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लता की शायरी, , श्री प्रकाश रावसाहेब भोसले, , 1, , लगता है ज़िन्दगी बीतेगी तुझे एक बार मिलने की आस दिल में लिए।, ताक में मैं रहा, तू ही मेरा बेटा, यह तेरी ज़ुबाँ से सुनने के लिए।।, , अप, लगी है तेरी आवाज़ से कुछ हम भूले हैं कब होने वाली है कयामत।, ताल सुरों से सजी तेरी आवाज़ जहाँ गूँज उठेगी वही मानेंगे जन्नत ।।, , 5, , लगती है तेरी आवाज़-से बढ़कर लुभावनी वह जन्नत भी तो नहीं।, ताल सुरों से सजी तेरी. आवाज़ के बिना दुनिया में कुछ भी नहीं।।, , 4, , लता लफ़्ज पलट दें, तो ताल होता है जो संगीत की आत्मा है।, ताल लफ़्ज पलट दें, तो लता होती है जो संगीत का करिश्मा है।।, , 9, , लता कोई नाम या लफ़्ज नहीं वह मालिक का दिखाया हुआ एक करिश्मा है।, ताल सुरों से सजा हुआ आवाज़ का तोहफ़ा संगीत की दुनिया को मिला है ।।, , 60 / काव्यामृत
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0, , लगता है यकीनन तेरी आवाज़ में कोई जादू है भरा हुआ।, तारीफ़ तेरी आवाज़ की करने के लिए एक बेजुबबों परेशान हुआ | ।, , 1, लबों की सुर्खी उम्र के साथ ढलान की ओर चढ़ती है।, ताल सुरों से सजे तेरी गीतों की प्यास दिनोदिन बढ़ती है।।, , | ; ; । 8 न्, : लहरें जब तेरे लबों से तेरे गीतों की निकलती हैं।, ताल पर तेरे गीतों के यह मन-म्रोर नाच उठता है।।, , ५ -. थे
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खिंताब से नवाजा गया था। दादीमाँ को प्रथम विश्वयुद्ध, का वश्वयुद्ध में “ रावसाहेब', 8 के स्नातक की उपाधि प्राए की शासकीय सेवा पा... था आपने मनोविज्ञान विषय, - व्यवसाय को अपनाया। पर्यावरण प्रेमी होने के य सेवा पाने में असफल होने के कारण आपने कृषि, परवरिश की और आसपास, “पक्षी प्रेमी बना दिया।, हैं। एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी, , मातृभाषा मराठी होते हुए.भी कवि ने 'लता की शायरीः, , गे शायरी” नामक हिंदी शायरी की स्वतंत्र पस्त ), का चार सौ पचास से भी अधिक शेर-ओ-शायरी संग्रहित हैं जो लिम्का बुक में के कप, रूप में दर्ज है। लता की शायरी! अंग्रेजी ः रत, , अपने हाथों मे लिये दाये चुगने के लिए मयूरों को,भी, आकर्षित करता है। & गे पम, 43.2 लता की शायरी” का परिचय :, , अहिंदी भाषा-भाषियों का हिंदी साहित्य में योगदान को केन्द्र में रखकर प्रकाश रावसाहेब भोसले जी, के 'लता की शायरी” नामक किताब से अस्तुत शायरी ली गई है। प्रस्तुत शायरी में महान गायिका, स्वस्सग्राज्ञ, लता मंगेशकर जी को कवि माँ मानते हैं और लता जी कवि को अपने बेटे समान मानती है। लौकिक जीवन, में ये दोनों माँ-बेटे न होते हुए भी कवि का लता जी को माँ मानना और लता जी का कवि को बेटा समझना, ये बात बहुत अहमियत रखती है। प्रस्तुत शायरी की यह विशेषता है कि, शायरी की पहली पंक्ति की शुरूआत, 'ल' से होती है और दसरी पंक्ति की शुरूआत ता' से। पहली पंक्ति का 'ल' और दूसरी पंक्ति का 'ता' मिलाने, से 'लता' शब्द जनता है और उसे उल्टा करने से ताल शब्द बनता है और दोनों शब्द संगीत की दुनिया से, जुड़े हैं। प्रस्तुत शायरी में शायर बेचैन है कि महान गायिका लता जी से मिलते तथा दा जी के मे 3, * को बेटा शब्द सुनने के लिए। कवि संगीत की दुनिया में लता जी की ३5० हर पोज, : मीरतीय संगीत क्षेत्र को मिली अनमोल अक्षय देन मानता है। प्रस्तुत हे 2 ञ, के तो दूसरी ओर सर्वश्रेष्ठ गायिका लता जी की स्वर साधना केद, , 43.3 ' का आशय :, । 33 _ लता की शायरी शायरी जन करके हिंदी साहित में अपना योगदान देने वाले प्रकाश भोसले, लता की शायरी” इस रचना का सृ, , जी गायिका लता मंगेशकर जी से मिलने तथा मिलकर उनसे बाते करने की आशा अपने, .. अपनी शायरी से महान गायिका लता मंगेशकर, , ँ को उनका बेटा सुनने की बेचैनी लिये, गायिका लता जी के मुँह से खुद या हे, रा में लिये जीवन जी रहे हर का पर देखते हैं। लौकिक जीवन में उनका रिश्ता माँ-बेटे का नहीं है, .... काश लता जी को अपने. माँ, , +«5 «अं 39999