Page 1 :
अध्याय 2, उपभोक्ता के, व्यवहार का सिद्धांत, इस अध्याय में हम एक व्यक्तिगत उपभोक्ता के व्यवहार का अध्ययन करेंगे।, उपभोक्ता को यह निर्णय करना होता है कि वह अपनी आय को विभिन्न वस्तुओं, पर किस प्रकार व्यय करें। अर्थशास्त्री इसे चुनाव की समस्या कहते हैं। अत:, स्वाभाविक रूप से, कोई भी उपभोक्ता वस्तुओं के ऐसे संयोजन को प्राप्त करना, चाहेगा जो उसे अधिकतम संतोष प्रदान करता है । यह 'सर्वोत्तम संयोग' क्या होगा?, यह उपभोक्ता की रुचियों और वह कितना व्यय कर सकता है, वस्तुओं की, कीमतों और उसकी आय पर निर्भर करता है । यह अध्याय , उपभोक्ता व्यवहार को, समझाने वाले दो भिन्न सिद्धांतों को प्रस्तुत करता है ।, RT, ished, प्रारंभिक संकेतन तथा अभिग्रह, उपभोक्ता सामान्य रूप से बहुत-सी वस्तुओं का उपभोग करता, सरलीकरण के लिए हम उपभोक्ता की चयन समस्या पर ऐसी स्थिति में विचार, करेंगे, जहाँ केवल दो ही वस्तुएँ हों । हम इन दोनों वस्तुओं को केला तथा आम, कहेंगे। दोनों वस्तुओं की मात्राओं की कोई भी सम्मिलित राशि को उपभोक्ता, बंडल अथवा संक्षेप में बंडल कह सकते हैं। सामान्यत: हम केले की मात्रा को, व्यक्त करने के लिए x, परिवर्त का और आम की मात्रा को व्यक्त करने के, लिए, (x,x,), का तात्पर्य होगा कि केला की x, मात्रा तथा आम की, के किसी विशेष मूल्य के लिए (x, x,), हमें एक विशेष बंडल प्रदान, परंतु, 210CH02ו, परिवर्त का उपयोग करेंगे।, और, धनात्मक या शून्य हो सकते हैं।, x,, X2, मात्रा। x, तथा, X2, करती है। उदाहरणार्थ- बंडल (5 , 10 ) में केले की 5 इकाइयाँ और आम की, 10 इकाइयाँ हैं; बंडल ( 10,5 ) में केले की 10 इकाइयाँ और आम की 5, इकाइयाँ हैं।, 2.1 उपयोगिता, सामान्यत: एक उपभोक्ता किसी वस्तु के लिए अपनी मॉँग का अनुमान उस, उपयोगिता (अथवा संतोष) के आधार पर लगाता है जो वह उससे प्राप्त करता है ।, उपयोगिता क्या है? एक वस्तु की उपयोगिता, उसकी किसी आवश्यकता को, संतुष्ट करने की क्षमता है। वस्तु की जितनी ज्यादा आवश्यकता होती है अथवा, "वस्तुओं' शब्द का प्रयोग सर्वत्र वस्तुओं तथा सेवाओं दोनों के लिए किया गया है ।, यह धारणा है कि वस्तुएँ केवल दो ही हैं विश्लेषण को सरल कर देती हैं और सरल आरेखों के जरिए महत्त्वपूर्ण, संकल्पनाओं को समझने में सहायक हैं ।, 2021-22
Page 2 :
उसको प्राप्त करने की जितनी ज़्यादा इच्छा होती है, उस वस्तु से उतनी ही अधिक उपयोगिता प्राप्त, होती है।, उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो चॉकलेट पसंद करता है उसे एक चॉकलेट से अधिक उपयोगिता प्राप्त, होगी उस व्यक्ति को किसी वस्तु से मिलने वाली उपयोगिता, स्थान एवं समय के साथ भी बदल सकती, है। जैसे एक 'रूम हीटर' से मिलने वाली उपयोगिता इस बात पर निर्भर करेगी कि वह व्यक्ति लद्दाख, में है अथवा चेन्नई में (स्थान) अथवा वहाँ गर्मी का मौसम है या ठण्ड का मौसम।, 2.1.1 गणनावाचक उपयोगिता विश्लेषण, गणनावाचक उपयोगिता विश्लेषण की मान्यता है कि उपयोगिता के स्तर को संख्याओं में व्यक्त, किया जा सकता है। उदाहरण के लिए एक कमीज़ से प्राप्त उपयोगिता को माप सकते है, और, कहें कि यह कमीज़ मुझे 50 इकाई उपयोगिता प्रदान करती है । आगे चर्चा करने से पूर्व, यह, उपयोगी होगा कि हम उपयोगिता के दो महत्वपूर्ण मापों को समझें।, उपयोगिता के उपाय, कुल उपयोगिताः कुल उपयोगिता ( TU) एक वस्तु की एक निश्चित मात्रा से प्राप्त उपयोगिता का, योग है जो किसी वस्तु (X ) की दी गई मात्रा को उपयोग करने से प्राप्त होती है । वस्तु X की, अधिक मात्रा, उपभोक्ता को अधिक संतोष प्रदान करती है। अत: TU वस्तु की उपयोग की गई, मात्रा पर निर्भर करती है। अत: TU. वस्तु X की n, होती है।, RT, वह परिवर्तन है जो वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई, सीमांत उपयोगिता, के उपभोग से होता है। उदाहरण के लिए, मान लीजिये 4 केलों से हमें 28 इकाई कुल उपयोगिता, प्राप्त होती है और 5 केलों से कुल उपयोगिता 30 इकाई मिलती है। स्पष्ट है कि पाँचवे केले के, उपभोग से कुल उपयोगिता 2 इकाई बढ़ गई (30 इकाइयाँ-28 इकाइयाँ), इसलिए पाँचवे केले की, सीमांत उपयोगिता 2 इकाई है।, 10, MU, = TU,- TU, = 30-28 =2, साधारण रूप में, MU, = TU, - TU,, जहाँ पर n का अर्थ है, वस्तु की nt" इकाई।, कुल उपयोगिता और सीमांत उपयोगिता को निम्न तरीके से भी सम्बन्धित किया जा सकता है:-, %3D, n-1, TU, = MU, + MU, + .... + MU + MU., सरल रूप में इसका अर्थ है कि केलों की n इकाइयों के उपभोग से प्राप्त उपयोगिता, सीमांत, उपयोगिता प्रथम केला (MU.), सीमांत उपयोगिता द्वितीय केले (MU,) और इसी प्रकार nth इकाई, तक का कुल योग है।, तालिका संख्या 2.1 तथा रेखाचित्र 2 .1, एक वस्तु की विभिन्न मात्राओं के उपभोग से मिलने, वाली सीमांत तथा कुल उपयोगिता के मूल्यों का एक काल्पनिक उदाहरण को दिखाती है।, सामान्यत: यह देखा जाता है कि सीमांत उपयोगिता, वस्तु के उपयोग में वृद्धि के साथ गिर जाती, है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि एक वस्तु की कुछ मात्रा उपलब्ध हो जाने पर , उपभोक्ता की उस, वस्तु को और अधिक प्राप्त करने की इच्छा कम हो जाती है । तालिका तथा रेखाचित्र में इसी को, दिखाया गया है।, देखिये, कि MU, MU, से कम है। आप यह भी देख सकते हैं कि कुल उपयोगिता में वृद्धि, होती है लेकिन घटती हुई दर पर। किसी वस्तु के उपयोग की मात्रा में परिवर्तन के फलस्वरूप,, कुल उपयोगिता में वृद्धि की दर, उसकी सीमांत उपयोगिता की आय है। यह सीमांत उपयोगिता,, n-1, 2021-22, व्यष्टि अर्थशास्त्र, एक परिचय
Page 3 :
तालिका 2.1: एक वस्तु की विभिन्न मात्राओं के उपभोग से प्राप्त सीमांत तथा कुल उपयोगिता के मूल्य, इकाई, कुल उपयोगिता, सीमांत उपयोगिता, 1, 12, 12, 2, 18, 3, 22, 4, 4, 24, 2, 24, 22, -2, वस्तु की उपभोग मात्रा में वृद्धि के साथ गिरती, जाती है- 12 से 6, 6 से 4 और इसी प्रकार, आगे। यह निष्कर्ष, हासमान उपयोगिता नियम, से निकलता है। हासमान उपयोगिता नियम, बताता है कि जैसे-जैसे अन्य वस्तुओं के, उपयोग को स्थिर रखते हुए किसी वस्तु के, उपभोग को बढ़ाया जाता है, वस्तु की हर, अगली इकाई के उपभोग से प्राप्त सीमांत, उपयोगिता गिरती जाती है।, MU उस बिन्दू पर शून्य हो जाती, TU स्थिर रहता है। दिये गये उदाहरण में पाँचवीं इकाई के उपभोग पर TU अपरिवर्तित रहती है,, अत: MU, = 0 इसके पश्चात TU गिरने लगाती है और MU ऋणात्मक हो जाती है।, 30-, 25, 20-, 15-, 10-, TU, 4, - MU, -5-, वस्तु की मात्रा, रेखाचित्र 2.1, किसी वस्तु की विभिन्न मात्राओं के उपभोग से प्राप्त सीमांत एवं, कुल उपयोगिता के मूल्य वस्तु के उपभोग में वृद्धि के साथ, सीमान्त उपयोगिता घटती जाती है।, जब, एकल वस्तु की दशा में मांग वक्र की उत्पत्ति (हासमान उपयोगिता नियम), किसी वस्तु के मांग वक्र का, गणनावाचक विश्लेषण के द्वारा बनाया जा सकता है। मांग क्या है, तथा मांग वक्र क्या है? वस्तु की मात्रा जिसे एक उपभोक्ता दिये गये वस्तु मूल्यों और आय पर,, खरीदने के लिये इच्छुक एवं समर्थ है को उस वस्तु की मांग कहते हैं । वस्तु X की मांग, X वस्तु, की स्वयं की कीमत के अतिरिक्त, अन्य वस्तुओं की कीमतों, (प्रतिस्थानापन्न एवं पूरक वस्तुएं, 2.4 देखें), उपभोक्ता की रुचियों और वरीयता जैसे कारकों पर निर्भर करती है । मांग वक्र, एक, वस्तु की, विभिन्न कीमतों पर, मांगे जाने वाली मात्राओं की रेखीय प्रस्तुति है। जो एक उपभोक्ता, किसी वस्तु की विभिन्न कीमतों पर खरीदने, के लिये इच्छुक है, अन्य संबंधित वस्तुओं, की कीमतों को और उपभोक्ता की आय को, स्थिर रखते हुए।, 11, कीमत, 50, 40, चित्र 2.2, एक व्यक्ति का वस्तु X के, लिए, विभिन्न कीमतों पर, उसके, मांग वक्र को प्रदर्शित करता है। मात्राओं को, क्षैतिज अक्ष पर तथा कीमतों को उध्धवाधर अक्ष, पर दिखाया गया है।, नीचे की ओर ढलवा मांग वक्र प्रदर्शित, 30, काल्पनिक, 20, 10, 10, 20, 30, 40 50, 60, 70 80 90 100, मात्रा, रेखा चित्र 2.2, करता है कि नीचे मूल्यों पर एक व्यक्ति X, वस्तु X के लिए एक व्यक्तिगत का माँग वक्र, 2021-22, 1 t, उपभोक्ता के, व्यवहार का सिद्धांत, उपयोगिता