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बैंक समाधान विवरण, , , , वर 5, , , , , , , , अधिगम उद्देश्य, , इस अध्याय के अध्ययन, के उपरांत आपः, , ७ बैंक समाधान विवरण, का अर्थ व इसे बनाने, की आवश्यकता का, उल्लेख कर सकेंगे;, , ७ रोकड़ बही के बैंक शेष, व बैंक पासबुक द्वारा, प्रदर्शित शेष में अंतर, के कारणों की पहचान, कर पाएंगे;, , ७ बैंक समाधान विवरण, का निर्माण कर पाएंगे;, , ७ रोकड़ बही में सही बैंक, शेष का निर्धारण कर, पाएंगें।, , अध्याय 4 में आपने जाना कि व्यावसायिक संगठन रोकड़ बही, में नकद व बैंक संबंधी लेन-देनों का अभिलेखन करती है। रोकड़, बही रोकड़ खाते व बैंक खाते दोनों के अंत में दोनों खातों का, शेष प्रदर्शित करती है।, , एक बार जब रोकड़ बही को संतुलित कर लिया जाता है तो, यह एक सामान्य अभ्यास है कि उसमें अभिलिखित लेन-देनों, का मिलान बैंक पासबुक की प्रविष्टियों से किया जाता है। इस, प्रकार की जाँच के लिए आवश्यक है कि रोकड़िया इस बात से, आश्वस्त हो कि रोकड़ बही में सभी लेन-देनों की प्रविष्टि हो, चुकी है तथा बैंक से भी खाते का विवरण अथवा पासबुक पूरी, करवा कर मँगवा ली गई है। बैंक विवरण या पासबुक हमारे, खाते में की गई विभिन्न प्रविष्टियों की बैंक प्रलेखों से उतारी, प्रतिलिपि होती है। इसकी सहायता से बैंक के ग्राहक नियमित, रूप से अपनी रोकड़ बही में लिखे गए लेन-देनों का मित्रान बैंक, पुस्तकों में अपने खाते में किए गए लेन-देनों से कर अपने प्रल्लेखों, को पूरा कर सकते हैं। चालू खाते की पासबुक का एक उदाहरण, चित्र 5.1 में दर्शाया गया है।, , बैंक विवरण अथवा पासबुक में दर्शाई गयी धन राशि के शेष, का मित्रान रोकड़ बही के बैंक स्तंभ में दर्शाये गए शेष से होना, चाहिए। लेकिन व्यवहार में इन दोनों के शेष में अंतर पाया जाता, है। पासबुक के प्रदर्श का अध्ययन करने पर आप पाएंगे कि सभी, जमा किए गए चेक व रोकड़ संबंधी सौदे इसके जमा पक्ष में, दर्शाये गए हैं तथा भुगतान व आहरण संबंधी सौदे इसके नाम, पक्ष में दर्शाये गए हैं। इसलिए यदि जमा राशि आहरित राशि से
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178 लेखाशास्त्र - वित्तीय लेखांकन, अधिक होगी तो यह जमा शेष का प्रदर्शन करेगा और यदि आहरण, जमा की गई राशि से अधिक, होगा तो यह नाम शेष अर्थात् अधिविकर्ष का प्रदर्शन करेगा।, , 5.1 बैंक समाधान विवरण की आवश्यकता, , सामान्यतः ऐसा अनुभव किया गया है कि जब रोकड़ बही द्वारा प्रदर्शित बैंक स्तंभ के योग की, तुलना बैंक विवरण द्वारा प्रदर्शित शेष से की जाती है। तो यह समान नहीं होते, इन में अंतर होता, है। इसलिए हमें सर्वप्रथम इस अंतर के कारणों का निर्धारण करना पड़ता है और उन्हें एक विवरण, जिसे बैंक समाधान विवरण कहा जाता है, में प्रतिबिम्बित किया जाता है। यह विवरण इन दोनों, पुस्तकों के शेषों का मित्रान कर देता है। बैंक समाधान विवरण बनाने के लिए हमारे पास रोकड़, बही के अनुसार बैंक स्तंभ में दिया गया शेष व उस तिथि विशेष तक दोनों पुस्तकों में दर्शाये गए, लेन-देनों का विवरण उपलब्ध होना चाहिये। यदि दोनों पुस्तकों के शेषों में अंतर पाया जाता है तो, उनमें दिखाई गई विभिन्न मदों की तुलना कर अंतर तथा उस धन राशि का निर्धारण किया जाता, है जितने का अंतर होता है, ताकि बैंक समाधान विवरण का निर्माण किया जा सके।, , , , , , विवरण राशि, रु, रोकड़ बही के अनुसार दिखाया गया शेष % >>, जजोड़िए | भुगतान के लिए निर्गमित चेक जो बैंक में प्रस्तुत नहीं हए 5४४, बैंक दवारा दी गई ब्याज की राशि किआ % 8. 1िआ 81, 2 3२ २, , घटाइए| जमा किए गए चेक जिन्हें अभी संग्रहित नहीं किया गया है 5 है हैं., बैंक शुल्क जिसे रोकड़ बही में नही लिखा गया है। ४525४ इदिऋ आओ, , पासबुक के अनुसार शेष 2» २ २, , , , , , , , , , , , , , , , चित्र 5.1: बैंक समाधान विवरण का प्रारूप, , इसे राशि के दो स्तंभों के साथ भी बनाया जा सकता है जिनमें एक जोड़ने (+) वाली मदों की राशि, व दूसरा घटाने (-) वाली मर्दों की राशि का प्रदर्शन करता है। सुविधा की इष्टि से साधारणतः इसी, प्रारूप को मान्यता प्राप्त है।
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190 लेखाशास्त्र - वित्तीय लेखांकन, , , , , , , , ३ श, विवरण रु. रु., (४) (-), , कड़ बही के अनुसार शेष आज, , जोड़िए | भुगतान के लिए निर्गमित चेक जो बैंक में प्रस्तुत नहीं हुए हैं ऋड्ज, द्वारा दी गई ब्याज की राशि टे हू ऊ मऊ, घटाइए| जमा किए गए चेक जिन्हें अभी संग्रहित नही किया गया है। अऋजऊऋ, बैंक शुल्क जिन्हें रोकड़ बही में नहीं लिखा गया है जजज, पासबुक के अनुसार शेष तर्ख्द्र, , , , , , , , , , , , , , , , , , चित्र 5.3: सारणी रुप में बैंक समाधान विवरण का प्रारूप, , रोकड़ बही व पासबुक के शेषों में समाधान का साधारण सा अर्थ उन कारणों का विश्लेषण अथवा, पहचान है जिनकी वजह से यह अंतर आया है, जो कि निम्न हो सकते हैं:, , * लेन-देन के अभिलेखन के समय में अंतर।, , * बैंक अथवा व्यवसाय द्वारा की गई त्रुटियां।, , 5.1.1 समय में अंतर, , जब व्यवसाय मैं रोकड़ बही द्वारा प्रदर्शित शेष व बैंक पासबुक द्वारा प्रदर्शित शेष की तुलना की, जाती है तो बहुधा उसमें अंतर पाया जाता है। यह अंतर विभिन्न प्राप्तियों एवं भुगतानों के दोनों, पुस्तकों में अभिलेखन के समय के अंतर के कारण उत्पन्न होता है। इस समय के अंतर को प्रभावित, करने वाले विभिन्न कारक इस प्रकार हैंः, , 5.1.1 (अ) निर्गमित किए गए चेक जो भुगतान के ब्रिए प्रस्तुत नहीं हुए हैं, , फर्म द्वारा अपने माल के पूर्तिकारों व लेनदारों को भुगतान हेतु चेक जारी किए जाते हैं। इन चेकों, को तत्काल ही रोकड़ पुस्तिका के जमा पक्ष के बैंक स्तंभ में प्रविष्ट कर दिया जाता है। हालाँकि यह, आवश्यक नहीं कि चेक प्राप्त करने वाला पक्ष उस चेक को तुरंत अपने बैंक में भुगतान प्राप्त करने, हेतु जमा करवा दे। इस कारण रोकड़ बही में तो बैंक शेष कम हो जाता है जबकि बैंक तो खाते को, तभी नाम करेगा जब वास्तविक रूप में उस चेक का भुगतान प्राप्त करने हेतु जमा करवा दे। इस, कारण रोकड़ बही में तो बैंक शेष कम हो जाता है जबकि बैंक तो खाते को तभी नाम करेगा जब, वास्तविक रूप में उस चेक का भुगतान हो जाएगा, और तभी बैंक शेष भी कम होगा। साधारणतः
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बैंक समाधान विवरण छा, , चेक जारी करने व बैंक में उसके भुगतान के लिए प्रस्तुत होने के बीच में समय अन्तराल होता है।, और समय का यह अंतर दोनों शेषों में भी अंतर का कारण हो सकता है।, , 5.1.1 (ब) संग्रह करने हैतु भेजे गए चेक जिनका संग्रहण नहीं हुआ, , जब फर्म को अपने किसी देनदार से भुगतान चेक स्वरूप प्राप्त होता है तो उसे बैंक में जमा कराने, के लिए भेजते ही रोकड़ बही के नाम पक्ष में बैंक स्तंभ में प्रविष्टि कर दी जाती है। इस कारण, रोकड़ बही में प्रदर्शित बैंक शेष में वृद्धि हो जाती है। जबकि बैंक हमारे खाते के जमा में तभी, प्रविष्टि करता है जब वास्तविक रूप में वह धन राशि दूसरे बैंक से प्राप्त हो जाती है। क्योंकि चेकों, के समाशोधन में साधारणतः कुछ दिन त्रग जाते हैं विशेष रूप से यदि उन चेकों का संबंध किसी, दूसरे शहर से हो या किसी अन्य शाखा में देय हों। इस प्रकार भुगतान के लिए जमा किए गए चेक, जिनका संग्रहण नहीं हुआ है रोकड़ बही के बैंक स्तंभ बैंक पासबुक द्वारा प्रदर्शित शेष में अंतर का, कारण बन जाता है।, , 5.1.1 (स) बैंक दूवारा ग्राहक के खाते से नाम किए गए शुल्क, , कई बार बैंक फर्म को प्रदान की गई सेवाओं के लिए सीधा ग्राहक के खाते में से कुछ शुल्क नाम, कर देता है। फर्म को इन शुल्कों की सूचना बैंक विवरण के माध्यम से ही मिलती है। इन शुल्कों के, कुछ उदाहरण है: चेकों के संकलन के लिए लिया गया शुल्क, आकस्मिक चेकों के लिए शुल्क (रोके, गए या खाते में शेष कम होने की स्थिति में असंकलित चेक) परिणामस्वरूप पासबुक द्वारा प्रदर्शित, शेष, रोकड़ बही के बैंक स्तंभ में प्रदर्शित शेष से कम हो जाएगा।, , 5.1.1 (द) बैंक खाते मेंसीधी जमा की गई राशियाँ, , कई बार देनदार (ग्राहक) फर्म के बैंक खाते में सीधे भी धनराशि जमा करवा देते हैं। लेकिन फर्म के, पास इस बारे में कोई भी जानकारी तब तक नहीं आती जब तक कि या तो बैंक विवरण मंगाया, जाए या पासबुक में प्रविष्टियां पूरी करवाई जाएँ। इस स्थिति में भुगतान प्राप्त होने पर बैंक प्रलेखों, में तो फर्म का शेष बढ़ गया लेकिन सूचना के अभाव में रोकड़ बही ने इस प्राप्त राशि का अभिलेखन, नहीं किया। परिणामस्वरूप बैंक पासबुक द्वारा प्रदर्शित शेष रोकड़ बही द्वारा दर्शाए गए शेष से, अधिक होगा।, , 5.1.1 (म) बैंक दूवारा संगृहित ब्याज व लाभांश, , जब बैंक अपने ग्राहक की ओर से ब्याज एवं लाभांश का संकलन करता है तो तुरंत ही उस राशि को, ग्राहक के खाते के जमा पक्ष में लिख दिया जाता है। लेकिन फर्म अपनी इस प्राप्ति को तभी रोकड़, बही में अभिलिखित करेगी जब उसे इसकी सूचना बैंक विवरण के माध्यम से प्राप्त होगी इसलिए, तब तक बैंक पासबुक व रोकड़ बही में प्रदर्शित शेषों में अंतर होगा।