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SUPERTET /CTET /TET Pathlal, जर्मी से शिखर तक, दूरस्थ शिक्षा, * दूरस्थ शिक्षा, शिक्षा की वह प्रणाली है जिसमें शिक्षक तथा शिक्षु को स्थान-विशेष अथवा, समय-विशेष पर मौजूद होने की आवश्यकता नहीं होती।, * यह प्रणाली, अध्यापन तथा शिक्षण के तौर-तरीकों तथा समय-निधारण के साथ-साथ, गुणवत्ता संबंधी अपेक्षाओं से समझौता किए बिना प्रवेश मानदंडों के संबंध में भी उदार, है।, * भारत की मुक्त तथा दूरस्थ शिक्षा प्रणाली में राज्यों के मुक्त विश्वविद्यालय, शिक्षा प्रदान, करने वाली संस्थाएं तथा विश्वविद्यालय शामिल है तथा इसमें दोहरी पद्धति के परंपरागत, विश्वविद्यालयों के पत्राचार पाठयक्रम संस्थान भी शामिल हैं।, * यह प्रणाली, सतत शिक्षा, सेवारत कार्मिकों के क्षमता-उन्नयन तथा शैक्षिक रूप से वंचित, क्षेत्रों में रहने वाले शिक्षुओं के लिए गुणवत्तामूलक व तर्कसंगत शिक्षा के लिए अत्यधिक, महत्वपूर्ण है।, * दूरस्थ शिक्षा में विद्यार्थी को नियमित तौर पर किसी संस्थान में जाकर पढ़ाई करने की, जरूरत नहीं होती।, * सभी पाठ्यक्रमों के लिए क्लासों की संख्या तय होती है और देश भर के कई केन्द्रों पर, उनकी पढ़ाई होती है।, * सूचना क्रांति और इन्टरनेट के कारण दूरस्थ शिक्षा और आसान एवं प्रासंगिक हो गयी है।, 1
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SUPERTET /CTET /TET PathlMal, जीवन कौशल, जर्मी से शिखर तक, * जीवन कौशल शिक्षा एक प्रकार की ऐसी शिक्षा हैं जिसमे बालक को इस प्रकार से, दक्ष करना कि वह विषम परिस्थितियों में अपनी योग्यता और बुद्धि के द्वारा, समायोजन कर सके। साथ ही साथ मानव जीवन मे ऐसी कुशलताओं को विकसित, करना है। जिससे वह एक कुशल नागरिक बन सके।, * जीवन कौशल के प्रकार, * सामान्य कौशल, आत्मविश्वास संबंधी कौशल ।, * निर्णय लेने की क्षमता संबंधी कौशल, उच्च स्तरीय कौशल, श्रेष्ठ उष्णीयता एवं उच्च मानसिक, नव, स्तर।, * तनाव उन्मूलन कौशल ।, विपरीत परिस्थितियों में समायोजन कोशल। मानसिक एवं शारीरिक विश्राम ।, * स्वयं के प्रति जागरूकता का कौशल ।, सोचने के रास्ते ।, खन, * लक्ष्य निर्धारण समस्या समाधा।, *, सी, * संप्रेषण ।, * सामाजिक समर्थन ।, * गलत कार्य के प्रति नकारात्मक प्रवृत्ति, का कौशल ।, * सकारात्मक व्यवहार ।, * स्वास्थ्य प्रद से जीवन स्तर।, * समालोचनात्मक सोच ।, * एक दूसरे के प्रति समाज का कौशल।, 2
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SUPERTET /CTET /TET Path lal, जरमी से शिखर तक, आदर्शवाद, विचारवाद या आदर्शवाद या प्रत्ययवाद उन विचारों और मान्यताओं की समेकित, विचारधारा है जिनके अनुसार इस जगत की समस्त वस्तुएँ विचार या चेतना की, अभिव्यक्ति है। सृष्टि का सारतत्त्व जड़ पदार्थ नहीं अपितु मूल चेतना है।, * आदर्शवाद जड़ता या भौतिकवाद का विपरीत रूप प्रस्तुत करता है। यह आत्मिक-, अभौतिक के प्राथमिक होने तथा भौतिक के द्वितीयक होने के सिद्धांत को अपना, आधार बनाता है, जो उसे देश-काल में जगत की परिमितता और जगत की ईश्वर द्वारा, रचना के विषय में धर्म के जड़सूत्र के निकट पहुँचाता है।, * आदर्शवाद चेतना को प्रकृति से अलग करके देखता है, जिसके फलस्वरूप वह मानव, चेतना और संज्ञान की प्रक्रिया को अनिवार्यतः रहस्यमय बनाता है और अक्सर, संशयवाद तथा अज्ञेयवाद की तरफ बढ़ने लगता है।, * आदर्शवादियों ने शिक्षा के जिन उद्देश्यों को प्रस्तावित किया है, उनसे बालकों के, उत्तम चरित्र का निर्माण होता है। उन्होने शिक्षा का एक उल्लेखनीय उद्देश्य बालकों में, सत्यं, शिवं एवं सुन्दरं ऐसे गुणों का विकास माना है जो अच्छे चरित्र के आधार स्तम्भ, हैं।, * आदर्शवादी शिक्षा में व्यक्ति और समाज दोनों के हित को ध्यान में रखते हुए व्यक्तिगत, एवं सामाजिक मूल्यों को समान महत्व दिया गया है।, 4
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CTET SPECIAL, ePathTal, athशाला, जरमी से शिखर तक, हाथी से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य, * एक वयस्क हाथी एक दिन में 100 किलो, से अधिक पत्ते व झाड़ियाँ खा लेता है।, हाथी एक दिन में केवल 2-4 घंटे सोता है।, हाथी कीचड व पानी से अधिक खेलना पसंद, करते है क्यूंकि इससे उनके शरीर को ठंडक, मिलती है ।, हाथियों के झुण्ड में केवल हथिनी, बच्चे होते है, वयस्क हाथी झुण्ड में, नही रहते ।, * झुण्ड की सबसे बुजुर्ग हथिनी झुण्ड की नेता होती है।, हाथी 14-15 साल तक झुण्ड में रहते है फिर वयस्क होने के पश्चात, झुण्ड को छोड़ कर अकेले रहने लगते है।, हाथी के कान बहुत बड़े होते हैं। गर्मी लगने पर हाथी अपने कानो को, हिलाकर हवा करते हैं ।