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काब्यसंग्रह है। इस संग्रह की अधिकांश कविताएँ गहरे धरातल पर नये भावबोध को पुष्ट कर देती हैं। यथार्थ और, स्व के बीच विभाजन करना कठिन है। उन्होंने अपने लंबे आत्मसंघर्ष के बाद यथार्थ की वास्तविकता को स्वीकार, किया है। कवि के भीतर से उर्जित किया सत्य इस संग्रह की कविताओं में व्यक्त हुआ है।, , 3.3.3 तीली' कविता का आशय :, , कवि कहते हैं कि संसार में आसान क्या है और कठिन क्या है? सबसे मुश्कील और महान चीजों को, नष्ट करना कठिन है। परंतु एक तीली अपनी चिनगारी से इतिहास की सबसे ग्राचीन और दुर्लभ पांडुलिपी को, एक क्षण में राख बना सकती है परंतु उतना ही कठिन है इतिहास की पांडुलिपी को लिखना। कितने सालों के, परिश्रम के बाद, इतिहास की खोजबीन करने के बाद ये पांडुलिपी लिखी जाती है। इतिहास के दूवारा ही प्राचीन, सभ्यता, अज्ञातलिपियों का ज्ञान होता है। किसी मिथक की कथा, नायक के शौर्य, पराक्रम का ज्ञान होता है।, किसी समूह -की अस्मिता या किसी गरीब का घर, किसी की आस्था, किसी स्त्री की जवान देंह को राख करने, के लिए सिर्फ एक तीली काफी है। परंतु गरीब को घर बसाने के लिए कितने कष्ट उठाने पडे हैं, बचपन से जवान, बनाने तक उस स्त्री के माता-पिता ने कितने कष्ट उठाए होंगे।, , मनुष्य की अनेक वर्षों की आस्था, धार्मिक विद्वेष के. कारण एक क्षण. में राख हो सकती है। सदियों, के बीत जाने के बाद मंदिर-मस्जिद बनती है और वहीं आस्था पनपने के लिए किंतनों की मदत लगी होगी, परंतु ऐसे समय सिर्फ दो रुपये की एक तीली क्षण में सबकुछ राख कर देती है। मोनालिसा की कृति एक जागतिक, कृति है परंतु उस कृति को अपराधी मानसिकतावाले एक क्षण में नष्ट कर सकते हैं।, , ऐतिहासिक स्थापत्य के नमूने की संगमरमर के सबसे जहीन, अदूभूत गुम्बद लोहे के हथौड़े से एक क्षण, में मलबे में बदल सकते हैं परंतु उसे बनाने में कितने कारागीर, शिल्पियों को सदियाँ बितानी पड़ी होगी।, , सत्ताधारियों का विरोध करनेवाले विरोधी, किसी कवि, .संन्यांसी, किसी सूफी, किसी मुँहफट जोकर को, राजधानी की सडक पर सदा के लिएं चुप, ठण्डा और खत्म करने के लिए सिर्फ डेढ़ औंस-का ढ़ला हुआ सीसा, काफी है। याने कि सबसे सरल, संक्षिप्त तरीका है किसी को खत्म करना। परंतु लंबी और जटिल प्रक्रिया में, बनी चीजों को बनाना बहुत मुश्किल है। ः, , कवि उदय प्रकाश जी ने प्रस्तुत कविता दूवारा यह बताने की कोशिश की है कि निर्माण कष्टसाध्य है,, नह सहजसुलभ नहीं है। 1992 के दिसंबर माह में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने की प्रतिक्रिया स्वरूप लिखी गयी, यह कविता है। कवि कहना चांहते हैं कि मनुष्य में सौहार्द, सहिष्णुता की भावना दिन-ब-दिन कम हो रही, है। बढ़ती हुई असहिष्णुता की प्रवृत्ति को कवि यहाँ पर उजागर करते हैं। यहाँ तीली शब्द का प्रयोग प्रतीकात्मक., रुप में हुआ है। 2 * : :, 3.4 स्वयं अध्ययन प्रश्न के लिए प्रंश्न :, , 050५ .....- शीर्षक कविता के कवि उदंय प्रकाश है।, , (अ) तीली (ब) पीली - (क) नीली (ड) ताली