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जाते हैं। उन्होंने अपनी उच्चतर शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पूरी की। स्कूली जीवन में 'परदेशी” उपनाम से, कविताएँ लिखने लगे थे। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम. ए. किया। 1966 से वे आकाशवाणी भोपाल, में हिंदी के कार्यक्रम निर्देशक रहे। फिर मध्य प्रदेश प्रशासन के भाषा विभाग में सहायक संचालक नियुक्त हुए। 30, सितंबर 1975 ई. को हृदयगति रुकने से उनका असामयिक देहांत हो गया। दुष्यंतकुमार महत्त्वाकांक्षी, संवेदनशील,, भावुक, राष्ट्प्रेमी, परोपकारी, कर्तव्यनिष्ठ, संत्यवादी, स्वाभिमानी आदि गुणों से परिपूर्ण व्यक्ति थे। उनके मित्रों के, अनुसार दुष्यंतकुमार का दिमाग एक बहुत बडी फैक्टरी' थी जिससे हमेशा अनगिनत चीजें एक साथ बनती थी।, साहित्य सृजन में उन्होंने काव्य के अतिरिक्त उपन्यास, माटक, एकांकी, रेडियो-नाटक आदि विधाओं में भी योगदान, दिया है।, , साहित्य परिचय :, कविता संग्रह. - _ सूर्य का स्वागत, आवाजों के घेरे, जलते हुए वन का वसंत, साये में धूप आदि।, नाटक - एक कंठ विषपायी (काव्य नाटक), मसीहा मर गया।, एकांकी संग्रह. - मन के कोण। हे, उपन्यास - छोटे छोटे सवाल, आंगन में एक वृक्ष, दुहरी जिंदगी।, , 9.3.2 “हो गई है पीर' कविता का परिचय :: * ५, , “हो गई है पीर' गजल में दुष्यंतकुमार ने.आजादी के बाद के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक परिवर्तन के, लिए पूरे समाज को जागृत करने का प्रयास किया है। आजादी के बाद आम आंदमी को अनेक पीडाएँ तथा यातनाएँ, सहनी पडी है। अनेक मुसीबतों का सामना करते हुए दुःख-कष्ट उठाने पडे हैं। अब वक्त आ गया है कि हिमालय जैसे, डुःखों के पहाड में से सुख और आनंद की गंगा बहनी चाहिए। आज विषमंता, भेदभाव, ऊँच-नीच की दीवार खडी, हैं, उसे मूल से उखाड फेंकने की आवश्यकता है। यह काम हर गाँव, हर नगर, हर सडक एवं गली हमें मिल-जुलकर, करना है। इस परिवर्तन में सभी के हाथों की सहायता की आवश्यकता है। इस गजल का उद्देश्य सिर्फ हंगामा खडा, करने का नहीं है, कवि की कोशिश यह है कि पूरे समाज की सूरत बदलवाना चाहते हैं। इस नये समाज के लिए, क्रांति, , 9.3.3 “हो गई है पीर” कविता का आशय :, उर्दू-फारसी की तरह हिंदी में भी गजल इस काव्यरूप का विकास हो रहा है। साठोत्तरी कवियों ने, , है दृष्टिकोण तथा प्रगतिशील विचारों को, * इस गजल संग्रह से ली गई है।, , शक लि 5:०ससा 5 जन----न-ननः
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इस गजल में दुष्यंत जी के प्रगतिशील विचारों की अभिव्यक्ति हो गई है। दुष्यंत जी के इस गजल के शेरों में संघर्ष, परिवर्तन, विद्रोह, आंदोलन, नवनिर्माण आदि तत्त्वों का समावेश है। ।, , ... प्रस्तुत गजल दुष्य॑त जी के पंरिवर्तनवादी विचारों को प्रस्तुत करती है। समाज पीडा के अंधकार में डूब गया है।, , आज देश में गरीबी, महंगाई, भ्रष्टाचार, भूखमरी, शोषण जैसी समस्याओं की पीडा पहाड जैसी हो गई है। बर्फ बनी, यातना पिघल जानी चाहिए। हिमालय जैसे दुखों के पहाड को पिघलकर सुख और आनंद.की गंगा बहनी चाहिए।, परिवर्तन और संघर्ष से समाज में व्याप्त विषमता, भेदभाव, ऊँच-नीच की दीवार हिलनी ही चाहिंए लेकिन शर्त यह, है कि उसकी मूलत: जडे ही उखडनी चाहिए। हर सडक, हर गली, हर नगर, एवं हर गाँव में निष्क्रिय सी लाशें बिछी, हुई है, लेकिन इस परिवर्तन, संघर्ष एवं नवचेतना की लडाई में हर निष्क्रिय लाश को सचेत होकर कार्य करना होगा।, कवि का उद्देश्य सिर्फ शोर मचाते हुए हंगामा खडा करना नहीं है। उनकी दरअसल कोशिश तो यह है कि ये सूरत, बदल जाए, उनके रूप में मूलत: परिवर्तन हो। क्रांति और संघर्ष कहीं से क्यों न हो, शुरू होना चाहिए। नए समाज के, लिए, क्रांति के लिए हर एक के हृदय में इसकी आग कहीं से भी लगे लेकिन आग जलनी चाहिए। तभी पुरानी, रूढियाँ, भ्रष्ट व्यवस्था, महंगाई, गरीबी, भूखमरी, भ्रष्टाचार, शोषण को नष्ट किया जा सकता है।, , प्रस्तुत गजल के जरिए कवि. दुष्यंतकुमार स्थितियों में बदलाव लाने के लिए क्रांति एवं परिवर्तन लाना चाहते, , हैं। इस परिवर्तन के लिए संघर्ष करना होगा, अनिष्ट की जडों को काटना होगा, बेजानों में चेतना जगानी होगी, सिर्फ, , . हंगामा न मचाते हुए स्थितियों में बदलाव लाना होगा, इसके लिए हर जगह क्रांति.की आग को जलाना होगा। इस, : तरह प्रस्तुत गजल में दुष्यंत जी ने अपने प्रगतिशील विचारों को प्रस्तुत किया हैं।, , 9.4. स्वयंअध्ययन के प्रश्न : ., 1) हो गई है पीर! कविता के कवि .............-..- हैं।, , ]) दुष्यंतकुमार . 2) राजेश जोशी 3) रघूबीर सहाय 4) अज्ञेय, , 2) “हो गई है पीर' कविता दुष्यंत जी के ............ '..-- में संकलित है।, , .. ]) सूर्य का स्वागत 2) आवाजों के घेरे. 3) गजल संग्रह 4) साये में धूप, , 3) “हो गई है पीर' गजल द्वारा दुष्यंत जी व्यवस्था में ............:-*-- लाना चाहते हैं।, , 1) बदल 2) परिवर्तन 3) चेंज 4) गजल, 4) हो गई है .. ० 55207 पर्वत-सी, पिघलनी चाहिए।, , 1) दुःख 2) पीडा 5 कपीर 4) वेदना, , 5) आज यह दीवार ...............-- की तरह हिलने लगी।, ]) पतंग .. 2)परदों 3) मेण 4) कुर्सी, , 82222.