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वाजश्रवा के बहाने (2008 ), , - आज और आज से पहले 5, (1998), मेरे साक्षात्कार >, अंतर्विषयक संदर्भ (2003) (1999), साहित्य के कुछ, , उुवर नासयण संसार (चुने हुए लेखों का संग्रह) (2002), , कुवर नारायण उपस्थिति (चुने हुए लेखों का संग्रह) (2002), कुंवर नारायण चुनी हुई रचनाएँ (2007), कुंवर नारायण प्रतिनिधि कविताएँ (2008), , , , , , , , , , , , , , , , , कुंवर नारायण को वर्ष 2005 के 'ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। कुंवर जी को साहित्य अकादमी, , : पुस्कार , व्यास सम्मान, कुमार आशान पुरस्कार, प्रेमचंद पुरस्कार, राष्ट्रीय कबीर सम्मान, शलाका संम्मान, : मेडल ऑफ वॉससा युनिवर्सिटी, पोलैंड और रोम के अंतरराष्ट्रीय प्रीमियों फेरेनिया सम्मान से सम्मानित किया गया है।, 'बे सन् 2009 में 'पद्मभूषण' से भी सम्मानित हो चुके हैं।, , _ 5.32... एक अजीब सी मुश्किल' कविता का परिचय :, , ... नई कविता आंदोलन के सशक त कवि कुंवर नारायण द्वारा लिखित 'एक अजीब सी मुश्किल कविता' जीवन, की सचाइयों और मन की संवेदनाओं की कविता है। प्रस्तुत कविता द्वारा कवि ने आपसी समन्वय का संदेश देते हुए, .. सांप्रदायिक सहिष्णुता का महत्त्व पाठकों के सामने रखने का प्रयत्न किया है।, , विविध जाति संप्रदायों से संपन्न इस विश्व में मनुष्य अनायास ही एक दूसरे के प्रति नफरत पालता है वस्तुत: इस, : ससार में नफरत नाम की कोई चीज नहीं है। वह मन का वहम है जिसे हमें अपने मन से निकाल फेंकना होगा। इस महान, - संदेश को पाठकों के सामने रखते हुए कवि वैश्विक स्तर पर मानवतावाद की स्थापना का सपना देखते हैं। कवि को, विश्वास है कि उनका सपना बहुत जल्द पूर्ण होगा।, , 3 'एक अजीब सी मुश्किल' कविता का आशय :, , . कुँबर नारायण लिखित “एक अजीब सी मुश्किल' कविता जीवन की सच्चाइयों और मन की संवेदनाओं की, , कैविता है। कवि ने अपनी मनोवस्था को उजागर करते हुए सामाजिक सांप्रदायिक अवस्थाओं को चित्रित किया है।, कबिता आपसी समन्वय का संदेश देती है। इस कविता द्वारा कवि ने सांप्रदायिक सहिष्णुता का महत्त्व पाठकों, , सामने रखने का प्रयास किया है। 5 ", , कवि ने अपनी कविता में उन सभी स्थितियों का वर्णन किया है जहाँ पर व्यक्ति धर्म, परंपराएँ, संस्कृति को, , अनायास ही अपने अंदर टकगहट निर्माण करता हैं एक दूसरे का विरोध करता है। पर एक द्प वह हु से, बेचेर हो जाता है कि वह दूसरे धर्म का व्यर्थ ही विरोध कर रहा है, जब कि हर धर्म ने उसे कुछ न कुछ मूल्य दिए
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ऐप दूसरे 'के धर्म के प्रति व्यर्थ की नफरत मूर्खता है, - है, मैतिकता पढाई है, दिशादर्शन, मार्गदर्शन किया है। अतः एक दूसरे रे रो बाधा है। कवि के का, न संसार की सबसे बड़ी गलत चीज है। नफरत का अल्प होती है क्यों कि यह संसार रे, कि कोई किसी से कितनी भी नफरत क्यों न करें परंतु नफरत की आधु बड़ी कप सार नफरत, पर नहीं तो एक दूसरे के प्रति आत्मीय भाव और सहयोग पर टिका हुआ है। क 3. 07 रा की., कामना रखते हैं। विश्व के विविध धर्मीय लोग हो या भारत के अनेक जाति: चाहते हैं पा, गहरी आत्मीयता रखते हैं तथा वैश्विक स्तर पर मानवतावाद को स्थापित हुआ देखना चाह 1, , कवि कहते हैं यदि अंग्रेजों के प्रति मन में नफरत उत्पन्न हो जाए तो तत्काल शेक्सपीयर याद आ जाते हैं और, , न जाने ऐसी अनेक चीजें जो हमने अंग्रेजों से सीखी है। उसी प्रकार भारत जैसे विविध जाति संग्रदायों से संपन्न देश में, हम चाहकर भी अधिक समय तक किसी से नफरंत नहीं कर सकते। हिंदू, मुस्लिम, सीख, इसाई आदि धर्मों, धर्मगुरुओं, भाषाओं, परंपराओं, रीतिरिवाजों से हम कुछ न कुछ ज्ञान अर्जित करते हैं। फिर हम कैसे उनसे, , - तिरस्कार कर सकते हैं? मुस्लिमों के प्रति उत्पन्न नफरत गालिब की याद आते ही ठंडी पड जाती है गुरुनानक का, स्मरण सिखों के प्रति क्रोध भंडकने नहीं-देता। क्योंकि शेक्सपीयर की प्रतिभा, गालिब का. शायराना अंदाज,, गुरुनानक का मार्गदर्शन हमें सालों से प्रभावित करता आया है। बिल्कुल उसी प्रकार कंबन, त्यागराज , मुत्तुस्वामी, , इन दक्षिण भारत की हस्तियों ने अपने काव्य, ज्ञान, संगीत से भारत के संभी हिस्से के लोगों को' अपना बना लिया, , कवि इन महान हस्तियों का उंद्लेख करते हुए अपने अंतरमन की सहिष्णु भावनाओं को पाठकों के सामने, उजांगर करते हैं।. ५ 1 रे | ;, , कवि अपनी व्यक्तिगत मनोवस्था को.खोलतें हुए कहते हैं अपनी प्रेमिका से धोखा खाने के बाद उन्होंने उससे, , वे अपेक्षा रखते हैं कि समाज का प्रत्येक व्यक्ति अपने आप कोर्स, , कंविता के अंत में कवि स्पष्ट के है कि लाउ 5. ना चित दायरे से मुक्त करें। <, ः के कितने ही पागलो की तरह भटकते रहे कि कोई सब वे अपने अंदर नफरत नहीं भर सकते। चाहे, , ल को हल्का महसूस करें परंतु उनकी कोशिश न काम उन्हें मिल जाए जिससे वे भरपूर नफरत करें। अपने, मा, _ ० होतीहै क्योकि वा की दूं ये इस संसार मे नफरत, , >.., , हक
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< हमारे मन का वहम है। इस वहम को हमे अपने से निकालना होगा। इसमें यदि हम सफल बनते हैं तो निश्चित ही, , " " भानवतावाद की स्थापना का कवि का सपना पूर्ण हो सकता है। अत: प्रस्तुत कविता आपसी समन्वय और मानवताबाद, - की स्थापना का महान संदेश देती है।, , , , , , , , स्वयंअध्ययन के प्रश्न :, , 1) एक अजीब सी मुश्किल कविता ................. द्वारा लिखित है।, |) निराला . 2) कुंवर नारायण. 3)सुमन - 4) नीरज, 2) एक अजीब सी मुश्किल कविता आपसी .............:... का संदेश देती है।, , .. 1) अनबन 2)क्रोध , 3) समन्वय 4) मेलमिलाफ, 3) कुंवर नारायण को वर्ष 2005 के ........ 5 पुरस्कार से सम्मानित किया गया।, ह )ज्ञापीठ 2) साहित्य अकादमी 3) शलाका 4) व्यास सम्मान, ः कुंवर नारायण की काव्यायात्रा ................- से आरंभ होती है।, । .1) अपने सामने 2) कोई दूसरा नहीं... 3) चक्रव्यूह 4) इन विनों, , ः अंग्रेजों से नफरत करने की इच्छा जागृत होते ही कवि को............---**«याद आ जाते हैं।, 1) शेक्सपीयर. 2) मिल्टन 3) इलियट...: 4) वर्डसूवथ, , 2) का स्मरण कवि को मुसलमानों से नफरत नहीं करने देता।, 91) जोयतसी रु 2) कबीर... - 3) गालिब. ९ '4) अमीर खुसरों, ) सिखों के ग्रति नफरत की भावना जागृत होने पर ० कवि-की आँखों में छा जाते हैं।, , 3)बसवेश्वर _ . 4) ईमासमीह :, , 1) पैगंबर 2) गुरुनानक