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Unit - 1, , ◆ भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का संक्षिप्त इतिहास, ◆ भारतीय संविधान का निर्माण (विकास) एवं स्त्रोत, ◆ संविधान की प्रस्तावना एवं मुख्य विशेषताएं
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इस चेप्टर में क्या पढ़ने वाले है ?, 8. भारत छोड़ो आंदोलन, 9. खिलाफत आंदोलन, , राजनीतिक विज्ञान, , 10. कांग्रेस विभाजन, 11. बंगाल विभाजन, 12. स्वराज दल, , 13. साइमन कमीशन, 14. माउंट बेटन योजना
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भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न, प्रश्न - भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन कई कारणों का सामूहिक परिणाम था समझाइए ?, प्रश्न - भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को जन्म दे ने वाले तत्वों की विवेचना कीजिए ?, प्रश्न - भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना किन उद्दे श्य से की गई थी , उसकी प्रारंभिक नीतियों की विवेचना कीजिए ?, प्रश्न - भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना में सहायक परिस्थितियों एवं कारणों का वर्णन कीजिए ?, प्रश्न - भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रारंभिक नीतियों तथा कार्यक्रमों का मूल्यांकन कीजिए ?, प्रश्न - उदारवादी नेताओं के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की नीतियों तथा कार्य प्रणाली क्या थी ?, प्रश्न - कांग्रेश की उदारवादी नीतियों का वर्णन और विवेचन कीजिए तथा भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में उदार वादियों के, योगदान की विवेचना कीजिए ?, प्रश्न - उदारवादी आंदोलन से आप क्या समझते हैं , इसके योगदान की विवेचना कीजिए ?, प्रश्न - सन 1885 से 1905 तक कांग्रेस की नीतियों का वर्णन कीजिए ?
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भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न, प्रश्न - उग्रवादियों के तरीकों कार्यक्रमों तथा नीतियों का वर्णन कीजिए ?, प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में उग्रवाद के उदय होने के कारण बताइए ?, प्रश्न - उग्रवादी आंदोलन की उत्पत्ति के क्या कारण थे, इसके उद्दे श्य, कार्यप्रणाली तथा इसकी सफलता पर टिप्पणी कीजिये ?, प्रश्न - उग्रवाद और उदारवाद में अंतर स्पष्ट कीजिए ?, प्रश्न- असहयोग आंदोलन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए?, प्रश्न - सविनय अवज्ञा आंदोलन को समझाइए ?, प्रश्न - भारत छोड़ो आंदोलन का संक्षेप में वर्णन कीजिए ?, प्रश्न - खिलाफत आंदोलन क्या था समझाइए?, प्रश्न - सूरत की फू ट या कांग्रेस का विभाजन पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए ?, प्रश्न - बंगाल विभाजन को संक्षेप में समझाइए ?, प्रश्न - स्वराज दल , साइमन कमीशन तथा माउंटबेटन योजना पर संक्षेप में टिप्पणी कीजिए ?
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1. भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के उदय का कारण, • भारतीय राष्ट्रीय आंदोलनों का उदय होना भारतीय इतिहास की एक प्रमुख विशेषता रही है इसने न के वल, भारत के स्वतंत्र होने की नींव रखी साथ ही स्वतंत्रता के संघर्ष का मार्ग भी प्रशस्त किया और अपनी यात्रा में, कई पड़ा वो के बाद 15 अगस्त 1947 को भारत को पूर्ण राजनीतिक स्वतंत्रता दिलाई ।
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उदय के कारण, 1. 1857 की क्रांति, , 7. आर्थिक असंतोष, , 2. राजनीतिक एकता की स्थापना, , 8. भारतीयों को उच्च पद न दे ना, , 3. धार्मिक और सामाजिक पुनर्जागरण, , 9. भेदभाव की नीति, , 4. पाश्चात्य शिक्षा, , 10. यातायात एवं संचार का विकास, , राजनीतिक विज्ञान, , 5. भारतीयों का विदे श गमन, , 11. विदे शी आंदोलनों के प्रभाव, , 6. समाचार पत्र एवं साहित्य विकास, , 12. लिटन की दमनात्मक नीति
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1. 1857 की क्रांति, • 1857 का विद्रोह सैनिक विद्रोह से जन विद्रोह और भारतीय, स्वतंत्रता के युद्ध के रूप में परिवर्तित हो गया ।, • हालांकि यह कु छ कारणों से असफल रहा परंतु इसने जनता में, आक्रोश उत्पन्न कर दिया और ब्रिटिश सरकार को दिखा दिया कि, वह और अधिक समय तक भारत को गुलाम नहीं रख पाएगी ।
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2. राजनीतिक एकता की स्थापना, • ब्रिटिश शासन से पहले भारत में राजनीतिक एकता का अभाव था, लेकिन ब्रिटिश शासन ने पूरे भारत को, कें द्रीय शासन के अंतर्गत लाने में सफलता प्राप्त की और आवागमन के साधनों ने इस कार्य में सहायता, प्रदान की ।, इस प्रकार सम्पूर्ण भारत एक जैसी शासन व्यवस्था मैं बंद चुका था और राजनीतिक दृष्टि से भारत एकरूप, हो गया ।, ब्रिटिश सरकार का उद्देश्य भारत में राजनीतिक एकरूपता उत्पन्न करना नहीं था । लेकिन संपूर्ण भारत पर, अंग्रेजों का शासन स्थापित हो जाने के कारण सभी भारतीयों के हृदय में अंग्रेजी साम्राज्य का अंत करने की, भावना पनपी और धीरे-धीरे एक सी विचारधारा सभी व्यक्तियों में पनपने लगी ।, , प्रश्न- राजनीतिक एकरूपता ने किस प्रकार राष्ट्रीय आंदोलनों को जन्म दिया ??
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3. धार्मिक एवं सामाजिक पुनर्जागरण, • 19वीं सदी के धार्मिक और सामाजिक सुधार आंदोलन राष्ट्रीयता के विकास में बहुत, अधिक सहायक सिद्ध हुए। इस प्रकार के सुधार आंदोलनों में ब्राह्मण समाज, आर्य, समाज, रामकृ ष्ण मिशन और थियोसॉफिकल सोसायटी का नाम प्रमुख रूप से लिया, जा सकता है।, धार्मिक और सामाजिक सुधारको - राजा राममोहन राय, देवेंद्रनाथ सेन, के सी सेन,, पीसी सरकार, ईश्वरचंद्र विद्यासागर, दयानंद सरस्वती, एनी बेसेंट, रामकृ ष्ण परमहंस, और स्वामी विवेकानंद ने भारतीयों को भारत की महानता को समझने और उसे पुनः, प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया ।
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4. पाश्चात्य शिक्षा, • भारत में शिक्षा के प्रसार का उद्देश्य ब्रिटिश सरकार का यह था कि भारतीय, समाज और संस्कृ ति विलुप्त हो जाए । और एक ऐसे वर्ग का निर्माण हो जो रक्त, और वर्ण से तो भारतीय हो , परंतु विचार, शब्द और बुद्धि से अंग्रेज हो जाए । कु छ, सीमा तक अंग्रेज इसमें सफल भी हुए परंतु पाश्चात्य शिक्षा का दूसरा पक्ष भी था, जिसने अंग्रेजो के विरोध में भूमिका निभाई और राष्ट्रीय आंदोलनों के उदय के मुख्य, कारण बने ।, , प्रश्न - पाश्चात्य शिक्षा का राष्ट्रीय आंदोलनों के उदय में क्या भूमिका थी स्पष्ट कीजिए ?
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5. भारतीयों का विदेश जाना, • 19वीं सदी से कई भारतीय शिक्षा प्राप्त करने और अन्य कार्यों से विदेश जाने लगे ।, जहां उन्होंने प्रजातांत्रिक सिद्धांतों और संगठन को कार्यरत देखा और स्वतंत्रता,, समानता और मातृत्व का पाठ पढ़ा ।, वे इन विचारों से प्रभावित हुए और भारत में भी इन विचारों को मूर्त रूप प्रदान करने, का प्रयास करने लगे ।
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6. समाचार पत्र एवं साहित्य का विकास, • मुनरो - एक स्वतंत्र प्रेस और विदेशी राज एक दूसरे के विरुद्ध है, और यह दोनों, साथ-साथ नहीं चल सकते, भारतीय समाचार पत्रों पर भी यह बात लागू होती है ।, • पाश्चात्य शिक्षा के प्रभाव से देश में प्रेस का विकास हुआ और कई समाचार पत्रों ने, अंग्रेजी सरकार की जड़ों को हिला दिया ।, • ऐसे समाचार पत्र थे - संवाद कौमुदी, मुंबई समाचार, बंगदूत, रास्ता गुस्तार, अमृत, बाजार पत्रिका आदि ।
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7. आर्थिक असंतोष, • ईस्ट इंडिया कं पनी भारत में व्यापार करने के उद्देश्य से आई थी। परंतु इसने देश का आर्थिक शोषण करना, प्रारंभ कर दिया। 17 वी सदी तक सोने की चिड़िया कहा जाने वाला भारत 1900 ईसवी में सर विलियम, डिग्री ने लिखा - करीब 10 करोड़ मनुष्य ब्रिटिश भारत में ऐसे हैं, जिन्हें किसी समय भी भरपेट भोजन नहीं, मिलता ।, इस आर्थिक शोषण के राजनीतिक परिणाम उत्पन्न होने स्वभाविक थे । कं पनी ने भारत के उद्योग धंधों को, नष्ट कर दिया । व्यापार पर पूर्ण अधिकार कर लिया।, उद्योग धंधों के विनाश का स्पष्ट परिणाम यह हुआ कि उद्योग, धंधे करने वाले व्यक्ति कृ षि की ओर झुके ,, जिससे भूमि दबाव बढ़ने लगा और भारत सरकार ने कृ षि उन्नति पर कोई ध्यान नहीं दिया। जिससे किसानों, की दशा गंभीर होने लगी , आए दिन अकाल पड़ने लगे जिससे दशा और अधिक दयनीय हो गई ।, अंग्रेजी सरकार की आर्थिक नीतियों से असंतुष्ट होकर ही भोलानाथ चंद्र ने 1877 में लिखा - ब्रिटिश शासन, का विरोध करने के लिए हमारे द्वारा विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार की नीति अपनाई जानी चाहिए ।
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8. भारतीयों को उच्च पदों से दूर रखना, • 1833 के अधिनियम में और 1858 की घोषणा में कहा गया था कि सरकारी नौकरियों, में भारतीयों के प्रवेश में धर्म, जन्मस्थान, वंश और वर्ग के आधार पर कोई भेदभाव, नहीं किया जाएगा । परंतु इस नीति का पालन नहीं किया गया ।, भारतीयों को हमेशा उच्च पदों से पृथक रखा । इस सेवा में प्रवेश की आयु 21 वर्ष थी,, परीक्षा के वल इंग्लैंड में होती थी और परीक्षा का माध्यम अंग्रेजी था ।, इस प्रकार भारतीयों को उच्च पदों से अलग रखने की नीति ने शिक्षित भारतीयों में, असंतोष की भावना उत्पन्न की ।
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9. भेदभाव की नीति, • 1857 के विद्रोह से पहले अंग्रेजों और भारतीयों के संबंध काफी अच्छे थे । लेकिन विद्रोह के, बाद ब्रिटिश शासन ने भेदभाव की नीति अपनाना प्रारंभ कर दिया । जिससे हिंदू मुस्लिम के बीच, घृणा और कटुता बढ़ने लगी।, • ब्रिटिश सरकार और अंग्रेजों की मनमानी और आतंकपूर्ण नीति भारतीयों को विशेष रूप से, परेशान कर रही थी ।, • 1872 में मालेरकोटला उपद्रव में बिना अभियोग चलाएं 49 सिखों को तोप से उड़ा दिया था।, • अंग्रेजों के भारतीयों के साथ बर्बरता पूर्वक व्यवहार या भारतीयों की हत्या की जो घटना होती, थी उनमें अंग्रेज अपराधियों को छोड़ दिया जाता था और भारतीयों को कठिन दंड दिया जाता था
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11. यातायात और संचार के साधनों का विकास, 1 860 - 70 मैं सड़कों, रेल , डाक - तार , यातायात तथा संचार के साधनों के, विकास ने राष्ट्रीय भावना में वृद्धि की तथा इनके कारण भारत के विभिन्न भागों में, रहने वाले आपस में बार-बार मिलने लगे, जिससे देश हित में कार्य करने की योजना, बनने लगी। साथ ही इनके मध्य संपर्क भी बड़ा ।, • संचार के इन साधनों ने सारे देश को गूंथकर एक कर दिया और इन साधनों के, विकास से राष्ट्रीय आंदोलन को बल प्राप्त हुआ ।
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12. लार्ड लिटन की दमनात्मक नीति, 1. 1876 में सिविल सेवा में उम्र 21 से 19 वर्ष करदी गई ।, 2. 1877 में दक्षिण भारत में अकाल के समय महारानी के लिए दिल्ली दरबार का, आयोजन करना।, 3. अकाल के समय खाद्यान्न का निर्यात करना ।, 4. अफगानिस्तान पर आक्रमण करने में दो करोड़ पोंद खर्च करना , जिसका भार जनता, को उठाना पड़ा ।, 5. 18 78 में वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट पारित करना , जिससे भारतीय समाचार पत्रों पर, कठोर नियंत्रण लग जाता है ।