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» डलहौजी का मुख्य उद्देश्य भारत में अंग्रेजों के शासन का एकीकरण करना था,इसलिए उसें केन्द्रीकरण की, नीति अपनाई. नयी हडपी गयी जगह को उसने “नॉन-रेग्युलेटरी सिस्टम" (1३०॥ २९७७।०॥ )) में रखा,, जहां पर प्रशासनिक समस्याओं को सुलझाने के लिए कमिश्नर नियुक्त किये गये,और उन्हें काउंसित्र में, जिम्मेदार गवर्नर जनरल बनाया गया., , » उसने न्याय, पुलिस और जमीन समबन्धित मामलों की जिम्मेदारी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को सौप दी थी., , «डलहौजी ने बंगात्र में लेफ्टिनेंट गवर्नर की नियुक्ति के लिए भी प्रोविजन बनाया. 1853 के पार्लियामेंट्री, एक्ट (?8/॥97॥1९7191/ 4०) के अनुसार गवर्नर जनरल को बंगाल के गवर्नर जनरल के कार्य से मुक्त, कर दिया., , सेना सुधार (७081५ 1२४(०715), , «पंजाब,सिंध और अवध की जीत के बाद कम्पनी शासित राज्यों का क्षेत्र बढ़ गया था और भारत में, मिलिट्री की प्रभाविता उत्तर भारत में ज्यादा हो गयी थी. इस कारण डलहौजी ने बंगाल के तोपखाना केंद्र, को कलकता से मेरठ शिफ्ट कर दिया., , « आर्मी हेड क्वार्टर (8111५ ।1९३०४ १५७०४४९॥) भी शिमला में लगा दिया गया जिससे कि शिमला में रहने वाले, गवर्नर जनरल के सम्पर्क में आर्मी रह सके., , *»डलहौजी ने फौजों को कलकता से पश्चिम की तरफ मूव (४०५९) करने का भी आदेश दे दीया था., डलहौजी ये बात साफ देख सकता था कि भारत में अंग्रेजों का भविष्य सशक्त आर्मी से ही सम्भव, हैं,जिसमें भी भारतीय और अंग्रेज सैनिकों के बीच में संतुलन हो,इस तरह कुछ भारतीय सैनिकों को, हटाने के बाद 1856 में आर्मी में 2,23,000 भारतीय और 45,000 यूरोपियन बचे थे., , « डलहौाँजी को भारतीयों पर विशवास नहीं था इसलिए उसने गोरखा रेजिमेंट बनाई. पंजाब में एक अनियमित, फ़ोर्स भी बनाई, इस रेजिमेंट ने 1857-58 में अंग्रेजो का काफी साथ दिया था।, , रेलवे के जनक (र1|५४७ 01790), , *डलहौंजी ने भारत में एक नए परिवहन की शुरुआत की थी. वो भारतीय रेलवे के जनक भी कहलाते हैं., डलहौंजी के 1853 में घरेत्रू प्रशासन को रेलवे की जरुरतों के बारे समझाया था और मेन लाइन के, निर्माण की शुरुआत की थी., , « उन्होंने पोर्ट और देश के मुख्य शहरों को जोड़ने वाली रेलवे लाइन की रूपरेखा तैयार की. इस तरह पहले, रेलवे ल्राइन 1853 में बोम्बे से ठाणे तक की चली,जो कि 26 मील की दूरी तय करती थी., , « अगले साल कलकता से रानीगंज तक कोयला संचालित ट्रेन चली, धीरे-धीरे सभी महत्वपूर्ण शहरों और, कस्बों को रेलवे लाइन से जोड़ दिया गया. रेलवे लाइन का निर्माण भारत के राजकोष से नहीं हो रहा था, बल्कि इसे गवर्मेट गारंटी के अंतर्गत इंग्लिश कम्पनी सम्भाल रही थी. व्यपार और आर्थिक प्रगति के, साथ ही रेलवे ने पूरे देश को जोड़ने का काम किया था।, , टेलीग्राफ सिस्टम (1९1९५४००॥ 5५50)
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बनाये गये. उसकी इन नीतियों के कारण पूरे समुद्री व्यापार पर अंग्रेजों का कब्ज़ा हो, गया,क्योंकि उनके पास शक्ति और संसाधन थे. इससे भारत को काफी आर्थिक नुकसान हुआ।, , शैक्षिक सुधार (६4प०च#०7व/1#२४/०00775), , «लार्ड डलहौजी ने शिक्षा के क्षेत्र में भी कई परिवर्तन किये. 1854 मे सर चार्लस वुड (बोर्ड ऑफ़ कंट्रोल के, प्रेजिडेंट) ने भारत में शिक्षा प्रणाली को पुन:व्यवस्थित करने के लिए एक प्रस्तावना भेजी थी, जिसे वुड, का “डिसपेच ऑफ़ 1854"(015790५/1 ० 1854) भी कहा जाता हैं,इसके अनुसार हर जिले में एंग्लो देशी, भाषा का स्कूल, महत्वपूर्ण शहरों और कस्बो में सरकारी कॉलेज और प्रेजिडेंसी ऑफ़ इंडिया में, युनिवर्सिटी की स्थापना होनी चाहिए. डलहौंजी ने वुड के सुझाव पर भारत में शिक्षा के आधार और, जरूरत को अच्छे से समझ लिया था और उसने इन सभी कामों को अंजाम दिया., , » हर प्रोविडेंस(?/0५४॥1८९) में जनरल पब्लिक इंस्ट्रक्शन (6806/3| 2091८ ॥151५८1[०70)के अंतर्गत एक, अलग से शिक्षा विभाग स्थापित किया गया., , «सरकार ने निजी शिक्षा संस्थाओं को भी आर्थिक सहायता देकर प्रोत्साहित किया, 1857 में कत्रकता,मद्रास, और बोम्बे में यूनिवर्सिटी की स्थापना की गयी यूनिवर्सिटी का काम एग्जाम करवाना और डिग्री देना, था. निम्न वर्ग के लिए क्षेत्रीय भाषा में स्कूल खोली गयी., , «» डलहौजी का रूडकी और अन्य प्रेजिडेंसी में इंजीनियरिंग कॉलेज बनाने में विशेष योगदान था. इसलिए उनहे, भारत में प्रोफेशनल और टेक्निकल एजुकेशन (?1र्णा8551014| 410 1९८॥॥1८३| ६७५८४४०॥ ) का फादर, भी कहा गया था।, , डलहाँजी के द्वारा बनाये गये महत्वपूर्ण एक्ट (7०71६ 8८5५ 09५ 106 04॥0प४७), , *»डलहौजी के आने से पूर्व तक ये नियम था कि यदि कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन कर लेता हैं तो उसके पिता, की सम्पति में उसका अधिकार नहीं रहता हैं, इस कारण भारत में कन्वर्जन की दर कम थी,लेकिन, डलहौजी ने 1850 में एक रिलीजियस डिसेबिलिटी एक्ट पास किया जिसके अनुसार हिन्दू के कन्वर्ट होने, पर भी उसकी पुश्तैनी सम्पति पर उसका अधिकार रहेगा., , «उसने 1855 में विधवा पुन:विवाह अधिनियम भी पास किया जिसके कारण हिन्दुओं में विधवा का, पुन:विवाह होना कानूनन शुरू हुआ, हालांकि इन सभी सामाजिक परिवर्तनों ने आम-जन में अंग्रेजों के, खिलाफ रोष भर दिया, , «1854 में एक नया पोस्ट ऑफिस एक्ट पास हुआ था, इस सिस्टम के अंतर्गत एक डायरेक्टर जनरल को, नियुक्त किया गया था, जो सभी प्रेजिडेंसी में के पोस्ट ऑफिस में सुपरवाइजर का काम देखता था, एक, समान दर अट्ठनी में लेटर और पोस्टेज स्टाम्प भी लांच किये गए।, , डलहाँजी की महत्वपूर्ण जीत ( ॥#1709(६ एशंट०9५ 99५ #ां॥), सेकंड एंग्लो सिख युद्ध
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लार्ड डलहौँजी के कार्यकाल में पहला युद्ध 1848-49 में लडा गया था जिसमें उन्होंने पंजाब में, सिख साम्राज्य को समाप्त किया था. लाहौर की संधि के बाद सर हेनरी लावरेंसे को लाहौर, दरबार में नीतियों पर नियन्त्रण के लिए नियुक्त किया. जो बाद में किसी बीमारी के कारण, इंग्लेण्ड चले गये, और उनकी जगह वकील फ्रेडरिक कर्री को लाहौर के दरबार में नियुक्ति मिली., सर फ्रेडरिक कर्री ने मुल्तान के गवर्नर दीवान मूलराज को बकाया आय भरने का आदेश दिया, गया था. जब ब्रिटिश ऑफिसर को मूलराज के दरबार में भेजा गया,तो उन्होंने उस पर आक्रमण, कर अधिकाररी को घायल कर दिया. घायल अधिकारी को कुछ लोगों ने बचाया लेकिन भीड़ ने, उन्हें मार गिराया. इसके बाद मूल राज की छोटी सी सेना को अंग्रेजों ने हरा दिया,लेकिन, क्रांतिकारी शान्त्न्ही हुए और उन्हों ने फिर से अंग्रेजो पर हमला कर दिया. इस तरह युद्ध कुछ, महीनो तक चला जिसके आखिर में सिख हार गए,इस तरह 29 मार्च 1849 के दिन अंग्रेजों ने, पूरे पंजाब को अपने अधीन कर लिया. रानी जिन्दकौर को जेल में डाल्न दिया और 11 वर्षीय, माहराज दलीप सिंह को पेंशन पर लन्दन भेज दिया।, , , , , , सेकंड एंग्लो-बर्मन युद्ध 1852-53, , एंग्लो बर्मन युद्ध के बाद बर्मा और ईस्ट इंडिया कम्पनी के मध्य में 24 फरवरी 1826 को, यांदाबू की संधि हुयी थी. 20 साल बाद वहां के राजा ने उन अंग्रेज व्यापारियों को तंग करना, शुरू कर दिया जो वहाँ सेटल होने लगे थे., , 1851 में इन व्यापारीयों ने बर्मा उत्पीडन के बारे में कल्कता में बैठे अधिकारियों से शिकायत, की,जिस पर ईस्ट इंडिया कम्पनी ने एक्शन लेते हुए लार्ड डलहौजी ने बर्मा को खती-पूर्ति की, राशि देने को कहा, लेकिन वहाँ से कोई जवाब नहीं मिलने पर एक तनाव-पूर्ण युद्ध की स्थिति, बन गयी,और आखिर में 5 अप्रैल 1852 को वहाँ युद्ध छिड गया,12 अप्रैल को रंगूल पर और, जून में पेगू पर कब्ज़ा कर लिया गया. जनवरी 1853 को बिना किसी संधि के साथ युद्ध, समाप्त हुआ,पेगु को लोअर बर्मा नाम मिल्रा।, , , , , , डलहाँजी से जुड़े रोचक तथ्य (७॥|त0जा॥ 8८७५, , «1849 के द्वितीय सिख युद्ध में पंजाब को जीतने के बाद वहाँ के आखिरी राजा दलीप सिंह को लार्ड, डलहौजी ने ये आदेश दिया कि वो ब्रिटिश की महारानी को 793 केरेट का कोहिनूर हीरा सौंप दे. इस, तरह भारत से कोहिनूर को बाहर ले जाने का जिम्मेदार भी लार्ड डलहौंजी ही था., , »लार्ड डलहौजी के भारत में प्रगतिशील परिवर्तन करने और कई राज्यों में ब्रिटिश शासन लागु करवाने के, बाद भी उसे भारतीयों और अंग्रेजों की आलोचना का सामना करना पड़ा. वास्तव में ये दोनों ही पक्ष, उन्हें 1857 की क्रान्ति के लिए जिम्मेदार मानते थे. जहां अंग्रेजों के अनुसार लार्ड डलहौजी ने ही इस, क्रान्ति के बीज डाले थे वही भारतीय डलहौंजी के नीतियों,पंजाब में मासुब बच्चों की हत्या और भारत, की परम्पराओं को क्षति पहुचाने वाला विदेशी आक्रान्ता मानते थे।