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भारत की मानव प्रजातियां, , भारत भौगोलिक विवरण के कारण उपमहाद्वीप कहलाता है, , भारत के उत्तर उत्तर पूर्व तथा उत्तर पश्चिमी भाग पर्वतीय दुर्गम क्षेत्रों द्वारा तथा दक्षिणी पश्चिमी दक्षिणी तथा दक्षिण पूर्व में, भारत सागरीय स्थिति द्वारा घिरा हुआ है अनेक विविधताओं के कारण यहां पर विश्व की अनेक प्रजातियां आकर निवास करने, लगी हैं वर्तमान में यह लोग भारत में स्थाई रूप से बस गए हैं भारत को कुछ प्रजातियों का उद्भव स्थल भी माना जाता है, , भारतीय मानव शास्त्री पंचानन मिश्रा तथा टेलर के अनुसार भारत की शिवालिक प्रदेश में मानव प्रजातियों का उद्गम क्षेत्र रहा है, इन्हीं खोजों के दौरान यहां पर पाषाण ऊर्जा तथा जीवाश्म विज्ञान और जलवायु खोज के आधार पर स्पष्ट हुआ है कि मानव, की जो आती पूर्वज हैं उनका उद्गम स्थल भारत का शिवालिक प्रदेश है जिसकी विस्तार के बाद तिब्बत के लोग यहां तक आ, गए हैं यह प्रजाति आस्ट्रेलिया एक प्रजाति मानी गई है जो भारत की बाहर से पूर्वी दो समूह है मलेशिया ऑस्ट्रेलिया अफ्रीका, आदि में प्रवसन करते रहे हैं, , भारत में अधिकांश जाति के लोग निश्चित रूप से पाए जाते हैं भारतीय प्रजातियों की मुख्य विशेषता रही है कि जो प्रजाति, प्रागैतिहासिक अथवा ऐतिहासिक लोगों में स्थानांतरित हुई है वह समाप्त नहीं हुई परंतु स्थाई रूप से यहां पर भी लोग बस गए, , भारत की मानव प्रजातियों का वर्गीकरण, , , , , , भारत में प्रजातियों के मिश्रण के कारण जनसंख्या में प्रजाति वर्ग को स्पष्ट रूप से एक समस्या माना गया है विभिन्न मानकों के, आधार पर विद्वान रिसले, हेडन, हटन एवं बीएस गुहा ने प्रजातियों की बोर्ड की किरण को विभाजित करने का काफी प्रयास, किया है, , 1 रिसले का वर्गीकरण, , , , , , , , रिसले के अनुसार भारतीय प्रजातियों का वर्गीकरण सर्वप्रथम इन्होंने 1901 में किया, , , , रिसले ने भारतीय प्रजातियों को निम्नलिखित 7 भागों में वर्गीकृत किया है, , 1 इंडो आर्यन इस प्रजाति के लोग वर्तमान समय में पंजाब राजस्थान उत्तर प्रदेश जम्मू कश्मीर राज्य में पाए जाते हैं यह, मुख्यतः राजपूत खत्री एवं जाट उपजाति के सदस्य हैं, , 2 द्रविडियन। इस प्रजाति के लोग भारत के दक्षिण भाग में तमिलनाडु आं्रप्रदेश छोटा नागपुर का पठार तथा मध्य प्रदेश के, दक्षिण भाग में निवास करते हैं इन प्रजाति के लोगों का शारीरिक कद छोटा तथा त्वचा का रंग काला होता है, , , , 3 मंगोलॉयड यह प्रजाति भारत की उत्तर पर्वतीय क्षेत्र में हिमालय प्रदेश एवं असम राज्य में पाई जाती है, , , , 4 आयों द्रविडियन यह प्रजाति की उत्पत्ति द्रविड़ एवं आर्य प्रजातियों के मिश्रण की कारण हुई है भारत में इस प्रजाति के लोग, अधिकतर बिहार उत्तर प्रदेश और राजस्थान की भागों में निवास करते हैं, , , , 5 मंगोल द्रविडियन इस प्रजाति के लोग भारत में मंगोल तथा विभिन्न प्रजातियों के मिश्रण से उत्पत्ति हुई है इस प्रजाति के, लोग भारत की पूर्वी उड़ीसा एवं पश्चिम बंगाल में पाए जाते हैं, , 2 हेडन का वर्गीकरण, , हेडन ने भारती प्रजातियों का वर्गीकरण भौगोलिक विशेषताओं के आधार पर किया है इन्होंने मानव के शारीरिक लक्षणों को, अपने वर्गीकरण में कम महत्व दिया परंतु सर्वप्रथम हेडन ने भारत की तीन प्रमुख भौगोलिक क्षेत्र में विभाजित किया है इन्हीं, मानकर इन्होंने भारत की प्रजातियों को 8 भागों में बांटा है
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1 हिमालय पर्वत के प्रदेश की प्रजातियां, , , , # भारतीय आर्यन इसके अंतर्गत हिमाचल प्रदेश के कुल्लू घाटी में कानेर एक प्रजाति के लोग पंजाब में निवास करते हैं, , , , 8 मंगोलॉयड उत्तरी एवं उत्तरी पूर्वी तथा पूर्व पहाड़ी क्षेत्र में भूटिया, सुरमी ,गोरखा, लेपका ,कनेत प्रजाति पाई जाती है, , 2 सिंधु गंगा के मैदान की प्रजातियां, , , , # इंडो अफगान यह प्रजाति हिमाचल प्रदेश की शिवालिक पहाड़ियों कश्मीर की घाटी राजस्थान तथा पंजाब में जाट गुर्जर, राजपूत आदि प्रजातियां निवास करती हैं, , 3 दक्षिणी क्षेत्र में निवास करने वाली प्रजातिया, / नीग्रिटो, , 8 पूर्व द्रविडियन, , 0 द्रविडियन, , 0 दक्षिणी चौड़े सिर वाली प्रजाति, , £ पश्चिमी चौड़ी सिर वाली प्रजाति, , (3) हटन का वर्गीकरण, , हटने भारतीय प्रजातियों की वर्गीकरण के बारे में कहा कि किसी भी प्रजाति की उत्पत्ति भारत में नहीं हुई यह प्रजाति के लोग, अन्य देशों से आकर भारत में बसे हैं इनका आगमन भारत में दूसरे देशों से हुआ है सर्वप्रथम भारत में नीग्रिटो प्रजाति आई थी, यह प्रजाति सबसे प्राचीन प्रजाति मानी जाती है अंत में अल्पाइन प्रजाति का आगमन हुआ था जिसे हटाने भारत की, नवीनतम प्रजाति माना है, , , , हटने भारत में आगमन के आधार पर 1931 में भारतीय जातियों का वर्गीकरण किया है, , , , # नीग्रिटो प्रजाति यह प्रजाति भारत की सबसे प्राचीनतम प्रजाति मानी जाती है, , , , 8 प्रोटो ऑस्ट्रेलिया प्रजाति। इस प्रजाति का उद्गम स्थल फिलिस्तीन है यहां से यह स्थानांतरण करके भारत में बसे वर्तमान में, इनकी त्वचा का रंग चॉकलेट तथा खोपड़ी की आकृति लंबी होती है, , 0 पूर्व भूमध्यसागरीय इस प्रजाति के लोग भारत में पूर्वी यूरोप से आकर गुजरात मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में बसे, 0 अल्पाइन प्रजाति इस निवास क्षेत्र में भारत में गुजरात पश्चिम बंगाल में स्थित हैं इन्हें पूर्व वैदिक भी कहते हैं, ६ नार्डिक प्रजाति भारत के पंजाब राजस्थान गंगा नदी की घाटी में निवास करती है, , +# मगोल प्रजाति इस प्रजाति का आगमन भारत के उत्तर पूर्वी भाग से हुआ है वर्तमान समय में यह बंगाल तथा अन्य उत्तर पूर्व, भागों में निवास करती है, , (4) गुहा का वर्गीकरण, , , , डॉ बीएस गुहा के अनुसार पर जातियों की शारीरिक लक्षणों तथा वैज्ञानिक तथ्यों की गहन अध्ययन के आधार पर अधिक शुद्ध
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एवं तार्किक ढंग से भारतीय पर जातियों का वर्गीकरण 1944 में "जनसंख्या में प्रजाति तत्व "लेख में प्रकाशित किया, , , , बीएस गुहा ने भारतीय पर जातियों को 6 प्रजातियों में वर्गीकृत किया तथा 9 वर्गों में बांटा है, , , , 1 निग्रीटो प्रजाति:- जीतू प्रजाति की उपस्थिति भारती प्रजातियों में एक असमंजस की स्थिति है मानव शास्त्र के अनुसार, भारत में प्रजाति के लोग लगभग अभाव पाया जाता है लेकिन लिपिक महोदय ने कहा है कि भारत में नीग्रिटो जाति का अंत, दक्षिण भारत में आदिवासियों में पाया जाता है बीएस गुहा ने कोचीन की पहाड़ियों की कादर और पुलियान उपजाति के लोगों, को एक एवं अंडमान निकोबार द्वीप के मूल निवासियों को इस प्रजाति के रूप में माना, , 2 प्रोटो ऑस्ट्रेलिया :- यह प्रजाति वर्तमान समय में भारत की विभिन्न संस्कृतियों में आस्ट्रेलिया जयपुर जाति की संख्या, सर्वाधिक है इस प्रजाति में अधिकांश लोग भारत के प्रायद्वीप वह आग में रहते हैं भारत के दक्षिण भाग में निवास करने वाली, प्रजाति मलायन,वेंचू,कुरुंबा,मुंडा, गौड़ कोल,संथाल भील आदि जनजाति की विशेषताएं पाई जाती हैं, , , , , , , , 3 मंगोलॉयड :- प्रजाति की उत्पत्ति इरावती नदी के बेसिन चीन तिब्बत तथा मंगोलॉयड की विस्तृत क्षेत्रों में मानी जाती है इस, प्रजाति के लोग भारत में प्रवास कर किया है तथा वर्तमान में भारत के उत्तर पूर्वी भाग में नेपाल असम एवं कश्मीर में निवास, करते हैं मंगोलाइड प्रजाति के लोगों की दक्षता गाल की हड्डियां कुछ बाहर निकली हुई होती हैं तथा आंखों का रंग बादाम की, तरह तथा शरीर व बालों की मात्रा बहुत कम कद छोटा होता है सिर्फ चौड़ा तथा त्वचा का रंग कुछ पीलापन लिए हुए होता है, , , , यह प्रजाति अत्यधिक प्राचीन होने के कारण बाद में विकसित मांगोलाइट प्रजाति के विपरीत शारीरिक लक्षण पाए जाते हैं, इसकी पहचान करना बहुत कठिन है सिर की बनावट नाक तथा त्वचा का रंग के आधार पर ही नहीं पहचाना जा सकता है, इसके दो भाग हैं, , लंबी सिर वाली मंगोलिट प्रजाति, चोडी सिर वाली प्रजाति, , , , , , 4 भूमध्यसागरीय:-यह प्रजाति भारत में पाई जाने वाली भूमध्यसागरीय प्रजाति यूरोपीय प्रजाति की शाखा है वर्तमान समय, में भारत में इस प्रजाति के लोग उत्तर प्रदेश पंजाब महाराष्ट्र पश्चिम बंगाल तथा दक्षिण में मालाबार तट पर निवास करते हैं। इस, प्रजाति के लोग भारत में अलग-अलग समय पर भारत में आई इन्हें तीन भागों में बांटा गया है, , प्राचीन भूमध्यसागरीय प्रजाति, भूमध्य सागरी प्रजाति, पूर्वी भूमध्य सागरी प्रजाति, , 5 चौड़े सिर वाली पश्चिमी प्रजातियां:- भारत में प्राचीन काल में पहाड़ी क्षेत्र में पश्चिम की चौड़ी सिर वाली प्रजातियों का, आगमन हुआ यह प्रजातियां उत्तर में पहाड़ी क्षेत्रों में प्रवेश करके धीरे-धीरे हिमालय की तलहटी से दक्षिण से पश्चिम से आखरी, , तक बंगाल तथा तमिलनाडु में फैल गई यूरोप के जिस भाग में इन प्रजातियों का आगमन हुआ था उसके आधार पर ही ने, निम्नलिखित उप जातियों में बांटा गया है, , अल्पनाइट, दिनारिक, , आर्मीनाइट, , , , , , , , , , 6 नार्डिक:-भारत में इस प्रजाति का आगमन सबसे अंत में हुआ इस प्रजाति की उत्पत्ति स्टैफी प्रदेश में हुई थी वहां से इस