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जर्मनी का एकीकरण बिस्मार्क के नेतृत्व में हुआ, , प्रारम्भिक प्रयासः, , « नेपोलियन से पूर्व जर्मनी अनेक छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित था तथा, पवित्र रोमन साम्राज्य के अधीन था।, , « नेपोलियन ने अप्रत्यक्ष रूप से जर्मनी के एकीकरण का मार्ग प्रशस्त, किया। उसने जर्मनी के छोटे-छोटे राज्यों के स्थान पर 39 राज्यों का, एक संघ बनाया तथा जटिल शासन व्यवस्था के स्थान पर एक सरल, शासन व्यवस्था स्थापित की। इस संघ को राइन संघ 1शं16, (0०॥४१०-४०1 कहा गया। इस संघ का शासन चलाने के लिए संघीय, संसद 7९१०/-० 9० की स्थापना की। इसके सदस्य राज्यों द्वारा, निर्वाचित होते थे। प्रत्येक राज्य इसके निर्णयों को स्वीकार करने हेतु, बाध्य होता था। इस प्रकार नेपोलियन ने जर्मनी में एकता की भावना का, प्रसार किया।, , जर्मनी में राष्ट्रीय एकता के विकास के कारणः, बौद्धिक जागृतिः, , « सर्वप्रथम जेना विश्वविद्यालय के छात्रों ने अपना एक संगठन बर्शेनशेफ्ट, (छप्ा्जाशाडटाशी) बनाया। इसकी शाखाएं जर्मनी के बर्लिन, बॉन,, लिप्जिंग सहित 16 विश्वविद्यालयों में फैल गई।, , « जर्मनी के कवियों, दार्शनिकों तथा इतिहासकारों ने जर्मनी के प्राचीन, गौरव पर प्रकाश डालकर राष्ट्रीय एकता की भावना को बल दिया।, , « फिकटे ने अपने 'एड्रेसेज टू द जर्मन पीपुल' (860655९510 ९ ठशप्वा, ए९०]०) के द्वारा जर्मनी लोगों को उत्साहित किया।, , « हीगल ने 'शक्ति पर आधारित राज्य' पर अपने विचार प्रकट किए और, जर्मन नवयुवकों का हौसला बुल्नन्द किया। इस प्रकार वैचारिक क्रांति ने, जर्मनी युवाओं में राष्ट्रीय एकता और स्वतंत्रता प्राप्ति का जोश भरने का, प्रेरणास्पद कार्य किया।
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कार्ल्सवाद घोषणा (5980 162८९९७):, , « 1818 ई. में एक्स-ला-शॉपेल कांग्रेस में मैटरनिख ने क्रांतिकारी विचारों, का दमन की आवश्यकता पर बल दिया।, , « प्रशा के शासक फ्रेडरिक विलियम के साथ मैटरनिख ने 1819 ई. में, कार्ल्सबाद में एक सभा बुलाई तथा इस सभा में कुछ नियम पारित किए, जिन्हें 'कार्ल्सवाद ओदश' कहा जाता है।, , , , उसकी मुख्य धाराएं निम्नलिखित हैः, , « प्रेस पर प्रतिबन्ध लगाया जाएगा।, , « विश्वविद्यात्रयों में बर्शेनशेफ्ट जैसे संगठन गैर कानूनी घोषित किए, जायेंगे।, , « जो छात्र या अध्यापक बर्शनशेफ्ट का सदस्य होगा उसे विश्वविद्यालय, से निकाल दिया जाएगा तथा न ही उसे दूसरे विश्वविद्यालय में त्रिया, जाएगा।, , « बर्शेनशेफ्ट की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए प्रत्येक, विश्वविद्यालय में एक-एक सरकारी प्रतिनिधि की नियुक्ति की जाएगी।, एक ऐसे आयोग की स्थापना की गई जो किसी भी व्यक्ति पर संदेह, होने पर उसे गिरफ्तार कर सकता था।, , « इन ओदशों का परिणामस्वरूप 1819 से 1830 ई. तक जर्मनी में कोई, आन्दोलन नहीं हुआ तथा जर्मनी के किसी भी राज्य में इन आदेशों के, विरोध करने की शक्ति नहीं थी।, , , , आर्थिक एकीकरण:, , « छोटे-छोटे राज्यों में विभाजन के कारण व्यापारियों को औद्योगिक, उत्पादों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाने ले जाने में जगह-जगह, चुंगी देनी पडती थी और औद्योगिक विकास अवरूद्ध होता था।
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*« 1819 ई. में प्रशा ने श्वासबर्ग के छोटे से राज्य से चुंगी सम्बन्धी संधि, की।, , « 1834 ई. में 18 राज्यों ने आपस में मिलकर प्रशा के नेतृत्व में एक, आर्थिक संघ 'जॉलवरिन' (2णाएश'था)) की स्थापना की। संघ के राज्यों, द्वारा यह निर्णय लिया गया कि संघ के सदस्य माल्र का स्वतंत्र व्यापार, करेंगे तथा एक-दूसरे के माल्र पर चुंगी नही लेंगे। 1850 ई. तक जर्मनी, के सभी राज्य इस संघ के सदस्य बन गए।, , « केटलवी ने लिखा कि 'जालवरिन की स्थापना ने भविष्य में प्रशा के, नेतृत्व में जर्मनी के राजनैतिक एकीकरण का मार्ग तैयार कर दिया।', , 1830 ई. की क्रांति व जर्मनीः, , « फ्रांस की 1830 ई.की क्रांति का प्रभाव जर्मनी पर पडा, « हेनरिच हौफमैन की कविता 'दी सोंग ऑफ जर्मनी' ने जनता में, राष्ट्रवादी जोश उत्पन्न किया।, , 1848 ई. की फ्रांस क्रांतिः, , « इस क्रांति के परिणामस्वरूप मैटरनिख का पतन हो गया, जोकि जर्मन, राष्ट्रवादियों के लिए एक उत्साहवर्धक घटना थी।, , « 1848 ई. के प्रारम्भ में जर्मनी के राष्ट्रवादियों ने जर्मनी का एक बनाने, के उद्देश्य से एक राष्ट्रीय संसद आमंत्रित की, जिसका अधिवेशन, फ्रैंकफिट में आयोजित किया गया। इस अधिवेशन में निर्णय लिया गया, कि नवीन संघ से विदेशी राज्य आस्ट्रिया को निकाल दिया जाएगा तथा, उसके स्थान पर प्रशा नवीन संघ का नेतृत्व करेगा। आस्ट्रियन सम्राट, द्वारा इस संसद के निर्णयों को चुनौती देने एवं विरोध के फलस्वरूप, विलियम फ्रेडरिक चतुर्थ ने अप्रेल 1849 ई. में नवीन जर्मनी संघ का, राजमुकुट अस्वीकार कर दिया।
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जर्मनी का औद्योगिक विकासः, , « 1834 ई. में जॉलवरिन की स्थापना से जर्मनी के औद्योगिक विकास, का मार्ग प्रशस्त हुआ। प्रशा के रुर क्षेत्र में कोयले एवं लोहे की खानें, मिलने से इनके उत्पादन में वृद्धि हुई।, , « रेल मार्गों का विस्तार हुआ। यंत्रीकरण के फलस्वरूप सूतीवस्त्र उद्योग, का विकास हुआ। पूंजीपति वर्ग का अभ्युदय से संयुक्त जर्मनी का, समर्थक था।, इन क्रांतिकारी प्रयासों के फत्रस्वरूप दो निष्कर्ष निकलेः, आस्ट्रिया के प्रभाव को समाप्त किए बिना जर्मनी का एकीकरण संभव, नही है।, प्रशा सबसे शक्तिशाली राज्य था अतः जर्मनी का एकीकरण प्रशा के, नेतृत्व में होगा।, , जर्मनी के एकीकरण में बाधक तत्वः, आस्ट्रिया का प्रतिक्रियावादी शासनः, , « वियना कांग्रेस ने सम्पूर्ण जर्मनी पर आस्ट्रिया का आधिपत्य स्वीकार, कर लिया था तथा आस्ट्रिया का चांसलर मैटरनिख भी जर्मनी के, एकीकरण के विरूद्ध था। उसने जर्मनी के राष्ट्रीय आंदोलनों का कठोरता, से दमन किया तथा कार्ल्सबाद आदेशों के माध्यम से राष्ट्रवादी संस्थाओं, एवं संगठनों पर प्रतिबन्ध लगा दिया।, , बौद्धिक जागृति का अभावः, , « जर्मन राज्यों के लिए राष्ट्रीय एकता का कोई महत्व नही था। यहां के, शासक अपनी स्वतंत्रता और अपने हितों की रक्षा के लिए एक दूसरे, राज्यों से निरंतर प्रतिस्पर्दूधा करते थे।
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विदेशी शक्तियां:, , यूरोपीय राष्ट्रों में इंग्लैण्ड की रूचि हैनोवर में थी। जर्मनी की श्लेसविग, एवं होलस्टीन डचियों पर डेनमार्क का अधिकार था। फ्रांस भी नहीं चाहता, था कि सीमा पर एक शक्तिशाली राज्य का निर्माण हो।, , विलियम प्रथम 1861-88 ई., , , , 1861 ई. में फ्रेडरिक की मृत्यु के बाद प्रशा का सम्राट बना। विल्रियम, प्रथम सैनिक गुणों से युक्त एवं व्यवहारकुशल व्यक्ति था। वह कहा, करता था- 'जो भी जर्मनी पर राज करने की इच्छा रखता हो उसे जर्मनी, को जीतना होगा और यह कार्य केवल वार्ता से सम्पन्न नहीं हो सकता।', अपने लक्ष्य की प्राप्ति में वह आस्ट्रिया को सबसे बडी बाधा मानता था,, वह जानता था कि जब तक आस्ट्रिया को जर्मनी से बाहर नही निकाल, दिया जाता तब तक जर्मनी का एकीकरण संभव नही है।, , उसने सेना को दोगुनी करने का विचार किया अर्थात् शांतिकाल में, सैनिकों की संख्या दो लाख तथा युद्धकाल में साढे चार लाख रखी, जाए।, , इसके लिए उसने वॉन रून को युदूधमंत्री तथा मोल्टके को प्रधान, सेनापति नियुक्त किया तथा 49 नई रेजीमेंटों के संगठन और 20 वर्ष, के प्रत्येक युवक के लिए 3 वर्ष की अनिवार्य सैनिक सेवा की योजना, बनाई।, , अपनी योजना को कार्यान्वित करने के लिए उसे धन की आवश्यकता, थी। प्रारंभ में प्रतिनिधि सभा ने इस प्रस्ताव के विरूद्ध थी, 1861 ई., में अस्थाई तौर पर धन की स्वीकृति दे दी गई लेकिन 1862 ई. धन, देने से साफ तौर पर इन्कार दिया।, , 1862 ई. में सम्राट ने संसद को भंग कर नए चुनाव करवाए किंतु नए, चुनावों में पुनः उदारवादियों को बहुमत प्राप्त हुआ और अतिरिक्त, सैनिक व्यय की अनुमति नहीं मित्र सकी।