतर्गत पत्रकार द्वारा अन्य व्यक्ति से उसके, 16. साक्षात्कार को लिखने के कितने तरीके होते हैं?, 15. लेखक के विचारों को प्रमुखता निम्न में से किसमें दी जाती है?, उतर (ख) साक्षात्कार को लिखने के मुख्य रूप से दो तरीके होते हैं एक तो, उत्तर (घ) लेखक के विचारों को प्रमुखता लेख मे दी जाती है, लेकिन ये, उत्तर (ग) संपादक में नाम पत्र जनमत को प्रतिविवित करता है।, 35, ( क) संपादकीय, (ग) संपादक में नाम पत्र, ( ख) फीचर, (घ) म्तंभ लेखन, मह ज होने चाहिए। भाषा को प्रभावी नाने के लिए किलप्ट गव्दाबन्नी के, प्रयोग तथा शब्दों के दोहगव ये बनना चाहिए श्रन्यथा भागा बाडिन्न हा, जाती है। पत्रकारीय लेखन में भाषा के अलंकृत व संस्कृतनिष्ट रूप के, ्थान एर जन माधारण की बोलचाल की भाषा का प्रयोग करना चाहिए।, (के) फ़ीचर, (ग) म्तंभ लेखन, (ख) विशेष रिपोर्ट, (घ) लेख, 3. 'समाचार लेखन' से क्या अभिप्राय है? समाचार लेखन की महत्वपूर्ण, शैली कौन-सी होती है?, उततर समाचारों को लिखकर प्र्नुत करने का इंग 'यमाचार लेखन कहलाता, है। यह एक निशिष्ट कला होती है। इपमें किमी भी घटना, पमण्या या, महत्वपूर्ण वैचारिक तथ्य, सुचना को यबसे पहले लिखा जाता है। उसके, बाद उससे कम महत्वपूर्ण तथ्या या सुचना की जानकारी दी जाती है।, लिखने की दो शैनियाँ होती है--सीधा पिरामिट कथान्पक लेखन नथा, उल्टा पिरामिड-समाचार लेखन शैली।, (के) एक, ( रख) दो, (ग) तीन, (घ) चार, अंतः स्पष्ट है कि समाचार लेखन की महत्वपूर्ण शैली ठल्टा पिरामिड, शैली होती है। यह समाचार लेखन की सवसे लोकप्रिय, टपयोगी और, बुनियादी शैली है। कथात्मक लेखन शैली के विपणीत होने के कारण डये, उल्टा पिरामिड शैनी कहा जाता है। इसमें यवसे महत्वपूर्ण तथ्य या, मूचना अर्थात् व्लाइमेक्स के सबसे ऊपर लिखा जाता है।, फिर आप एक साक्षात्कार को आलेख की तरह भी लिखख सकते हैं।, (क) विशेष रिपोर्ट, (ग) स्टिंग ऑपरेशन, ख) साक्षात्कार के अंतर्गत पत्रकार द्वारा अन्य व्यक्ति से उसके वचारो।, 4. समाचार लेखन के प्रकारों पर विचार कीजिए ।, उत्तर 'समाचार लेखन' समाचारों को लिखकर प्रस्तुत करने का ढग है।, समाचार लेखन एक विशिष्ट कला है। समाचार मृचनात्मक एवं, तथ्यात्मक होते हैं। चूंकि इनका सीधा संबंध जनमत मे है, इसलिए इनकी, प्रस्तुति का ढंग अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।, समाचार लेखन के प्रकार, (ख) साक्षात्कार, (घ) आमुख, भावो आदि को जानने के लिए सवाल पूछे जाते हैं।, भाग 2, वर्णनात्मक प्रश्न, समाचार सामान्यत: दो प्रकार से लिखा जाता है, 1. विलोम स्तृपी पद्धति, 2. उध्ध्वस्तृपी पद्धति, |प्रत्येक 3/2 अंक|, 1. पत्रकारीय लेखन से आप क्या समझते हैं? पत्रकार कितने प्रकार के, होते हैं?, क्या हुआ?, र्तर समाचार-पत्रों व समाचार के अन्य माध्यमो के पत्रकार अपने पाठको,, श्रोताओं तथा दर्शकों तक तथ्यों तथा सूचनाओं को पहुँचाने के लिए, लेखन के विभिन्न रूपों का प्रयोग करते है । इसे ही पत्रकारीय लेखन, कहाँ हुआ?, /महत्त्वपूर्ण।, कारक, कब हुआ?, कौन-से थे?, कहा जाता है।, कैसे हुआ?, पत्रकार के निम्न दो प्रकार हैं, कहाँ, हुआ?, क्यों हुआ?, (i) पूर्णकालिक पत्रकार यह किसी समाचार संस्था में कार्य करने, वाला नियमित वेतनभोगी कर्मचारी होता है।, (ii) अंशकालिक पत्रकार इसे स्ट्रिंगर भी कहा जाता है। यह पत्रकार, किसी समाचार संगठन के लिए एक निश्चित मानदेय पर कार्य, करने वाला कर्मचारी होता है।, कैसे हुआ?, कौन-से, कब हुआ?, तत्त्व,, कारक, थे?, क्यों, हुआ?, चरमोत्कर्ष (क्या हुआ?), (iii) फ्रीलांसर अर्थात् स्वतंत्र ऐसे पत्रकार का संबंध किसी विशेष, समाचार संस्था या संगठन से नहीं होता, बल्कि यह अलग-अलग, विलोम स्तूपी पद्धति, उध्ध्वस्तूपी पद्धति, अखबारों के लिए भुगतान के आधार पर लिखता है।, 2. एक पत्रकार के लेखन की भाषा-शैली कैसी होनी चाहिए? स्पष्ट, कीजिए।, 1. विलोम स्तूपी पद्धति (उल्टा पिरामिड शैली ) इस पद्धति में समाचार, लिखते हुए उसका चरमोत्कर्ष प्रारंभ मे दिया जाता है तथा घटनाक्रम की, व्याख्या करते हुए अंत किया जाता है।, उत्तर एक पत्रकार को अखबार आदि में लिखते समय यह ध्यान रखना, आवश्यक है कि वह किसी व्यक्ति विशेष के लिए नहीं, बल्कि विशाल, जन-समुदाय के लिए लिख रहा होता है, जिसमे एक उच्च शिक्षित, व्यक्ति के साथ-साथ कम पढ़े-लिखे व्यक्ति भी शामिल हैं इसलिए, उसकी लेखन शैली और भाषा सजह, सरल व रोचक होनी चाहिए,, जिससे हर वर्ग का व्यक्ति उसे सरलता से समझ सके। वाक्य छोटे व, 2. उर्ध्वस्तूपी पद्धति प्रायः समाचार विलोमस्तूपी पद्धति के अनुसार ही, लिखे जाते है, क्योंकि उध्ध्वस्तूपी पद्धति मे कम महत्त्वपूर्ण से सर्वाधिक, महत्त्वपूर्ण के क्रम मे तथ्यो का संकेत किया जाता है। चूंकि पाठक घटना, के बारे में शीघ्र सूचना प्राप्त करना चाहता है, इसलिए वह पूरे व्यौरे को, पढ़ने में रुचि नही लेता।
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36, उत्तर समाचार लेखन हेतु निम्न आवश्यक तथ्या का ध्यान गवा जाना गवार्, शीर्षक समाचार का 'प्रवेश द्वार' माना जाना है। शी्षक्र की रप्य्, 5. समाचार लेखन में छ: ककारों का क्या महत्त्व है?, उत्तर किसी भी समाचार को लिखते समय उसमें कुछ मूलभूत सवाल होते हैं।, संख्या में मुख्यत: छ: होने के कारण इन्हें छः ककार कहा जाता है।, किसी भी घटना, समस्या या विचार से संबंधित तथ्यों या जानकारी को, लिखते समय इन छः ककारों को ही ध्यान में रखा जाता है।, ममानार के मह्व को बढाती है।, म्रोत शीर्षक के पश्चात् समाचार के ग्रात का उत्तेख करागा क, जैमे--, * हमारे विशेष प्रतिनिधि द्वार, व्यक्तिगत मंवाददाता द्वाग, ये छ: ककार इस प्रकार हैं, (i) क्या अर्थात् क्या घटित हुआ (क्या घटना घटी?), (ii) कब अर्थात् कब घटित हुआ (घटना कब घटी? ), (iii) कहाँ अर्थात् कहाँ घटित हुआ (घटना कहाँ अर्थात् किस स्थान, पर घटी?), * ममाचार प्रदाता एजेमियाँ, * समाचार व्युगे, (गोन के अंतर्गत थान, व्यक्ति दोनो का उल्नम कान म मया, ज्यादा विश्वसनीय हो जाना है।), (jv) कौन अर्थात् घटना स्थल पर कौन था (घटना किसके साथ ঘटित, 8. समाचार लेखन हेतु आवश्यक तथ्या का उल्लेख कीजिए।, हुई?), (v) क्यों अर्थात् क्यो घटित हुई (घटना क्यों घटी?), (vi) कैसे अर्थात् कैसे घटित हुई ( घटना कैसे घटी?), है, () ममाचार लिखने से पूर्व उसकी पृष्टभृमि का जञान आवण्यक, (in) समाचार प्राप्त होने के बाद उसम संवंधन अ्रनेक पक्षों एवं क, को समाहित कर समग्रता के साथ लिग्खुना अपेक्षित है।, समाचार लेखन में चार सकारों का ध्यान राखुना अपक्षित, 6. उल्टा पिरामिड शैली में समाचार लिखने की प्रक्रिया क्या है?, अथवा, उल्टा पिरामिड शैली में समाचार लेखन किस प्रकार किया जाता है?, (क) सत्यता समाचार सन्चाई पर आधारित होना चाहिए।, उत्तर समाचार लेखन की उल्टा पिरामिड शैली के अंतर्गत लिखे गए समाचारो, (ख) स्पष्टता समाचार अपने अर्थ का सरलता मे सपटा ए, को सुविधा की दृष्टि से तीन भागो मे विभाजित किया जाता है, 1. इंट्रो या मुखड़ा समाचार अथवा खबरे एक विशेष शैली में लिखी जाती, है जिसके अतर्गत सबसे महत्त्वपूर्ण तथ्यो, सूचनाओ एवं जानकारी को, सबसे पहले अर्थात् प्रारंभ के अनुच्छेद मे लिखा जाता है । इस प्रकार, प्रथम पैराग्राफ में दी जा रही जानकारी को इंट्रो या मुखड़ा कहा जाता है।, इंट्रो में समाचार के संबंध में क्या, कहाँ, कब और कौन ार प्रश्नों के, उत्तर देना आवश्यव होता है।, (ग) संक्षिप्तता समाचार को अति विम्नार से बचना चाहिए।, (घ) सुरुचि समाचार की भाषा, शेली एवं प्रस्तुति गंवव, होनी चाहिए, (ii) समाचार अनुच्छेदो में विभाजित होना चाहिए।, (iu) अनुच्छेद न तो अधिक बड़े तथा न ही अत मंक्षिन या, चाहिए।, होने, 2. बॉडी या कलेवर समाचार के बाद दूसरे पैराग्राफ में कम महत्त्वपूर्ण, जान्कारी, सूचना या तथ्यों को बताया जाता हेै, इसे बॉडी या समाचार का, कलेवर (Body of the Story) कहा जाता है। समाचार के इस भाग, में छः ककारों में से दो ककारों क्यों और कैसे का जवाब देने की, कोशिश की जाती है।, (४) एक अनुच्छेद में यथासंभव एक ही आयाम या पक्ष होना चाहिए।, (vi) समाचार में शब्दों की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए।, (uii) समाचार की भाषा में सामासिकता का गुण विद्यमान होना चाहिए, (viti) समाचार लेखन में शब्दों का निरर्थक प्रयोग नहीं करना चाहिए।, ए, 9. विशेष रिपोर्ट किससे संबंधित या किस पर आधारित होती है तथा, इसके कौन-कौन से भेद या प्रकार होते हैं?, 3. समापन समाचा का समापन करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि न, केवल उस समाचार के प्रमुख तथ्य आ गए हैं, बल्कि समाचार के, मुखड़े और समापन के बीच एक तारत्म्यता भी होनी चाहिए। समाचार में, तथ्यो तथा उसके विभिन्न पहलुओं को इस तरह से पेश करना चाहिए, कि उससे पाठक को किसी निर्णय या निष्कर्ष पर पहुँचने में मदद मिले।, उत्तर विशेष रिपोर्ट किसी घटना, समस्या या मुद्दे की गहरी, छानबीन, विश्लेषण तथा व्याख्या से संबंधित होती है। इसमें तथ्यों के विश्लेषण के, माध्यम से उसके परिणामों, प्रभावों तथा कारणों पर स्पष्ट रूप मे प्रकाश, डाला जाता है। विशेष रिपोर्ट के निम्न तीन प्रकार होते हैं, (i) खोजी या इंवेस्टिगेटिव रिपोर्ट इस रिपोर्ट में रिपोर्टर उन, सूचनाओं या तथ्यों को मौलिक शोध व छानबीन के माध्यम से, सामने लाता है, जो पहले सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं था।, खोजी रिपोर्टों का प्रयोग घोटालों, अनियमितताओ, भ्रष्टाचार आदि, को उजागर करने के लिए किया जाता है ।, 7. समाचार लेखन के विभिन्न चरणों में से शीर्षक तथा स्रोत पर प्रकाश, डालिए।, उत्तर शीर्षक समाचार लेखन करते हुए सर्वप्रथम समाचार का शीर्षक देना, चाहिए। शीर्षक में समाचार की मुख्य घटना (जिस घटना के संदर्भ में, समाचार लिखा जा रहा है) का सांकेतिक उल्लेख रहना चाहिए। शीर्षक, ऐसा होना चाहिए जो पाठक को सहज रूप से आकर्षित करे, समाचार, का मूलभाव बताए और पाठक को अपनी रुचि के अनुसार समाचार, खोजने में सहायक हो।, (ii) इन-डेप्थ रिपोर्ट इस रिपोर्ट में सार्वजनिक रूप से उपलब्ध तथ्यां, सूचनाओं व ऑकड़ों की गहरी छानबीन की जाती है तथा उन पर, आधारित घटनाओं, मुद्दों, समस्याओं से संबंधित पहलुओं को, सामने लाया जाता है।, शीर्षक संक्षिप्त, सरल, सार्थक एवं स्पष्ट होना चाहिए।, शीर्षक को कभी भृतकाल में नहीं लिखना चाहिए।, शीर्षक में यदि नाम दिया जाना ज़रूरी हो तो महत्त्वपूर्ण तथा विख्यात, व्यक्ति का दिया जाना चाहिए।, (iii) विश्लेषणात्मक रिपोर्ट इस रिपोर्र्ट के अंतर्गत किसी घटना या, समस्या से संबंधित तथ्यों का विश्लेषण व व्याख्या की जाती है।, (iv) विवरणात्मक रिपोर्ट इस रिपोर्ट के अंतर्गत किसी घटना या, समस्या का विस्तृत और सूक्ष्म रूप से विवरण प्रस्तुत करने का, प्रयास किया जाता है।