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8५9 16० /४४शावा 8 (पाता (५४४|, ६60. ४.७ 56049/»9 ६ 0७08।॥115६0, |॥॥५७| | 11,8.९0,, 2600५,8.1॥853, 0४४६१ 550७२॥५9 २075&591011%1 0171 0॥/&, ०0. 9413866450, , मानव पर्यावरण संबंधी अवधारणा, , _निश्चयवाद व संभववाद, मनुष्य का प्राकृतिक वातावरण से वही संबंध है जो कि अन्य प्राणियों से है, , तुरंत मनुष्य ने अपने बौद्धिक विकास के द्वारा पर्यावरण से बदलते हुए संबंध, बनाए हैं जिन से पर्यावरण को कभी हानि हुई तो कभी ना वह मनुष्य जीव, जंतुओं की भांति रहता है वह पर्यावरण पर विशेष प्रभावशाली नहीं है फिर भी, मनुष्य ने विगत 10000 वर्ष पूर्व सभ्यता एवं संस्कृति के विकास के नए, आयाम स्थापित की मनुष्य ने पर्यावरण से उपयोगी वनस्पति जीव जंतुओं का, भी विकास कार्य उपयोगी बनाया और वनस्पति तथा जीव जंतुओं को विकास, क्रम के पीछे छोड़ दिया या उन्हें सदा के लिए विलुप्त कर दिया, , मनुष्य द्वारा अपनी चार्ट को महत्त्व देने के लिए पर्यावरण में नैसर्गिक विधायक, पूर्व ही मनुष्य एवं वातावरण की सह संबंधों में आज से लगभग 5000 वर्ष, पूर्व क्रांतिकारी परिवर्तन आए मनुष्य ने उस समय कृषि करना स्थाई आवास, बनाकर रहना तथा जंतुओं का पालतू करण करके उन्हें उपयोगी एवं पेड़ पौधों, को जैविक चक्र से बाहर निकालना सीख लिया था कृषि के रूप में उपयोगी, पेड़ पौधों को अधिक उत्पादन और मनुष्य के लिए लाभकारी था जिससे, भोजन प्राप्ति की अधिकता उत्पन्न हुई, , घुमरिया की 1 क्षेत्रों में सौर ऊर्जा का वार्षिक संख्या 14000 कैलोरी प्रति वर्ग, सेंटीमीटर होता है जबकि कौन धड़कनों में यह संख्या 11000 कैलोरी प्रति वर्ग, सेंटीमीटर होता है परंतु चावल व गेहूं के खेतों में लगाए गए पौधों द्वारा ऊर्जा
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का संचार मात्र 4000 से 5000 कैलोरी होता है, , मानव एवं पर्यावरण संबंधी दृष्टिकोण, , मनुष्य और पर्यावरण के मुद्दे सहित संबंधों के विषय में विद्वानों ने अलग-अलग, दृष्टिकोण है जहां एक और कहा जाता है कि मनुष्य को इस वातावरण में, अन्य जीव-जंतुओं की भांति प्राकृतिक निर्देश के अनुपालन नहीं करनी चाहिए, वहीं दूसरी ओर यह भी दृष्टिकोण है कि मनुष्य एक विकसित प्राणी होते हुए, सागर बुद्धि उसे पर्यावरण की विभिन्न घटकों को अपने अनुकूल बना लेता है, और संसाधनों का अधिकाधिक दोहन करता है पर्यावरण के मध्य संबंधों का, अध्ययन विभिन्न दृष्टिकोण से किया जाता है जिसका विभिन्न विचारों के रूप में, परिलक्षित होता है, , निश्चयवाद, , पर्यावरण इसी बाद उसे कहते हैं जिसमें मनुष्य को जीव जंतुओं की बहुत ही, प्राकृतिक वातावरण के निर्देश के अनुपालन करनी चाहिए अर्थात मनुष्य तथा, उसकी क्रियाकलापों पर भौतिक पर्यावरण का प्रभाव दृष्टिगत होता है प्रकृति ने, मनुष्य को बनाया है यही उपागम का प्रमुख आधार है मानव पर्यावरण संबंध, में पर्यावरण के दृष्टिकोण के अनुसार मानव जीवन के सभी पक्षों का भौतिक, पर्यावरण का प्रभाव पड़ता है, , पित्ताशय कटनी परिभाषित करते हुए लिखा है कि पर्यावरण वाद के अनुसार, मनुष्य मुख्य रूप से प्रथम तल पर मानव की व्यवहार के प्रति निर्धारण में, प्राकृतिक पर्यावरण की प्रमुख भूमिका होती है प्राचीन काल में गीत विद्वानों, द्वारा भी प्राकृतिक तत्वों के प्रभाव को स्वीकार किया है जिस प्रकार अरस्तू ने, अपनी पुस्तक राजनीति में लिखा है कि यूरोप के ठंडे देशों में निवासी बहादुर
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होते हैं किंतु विचारों एवं तकनीकी कौशल में कमी पाई जाती है इसके विपरीत, पाई जाती है होते हैं लेकिन नहीं होते एवं विकास हुआ है उत्साही नहीं होते हैं, पर्यावरण निश्चयवाद का जन्म जर्मनी में ही हुआ इसके प्रमुख प्रतिपादक हैं, जर्मन भूगोलवेत्ता एवं मानव भूगोल के जन्मदाता फेवरेट जैन रेड जेल के, अनुसार प्राकृतिक वातावरण के तत्व की बनावट जलवायु वनस्पति आदि मानव, पाए जाते हैं अधिक प्रभावित करते हैं उनके अनुसार हमारी संस्कृति एवं, सभ्यता की एक चिड़िया की उड़ान से नहीं की जा सकती है क्योंकि हम सदैव, है, , पर्यावरण निश्चयवाद को स्पष्ट करने का कार्य काल रिटर्न तथा अलेक्जेंडर वॉन, हंबोल्ट ने किया एडिटर की मानव केंद्रित विचारधारा से इसका विकास हुआ, इन्होंने प्रकृति द्वारा मानव पर डाले के प्रभाव का विवरण अपनी पुस्तक यूरोप, में दिया था बोर्ड ने इस विचारधारा को वैज्ञानिक ढंग से देखा तथा मानव, वातावरण के प्रभाव को माना हम बोल्ट ने अपनी पुस्तक ग्रंथ कॉसमॉस में, पर्यावरण शक्ति को सर्वोपरि माना जबकि सभ्यता के विकास में वहां की, जलवायु को सर्वोपरि माना, , अट्टारह सौ उनसठ मीका लीटर तथा उनकी मृत्यु है इसी वर्ष चार्ल्स डार्विन की, पुस्तक जीवन की उत्पत्ति प्रकाशित हुई जिसमें जीवन के विकास एवं पर्यावरण, का घनिष्ठ संबंध पाया जाता है जिसके अनुसार मानव समाज का विकास, प्राकृतिक वातावरण के आधार पर होता है डार्विन की विचारों से प्रभावित, होकर जर्मनी के प्रसिद्ध वैज्ञानिक ने मानव पर्यावरण से संबंधों की दिशा में, आधारभूत विचार व्यक्त किए, , प्रयोगवाद की संकल्पना 1911 में अपने चरम पर पहुंची तथा फ्रेंड रिक्वेस्ट
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सेंड की शिष्य अमेरिकन भूगोल विधि एलेन चर्चिल सैंपल ने अपनी पुस्तक, भौगोलिक वातावरण के प्रभाव का प्रकाशन किया संपन्न ने रेड जेल के अंतिम, ज्योग्राफिक नामक ग्रंथ में प्रतिपादित इस विचारधारा को मध्य नजर रखते हुए, पुस्तक लिखी सिद्धांत का समर्थन करते हुए कहा कि मनुष्य की उपज है, सैंपल में पूर्ण रूप से मनुष्य पर वातावरण का नियंत्रण तथा प्रभाव बताते हुए, कहा कि अर्थात मनुष्य केवल इतना ही नहीं कि वह पृथ्वी का बच्चा है, सैंपल ने पर्यावरण के प्रभाव मुकुल निम्नलिखित चार भागों में विभक्त किया, पहले शारीरिक प्रभाव, , मानसिक प्रभाव, आर्थिक और सामाजिक प्रभाव, मानवीय गतिविधियों का प्रभाव, , आंटी को टर्न हिंदी से बात को संगठित करने का कार्य किया उन्होंने 1915 में, अपनी पुस्तक सभ्यता एवं जलवायु तथा 1927 में मानव एवं आवास तथा, संस्कृति के मुख्य स्रोत को प्राकृतिक वातावरण के मानव पर नियंत्रण को स्पष्ट, किया, निश्चयवाद विचारधारा बीसवीं शताब्दी के आरंभिक 20 वर्षों तक पर्याप्त रही, निश्चयवाद की आलोचना, बीसवीं शताब्दी के मध्य निषाद विचारधारा की मान्यता में कमी आई है तथा, मानवीय क्रियाकलापों की भूमिका को मैदान में ले लगा बीसवीं सदी के प्रथम, दशक में रेट से तथा सैंपल द्वारा भी सरकार किया गया तथा उन्होंने यह, स्वीकार किया कि मानव प्रकृति का पूर्ण नियंत्रण प्रभाव है, मानवीय क्रियाकलापों की आधार को दृष्टिगत करने पर नियति वादियों द्वारा
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प्रस्तुत प्रकृति प्रत्यय शब्द विचार हास्य पद से मिलते हैं, , 2 संभववाद, , पर्यावरण की विचारधारा के अंतर्गत यादव किया गया कि मनुष्य की क्षमताओं, को पर्यावरणीय शक्तियां नियंत्रित नहीं कर सकती प्रभाव डाल सकती हैं इसके, अनुसार पर्यावरण संभावनाएं प्रस्तुत की जाती है मनुष्य अपने सकता है, मनुष्य अपनी चाहत के द्वारा उनका उपयोग कर सकता है संभववाद की, विचारधारा का जन्म हो विकास फ्रांस में हुआ इस के जन्मदाता विडाल डी ला, प्लान से संभववाद शब्द का सबसे पहले प्रयोग ल्यूशिन फेब्रे ने किया इनके, अनुसार प्रकृति की अपेक्षा मनुष्य की कार्यों को प्राथमिकता दिया जाना चाहिए, उन्होंने कहा कि प्रकृति द्वारा प्रस्तुत की संभावनाओं में होता है, , संभवत उपागम कितने ब्रांच ने अपनी पुस्तक मानव भूगोल के सिद्धांत में, मानव पर्यावरण संबंधित में संभव हुआ दीपक उनकी विकास का मार्ग प्रशस्त, किया उनके अनुसार प्रकृति मात्र एक परामर्श दात्री के रूप में है आसमानों को, एक एहसासों को लेकर को मानता है जो ग्राम प्रधान प्रधान दोनों ही है राम, स्नेह पाने कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि मनुष्य नहीं पेड़ पौधे को, उनके मूल स्थान से ले जाकर विश्व के अन्य भागों में पहला देने का कार्य, किया है इतना ही नहीं मनुष्य ने उनकी उपज की मात्रा में भी वृद्धि की तथा, विभिन्न प्रकार की जलवायु की आने के लिए तैयार की तथा बल देते हुए, उन्होंने कहा कि विद्यापति के सजीव एवं निर्जीव दोनों तत्वों में परिवर्तन करती, है, , मानवीय कौशल तथा क्षमता को महत्व देते हुए संभववाद विचार धारा के, , अनुकूल बल दिया उन्होंने अपनी पुस्तक कल्चरल ज्योग्राफी में यदि