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उत्सर्जित करता है। इसे सूर्य का मुकुट कहा जाता है। पूर्ण सूर्य ग्रहण के समय सूर्य किरीट से प्रकाश की प्राप्ति होती है, है, , , , + सूर्य की उम्र - 5 बिलियन वर्ष है।, , #- भविष्य में सूर्य द्वारा ऊर्जा देते रहने का समय 10 ! वर्ष है।, , »- सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने में 8 मिनट 16.6 सेकेण्ड का समय लगता है।, , »- सौर ज्वाला को उत्तरी ध्रुव पर "औरोरा बोरियालिस" और दक्षिणी ध्रुव पर औरोरा औस्ट्रेलिस कहते हैं।, , »- सूर्य के धब्बे (चलते हुए गैसों के खोल) का तापमान आसपास के तापमान से 1500"८ कम होता है। सूर्य के धब्बों, का एक पूरा चक्र 22 वर्षों का होता है; पहले 11 वर्षों तक यह धब्बा बढ़ता है और बाद के 11 वर्षों तक यह धब्बा, घटता है। जब सूर्य की सतह पर धब्बा दिखलाई पड़ता है, उस समय पृथ्वी पर चुम्बकीय झंझावात (४8९८९, , , , $10०7») उत्पन्न होते हैं। इससे चुम्बकीय सुई की दिशा बदल जाती है एवं रेडियो, टेलीविजन, बिजली चालित मशीन, आदि में गड़बड़ी उत्पन्न हो जाती है।, , »- सूर्य का व्यास 15 लाख 92 हजार किमी है, जो पृथ्वी के व्यास का लगभग 110 गुना है।, , #- सूर्य हमारी पृथ्वी से 15 लाख गुना बड़ा है, और पृथ्वी को सूर्यताप का 2 अरबवां भाग मिलता है।, , , , मा के बारे में हमारा बदलता दृष्ठिकोण, , प्रारंभ में पृथ्वी को सम्पूर्ण ब्रह्मांड का केन्द्र माना जाता था जिसकी परिक्रमा सभी आकाशीय पिंड ((श९पंत्बो, ७००४९७) विभिन्न कक्षाओं (0790 में करते थे। इसे भू केन्द्रीय सिद्धान्त (6९0८९॥7० 111९०-४) कहा गया। इसका, प्रतिपादन मिस्र-यूनानी खगोलशास्त्री क्लाडियस टॉलमी ने 140 ई. में किया था। इसके बाद पोलैंड के खगोलशास्त्री, , , , निकोलस कॉपरनिकस (1475-1545 ई.) ने यह दर्शाया कि सूर्य ब्रह्मांड के केन्द्र पर है तथा ग्रह इसकी परिक्रमा करते, हैं। अतः सूर्य विश्व या ब्रह्मांड का केन्द्र बन गया । इसे सूर्यकेन्दीय सिद्धान्त (प्र॒०1०८९7४०४८ 11९०-7४) कहा गया।, 16वीं शताब्दी में टायकोब्रेह के सहायक जोहानेस कैप्ला (1571-1650) ने ग्रहीय कक्षाओं के नियमों की खोज की।, परन्तु इसमें मैं भी सूर्य को ब्रह्मांड का केन्द्र माना गया। 20वीं शताब्दी के आरंभ जाकर हमारी मंदाकिनी दुग्धमेखला, की तस्वीर स्पष्ट हुई। सूर्य को इस मंदाकिनी के एक सिरे पर अवस्थित पाया गया। इस प्रकार सूर्य को ब्रह्मांड के केन्द्र, पर होने का गौरव समाप्त हो गया।, , , , सौरमंडल के पिंड, , अन्तर्राष्ट्रीय खगोलशास्त्रीयसंघ (01(श7800791450707०71८४। 071०7-140) की प्राग सम्मेलन :- 2006 के मौजूद पिंडों को निम्नलिखित, तीन श्रेणियों में बौटा गया है
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1. परम्परागत ग्रह :- बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण एवं वरुण।, 2. बौने ग्रह :- प्लूटो, चेरॉन, सेरस, 2005 यूबी ठा5 |, 5. लघु सौरमंडलीय पिंड :- धूमकेतु, उपग्रह एवं अन्य छोटे खगोलीय पिंड।, , , , +६ ग्रह :- ग्रह वे खगोलीय पिंड हैं जो निम्न शर्तों को पूरा करते हों , 1. जो सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करता हो, , 2. उसमें पर्याप्त गुरुत्वाकर्षण बल हो जिससे वह गोल स्वरूप ग्रहण कर सके।, , 5. उसके आस- पास का क्षेत्र साफ हो यानी उसके आस-पास अन्य खगोलीय पिंडों की भीड़-भाड़ न हो । ग्रहों की, उपर्युक्त परिभाषा आई. एन. यू. की प्राग सम्मेलन (अगस्त-2006 ई.) में तय की गई है। ग्रह की इस परिभाषा के, आधार पर यम (०1०४०) को ग्रह के श्रेणी से निकाल दिया गया फलस्वरूप परम्परागत ग्रहों की संख्या 9 से घटकर 8 रह, गयी। यम को बौने ग्रह की श्रेणी में रखा गया हैं |, , , , ग्रहों को दो भागों में विभाजित किया गया है , 1. पार्थिव या आन्तरिक ग्रह ([शह९७पां8॥। ०7 [९ एथा1९) :- बुध शनि, अरुण व वरुण को बृहस्पतीय ग्रह कहा, जाता है | शुक्र, पृथ्वी एवं मंगल को पार्थिव ग्रह कहा जाता है, क्योंकि ये पृथ्वी के सदृश होते हैं।, , 2. बृहस्पतीय या बाह्य ग्रह ( [0४९11 ०7 ०एऑश/ 47९):- बृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण को बृहस्पतिय ग्रह कहा, जाता हैं | »- मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र एवं शनि, इन पांच ग्रहों को नंगी आँखों से देखा जा सकता है।, , »- आकार के अनुसार ग्रहों का क्रम (घटते क्रम में) है :- बृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण, पृथ्वी, शुक्र, मंगल एवं बुध, अर्थात सबसे बड़ा ग्रह बृहस्पति एवं सबसे छोटा ग्रह बुध है।, , »- धनत्व के अनुसार ग्रहों का क्रम (बढ़ते क्रम में) है :- शनि, अरुण, बृहस्पति, नेप्च्यून, मंगल एवं शुक्र ।, , » सूर्य से दूरी के अनुसार ग्रहों का क्रम :- बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण (यूरेनस) एवं वरुण, , , , (नेष्च्यून) यानी सूर्य के सबसे निकट का ग्रह बुध एवं सबसे दूर स्थित ग्रह वरुण है।, , » द्रव्यमान के अनुसार ग्रहों का क्रम (बढ़ते क्रम में) :- बुध, मंगल, शुक्र, पृथ्वी, अरुण, वरुण, शनि एवं बृहस्पति यानी, न्यूनतम द्वव्यमान वाला ग्रह बुध एवं अधिकतम द्र॒व्यमान वाला ग्रह बृहस्पति है।, , »- परिक्रमण काल के अनुसार ग्रहों का क्रम (बढ़ते क्रम में):- बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण एवं, वरुण |, , , , >»- परिभ्रमण काल के अनुसार ग्रहों का क्रम (बढ़ते क्रम में) :- बृहस्पति, शनि, वरुण, अरुण, पृथ्वी, मंगल, बुध एवं, शुक्र ।, >»- अपने अक्ष पर झुकाव के आधार पर ग्रहों का क्रम (बढ़ते क्रम में) :- शुक्र, बृहस्पति, बुध, पृथ्वी, मंगल, शनि, वरुण
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एवं अरुण |, , »- शुक्र एवं अरुण को छोड़कर अन्य सभी ग्रहों का घूर्णन एवं परिक्रमण की दिशा एक ही है। शुक्र एवं अरुण के घूर्णन, की दिशा पूर्व से पश्चिम (01०८०५ं5९) है, जबकि अन्य सभी ग्रहों के घूर्णन की दिशा पश्चिम से पूर्व (#हरधंल०्लच, ४5९) है।, , , , 1. बुध (९४८०५) :, , , »- यह सूर्य का सबसे नजदीकी ग्रह है, जो सूर्य निकलने के दो घंटा पहले दिखाई पड़ता है।, , »- यह सबसे छोटा ग्रह है, जिसके पास कोई उपग्रह नहीं है। इसका सबसे विशिष्ट गुण है--इसमें चुम्बकीय क्षेत्र का, होना |, , »- यह सूर्य की परिक्रमा सबसे कम समय में पूरी करता है। अर्थात् यह सौरमंडल का सर्वाधिक कक्षीय गति वाला ग्रह, है।, , »- यहाँ दिन अति गर्म व रातें बर्फीली होती हैं। इसका तापान्तर सभी ग्रहों में सबसे अधिक (600*0) है। इसका, तापमान रात में -175*0 व दिन में 427"८ हो जाता है।, , , , 2. शुक (५शाए७) :, »- यह पृथ्वी का निकटतम, सबसे चमकीला एवं सबसे गर्म ग्रह है।, , »- इसे साँझ का तारा या भोर का तारा कहा जाता है, क्योंकि यह शाम में पश्चिम दिशा में तथा सुबह में पूरब की दिशा, में आकाश में दिखाई पड़ता है।, , »- यह अन्य ग्रहों के विपरीत दक्षिणावर्त (0०००४४5९)चक्रण करता है। इसे पृथ्वी का भगिनी ग्रह कहते हैं।, , #- यह घनत्व, आकार एवं व्यास में पृथ्वी के समान है। इसके पास कोई उपग्रह नहीं है।, , , , 5. बृहस्पति (एए1८९) :, »- यह सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। इसे अपनी धुरी पर चक्कर लगाने में 10 घंटा (सबसे कम) और सूर्य की, परिक्रमा करने में 12 वर्ष लगते हैं।, »- इसके उपग्रह ग्यानीमीड सभी उपग्रहों में सबसे बड़ा है। इसका रंग पीला है।, , , , 4. मंगल ( 1(७15 ) :
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»- इसे लाल ग्रह (0९0 7]91९() कहा जाता है, इसका रंग लाल, आयरन ऑक्साइड के कारण है।, , » यहाँ पृथ्वी के समान दो ध्रुव हैं तथा इसका कक्षातली 25" के कोण पर झुका हुआ है। जिसके कारण यहाँ पृथ्वी के, समान क्रतु परिवर्तन होता है।, , #- इसके दिन का मान एवं अक्ष का झुकाव पृथ्वी के समान है।, , #»- यह अपनी धुरी पर 24 घंटे में एक बार पूरा चक्कर लगाता है।, , »- इसके दो उपग्रह हैं--फोबोस (2010005) और डीमोस (0श1708) |, , »- सूर्य की परिक्रमा करने में इसे 687 दिन लगते हैं।, , »- सौरमंडल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी ओलिपस मेसी एवं सौरमंडल का सबसे ऊँचा पर्वत निक््स ओलम्पिया (रा5, 01979) जो माउंट एवरेस्ट से तीन गुना अधिक ऊँचा है, इसी ग्रह पर स्थित है।, , , , नोट :- मार्स ओडेसी नामक कृत्रिम उपग्रह से मंगल पर बर्फ छत्रकों और हिमशीतित जल की उपस्थिति की सूचना मिली, है। इसीलिए पृथ्वी के अलावा यह एकमात्र ग्रह है जिस पर जीवन की संभावना व्यक्त की जाती है। 6 अगस्त, 2012 ई., को 1४58 का मार्स क्यूरियोसिटी रोवर नामक अंतरिक्षयान मंगल ग्रह पर गेल केटर नामक स्थान में पहुँचा। यह मंगल, पर जीवन की संभावना तथा उसके वातावरण का अध्ययन कर रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (15१0) ने, अपना मंगलयान (1५15०7५ां5&०1-1/01/05नवम्बर, 2015 को श्रीहरिकोटा (आन्ध्रप्रदेश) से ध्रुवीय अंतरिक्ष, प्रक्षेपणयान ?910-0-25 से प्रक्षेपित किया। यह भारत का पहला अंतराग्रहीय अभियान है। इसरो सोवियत अंतरिक्ष, कार्यक्रम, नासा एवं यूरोपियन अंतरिक्ष एजेंसी के बाद चौथी अतरिक्ष एजेती है जिसने मंगल ग्रह के लिए अपना, अंतरिक्षयान भेजा।, , , , 5. शनि (58077) :, »- यह आकार में दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है।, , »- इसकी विशेषता है--इसके तल के चारों ओर वलय का होना (मोटी प्रकाश वाली कुंडली)| वलय की संख्या 7 है।, यह आकाश में पीले तारे के समान दिखाई पड़ता है।, , »- शनि का सबसे बड़ा उपग्रह टाइटन है जो सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा उपग्रह है। यह आकार में बुध के बराबर, है। टाइटन की खोज 1665 में डेनमार्क के खगोलशास्त्री क्रिश्चियन हाइजोन ने की। यह एकमात्र ऐसा उपग्रह है जिसका, , , , पृथ्वी जैसा स्वय॑ का सघन वायुमंडल है।, , , , »- फोबे नामक शनि का उपग्रह इसकी कक्षा में घूमने की विपरीत दिशा में परिक्रमा करता है।, »- इसका घनत्व सभी ग्रहों एवं जल से भी कम है। यानी इसे जल में रखने पर तैरने लगेगा।, , , , 6. अरुण (ए7०४०७):