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हक ध्धांगां, , (0 4,(.॥), , इतिहास, , वर्ष 985 - 86 में तत्तकालीन मंत्रालय को दो भागों में विभाजित किया गया था महिला एवं बाल, विकास विभाग तथा कल्याण विभाग | साथ - साथ तत्तकालीन मंत्रालय बनाने के लिए, अनुसूचित जाति विकास प्रभाग , जनजातिय विकास विभाग और अल्पसंख्यक और पिछडा वर्ग, कल्याण विभाग को ग्रह मंत्रालय से और वक्फ विभाग को भी विधि मंत्रालय से अलग किया, गया |, इसके पश्चात् इस मंत्रालय का नाम बदलकर सन् 998 में सामाजिक न्याय एवं, , अधिकारिता मंत्रालय रखा गया | बाद में 999 में एक प्रथक जनजातीय कार्य मंत्रालय बनाने के, लिए जनजातीय विकास विभाग को इस मंत्रालय से अलग किया गया और बाल विकास विभाग, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में चल्ला गया |, , यपि विकलांगता का विषय संविधान की 7वीं अनुसूची की राज्यउ सूची में आता है, ,» भारत सरकार हमेशा से विकल्रांगता के क्षेत्र में सक्रिय रही हैं यह न सिर्फ 7 राष्ट्रिय संस्थनों (, एन . आई . ) जो विभिन्न प्रकार की विकलांगताओं के लिए अलग - अलग कार्य कर रहे है ।, और साथ में संयुक्त क्षेत्रीय केन्द्रों ( सी . आर . सी . ) जो विकल्लांग व्यक्तियों को पुनर्वास, सेवाएं मुहैया करा रहे है | एवं पुनर्वास पेशेवरों के लिए पाठ्यक्रमों का भी संचालन कर रहे है ।, इसी प्रकार की सेवाएं प्रदान करने वाले बहुत से गैर सरकारी संगठनों को निधि प्रदान करती है, और साथ में राष्ट्रिय विकलांग वित्त एवं विकलांग विकास निगम को धन देती हैं जो विकलांग, व्यक्तियों को स्वरोजगार हेतु रियायती ऋण देती है | इसके अलावा केन्द्रिय सरकार निम्न, लिखित का पक्षकार है |, 4 . विकलांग व्यक्ति की पूर्ण भागीदारी और समानता सम्बन्धी घोषणा ( दिसम्बर 992) |, 2 . सयुकत राष्ट्र विकलांग व्यक्ति अधिकार संधि पत्र सम्मेलन ( मई 2008) |, , , , , , , , इस विषय में विभिन्न राज्य सरकारों से अलग - अलग स्तर का, ध्यान आकर्षित किया है । केन्द्रिय स्तर पर भी विकलांगता का विषय सामाजिक एवं, अधिकारिता मंत्रालय की कई जिम्मेदारियों में से एक हैं जिसके परिणाम स्वरूप इस पर ध्यान, दिया गया क्योंकि इसका ज्यादातर समय ऊर्जा मंत्रालय की स्वयं की योजनाओं का कियान्वयन, करने एवं भौतिक लक्ष्यों को पूरा करने और वार्षिक समयबदध गतिविधियों जैसे विकलांग, व्यक्तियों को राष्ट्रिय पुरस्कार देने में चला जाता है |
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| ध्धांगां, , |वीं पंचवर्षी योजना में कहा गया कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, के विकलांगता विभाग को एक अलग विभाग में परिवर्तित कर सशक्त किया जाएगा ताकि यह, अन्य सभी संबधित मंत्रालयों के साथ प्रभावी रुप से समन्तय कर सके और विकल्रांग व्यक्तियों, के प्रति अपने कर्तव्यों का निवाहिन कर सके | विकलाांगता का विषय एक विशेष प्रकृति का होने, के कारण यू . एन . सी . आर . पी . डी . के आलोक में व्यापक सत्र के कार्य किये जाने हैं, और मौजूदा कार्यवयन संरचना की अप्रर्याप्तता के कारण अब सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, मंत्रालय के विद्यमान विकल्ांगता ब्यूरों के उन्नयन का समय आ गया है | सरकार द्वारा, दिनांक 03 जनवरी , 2042 को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अधीन ही एक अलग, विकलांगता कार्य विभाग बनाने का निर्णय लिया गया । भारत के राष्ट्रपति द्वारा दोनों सदनों, के समक्ष दिनांक 2 मई , 202 को इसकी घोषणा की गयी ।, , - स्वतन्त्रता पूर्व भारत में विशिष्ट शिक्षा का विकाश : इष्टिहीनार्थ विशिष्ट शिक्षा - भारत में, दृष्टिहीनो के लिए प्रथम विशिष्ट विद्यालय की स्थापना वर्ष 887 में एक आंग्ल मिशनरी, महिला एनी शार्प ( 858 - 903 ) द्वारा एक अन्य मिशनरी महिला ह्यूलिट के सहयोग से की, गयी | ( आर . एस . चौहान , ]५॥/9॥ ० 907 , 994 ) | इस संस्था को अमृतसर स्थित सेंट, कैथरीन अस्पताल के परिसर में शुरु किया गया तथा नाम रखा गया - नॉर्थ इण्डिया इंडिस्ट्रियल, होम फॉर क्रिश्यिन् ब्लाइण्ड | इसे 903 में राजापुर , देहरादून ले जाया गया जहाँ पर यह आज, भी , शाप मेमोरियल स्कूल फॉर द ब्लाइण्ड , के नाम से कार्य कर रहा है | इसके पश्चात्, पालायम कोटा , तमिलनाडु में 890 , अहमदाबाद , गुजरात में 895 , कोलकाता , पश्मिबंगाल, तथा रांची , झारखण्ड में 997 तथा मुम्बाई में सन् 900में कुछ और विशिष्ट विद्यालयों की, स्थापना हुई | ( चौहान , 800000/ 06 880788 0॥6 ५/8५8॥५ ।+8008/0080 , 992, तथा ॥#0५॥॥[0॥ 0 ॥6 5.07 , 4994 ) 20वीं शताब्दी में देश के अन्य भागों में धीरे धीरे, दृष्टिहीनों के लिए कुछ और संस्थाओं की स्थापना हुई । दइृष्टिहीनों से सम्बन्ध भारत सरकार के, प्रतिवेदन ( 944 ) के अनुसार उस समय तक ऐसी सेस्थाओं की संख्या 32 तक पहुँच गयी थी |, , , , स्वतन्त्रता पूर्व इष्टिबाधितार्थ विशिष्ट शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थी ।, , ( ) अनेक कथाकथित इशष्टिहीनार्थ विद्यालय शिक्षा केन्द्र से अधिक , आश्रय स्थल मात्र थे |, ( 2) 32 में से केवल कुछ गिने चुने केन्द्र ही इष्टिहीनों के लिए शिक्षा के प्रगतिशील एवं, वांछनीय स्थल थे |, ( 3) किसी भी स्कूल में प्राथमिक स्तर से आगे शिक्षा सुविधाएं उपलब्ध नही थी ।, , ( 4) भारत में कोई ब्रेल प्रेस नही था |, ( 5) सरकारी सहायता नाममात्र की ही थी |
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[2-६ ध्धांगां, , ( 6) इष्टिहीनता के साथ - साथ किसी अन्य विकल्रांगता से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए कोई, संस्था नही थी |, , ( 7) समस्त संस्थाओं में इष्टिहीनों की कुल संख्या का एक बहुत ही छोटा भाग सेविधाएं प्राप्त, कर रहा था महिल और पुरुष विद्यार्थियों की संखया लगभग 250 ही थी ।, , 2 - स्वतन्त्रता पश्चात भारत में विशिष्ट शिक्षा का प्रसार :, इष्टिबाधित - स्वतन्त्रता पश्चात भारत, में विशिष्ट शिक्षा की दिशा एक प्रकार से अप्रैल , 947 में निर्धारित हो गयी थी , जब भारत, सरकार के शिक्षा मन्त्रालय में इष्टिहीनों के छोजी सी इकाई की स्थापना की गयी | यह एक, प्रगतिशील सरकारी कदम था | विशिष्ट शिक्षा के मार्ग की एक प्रबल बाधा 95 में भारत, सरकार द्वारा भारती ब्रेल की स्वीकृत और उसके बाद देहरादून में प्रथम ब्रेल प्रेस की स्थापना के, साथ ही समाप्त हो गयी | इसके बाद विशिष्ट विद्यालयों की संख्या सरकारी व गैर सरकारी, दोनो क्षेत्रों में तेजी से बढ़ी | 960 के दशक के मध्य तक ऐसे विद्यालयों की संख्या 5 हो, गयी । राष्ट्रीय इष्टिबाधितार्थ संस्थान , देहरादून द्वारा 989 में प्रकासित शर्वेक्षण में विशिष्ट, वविद्याल्रयों की संख्या 490 बताई गयी । ( इस शर्वेक्षण में अरुणाचत्र प्रदेश ,असम तथा गोवा, को सम्मिल्रत नही किया जा सकता था ) | 990 के दशक के मध्य तक यह संख्या बढकर, लगभग 250 हो गयी |, 3 - बधिर एवं मानसिक विकलांगो हेतु विशिष्ट शिक्षा :, उपलब्ध सूचनाओं के आधार पर श्रवण विकलांगो, , की शिक्षा प्रारम्भ करने का श्रेय स्पेन के एक संन्यासी पैन्टो पोन््स डिलियों ( 520 - 584 ) को, जाता है | उन्होने 555मे कुछ बाधिर बालकों को पढ़ना , लिखना व बोलना सिखाया था | स्पेन, के ही एक अन्य नागरिक जुआन पैवलो वानेट ने 620 में श्रवण विकल्ांगें की शिक्षा के सम्बन्ध, में एक पुस्तक लिखी | इसी विषय पर इंग्लैण्ड के जॉन बुलवर ने भी 644 में एक पुस्तक, प्रकाशित की |, , फ्रांस के दो नागरिकों ने 8वी शताब्दी में ही संकेत भाषा के विकास में योगदान दिया |, , , , , , सयुक्त राज्य अमेरिका में श्रवण विकलांगो के लिए पहला विशिष्ट विद्यालय 8॥7 में स्थापित, किया गया | 863 तक वहाँ इस प्रकार के 22 विशिष्ट विद्याल्रय स्थापित हो चुके थे |, $087॥80 ५शं॥ 04508 मानसिक विकलांगों की शुरुआत फांसीसी चिकित्सक जाँ इतार्द ( 4775, - 838 ) द्वारा की गयी जब उन्हों ने जंगल से पकड़कर एक ग्यारह वर्षीय लड़के को शिक्षित, करने का प्रयास किया | इसके पश्चात सेगवाँ ( 82 - 880 ) ने इस क्षेत्र में फांस व संयुक्त, राज्य अमेरिका में महात्वपूर्ण भूमिका निभाई ।
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हल ध्धांगां, , इन दोनों ने क्रमशः 804 तथा 866 में अपने अनुभवों तथा विधियों को पुस्तक के रुप में, प्रकाशित किया जिसके बाद में आने वाले विशेषज्ञ व शिक्षकों को बहुत लाभ हुआ |, , ऐसे विशेषज्ञों में मैडम मौन्टेसरी ( 870 - 952 ) का भी नाम सम्मिलित है | (, एनसाइक्लोपीडिया ऑफ स्पेशल एजुकेशन , खण्ड - 2987) |, , इंग्लैण्ड में गैर - सरकारी प्रयासों के अतिरिक्त 94 के प्राथमिक, शिक्षा अधिनियम के द्वारा स्थानीय प्राधिकरणों को मानसिक विकलांग बालकों की शिक्षा का, प्रबन्ध करने का उत्तरदायित्व सौंपा गया | ( झा , 2002, , छत 4.(.2), , क्षति> कोई भी असामान्यता जो शारीरिक व मानसिक स्तर की होती है क्षति कहलाती है क्षति, में प्राणी की क्षमता को प्रभावित किए बिना उसकी संरचना एवं कार्य प्रणाली प्रभावित होती है ।, उदाहरण-> किसी व्यक्ति का रेटिना क्षतिग्रस्त होता है तो वह दृष्टि अक्षम हो जाता है | इस, प्रकार मस्तिष्क के धीमे - धीमे कार्य को बौद्धिक क्षति कहा जा सकता है |, , , , अक्षमता-? क्षति के परिणामस्वरूप सामान्य व्यक्ति की तरह क्रियाकलापों को करने में बाधा, या क्षति को अक्षमता कहते है | अक्षमता कार्य को करने में कमी या रूकावट को दर्शाती है जो, कि सामान्य तौर पर अपेक्षित है । अक्षमता से प्रभावित व्यक्ति हेतु निर्धारण भूनिका परिपेक्ष्य, में | आती है । अक्षमता से प्रभावित व्यक्ति जिसकी क्रियाएं सीमित है | जन्मजात रूप से, अक्षम नहीं होते है बल्कि व्यक्तिगत एवं सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाने में अक्षम होते हैं |, अक्षमता वह स्थिति है जब क्षति के कारण व्यक्ति में सामान्य क्रियाकलाप कर पाने में प्रतिबंध, एवं रूकावट पैदा करती हैं |, , उदाहरण- मस्तिष्क का द्रोकाज क्षेत्र एवं गले का संबंधित क्षेत्र क्षतिग्रस्त होने से बोलने, संबंधित अक्षमता |, , विकलांगता-> विकलांगता उस दशा को कह सकते हैं जो क्षति एंव अक्षमता के कारण से, उत्पन्न होती हैं | जिससे शारीरिक एवं मानसिक क्रियाओं सम्बन्धी भूमिकाओं को वह सामान्य, व्यक्तियों की तुलना में नहीं निभा पाता | विकलांगता वह हानि है जो क्षति के उपरान्त व्यक्ति, की आयु लिंग व सामाजिक स्तर के अनुरूप कार्य करने में बाधा पहुँचाती है | |