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लेखांकन - एक परिचय, , अधिगम उद्देश्य, इस अध्याय के अध्ययन के, उपरात आपः, * लेखांकन का अर्थ एवं, , आवश्यकता को बता, सकेंगे;, , * लेखांकन की 30040 के, स्रोत के रूप में चर्चा कर, सकेंगे;, , * लेखांकन सूचना के, आंतरिक एवें बाह्य, उपयोगकर्ताओं की, पहचान कर सकेंगे;, , * लेखांकन के उद्देश्य को, समझा सकेंगे;, , * लेखांकन की भूमिका का, वर्णन कर सकेंगे;, , * लेखांकन में प्रयक्त मूल, पारिभाषिक शब्दों को, समझा सकेंगे।, , , , , , , , , , , , सदियों से लेखांकन लेखापात्न के वित्त संबंधित हिसाब-किताब रखने, तक सीमित रहा है। परन्तु आज के तेजी से बदलते व्यावसायिक, वातावरण ने लेखापाल को संगठन एवं समाज, दोनों में अपनी, भूमिका एवं कार्यों के पुनः मूल्यांकन के लिए बाध्य कर दिया है।, लेखापाल की भूमिका अब मात्र व्यापारिक सौदों के हिसाब लेखक, से निर्णायक मंडल्न को उपयुक्त सूचना उपलब्ध कराने वाले लेखक, सदस्य के रूप में हो गई है। विस्तृत रूप से लेखांकन आज मात्र, पुस्त-लेखन एवं वित्तीय प्रलेख तैयार करना ही नहीं बल्कि उससे, बहुत आगे है। लेखापाल आज नये विकसित क्षेत्रों, जैसे - न््यायत्रिक, लेखांकन (कंप्यूटर हैकिंग एवं इन्टरनैट पर बड़े पैमाने में धन, की चोरी जैसे अपराधों को हल करना), ई-कामर्स (वैब-आधारित, भुगतान प्रणाली), वित्तीय नियोजन पर्यावरण लेखांकन आदि में, कार्य करने के योग्य हैं। इस अनुभूति का कारण है कि आज लेखांकन, प्रबन्धकों एवं दूसरे इच्छुक व्यक्तियों को वह सूचनाएँ प्रदान करने, मैं सक्षम है जो उन्हें निर्णय लेने मेँ सहायता प्रदान कर सकेँ।, समय के साथ लेखांकन का यह पक्ष इतना अधिक महत्वपूर्ण बन, गया है कि आज यह सूचना प्रणाली के स्तर तक पहुँच गया है।, एक सूचना प्रणाली के रूप में यह किसी भी संगठन की आर्थिक, सूचनाओं से संबंधित आंकड़े एकत्रित कर उनका संप्रेषण उन विभिन्न, उपयोगकर्त्ताओं तक करता है, जिनके निर्णय एवं क्रियाएं संगठन, के प्रदर्शन को प्रभावित करती है।, , अतः यह परिचय रूपी प्रारंभिक अध्याय इसी संदर्भ में लेखांकन, की प्रकृति, आवश्यकता एवं क्षेत्र की व्याख्या करता है।
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2 लेखाशास्त्र - वित्तीय लेखांकन, , 1.1 लेखांकन का अर्थ, , वर्ष 1941 में अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ सर्टिफाइड पब्लिक एकाउटेंट्स (4#70#08॥ ॥7##068, (0०/॥#64 ।?५७॥० ,4००0५४1/०॥15 (4/0/24) ने लेखांकन की परिभाषा इस प्रकार दी हैं -- लेखांकन का, संबंध उन लेन-देनों एंव घटनाओं, जो पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से वित्तीय प्रकृति के होते हैं, मुद्रा, के रूप मेँ प्रभावशाली ढंग से लिखने, वर्गीकृत करने, संक्षेप में व्यक्त करने एवं उनके परिणामों की, विश्लेषणात्मक व्याख्या करने की कला से है।, , उत्तरोत्तर आर्थिक विकास के परिणामस्वरूप लेखांकन की भूमिका एवं क्षेत्र का भी विस्तार हुआ है।, वर्ष 1966 में अमेरिकन एकाउटिंग एसोसिएशन (५५५) ने लेखांकन को इस प्रकार परिभाषित किया -“लेखांकन आर्थिक सूचनाओं को पहचानने, मापने और संप्रेषित करने की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके, आधार पर सूचनाओं के उपयोगकर्त्ता तर्कयुक्त निर्णय लेने में सक्षम होते हैं।, , लेखांकन प्रक्रिया, , , , लेखांकन निर्णयकर्ताओं, , हु को आर्थिक क्रियाओं लेखांकन सूचना का, आर्थिक घटनाएं एवं उनके निर्णयों के सम्प्रेषण, परिणामों से जोड़ता है, , निर्णायक (आंतरिक एवं, बाहय उपयोगकर्ता), , , , , , चित्र 1.1: लेखांकन प्रक्रिया, , 1970 में अकाउटिंग प्रिन्सीपल बोर्ड ऑफ एआईसीपीए ने कहा कि लेखांकन का कार्य मुख्य रूप से, आर्थिक इकाईयों के संबंध में ऐसी गुणात्मक सूचनाएं उपलब्ध कराना है, जो प्रमुख रूप से वित्तीय, प्रकृति की होती हैं, और जो आर्थिक निर्णय लेने में उपयोगी होती हैं।
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लेखांकन 3, लेखांकन - एक परिचय, , उपरोक्त विवरण के आधार पर लेखांकन को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है कि लेखांकन, संगठन की आर्थिक घटनाओं को पहचानने, मापने और लिखकर रखने की ऐसी प्रक्रिया है, जिसके, माध्यम सूचनाओं से संबंधित आंकड़े उपयोगकर्ताओं तक संप्रेषित किये जा सकें। लेखांकन की प्रकृति, को समझने के लिए हमें परिभाषा के निम्न संबंधित पहलूओं को समझना आवश्यक हैः, , ७ आर्थिक घटनाएं, , ७ पहचान, मापन, अभिलेखन एवं संप्रेषण, , ७ संगठन, , ७ सूचना से सबंधित उपयोगकर्ता, , हा बॉक्स - 1 की, , लेखांकन का इतिहास एवं विकास, , , , लेखांकन की अदभुत परंपरा है। लेखांकन का इतिहास उतना ही पुराना है जितनी सभ्यता। लेखांकन के बीज, पहली बार शायद ईसा के 4000 वर्ष पूर्व बेबीलोनियां एवं इजिप्ट में बो दिये गये थे जहाँ मजदूरी एवं करों, के भुगतान सम्बन्धी लेन-देनों का लेखा मिट्टी की एक पट्टी पर किया जाता था। इतिहास साक्षी है कि, इजिप्ट के लोग अपने खज़ाने, जिनमें सोना एवं अन्य दूसरी कीमती वस्तुएं रखी जाती थी, के लिए एक, प्रकार के लेखांकन का प्रयोग करते थे और वे माहवार ब्यौरा राजा को भेजते थे। बेबीलोनीयां जिसे वाणिज्य, नगरी कहा जाता था, वाणिज्य के लेखांकन का उपयोग धोखाधड़ी एवं अक्षमता के कारण होने वाली हानि, को उजागर करने के लिए किया जाता था। ग्रीस में लेखांकन का प्रयोग प्राप्त आगम को खज़ानों में आबंटन,, कुल प्राप्तियों, कुल भुगतानों एवं सरकारी वित्तीय लेन-देनों के शेष का ब्यौरा रखने के लिए किया जाता, था। रोमवासी विवरण-पत्र अथवा दैनिक बही का प्रयोग करते थे जिनमें प्राप्ति एवं भुगतान का अभिलेखन, किया जाता था तथा उनसे प्रतिमाह खाता बही में खतौनी की जाती थी। (700 वर्ष ईसा पूर्व से 400, ई.) चीन में तो 2000 वर्ष ईसवी पूर्व में ही बहुत ही परिष्कृत रूप में राजकीय लेखांकन का उपयोग, होता था। भारत में लेखांकन का प्रचल्लनन 2300 शताब्दी पूर्व कौटिल्य के समय से माना जा सकता है, जो चन्द्रगुप्त मौर्य के राज्य में एक मंत्री था तथा जिसने अर्थशास्त्र के नाम से एक पुस्तक लिखी थी, जिसमें लेखांकन अभिलेखों को कैसे रखा जाये का वर्णन किया गया था।, , लूकस पेसिओली, जो व्यापारी क्षेणी से संबंध रखते थे, की पुस्तक सुमा-डे-अरिथमट्रिका, जयोमेट्रिका,, प्रोपोरशनालिटि पर प्रोपोरशन (अंक गणित एवं रेखा गणित के पुनर्वालोकन के अंश), को द्विअंकन पुस्तपालन पर पहली पुस्तक माना गया है। इस पुस्तक के एक भाग में व्यवसाय एवं पुस्त-पालन के सम्बन्ध, में लिखा है। पेसियोली ने यह दावा कभी नहीं किया कि वह दविअंकन, पुस्त-पालन का आविष्कारक हैं।, उसने तो इसके ज्ञान का विस्तार किया था। इससे ऐसा लगता है कि शायद उसने समकालीन पुस्त-पालन, ग्रन्थों को अपनी इस उत्तम रचना का आधार बनाया। अपनी इस पुस्तक में उसने आज के लैखांकन के, सर्वप्रचलित शब्द नाम 0 जमा ७। का उपयोग किया। इन संकल्पनाओं को इटली की शब्दावली में, प्रयक्त किया गया था। डेबिट शब्द इटली के शब्द ५७७४० से निकला है जो लेटिन शब्द (७४४४ एवं, 6७४७० शब्द से निकला है जिसका अर्थ होता है स्वामी का ऋणी होना। 0180॥ शब्द इटली के 016010, शब्द से निकला है जो लेटिन शब्द 01७५४ से निकला है जिसका अर्थ होता है (स्वामी में विश्वास या, स्वामी की देनदारी)। दूवि अंकन प्रणाली को समझाते हुए पेसियोली ने लिखा कि सभी प्रविष्टियां दो बार, अंकित की जाती है अर्थात् यदि आप एक लेनदार बनाते हैं तो आपको एक देनदार बनाना होगा। उसका, कहना था कि एक व्यापारी के उत्तरदायित्वों में अपने व्यवसाय में ईश्वर की महत्ता को बढ़ाना, व्यवसाय, के कार्यो में नैतिकता तथा लाभ कमाना सम्मिलित है। उसने विवरण-पत्र, रोजनामचा, खाता बही एवं, विशिष्ट लेखांकन प्रक्रिया पर विस्तार से चर्चा की है।
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8 लेखाशास्त्र - वित्तीय लेखांकन, , 1.1.1 आर्थिक घटनाएं, , व्यावसायिक संगठनों का संबंध आर्थिक घटनाओं से होता है। आर्थिक घटना से तात्पर्य किसी, व्यावसायिक संगठन में होने वाले ऐसे आर्थिक लेन-देनों से है जिसके परिणामों को मुद्रा रूप में मापा, जा सकता हो। उदाहरणार्थ, मशीन का क्रय, उसके स्थापना एवं विनिर्माण के लिए तैयार करना एक, घटना है जिसमें कुछ वित्तीय लेन-देन समाहित हैं, जैसे -- मशीन का क्रय, मशीन का परिवहन,, मशीन स्थापना स्थलत्र को तैयार करना, स्थापना पर व्यय एवं परीक्षण संचालन। इस प्रकार लेखांकन, किसी आर्थिक घटना से संबंधित सौदों के समूह की पहचान करता है।, , किसी घटना में संगठन एवं किसी बाहर के व्यक्ति के बीच लेन-देन है तो इसे बाहय घटना कहेंगे।, इस प्रकार के लेन-देन के उदाहरण नीचे दिये हैं:, , # ग्राहक को माल्र का विक्रय।, , ७ कंपनी द्वारा अपने ग्राहकों को सेवाएँ प्रदान करना।, ७ आपूर्तिकर्ताओं से मात्र का क्रय।, , ७ मकान मालिक को मासिक किराये का भुगतान।, , आंतरिक घटना एक ऐसी वित्तीय घटना है जो पूर्णतः किसी उद्यम के आंतरिक विभागों के बीच, घटित होती है। उदाहरण के लिए संग्रहण विभाग द्वारा कच्चे माल अथवा कल्पुर्जों की विनिर्माण, विभाग को आपूर्ति, कर्मचारियों को मजदूरी का भुगतान आदि।, , 1.1.2 पहचान करना, मापना, लेखा-जोखा एवं सम्प्रेषण, , पहचान, , इसका अर्थ यह निर्धारित करना है किन लेन-देनों का अभिलेखन किया जाए अर्थात् इसमें उन घटनाओं, की पहचान करना, जिनका अभिलेखन किया जाना है। इसमें संगठन से संबंधित सभी क्रियाओं का, अवलोकन कर केवल उन्हीं क्रियाओं का चयन किया जाता है जो वित्तीय प्रकृति की हैं। लेखा-पुस्तकों, में लिखने का निर्णय लेने से पहले व्यावसायिक लेन-देन एवं दूसरी आर्थिक घटनाओं का मूल्यांकन, किया जाता है। उदाहरणार्थ मानव एवं संसाधनों का मूल्य, प्रबन्धकीय नीतियों मैं परिवर्तन अथवा, कर्मचारियों की नियुक्ति महत्वपूर्ण घटनाएं हैं लेकिन इनमें से किसी को भी लेखा-पुस्तकों में नहीं, लिखा जाता। यद्यपि जब भी कंपनी नकद अथवा उधार क्रय अथवा विक्रय करती है अथवा वेतन का, भुगतान करती है तो इसे लेखा पुस्तकों में लिखा जाता है।, , मापन, , इसका अर्थ है मौद्रिक इकाई के द्वारा व्यावसायिक लेन-देनों का वित्तीय प्रमापीकरण (अनुमानों, मौद्रिक, आधारों रुपए व पैसों की इकाइयों का अभिलेखन के लिए प्रयोग) अर्थात् मापन की इकाई के रूप, में रुपये पैसे।
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लेखांकन 5, लेखांकन - एक परिचय, , यदि किसी घटना को मौद्रिक रुप में प्रमापीकरण सम्भव नहीं है तो इसका वित्तीय लेखों में लेखन नहीं, किया जाएगा। इसी कारणवश प्रबन्ध निदेशक की नियुक्ति, महत्त्वपूर्ण अनुबंध व कर्मचारियों की, बदली जैसी आवश्यक सूचनाओं का लेखा-पुस्तकों में नहीं किया जाएगा।, , अभिलेखन, , जब एक बार आर्थिक घटनाओं की पहचान व मापन वित्तीय रूप में हो जाती है तो इन्हें मौद्रिक, इकाइयों में लेखा-पुस्तकों में कालक्रमानुसार (तिथिवार) अभिलिखित कर लिया जाता है। अभिलेखन, इस प्रकार से किया जाता है कि आवश्यक वित्तीय सूचना को स्थापित परम्परा के अनुसार सारांश, निकाला जा सके एवं जब भी आवश्यकता हो उसे उपलब्ध किया जा सके।, , संप्रेषण, , आर्थिक घटनाओं की पहचान की जाती है उन्हें मापा जाता है एवं उनका अभिलेखन किया जाता, है जिससे प्रसंगानुकूल सूचना तैयार होती है एवं इसका, प्रबन्धकों एवं दूसरे आंतरिक एवं बाहय, उपयोगकर्ताओं को, एक विशिष्ट रूप में सम्प्रेषण होता है। सूचना का लेखा प्रलेखों के माध्यम से, नियमित रूप से संप्रेषित किया जाता है। इन प्रल्लेखों द्वारा दी गई सूचना उन विभिन्न उपयोगकर्त्ताओं के, लिए उपयोगी होती है जो उद्यम की वित्तीय स्थिति एवं प्रदर्शन के आकलन, व्यावसायिक क्रियाओं के, नियोजन एवं नियंत्रण तथा समय-समय पर आवश्यक निर्णय लेने में रुचि रखते हैं।, , लेखांकन सूचना प्रणाली को इस प्रकार से बनाना चाहिए कि सही सूचना, सही व्यक्ति को सही, समय पर संप्रेषित हो सके। प्रलेख उपयोगकर्ताओं की आवश्यकताओं को देखते हुए अभिलेख दैनिक,, साप्ताहिक, मासिक या फिर त्रैमासिक हो सकते हैं। इस संप्रेषण प्रक्रिया का महत्त्वपूर्ण तत्व लेखापाल, की योग्यता एवं कार्य उपयुक्त सूचना के प्रस्तुतिकरण में है।, , 1.1.3 संगठन, , संगठन से अभिप्राय किसी व्यावसायिक उद्यम से है जिनका उद्देश्य ल्राभ कमाना है अथवा नहीं। क्रियाओं, के आकार एवं व्यवसाय के परिचालन स्तर के आधार पर यह एकल स्वामित्व इकाई, साझेदारी फर्म,, सहकारी समिति या कंपनी, स्थानीय निकाय, नगरपालिका अथवा कोई अन्य संगठन हो सकता है।, , , , बॉक्स - 2, उपयोगकर्त्ताओं को लेखांकन सूचना की आवश्यकता क्यों होती है।, उपयोगकर्त्ता लेखांकन सूचना की मांग विभिन्न उद्देश्यों से करते हैं:, , ७ स्वामी अंशधारी इनका उपयोग यह जानने के लिए करते हैं कि क्या वे अपने निवेश, पर पर्याप्त वापसी प्राप्त कर रहे हैं एवं अपनी कंपनी/व्यवसाय के वित्तीय स्वास्थ्य का, आकलन करने के लिए करते हैं।