Page 1 :
इकाई-2, किशोरावस्था में वृद्धि एवं विकास, 2.1, परिचय, 2.2 उद्देश्य, 2.3, किशोरावस्था में शारीरिक विकास, 2.3.1, शारीरि, विकास को प्रभावित करने वाले कारक, 2.4, किशोरावस्था में बौद्धिक विकास, 2.4.1 बौद्धिक विकास विकास को प्रभावित करने वाले कारक, 2.5, किशोरावस्था में सामाजिक विकास, 2.5.1 सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक, 2.6, किशोरावस्था में संवेगात्मक विकास, 2.6.1, संवेगात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारक, किशोर की व्यवहार-प्रवृत्तियाँ, 2.7, 2.7.1, भौतिक आवश्यकतायें, 2.7.2 मनोवैज्ञानिक आवश्यकतायें, 2.7.3 सुरक्षा की आवश्यकता, 2.7.4 अनुमोदन की आवश्यकता, 2.7.5 स्वतंत्रता एवं विकास की आवश्यकता, 2.7.6 आत्म-अभिव्यक्ति तथा उपलब्धि की आवश्यकता, 2.8, सारांश, 2.9, सात्रिक प्रश्न, 2.10 प्रगति जांचिये के उत्तर, 2.11 संदर्भ पुस्तिकायें, 1
Page 2 :
2
Page 3 :
2.1, परिचयः, पिछली इकाई में हम पढ़ चुके है कि, किशोरावस्था, बाल्यावस्था के पश्चात् आने, वाली अवस्था है जिसकी इस अवस्था में किशोर न तो बालक रहता है और न ही व्यस्क,, वरन् वह दुविधाजनक स्थिति में रहता है| हम सभी इस अवस्था से गुजरते है जिसमें कई, चुनौतियाँ है और यह उत्साह से परिपूर्ण है । निसंदेह किशोरावस्था संकट काल के समय, की सबसे लंबी अवधि का प्रतिनिधित्व करती है । वस्तुतः यह अवस्था, तनाव, खिंचाव और, आक्रामक तेवर की है। यह जीवन में अनेक भ्रांतिया पैदा करती है। इस अवस्था में किसी, को यह पता नहीं होता कि वह कहां खड़ा है । किशोरावस्था को लेकर हमारे समाज में, विद्यमान अवधारणाओं का अध्ययन भी हमने पिछली इकाई में किया है । बदलते हुए समाज, में इन अवधारणाओं में भी निरंतर बदलाव आ रहा है | विशेषज्ञों ( मनौवैज्ञानिकों) ने, किशोरावस्था की व्याख्या, अलग-अलग अपने ढ़ग से की है परंतु इस बात पर सबकी, सहमति है कि किशोरावस्था की अवधि में सभी किशोरों में शारीरिक, मानसिक, सामाजिक,, भावनात्मक एवं व्यवहार में परिवर्तन एक समान होता है एवं किशोरावस्था की शारीरिक व, सामाजिक आवश्यकताऍँ (सुरक्षा, स्वतंत्रता, स्वीकार्यता आदि) भी लगभग समान होती, है।इस इकाई में हम किशोरावस्था में वृद्धि एवं विकास का अध्ययन करेंगे एवं इस अवस्था, की विभिन्न सामाजिक, मानसिक, व्यवहारिक एवं शारीरिक आवश्यकताओं को जानेंगे।, 2.2 इकाई के उद्देश्य :-, 1., किशोरावस्था के शारीरिक वृद्धि एवं विकास की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे ।, 2., किशोरावस्था के बौद्धिक विकास की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे ।, 3., किशोरावस्था के सामाजिक विकास की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे ।, 4., किशोरावस्था के संवेगात्मक विकास की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे ।, 5., किशोरावस्था के विभिन्न आवश्यकतायें की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे ।, 3
Page 5 :
1., भार, किशोरावस्था में बालकों का भार बालिकाओं से अधिक बढ़ता है। इस, अवस्था में अन्तम में बालकों का भार बालिकाओं से लगभग 25 पौंड अधिक होता है ।, 2., लम्बाई, इस अवस्था में बालक और बालिका की लम्बाई बहुत तेजी से बढ़ती, है। बालक की लम्बाई 18 वर्ष तक और उसके बाद भी बढ़ती रहती है । बालिका अपनी, अधिकतम लम्बाई पर लगभग 16 वर्ष की आयु में पहुँच जाती है ।, 3., सिर व मस्तिष्क, इस अवस्था में सिर और मस्तिष्क का विकास जारी रहता है।, -, 15 या 16 वर्ष की आयु में सिर का लगभग पूर्ण विकास हो जाता है एवं मस्तिष्क का भार, 1,200 और 1,400 ग्राम के बीच में होता है ।, 4., हड्डियॉ- इस अवस्था में अस्थीकरण की प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है । हड्डियों में पूरी, मजबूती आ जाती है और कुछ छोटी हड्डियॉ एक-दूसरे से जुड़ जाती है ।, 5., दॉत, इस अवस्था में प्रवेश करने के समय बालकों और बालिकाओं के लगभग, सब स्थायी दाँत निकल आते है । यदि उनके प्रज्ञादन्त निकलने होते है, तो वे इस, अवस्था के अन्त में य प्रौढ़ावस्था के आरम्भ में निकलते है ।, 6., अन्य अंग, इस अवस्था मतें मॉसपेशियों का विकास तीव्र गति से होता है | 12 वर्ष, की आयु में मासपेशियों का भार कुल शरीर के भार का लगभग 33 प्रतिशत और 16 वर्ष, की आयु मे लगभग 44 प्रतिशत होता है। हृदय की धड़कन में निरन्तर कमी होती है ।, जिस समय बालक प्रोढ़ावस्था में प्रवेश करता है, उस समय उसके हृदय की धड़कन 1, मिनट में 72 बार होती है । बालकों के सीने और कंधे एवं बालिकाओं के वक्षस्थल और, कूल्हे चौड़े हो जाते है। बालक में स्पप्न-दोष और बालिकाओं में मासिक धर्म आरम्भ हो, जाता है। दोनों के यौनांग पूर्ण रूप से विकसित हो जाते है ।, 7., विकास का महत्व, इस अवस्था के अन्त तक बालकों और बालिकाओं की, ज्ञानेन्द्रियों और कर्मेन्द्रियों का पूर्ण विकास हो जाता है और वे युवावस्था में प्रवेश करते है ।, स्ट्रैंग के शब्दों में, में अधिकांश बालकों और बालिकाओं में शारीरिक आकृति में प्रौढ़ों के समान हो जाते है।, किशोरावस्था, व्यक्ति के विकास का महत्वपूर्ण काल है। इस काल