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में तैयार किया गया, परन्तु दुर्भाग्यवश उसकी अल्प आयु में मृत्यु हो गयी).लेकिन, मुस्लिम वर्ग, को इल्तुतमिश का किसी महिला को वारिस बनाना नामंज़ूर था, इसलिए उसकी मृत्यु के पश्चात, , , , , , उसके छोटे बेटे रक््नुद्दीन फ़िरोज़ शाह को राजसिंहासन पर बैठाया गया।, , रक्नुद्दीन, का शासन बहुत ही कम समय के लिये था, इल्तुतमिश की विधवा, शाह तुर्कान का, शासन पर नियंत्रण नहीं रह गया था। विल्लासी और लापरवाह रक्नुद्दीन के खिलाफ जनता में, इस सीमा तक आक्रोश उमड़ा, कि 9 नवंबर 1236 को रक््नुददीन तथा उसकी माता, शाह तुर्कान, की हत्या कर दी गयी।उसका शासन मात्र छह माह का था। इसके पश्चात सुल्तान के लिए अन्य, किसी विकल्प के अभाव में मुसल्रमानों को एक महिला को शासन की बागडोर देनी पड़ी।। और, रजिया सुल्तान दिल्ली की शासिका बन गई।, , शासन कार्यों में रजिया की रुचि अपने पिता के शासन के समय से ही थी। गद्दी संभालने के, बाद रज़िया ने रीतिरिवाज़ों के विपरीत पुरुषों की तरह सैनिकों का कोट और पगडी पहनना पसंद, किया। बल्कि, बाद में युद्ध में बिना नकाब पहने शामिल हुई। रजिया ने पर्दा प्रथा का त्याग, कर पुरषों कि तरह चोगा (कुर्ता)(काबा) कुलाह (टोपी) पहनकर दरबार में खुले मुंह जाने लगी, , , , , , , , रज़िया अपनी राजनीतिक समझदारी और नीतियों से सेना तथा जनसाधारण का ध्यान रखती, थी। वह दिल्ली की सबसे शक्तिशाली शासक बन गयीं थीं।, , रज़िया और उसके सलाहकार, जमात-उद-दिन-याकुत, एक हब्शी के साथ विकसित हो रहे अंतरंग, संबंध की बात भी मुसत्रमानों को पसंद नहीं आई। रज़िया ने इस पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया।, किंतु उसका इस संबंध के परिणाम को कम आंकना अपने राज्य के लिये घातक सिद्ध हुआ।, कुछ स्रोतों के अनुसारा रज़िया और याकुत प्रेमी थे; अन्य स्रोतों के अनुसार वे दोनों करीबी, दोस्त/विश्वास पात्र थे। इस सबसे रज़िया ने तुर्की वर्ग में अपने प्रति ईष्या को जन्म दे दिया था,, क्योंकि, याकुब, तुर्क नहीं था और उसे रज़िया ने अश्वशाला का अधिकारी नियुक्त कर दिया, , था। भटिंडा के राज्यपाल मल्लिक इख्तियार-उद-दिन-अल्तुनिया ने अन्य प्रान्तीय राज्यपाल्रों,, जिन्हें रज़िया का अधिपत्य नामंजूर था, के साथ मित्रकर विद्रोह कर दिया।, , रज़िया और अल्तुनिया के बीच युद्ध हुआ जिसमें याकुत मारा गया और रज़िया को बंदी बना, लिया गया। मरने के डर से रज़िया अल्तुनिया से शादी करने को तैयार हो गयी। इस बीच,, रज़िया के भाई, मैज़ुदुदीन बेहराम शाह, ने सिंहासन हथिया लिया। अपनी सल्तनत की वापसी के, लिये रज़िया और उसके पति, अल्तुनिया ने बेहराम शाह से युद्ध किया, जिसमें उनकी हार हुई।, उन्हें दिल्ली छोड़कर भागना पड़ा और अगले दिन वो कैथल पंहुचे, जहां उनकी सेना ने साथ छोड़, दिया। वहां डाकुओं के द्वारा 14 अक्टूबर 1240 को दोनों मारे गये। बाद में बेहराम को भी, अयोग्यता के कारण गददी से हटना पड़ा।
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निकल गया। वह रजिया की जान बचाना चाहता था लेकिन आखिरकार उसे टोंक में घेर लिया, गया और यहीं उसकी मौत हो गई।, , 4, , भारत के इतिहास में रजिया सुल्तान रश्श्वव्रां॥ 5प्रां्वा1 का नाम स्वर्ण अक्षरों में इसलिए लिखा जाता है, क्योंकि उसे भारत की प्रथम महिला शाषक होने का गर्व प्राप्त है | दिल्ली सल््तनत के दौर में जब बेगमो को, सिर्फ महल्रो के अंदर आराम के लिए रखा जाता था वही रजिया सुल्तान एटा $परॉक्षा से महल से बाहर, निकलकर शाषन की बागडोर सम्भाली थी | 1२४४० $प्राभा रजिया सुल्तान ने अस्त्र-शस्त्र का ज्ञान भी लिया था, जिसकी बदौलत उसे दिल्ली सल्तनत की पहली महिला शाषक बनने का गौरव मिल्रा था | उसने दुसरे सुल्तान की, , पत्नियों की तरह खुद को “सुल्ताना” कहलवाने के बजाय सुल्तान कहलवाया था क्योंकि वो खुद को, किसी पुरुष से कम नही मानती थी | आइये आज आपको उसी जाबांज महिला शाषक [रघ्ट्ां8, $णा/श,॥॥) की जीवनी से आपको रूबरू करवाते है |, , , , 7बव19 5पथा ने सबसे पहले अपने करिश्माई व्यक्तित्व का प्रदर्शन दिल्ली की प्रजा, को अपने सुल्तान पद पर स्थापित होने के लिए समर्थन प्राप्त करने के लिए किया. उसने, दिल्ली की प्रजा से न्याय मांग पर रुकनुदीन फिरोज के विरुध विद्रोह का माहौल पैदा कर, दिया. वह कूटनीति में चतुर थी अत: अपनी चतुराई का प्रदर्शन करते हुए उसने तुर्क ए, चहलगानी की महत्वकांक्षा और एकाधिकार को तोड़ने का प्रयास किया.इसके अलावा विद्रोही, अमीरों में आपस में फूट पैदा करवा दी और उन्हें राजधानी छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया, और दिल्ली में सुल्तान के पद पर आसीन हुई., , , , 78219 5प्रौ।॥1 ने शासन पर 3 साल 6 महीने तथा 6 दिन राज किया. रज़िया ने पर्दा, प्रथा का त्याग किया तथा पुरुषो की तरह खुले मुंह ही राजदरबार में जाती थी. रज़िया के, शासन का बहुत जल्द अंत हो गया लेकिन उसने सफल्लता पूर्वक शासन चलाया, रज़िया में, शासक के सभी गुण मौजूद थे लेकिन उसका स्त्री होना इन गुणों पर भारी था. अत: उसके, शासन का पतन उसकी व्यकतिगत असफल्नता नहीं थी., , रजिया सुल्तान के कार्य :, , अपने शाषनकाल में २७४५ $7॥9॥ रजिया ने अपने पुरे राज्य में कानून की व्यवस्था, को उचित ढंग से करवाया | उसने व्यापार को बढ़ाने के लिए इमारतो के निर्माण करवाए ,, , , , सडके बनवाई और कुवे खुदवाए | उसने अपने राज्य में शिक्षा व्यवस्था को बढ़ावा देने के