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Bachelor of Mass Communication (1st year), Advertising and Public Relations, BMC 113, विज्ञापन- एक परिचय, अध्याय संरचनाः, विज्ञापन के क्षेत्र में कहावत है, 'विज्ञापन के बिना व्यवसाय करना अन्धेरे कमरे में लाठी घुमाने के समान है ।', इस कहावत से विज्ञापन की महत्ता सिद्ध होती है । विज्ञापन की महत्ता इस बात से भी सिद्ध होती है कि पूरे, विश्व में विज्ञापन न करने वाली बहुत कम संस्थाएं हैं।, विज्ञापन विपणन का विशेषकर विपणनी संचार का एक महत्वपूर्ण साधन है । विज्ञापन द्वारा विज्ञापित, वस्तुओं के बारे में इच्छित उपभोक्ताओं तक सूचना पहुंचाई जाती है। विज्ञापन से विज्ञापित वस्तुओं की, सकारात्मक छवि बनाई जाती है। इस पाठ में हम विज्ञापन के विभिन्न मूलभूत पहलूओं से परिचित होते हैं ।, इस अध्याय में हम विज्ञापन का परिचय प्राप्त करने के लिए उसके विविध पहलुओं का अध्ययन, करेंगे। इस पाठ में विज्ञापन की अवधारणा पर विशेष जोर दिया जाएगा। विज्ञापन की कुछ परिभाषाओं पर भी, संक्षेप में चर्चा होगी। अन्त में विज्ञापन के कार्यो के बारे में चर्चा की जाएगी। इस अध्याय की संरचना इस, प्रकार रहेगीः, 1.0, उद्देश्य, 1.1, परिचय, विषय, वस्तु, की प्रस्तुति, 1.2, 1.2.1 विज्ञापन- एक परिचय, 1.2.2 विज्ञापनः प्रकृति व दायरा, 1.2.3 विज्ञापन के उद्देश्य, 1.2.4 विज्ञापन के कार्य
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1.2.5 विज्ञापन की परिभाषाएं, 1.3, सारांश, 1.4, सूचक शब्द, स्व मूल्यांकन हेतु प्रश्न, 1.5, संदर्भित पुस्तकें, 1.6, उद्देश्यः, 1.0, विज्ञापन एक बहु आयामी विधा है । कुछ विज्ञापन हमें मात्र सूचना ही देते हैं | कुछ विज्ञापन हमें सोचने के, लिए मजबूर करते हैं। कभी विज्ञापन हमारा हंसी-मजाक या अन्य तरीके से मनोरंजन करते हैं। कुछ विज्ञापन, शिक्षाप्रद भी होते हैं। किन्तु प्रायः विज्ञापन अनुनयन या मनाने, बुझाने या रिझाने का काम करते हैं । यह, अलग बात है कि आलोचकों के अनुसार विज्ञापन विज्ञापित वस्तुओं की वकालती करते हुए हमें प्रभावित करते, हैं। इस अध्याय में हम विज्ञापन के विभिन्न आयामों व पहलूओं के बारे में परिचित होंगे।, इस अध्ययाय के उद्देश्य इस प्रकार हैं:, विज्ञापन की अवधारणा को समझना, विज्ञापन के प्रकृति व दायरा को समझना, विज्ञापन के उद्देश्यों को समझना, विज्ञापन के कार्यों को समझना, विज्ञापन की कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाओं से परिचित होना, 1.1, परिचयः, कहा जाता है कि विज्ञापन व्यापार जितना पूराना है। विज्ञापन की शुरूआत आदान-प्रदान या विनिमय के, शुरूआती दौर में ही हो गई थी। उन शुरूआती दिनों से लेकर आजतक विज्ञापन द्वारा विज्ञापित वस्तुओं के, प्रति ध्यान आकर्षण व सकारात्मक ग्राहयता बढाने का काम किया जाता रहा है।
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आज विज्ञापन एक स्वयं सम्पूर्ण उद्योग के रूप में उभरा है । आधुनिक विज्ञापन आज जनमाध्यम व, कुछ अन्य स्वतन्त्र विज्ञापन माध्यमों द्वारा व्यवसायिक या सामाजिक उद्देश्यों से किसी वस्तु, सेवा, विचारधारा,, संस्था, व्यक्ति विशेष या घटना आदि के संवर्धन का कार्य करता है।, 1.2, विषय वस्तु की प्रस्तुतिः, आज विज्ञापन व्यवसाय व व्यापार का एक सर्वविद व अति शक्तिशाली साधन बन चुका है। यह आधुनिक, समाज का एक अभिन्न अंग भी बन चुका है। आधुनिक व्यापार व व्यवसाय के साथ-साथ समूची जनसंचार, व्यवस्था को चलाने व पनपाने में विज्ञापन अहम भूमिका निभाता है। सभी जनमाध्यम अपनी आमदनी का, प्रमुख हिस्सा विज्ञापन से ही कमाते हैं।, आधुनिक विज्ञापन आज के व्यवसाय के क्षेत्र के बदलते प्रचलनों के साथ-साथ तकनीकि प्रगति तथा, जीवन शैली में आए बदलावों को प्रतिबिम्बित करता है।, इस अध्याय में विषय वस्तु की प्रस्तुति इस प्रकार रहेगी:, विज्ञापन- एक परिचय, विज्ञापनः प्रकृति व दायरा, विज्ञापन के उद्देश्य, विज्ञापन के कार्य, विज्ञापन की परिभाषाएं, 1.2.1 विज्ञापन- एक परिचयः, कई लोगों का मानना है कि विज्ञापन बिक्री वृद्धि का साधन है । किन्तु वास्तविकता यह है कि वस्तु आदि की, बिकरी में विज्ञापन एक कारक मात्र है । विज्ञापन बिक्री वृद्धि का एक मात्र कारक नहीं है। विज्ञापन हमें सुचित, करता है, विज्ञापित वस्तुओं के विषय में जागरूकता फैलाता है तथा हमें सूचित-क्य -निर्णय लेने में सहायता, करता है। यह विपणन संचार का एक शाक्तिशाली साधन है ।
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कुछ आलोचकों का कहना है कि विज्ञापन हमें प्रभावित करता है तथा अनचाही चीजों को खरीदने के, लिए मजबूर करता है। विज्ञापन के बारे में यह भी कहा जाता है कि यह हमारी आवश्यक्ताओं के साथ, खिलवाड करता है तथा झूठी आवश्यक्ताएं पनपाता है। किन्तु सच्चाई यह है कि विज्ञापन ना तो आवश्यक्ता है।, और न ही आवश्यक्ताओं के साथ खिलवाड कर सकता है। विज्ञापन केवल मात्र हमारी चाहतों के साथ खेलता, है। विज्ञापन द्वारा विज्ञापित वस्तुओं, चाहे वो वस्तु, सेवा, विचारधारा, संस्था या व्यक्ति विशेष- के बारे में हमें, सूचित करते हैं। विज्ञापित वस्तुओं के बारे में सूचना देने के साथ-साथ विज्ञापन निश्चित, आकर्षक व, अनुनयनकारी छवि बनाता है। विज्ञापन द्वारा विज्ञापित वस्तु की उपस्थिति दर्ज की जाती है, उस वस्तु के बारे, में जागरूकता फैलाई जाती है तथा इच्छत उपभोक्ताओं को बार-बार याद दिलाते हुए विज्ञापित वस्तु के लिए, ग्प्रहयता बनाने का प्रयास किया जाता है।, विज्ञापन द्वारा निरंतर व सुसंगत तरीके से संचार का कार्य किया जाता है। ऐसे निरंतर व सुनियोजित, तरीके से विज्ञापन करना विज्ञापन अभियान कहलाता है।, विज्ञापन बहुत से प्रकार के माध्यमों व साधनों का इस्तेमाल करता है। इसके लिए समाचार पत्रों से, लेकर इन्टरनेट तक सभी जनमाध्यमों का इस्तेमाल किया जाता है । इसके अलावा दिवारी लेखन, बैनर, पोस्टर,, साइन बोर्ड, बैलून व आकाशी लेखन आदि अनेकों बाहरी विज्ञापन माध्यमों का भी प्रयोग किया जाता है ।, इसके लिए कई प्रकार के वाहनों को परिवहन विज्ञापन माध्यम के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। इसके, अलावा विज्ञापन हेतू अनेक मुद्रित प्रचार-प्रसार समग्री- पम्फलेट, लिफलेट, ब्रुशर, कैटलॉग- इस्तेमाल में लाए, जाते हैं।, विभिन्न प्रकार की वस्तु सेवा आदि के विज्ञापन हेतू भिन्न-भिन्न प्रणालियाँ अपनाई जाती हैं।, उपभोक्ता वस्तु व सेवा आदि के लिए बहुल मात्रा में विज्ञापन की आवश्यक्ता होती है। औद्योगिक वस्तु व, सेवाओं के लिए कम मात्रा में विज्ञापन किया जाता है । अधिकतर औद्योगिक वस्तुओं के लिए सूचना प्रधान, विज्ञापन बनाए जाते हैं वहीं उपभोक्ता वस्तुओं के लिए प्रतिकात्मक तरीके से स्वतन्त्र व सकारात्मक छवि, निर्माण किया जाता है।, सामाजिक विज्ञापन व व्यवसायिक विज्ञापन के लिए भिन्न-भिन्न प्रणालियाँ अपनाई जाती हैं। विज्ञापन, कभी विज्ञापित वस्तु में निहित शारीरिक या व्यवहारिक तत्वों को रेखांकित करते हुए लोगों को मनाने का, प्रयास करता है तो कभी मार्मिक तरीका अपनाते हुए विज्ञापित वस्तुओं के लिए रोचक व मोहक छवि बनाता, है। सामाजिक विज्ञापनों के लिए आमतौर पर तार्किक व मार्मिक दोनों प्रणालियों का इस्तेमाल किया जाता है।
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1.2.2 विज्ञापनः प्रकृति व दायरा, अब तक हम विज्ञापन की अवधारणा के बारे में चर्चा कर रहे थे । आगे बढने से पहले हम विज्ञापन या, एडवर्टाइजमेंट व विज्ञापन प्रक्रिया या एडवर्टाईजिंग में अन्तर को समझने का प्रयास करते हैं। विज्ञापन वह, वस्तु है जिसके जरिए उपभोक्ताओं को विज्ञापित वस्तु, बारे में सुचना व संदेश आदि पहुंचाए जाते हैं । अपितु, समाचार पत्र व पत्रिकाओं में छपने वाले व्यवसायिक व सामाजिक संदेश विज्ञापन कहलाते हैं। समाचार पत्र,, पत्रिकाओं में प्रकाशित होने अलावा विज्ञापन रेडियो व दूरदर्शन पर भी आते हैं । रेडियो पर प्रसारित संगीत, प्रधान विज्ञापनों को जिंगल कहा जाता है। रेडियो पर उद्घोषणा या अनाउंसमेंट श्रेणी के विज्ञापन भी आते हैं।, टेलिविजन पर आने वाले अधिकतर विज्ञापन व्यवसायिक किस्म के होते हैं। इनको कमर्शियल विज्ञापन या, टेलिविजन कमर्शियल भी कहा जाता है।, दूसरी ओर विज्ञापन प्रक्रिया का अर्थ है कि विज्ञापनों का इस्तेमाल करते हुए विज्ञापित वस्तु का, संवर्धन करना। विज्ञापन प्रक्रिया में नियोजन , विभिन्न प्रकार की तैयारियाँ विज्ञापन का निर्माण तथा प्रकाशन, व प्रसारण हेतू विभिन्न माध्यमों में इन विज्ञापनों के लिए स्थान व समय उपलब्ध करवाना आदि उप-प्रक्रियाऐं, शामिल हैं। इस प्रक्रिया में विज्ञापनों का मूल्यांकन भी शामिल है।, अब विज्ञापन को थोडा और बारिकी से समझते हैं । ज्यादातर लोगों का मानना है कि विज्ञापन से, व्यवसाय को लाभ पहुंचता है। कुछ लोग विज्ञापन को लाभकारी प्रक्रिया नहीं मानते। इसके पीछे प्रमुख कारण, यह है कि विज्ञापन अलग-अलग स्थितियों में अलग-अलग प्रकार के उद्देश्यों की पूर्ति हेतू किया जाता है।, कभी विज्ञापन केवल सूचना पहुंचाने का कार्य करता है । कभी यह अनुनयन या परसुएशन के जरिए, उपभोक्ताओं को मनाने या रिझाने का काम करता है। कभी विज्ञापन के जरिए विज्ञापित वस्तु या संस्था की, निश्चित व सकारात्मक छवि बनाई जाती है। अतएव विज्ञापन की भिन्न-भिन्न शैलियाँ हैं।, विज्ञापन कई बार हास्य प्रधान होते हैं। ऐसे विज्ञापनों में हास्य को उपभोक्ताओं के मनोरंजन हेतू, इस्तेमाल नहीं किया जाता बल्कि हास्य के जरिए विज्ञापित वस्तु या सेवा के कुछ महत्वपूर्ण पहलूओं व फायदों, को दर्शाया जाता है। कभी-कभी उपभोक्ताओं के ध्यान आकर्षण हेतू भी हास्य का प्रयोग किया जाता है।, कभी-कभी विज्ञापनों में भिन्न-भिन्न भावों का इस्तेमाल किया जाता है। कभी विज्ञापनों में प्रेम, श्रद्धा,, अनुराग आदि सकारात्मक भावों का इस्तेमाला किया जाता है तो कभी डर, ईष्ष्या या घृणा जैसे नकारात्मक, भावों का भी प्रयोग किया जाता है। जहाँ कुछ विज्ञापन वास्तविकता के बहुत करीब होते हैं वहीं कुद विज्ञापनों, में कल्पनाराज्य की सैर कराते हैं। हाँ, कुछ विज्ञापन हमें सुन्दर जगह व वादियों की भी सैर कराते हैं। कभी, हमें विज्ञापनों में शौष्ठव शरीर के अधिकारी पुरुष दिखाई देते हैं तो कभी सुन्दर बालाएं व महिलाएं हमें